चिंतित मन को शांत करने के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाएं

                                                विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर पर विशेष

चिंतित मन को शांत करने के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाएं

                                                                                                                                               डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

                                                            

आज के इस मौजूदा समय और अभूतपूर्व वैश्विक स्थिति में चिंता और तनाव होने का एक मुख्य कारण यह है कि हम सभी लोगों का भविष्य अज्ञात है और हम सब महसूस कर सकते हैं कि हम इसके परिणाम को नियंत्रित करने में सक्षम भी नहीं हैं। जबकि हममें से कई लोग अपने आप को भविष्य के बारे में अनिश्चित, भ्रमित और चिंतित महसूस कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, मीडिया के माध्यम से भी हमें यह महसूस कराया जा रहा है कि हम सब शक्तिहीन हैं। सबसे खराब स्थिति को देखने और बाहरी दुनिया से खतरे को समझने से हमारा संतुलन बिगड़ सकता है। भय और चिंता के कारण बार-बार होने वाली उत्तेजना में हमारा स्वास्थ्य और खुशहाली आदि भी शामिल होते है।

हममें से कुछ लोगों के लिए, दुःख का एक तत्व हो सकता है, हमारा जीवन जो पहले  जैसा दिखता था उसके खोने का दुःख, और वर्तमान स्थिति जो कठिनाई आ रही है, उसके भी लिए दुःख हो सकता है। यह चुनौतीपूर्ण समय, चिंताजनक विचारों और भावनाओं आदि को भी जन्म दे सकता है।

हालांकि, होम्योपैथी इसके अनुकूलन में मदद कर सकती है और हमें वापस संरेखण में लेकर आ सकती है, जिससे हमें तनाव के प्रति अधिक लचीला बनाया जा सकता है और साथ ही दुख के समय में हमारा समर्थन भी किया जा सकता है।

ऐसे कई अध्ययन हुए हैं जो दिखाते हैं कि होम्योपैथिक उपचार चिंता के लक्षणों को नाटकीय रूप से कम करने में सक्षम हो सकते हैं। वर्ष 2012 में किए गए एक अध्ययन में, होम्योपैथिक दवा इग्नेशिया का चूहों में चिंता के लक्षणों को कम करने के लिए एक प्रयोग करके दिखाया गया था।

जैसा कि हम जानते हैं कि सभी होम्योपैथिक दवाएं रोगी के लिए व्यक्तिगत रूप से निर्धारित की जाती हैं। रोगी के विभिन्न लक्षणों का उपचार करने के लिए अलग-अलग होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग किया जाता है।

                                                                      

होम्योपैथी में चिंता को कम करने में मदद करने के लिए कुछ शीर्ष होम्योपैथिक प्राथमिक चिकित्सा उपचार और उपयोग के संकेत हम यहां देने जा रहें हैं, जो इस प्रकार से हैं-

1. आर्सेनिकम एल्बम

स्वास्थ्य, भविष्य और धन को लेकर असुरक्षा और भय की भावना वाले लोगों के लिए, जो अक्सर रात में या अकेले होने पर खराब हो जाते हैं। वे साथ की इच्छा रखते हैं लेकिन जिनके साथ वे होते हैं वे उन्हें नियंत्रित करने वाले या उनके प्रति आलोचनात्मक रूख रखने वाले भी हो सकते हैं। वे छोटी-छोटी बारीकियों पर ध्यान देते हैं, साफ-सफाई और व्यवस्था आदि के चाक-चौबन्द रहने की चाहत रखते हैं।

2. एकोनाइट

अत्यधिक भय और चिंता के लिए, किसी आघात के बाद सदमे के लिए और पैनिक अटैक के लिए इस होम्योपैथिक दवा का संकेत दिया जाता है। एकोनाइट के लक्षणों में धड़कन, बेचौनी, सांस लेने में तकलीफ, शुष्क त्वचा और अंगों में कम्पन आदि शामिल हो सकते हैं। इसके रोगी को मृत्यु, बीमारी, अस्पतालों और अंधेरे का, बिस्तर पर जाने का, भूतों का और बाहर जाने का तीव्र भय होता है।

3. जेल्सीमियम

सामाजिक सैर-सपाटे, आयोजनों और परीक्षाओं की बहुत चिंता। आशंकित और डरपोक के रूप में सामने आते हैं। रोग अपने प्रदर्शन से संबंधित चिंता का अनुभव करता हैं जिससे चक्कर आना, कंपकंपी, ठंड लगना, बोलने में असमर्थता और दस्त आदि का प्रकोप हो सकता है। रोगी भीड़ में रहना पसंद नहीं होता है और वह रोशनी एवं शांति की चाह रखता हैं।

4. अर्जेन्टम नाइट्रिकम

होम्योपैथी की यह दवा उन लोगों के लिए प्रभावकारी होती है जो नियुक्तियों, आयोजनों से पहले या छोटी जगहों या ऊंचाइयों से डर और चिंता का अनुभव करते हैं। रोजमर्रा की परिस्थितियाँ उत्तेजना, जुनूनी विचारों और व्यवहारों को जन्म दे सकती हैं। वे दस्त जैसी पाचन संबंधी समस्याओं का अनुभव भी कर सकते हैं और अक्सर नमक और चीनी खाने की चाह रखते हैं।

5. इग्नेशिया

कोई बुरी खबर, भय, क्रोध, दुःख या हानि से होने के दुष्प्रभाव। रोगी, रोने से लेकर हंसने तक अत्यधिक मूड परिवर्तन का अनुभव कर सकता हैं। रोेगी अकेले रहने की इच्छा रखता हैं, बहुत अधिक आहें भरते हैं या जम्हाई लेते हैं, शोर, गंध, स्पर्श आदि जैसे बाहरी प्रभावों के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं और रोगी सांत्वना देने से बुरा महसूस करते हैं।

6. लाइकोपोडियम

होम्योपैथी की दवा लाइकोपोडियम के मरीज में आत्मविश्वास की भारी कमी होती है और वह प्रत्याशा, चिंता और मंच आदि के भय से पीड़ित होते हैं। काम में नई चुनौतियाँ आने पर चिंता का अनुभव (जिम्मेदारी का डर) या सामाजिक परिस्थितियाँ, जो कि पाचन सम्बन्धी समस्याओं, चिड़चिड़ापन या क्लौस्ट्रफ़ोबिया आदि का कारण भी बन सकती हैं। लाइकोपोडियम का मरीज अकेले रहने की इच्छा तो रखता है लेकिन उसे अकेलेपन से डर भी लगता है।

7. फास्फोरस

होम्योपैथी की दवाई फॉस्फोरस का मरीज अकेला होने या अस्वीकार किए जाने की चिंता करता हैं और वह आसानी से डर जाता हैं। इस दवा का मरीज अपने जीवन से थका हुआ, जीवन के प्रति उदासीन और निराशाजनक पूर्वाभास रखता है। फास्फोरस का मरीज बाहरी प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील और तूफ़ान, अंधेरे, तेज़ आवाज़ और भीड़ से भी भयभीत हो सकता है।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।