जीवन अनमोल है

                                                                      जीवन अनमोल है

    विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं के द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं के सिलसिले में आने वाली खबरों ने पिछले कुछ दिनों से पूरे देश को विचलित किया हुआ है। हमारे विशेषज्ञ बता रहें हैं बच्चों एवं िकशोरों की मनोदशा में सुधार करने वाले कुछ विशेष तरीकों के बारे में-

    वर्तमान में यदि हम अपने देश और समाज में उत्पन्न होने वाली विभिन्न मानसिक समस्याओं के बारे में बात करें तो इनको लेकर वृहद स्तर पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कुछ बच्च्चों में टैम्पर टैट्रम होता है कहने का मतलब है ऐसे बच्चे या लाग बहुत ही जल्दी क्रोधित हो जाते हैं और कुछ ही समय में उनका स्वभाव ठीक इसके विपरीत भी हो जाता है। इसमें अहम यह है कि यदि किसी के परिवार में इस प्रकार के लक्षण पूर्व में भी देखे जा चुके हैं तो उन्हें इनके प्रति सतर्क रहना चाहिए।

निरंतर बढ़ रहा है अवसाद: डिप्रेशन अर्थात अवसाद और मूड स्विंग के पीछे मेडिकल इतिहास भी होता है। लोगों के बीच होने वाली मारपीट केवल क्रोध के कारण ही नही होती है अपितु यह डिप्रेशन या मेनिया का एक लक्षण होना भी सम्भव है। व्यक्तियों में अक्सर दो प्रकार का डिप्रेशन यूनिपोलर या फिर बाइपोलर डिप्रेशन होता है और हमस ब जानते हैं कि वर्तमान समय डिप्रेशन काफी आम होता जा रहा है। ऐसे में यदि किसी का व्यवहार बहुत अधिक क्रोध वाला तो कभी बहुत प्यार वाला हो या कोई अनायास ही बहुत अधिक जिद्दी या फिर ढ़ीट हो जाता है तो हमें इसके कारणों को समझने का प्रयास करना चाहिए।

बेहद खतरनाक हो सकता है लूजर शब्द: अक्सर लोग अपने बच्चों को उकसाने के लिए कहने लगते हैं कि यदि तुम फर्स्ट आओगे तो मैं तुम्हे यह उपहार दूँगा। इसके साथ ही बोर्ड की परक्षाओं के परिणामों में बच्चे को यह भी दुनिया को दिखाने का दबाव होता है कि वह बहुत ही शार्प और मेहनती बच्चा है।

    ऐसे में यदि किसी बच्चे के टेस्अ में 10 में से 05 नम्बर भी आते हैं तो कुछ लोग उसे लूजर कहने लगते हैं। जबकि सभी लोग यह अच्छी तरह से जानते हैं कि एक छोटा सा टेस्ट किसी के जीवन में सफलता या असफलता का कोई पैमाना नही होता है।

आवश्यक है मनोदशा का बेहतर होना: यदि आपकी कोई वंशानुगत पृष्ठभूमि है, ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चे का अतिरिक्त ध्यान रखें। इसके लिए आप किसी काउंसलर, मनोविज्ञानी अथवा किसी मनोचिकित्सक की सेवाएं भी ले सकते हैं। क्योंकि इस प्रकार की भावनाओं को मेन्टेन करने के मनोवैज्ञानिकों के अपने तरीके होते है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • जीवन में सफलता किसी डिग्री से नही बल्कि आत्मविश्वास से प्राप्त होती है। अतः किसी भी बच्चे का जीवन तब ही अच्छा होगा जबकि उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • प्रत्येक माता-पिता को यह स्वीकार करना चाहिए कि मेरा बच्चा जैसा भी है, वह अच्छा है और मुझे उसे बेहतर बनाना है।
  • अपने बच्चे को भावनात्मक समर्थन देने का प्रयत्न करना चाहिए।
  • भाई-बहन, पडोसी या फिर किसी रिश्तेदार से बच्चे की तुलना करके उसके ऊपर अतिरिक्त दबाव डालकर उसकी मुश्किलों को और अधिक बढ़ाना ही होता है।
  • बच्चे के लिए घर, स्कूल और इंस्टीट्यूट के वातावरण का सकारात्मक रहना बहुत ही आवश्यक होता है।
  • आप अपने बच्चे की मनोस्थिति के बारे में जानकारी लें क्योंकि हो सकता हैक् कि वह वैसे तो ठीक-ठाक हो लेकिन कोई ड्रग्स आदि लेने लगा हो, जो कि वर्तमान समय की एक कठिन चुनौति है।
  • बच्चा चाहे छह वर्ष को या फिर 20-22 वर्ष का जब भी आपको उसके व्यवहार में कोई असामान्य लक्षण नजर आए तो आपको किसी योग्य मनोविज्ञानी से सम्पर्क करने में देरी नही करनी चाहिए।