पराली के धुएं से अक्टूबर में बढ़ सकता है वायु प्रदूषण

                                                    पराली के धुएं से अक्टूबर में बढ़ सकता है वायु प्रदूषण

                                                         

इन दिनों मानसून लगभग विदा ले रहा है इस समय जो वर्ष हुई है इससे मौसम साफ हो गया है प्रदूषण भी कम है। लोगों को साफ हवा में सांस मिल रही है, लेकिन आगामी माह अक्टूबर तक पहुंचते पहुंचते जल्द ही यह राहत गायब भी हो सकती है।

अभी पंजाब तथा अन्य प्रदेशों में धान की कटाई प्रारंभ नहीं हुई है और अगले माह तक धान की कटाई खेतों मैं प्रारंभ हो जाएगी। उसके बाद किसान रबी की फसल को अपने खेतों में बोने के लिए तैयारी प्रारंभ करेंगे। जिससे कुछ किसान धान की पराली को अपने खेत को खाली करने के लिए उनके अवशेष तथा खेत में खड़े ठूटो में आग लगा देते हैं। जिससे वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है और लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है।

अभी हवा की दिशा पूर्व से है इसके उत्तरी पश्चिमी होते ही परली का धुआँ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निवासियों का दम घुटने शुरू कर हो जायेगा। मानसून की विदाई होते ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सांसों के आपातकाल का दौर भी शुरू हो गया है और लम्बे समय से संतोषजनक या मध्यम श्रेणी में चल रही हवा के अब खराब श्रेणी में पहुंचने की चिंता भी सताने लगी है। देश में ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान ग्रिप के नियम लागू करने की नौबत भी तय समय, यानी 1 अक्टूबर से पहले भी बन सकती है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार अगले एक सप्ताह के दौरान उत्तर भारत से दक्षिणी पश्चिमी मानसून की विदाई की शुरुआत के साथ ही हवा की दिशा भी उत्तर पश्चिम हो जाएगी।

                                                                 

यह हवा जम्मू कश्मीर यानी हिमालय की पहाड़ियों से होकर आती है और इस हवा के साथ केवल पहाड़ों की ठंडक ही नहीं अपितु पंजाब और हरियाणा जैसे अन्य राज्यों में जलाए जाने वाली परली का धुआं भी दिल्ली पहुंचने लगता है। केवल यही नहीं, उत्तर पश्चिमी हवा के साथ ही पाकिस्तान, राजस्थान और अफगानिस्तान की धूल भी राजधानी क्षेत्र तक आती है। पर्यावरण से संबंधित वैज्ञानिकों के अनुसार हवा की दिशा बदलने वाली है और दिल्ली से मानसून भी विदा होने वाला है, तो ऐसे में प्रदूषण भी अब धीरे-धीरे लगातार बढ़ता ही जाएगा।

अभी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का वायु प्रदूषण सूचकांक 100 से नीचे संतोषजनक है तो कभी 100 के ऊपर मध्यम श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है। अक्टूबर के महीने के अंतिम सप्ताह तक यह 200 का आंकड़ा पार कर खराब श्रेणी में पहुंच सकता है। इसलिए इससे अभी से सतर्क रहने की परम आवश्यकता है और लोगों को जागरूक करने की जरूरत है जिससे कि वह कम से कम वायु प्रदूषण उत्पन्न करें, जिससे लोगों का स्वास्थ्य ठीक रह सके।

                                                                       

इन दिनों मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक भी संतोषजनक दशा में ही चल रहा है, लेकिन अक्टूबर माह तक पहुंचते पहुंचते इसमें अधिक खराबी उत्पन्न हो सकती है। अतः इसके लिए अभी से लोगों को सतर्क करने की आवश्यकता है जिससे कि वह कम से कम वायु प्रदूषण उत्पन्न करके लोगों को सांसों की दिक्कत को बचाए रखने में सहायता कर सकें।