निपाह वायरस से जागरूक रहे और संक्रमण से बचें

                                          निपाह वायरस से जागरूक रहे और संक्रमण से बचें

                                                                                                                                      डॉ0 दिव्याँशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                               

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है, मतलब यह है कि यह जानवरों के माध्यम इंसान में आता है। कई बार ये खाने-पीने के माध्यम और इंसान से इंसान में भी फैल सकता है। इस वायरस से संक्रमित मामलों में मृत्यु दर 40 से 75 प्रतिशत के बीच रहती है ओर निपाह वायरस से संक्रमित होने के बाद इसके लक्षण मानव में चार से 14 दिनों के भीतर दिखाई पड़ते हैं।

रोग के क्या है लक्षण

दिमाग में सूजन आ जाना, इस फेलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी तथा सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, साथ ही साथ गंभीर उल्टियां भी हो सकती हैं, और इसके गंभीर लक्षणों में पेट में दर्द होना, डर लगना और कोमा में चले जाना भी शामिल है। WHO के अनुसार निपाह वायरस के संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या 40 से 75 प्रतिशत तक होती है और जागरूक रहकर ही इसके संक्रमण से बचा जा सकता है।

आखिर कितना है खतरनाक

                                             

निपाह वायरस कम संक्रामक होता है लेकिन यह अधिक घातक माना जाता है क्योंकि इससे संक्रमित व्यक्तियों की मृत्यु दर अधिक होती है। संक्रमित मरीज के गंभीर होने पर उसकी मृत्यु 24 से 48 घंटे में हो सकती है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की मौत निपाह संक्रमण के कारण हुई है तो उसके परिजन भी इससे संक्रमित हो सकते हैं, अतः ऐसे में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के समय विशेष सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता होती है।

पहली बार कहां मिला निपाह वायरस

वर्ष 1998 और 99 में इसे पहली बार मलेशिया के गाँव सुनगई निपाह में देखा गया यहां पर घरेलू सुअरो में वायरस के संक्रमण पाए गए थे और इसी कारण इस वायरस का नाम निपाह रखा गया। निपाह वायरस कुत्तों, बिल्लियों और बकरियों आदि के सहित तमाम घरेलू जानवरों में पाया जाता है।

भारत में कब आया यह वायरस

                                                                                

भारत में सबसे पहले 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में वायरस पाया गया था उसके बाद 2007 के नदिया जिले में यह वायरस आया बाद में वर्ष 2018 में केरल के कोझीकोड और मलप्पुरम जिले में तेजी से देखा गया।

वर्ष 2018 में वहां पर लगभग 17 लोगों की जान चली गई थी हालांकि तब कल 23 मामलों की पहचान की गई थी वर्ष 2023 में फिर से निपाह वायरस के कारण केरल के कोझिकोड जिले में दो लोगों की मृत्यु हो गई है साथ ही 9 साल के एक बच्चे सहित दो और लोग संक्रमित पाए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सांसद मांडवीया ने इसकी पुस्तक की है राज सरकार को सतर्क कर दिया गया है।

इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह अभी उत्तर प्रदेश तथा अन्य प्रदेशों में नहीं दिखाई दे रहा है, इसे केवल सावधान और जागरूक रहकर और समय पर उपचार कर के बचा जा सकता है।

कहां से फैलता है

                                               

यह रोग पटरोपस जीनस के फुटप्रिंट या फ्लाइंग फॉक्स से फैलता है जो निपाह और हेङा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं। यह वाइरस चमगादड़ के मल, मूत्र, लार व जन्म के समय तरल पदार्थ के रूप में मौजूद रहता है।

कैसे बचें निपाह वायरस से

                                            

मनुष्य और जानवरों दोनों के लिए यह वायरस का कोई दवा या टीका नहीं है संगठन का सुझाव है कि खाने से पहले फलों को अच्छी तरह से धो लें मास्क लगाकर रखें और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद सावधानियां बढ़ाते सर्दी जुकाम के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से सलाह लें इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। खाने से पहले सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह से पानी से धोएं और हाथों को भी समय.समय पर सेनीटाइज करते रहें आप इस बीमारी से बचे रहेंगे आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

लेखक : डॉ0 दिव्याँशु सेंगर, मेडिकल ऑफिसर, जिला अस्पताल मेरठ।