फरवरी माह में गर्मी के तीखे तेवर टूटेंगे रिकार्ड

गेहूँ की सेहत पर पड़ेगा बढ़ते तापमान का प्रतिकूल प्रभाव


इस बार बढ़ते तापमान के चलते प्रभावित हो सकता गेहूँ का उत्पादन
    देश के मैदानी, तटीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम अपने तेवर लगातार बदल रहा है, जिसके कारण सभी क्षेत्रों में फिलहाल फरवरी माह में ही अपने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ रहा है। मौसम विभाग का अनुमान है कि उत्तर एवं मध्य भारत में आने वाले कुछ दिनों न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिगी तक बढ़ सकता है, जो कि इस बात का स्पष्ट संकेत है कि इस वर्ष गर्मी अपने पिछले रिकार्डों को तोड़ने की रहा पर है।
फरवरी के माह में ही किया हीट वेब अलर्ट
    मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार कोंकण और कच्छ में अगले दो दिनों के लिए हीट वेब का अलर्ट जारी किया गया है। गुजरात और महाराष्ट्र के अधिंश भागों में अधिकतम तापमान 37 से 39 डिग्री के बीच रह सकता है। 26 फरवरी को पकड़ के आसपास के इलाकों में तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया है। ऐसे में तापमान इससे भी ऊपर जा सकता है, जो कि फरवरी माह में खेतों में उग रही फसलों के लिए बहुत ही हानिकारक हैं।
मार्च वाली गर्मी फरवरी में ही होने लगी 
    गेंहूँ उत्पादक 5 प्रमुख राज्यो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब तथा राजस्थान में तापमान लगातार बढ़ रहा है जबकि उत्तरी राज्यों में जहाँ पश्चिमी और मध्य भारत में समय पूर्व ही पारा तीव्र गति से ऊपर चढ़ने लगा है। जिसके कारण मार्च वाली गर्मी का अहसास फरवरी में ही होने लगा है। इससे गेंहूँ की पछेती बुआई की फसल बुरी तरह से प्रभावित होने की आशंका बलवती होने लगी है। राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में गर्मी अब अपने पूरे शबाब पर पहुँच चुकी है, जहाँ तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच चुका है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, इस वर्ष जहाँ जनवरी सबसे ठण्ड़ा माह रहा, वहीं अब फरवरी सबसे गर्म माह रहने की राह पर अग्रसर है। फिलहाल, किसी ने भी फरवरी माह के अन्त तक मौसम के मिजाज का ठण्ड़ा होने का अनुमान व्यक्त नही किया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिन का तापमान सामान्य से 9 डिगी अधिक रहा 
गर्मी के कारण गेंहूँ की फसल में दानें रह जाएंगे पतले, जिसके कारण गिरेगा उत्पादन
    उत्तर भारत में इस बार फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ने जा रहा है, क्योंकि पहले तो इस वर्ष सर्दी के अधिक होने के कारण सर्दियों में होने वाली बारिश नही हुई, वहीं अब समय से पहले ही तापमान बढ़ने लगा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिलहाल तापमान सामान्य से 9 डिग्री सेल्सियस अधिक चल रहा है। जिससे गेंहूँ फसल पर खतरा बढ़ गया है। इसमें सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि रात का तापमान भी काफी तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है जो लगभग 20 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है। जबकि गेंहूँ की फसल के लिए इस समय दिन का तापमान 25 से 26 डिग्री सेल्सियस तथा रात का तापमान 13 से 16 डिग्री सेल्सियस तापमान को अच्छा माना जाता है। 
    इस समय खेतों में कच्ची फसल खड़ी हुई है और तापमान के अचानक ही बढ़ने से पौधों की मेटाबाॅलिक एक्टिविटीज प्रभावित होंगी, जिसके कारण पौधों में पड़ने वाले दानों का आकार पतला रह जायेगा। सामान्य फसल के 1000 गेंहूँ के दानों का भार लगभग 38 से 45 ग्राम तक होता है जबकि टर्मिनल हीट सं प्रभावित फसल के 1000 दानों का भार 28 से 30 ग्राम ही रह जाता है। धान के खेतों में बुआई की जाने वाली गेंहूँ फसल पर इस गर्मी का प्रभाव पड़ना तय है। जिन किसान भाईयों के द्वारा गन्नें की फसल की कटाई के उपरांत या फिर देरी से फसल की बुआई की थी, इस बढ़ते हुए तापमान के कारण इसका प्रभावित होना भी तय है।
गर्म मौसम के चलते प्रभावित होगा गेंहूँ का उत्पादन
    आजकल मौसम अचानक ही गर्म होता जा रहा है जो गेंहूँ की सेहत के लिए भी भारी पड़ेगा जिसके कारण गेंहूँ का उत्पादन कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यदि तापमान सामान्य से अधिक इसी प्रकार से चलता रहा तो यह गेंहूँ फसल के लिए एक बुरा संकेत हैं। 
    पिछले एक सप्ताह से तापमान सामान्य से अधिक होने के कारण कृषि वैज्ञानिकों तथा नीति  निययामकों के माथे पर बल पड़ने शुरू हो गये हैं। दिसम्बर के दूसरे सप्ताह से लेकर जनवरी के प्रथम सप्ताह की अवधि में बुआई की गई गेंहूँ की फसल के साथ ही अन्य फसलों की उत्पादकता प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। खास बात यह है कि मौसम का यह रूख पिछले साल की अपेक्षा भी अधिक खराब अनुभव किया जा रहा है। 
    चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में गेंहूँ का रकबा 3.43 करोड़ हेक्टेयर है, जो कि गत सीजन से अधिक है। यह पिछले वर्ष मानसून की अच्छी वर्षा के चलते मिट्टी में पर्याप्त नमी तथा पूरं सीजन के दौरान पड़ी अच्छी ठण्ड़ के चलते गेंहूँ की फसल की बेहतर उत्पादकता का अनुान लगाया गया थां। इसीके कारण कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू रबी सीजन में कुल 11.21 करोड़ टन गेंहूँ की पैदावार का अनुमान लगाया गया था। 
    अब जबकि गेंहूँ की फसल पकने वाली है इस समय मौसम के मिजाज गर्म चल रहे हैं, जिसके चलते उत्तर भारत में अभी तापमान में कमी होने की कोई सम्भावना नही है और राजस्थान तथा हरियाणा के कुछ जिलों का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुँच चुका है। जबकि उत्तर भारत में अधिकतर स्थानों पर रात का तापमान अभी 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे चल रहा है जो कुछ अच्छे परिणाम दे सकता है।
किसान रखें इन बातो का खास ध्यान
    तापमान में अचानक हो रही इस वृद्वि के चलते किसानों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि यदि उनकी फसल को पानी की आवश्यकता है तो वह समय के अनुसार अपने खेतों की सिंचाई करते रहें और अपने खेतों को अधिक समय तक सूखा न रहने दें। वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार अपने खेत में नमी के स्तर को बनाए रखें। ऐसा करने से उनकी फसल पर बढ़ते तापमान के प्रभाव कम से कम होगा और फसल को सुरक्षिम बनाए रखने में सहायता मिलेगी।  
समय से पूर्व फरवरी में तापमान के बढ़ने से गेंहूँ की फसल को होगा नुकसान
    यदि तापमान इसी रफ्तार के साथ बढ़ता रहा तो अल्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष तापमान के अधिक रहने का ही अनुमान है।
    पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर किसान गन्ने की फसल की कटाई के उपरांत ही गेंहूँ की पछेती बुआई करते हैं। ऐसे में मौसम का गर्म मिजाज गेंहूँ की फसल के प्रतिकूल है, क्योंकि फसल की अच्छी पैदावार के लिए तापमान कम होना चाहिए था, जो मौसम में नमी के हिसाब से भी आवश्यक था। फरवरी के प्रारम्भ में ही मौसम बदलने लगा और तापमान लगातार बढ़ता ही ला रहा है। 
    इससे गेंहूँ की फसल का प्रभावित होना तय है और अब तापमान 26 डिग्री से भी अधिक पहुँच रहा है तो इससे गेंहूँ की फसल की मेटाबाॅलिक एक्टिविटी भी प्रभावित होंगी और पौधों की वृद्वि भी सामान्य रूप से नही हो पाएगी जिससे पुष्पावस्था तक पहुँचत पहुँते गेंहूँ की फसल कमजोर पड़ जाएगी जिसके चलते गेंहूँ के दाने पतले होंगे और उत्पादन गिर जाएगा।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर0 एस0 सेगर के अनुसार वर्तमान मौसम गेंहूँ की फसल के लिए अनुकूल नही है। बढ़ता तापमान गेंहूँ की फसल को कुप्रभावित करेगा। क्योंकि गेंहूँ की फसल के लिए इस समय अनुकूल तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए था और रात का तापमान 5 से 10 डिग्री सेन्टीग्रेड तक ही होना चाहिए था और मौसम में नमी की अधिकता भी आवश्यक है, लेकिन बढ़ते तापमान के चलते अब यह मौसम गेंहूँ की फसल के अनुकूल नही रह गया है। 
बढ़ते तापमान से होने वाले नुकसान
तापमान के बढ़ने के कारण फसल झुलस सकती है।
इससे फसल बौनी रह जाएगी और फसल की बालियों का आकार भी छोटा रह जाएगा।
गेंहूँ की ऐसी फसलें जो कि पुष्पावस्था में हैं वह भी इससे कुप्रभावित होगी।
यदि तापमान में निरन्तर वृद्वि होती रही तो बालियों का दाना भी कमजोर ही रह जाएगा।
इस बढ़ते के कारण पछेती फसल सबसे अधिक प्रभावति होगी।

 

 

गेहूं पर गर्मी के असर को देखने के लिए केंद्र सरकार ने बनाई समिति
दिन और रात का तापमान लगातार बढ़ने के कारण इसका प्रभाव सीधे गेहूं के उत्पादन पर पड़ने की संभावना है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के द्वारा गेहूं की फसल पर गर्मी के प्रभाव की निगरानी और किसानों की मदद के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय कृषि आयुक्त डॉ प्रवीण कुमार करेंगे, कमेटी के अन्य सदस्यों में करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ सभी गेहूं उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सरकार ने यह कदम राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान क्षेत्र एनसीएफसी की उस रिपोर्ट के बाद उठाया है, जिसमें उसने कहा था कि फरवरी में तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा रहेगा, जिसके चलते गेहूं की फसल कुप्रभावित हो सकती है।
मध्यप्रदेश जैसे गेहूं उत्पादक राज्य में फरवरी के पहले सप्ताह में ही तापमान 7 वर्षों के औसत से अधिक हो गया है। इससे गेहूं की फसल की उत्पादकता के प्रभावित होने का गंभीर खतरा पैदा हो गया है, जो किसानों और सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है। भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक अगले दो दिनों तक गुजरात जम्मू हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। कृषि सचिव मनोज अहूजा ने कहा कि कमेटी किसानों को जल्द ही सूक्ष्म सिंचाई करने की सलाह दे सकती है।
इस बार गेहूं की अगेती खेती ज्यादा रकबे में बोई गई है, जिस पर तापमान के बढ़ने का बहुत अधिक असर नहीं पड़ेगा, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र आदि राज्यों में गर्मी का पारा सामान्य से ऊपर चल रहा है। भारतीय मौसम विभाग के पूर्व निदेशक के. जी. रमेश ने कहा है कि इस साल की जनवरी जहां सबसे अधिक ठंडी रही, वहीं अब फरवरी सबसे गर्म होने जा रही है जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिन का तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड सेल्सियस के आसपास चल रहा है जबकि रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। कृषि वैज्ञानिकों की नजर में रात का तापमान सामान्य से अधिक होने से स्थितियाँ और खराब हो सकती हैं।
 

गेहूं का पिछले साल भी घटा था उत्पादन
चालू फसल वर्ष जुलाई से जून 2022-23 में कुल 11.22 करोड़ टन गेहूं की पैदावार का अनुमान है। चालू सीजन में गेहूं बुवाई का रकबा भी बढ़ा है पिछले फसल वर्ष के इसी सीजन में खेती में खड़ी गेहूं की फसल के अनपेक्षित गर्म हवाओं की चपेट में आने से उत्पादकता घट गई थी। इससे कुल पैदावार में 6 से 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी और कुल उत्पादन घटकर 10.77 करोड टन रह गया था। रवि सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की कई राज्यों में कटाई भी शुरू हो चुकी है, खासतौर पर गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में कटाई चालू हो गई है वहाँ पर इस बढ़ते हुए तापमान का असर दिखाई नहीं देगा, परन्तु जहाँ पर गेहूं की फसल की बुआई देर से की जाती है, वहाँ पर बढ़ते हुए तापमान से गेहूं की फसल का प्रभावित होना तय है।

लेखकः सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ, के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं सीनियर साइ्रटिस्ट हैं तथा लेख में प्रस्तुत विचार उनके व्यक्तिगत हैं।