पराली को बायोकम्पोस्ट में बदलने के लिए सरकार देगी 17 लाख बायो डी-कम्पोजर

                                  पराली को बायोकम्पोस्ट में बदलने के लिए सरकार देगी 17 लाख बायो डी-कम्पोजर

प्रदेश के प्रत्येक जिले में योगी सरकार लगाएगी सीएनजी और सीबीजी प्लांट्स

                      

    खेती के कार्यों में यन्त्रीकरण के बढ़ते प्रचलन एवं श्रमिकों की अनुपलब्धता के चलते अब फसलों की कटाई भी कम्बाईन से ही की जा रही है। खरीफ और रबी मौसम की प्रमुख फसल धान और गेंहूँ की कटाई के बाद अब अगली तैयार करने के लिए इन फसलों के अवशेषों को जलाने की परम्परा काफी आम है। इसी के कारण विशेषरूप से धान की फसल कटाई के बाद मौसम में उपलब्ध नमी के चलते यह समस्या कुछ क्षेत्र विशेष में अति गम्भीर रूप भी धारण कर लेती है। प्रदेश सरकार के मुखिया आदित्यनाथ योगी की सरकार इस समस्या के स्थाई हल निकालने के लिए गम्भीर प्रयास कर रही है।

    हालांकि, इससे सम्बन्धित योजनाओं को जब तक धरातल पर लाया जाए, तब तक के लिए योगी सरकार की इच्छा यह है कि दण्ड़, जागरूकता और अन्य सम्भावित तरीकों से पराली के जलाने से उत्पन्न होने वाली प्रदूषण की समस्या को कम किया जाए। अब इसी क्रम में सरकार ने फैंसला लिया है कि सरकार धान की पराली को बायोकम्पोस्ट में परिवर्तित करने के लिए प्रदेश के 17 लाख किसानों को बायो डी-कम्पोजर उपलब्ध करायेगी। जबकि इस दौरान जागरूकता के साथ ही अन्य अभियान भी पूर्व की भाँति संचालित होते रहेंगे।

                                                          

    सरकार के द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 के लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, के अनुसार सरकार कृषिगत अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कम्प्रेस्ड बायो गैस) इकाईयों को विभिन्न तरीकों से प्रोत्साहन प्रदान करेगी। हालांकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि इस प्रकार की इकाईयों की स्थापना प्रत्येक जिले में की जाएंगी। वर्तमान में इसी तरह का एक प्लाँट इंडियन ऑयल गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित धुरियापार में लगभग 160 करोड़ रूपये की लागत से लगाया जा रहा है, और आशा व्यक्त की जा रही है कि यह प्लाँट मार्च 2023 तक र्स्टाट हो सकता है। इस प्लाँट में गेंहूँ,-धान की पराली के साथ ही धान की भूसी, गन्ने की पत्तियाँ और गोबर का उपयोग किया जाएगा और इसी के साथ प्रत्येक वस्तु के लिए एक रेट भी तय किया जाऐगा, जिसमें इन फसलों के ठूँठ की भी कीमत दी जाएगी।

                                                      

    प्लाँट में मिलने वाले रोजगार के अलावा प्लाँट की आवश्यकता के अनुसार कच्चे माल के एकत्रीकरण, लेंडिंग, अनलोडिंग एवं ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर एक बड़े पैमाने पर भी रोजगार उपलब्ध होगा। इस प्रक्रिया में सीएनजी एवं सीजीबी के उत्पादन के बाद प्राप्त होने वाली कम्पोस्ट खाद को किफायती दामों पर किसानों को उपलब्ध करारया जाएगा। हालांकि इस दौरान पराली को जलाने से उत्पन्न दुष्प्रभावों के प्रति किसानों को जागरूक करने के कार्यक्रम भी कृषि विज्ञान केन्द्र और किसान कल्याण केन्द्र आदि के माध्यम से संचालित होते रहेंगे।

                                                

    यदि धान की कटाई के बाद आप धान की पराली को जलाने के बारें में सोच रहें है तो जरा रूकिए और सोचिए कि अब अपने खेती को ही नही अपितु अपनी किस्मत को भी जलाने जा रहे हैं। क्योंकि आप पराली के साथ ही फसल के उत्पादन में सबसे अधिक आवश्यक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (एनपीके) आदि के साथ ही अरबों की संख्या में मौजूद भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फंफूद आदि भी जल जाते हैं और इसीके साथ भूसे के रूप में पशुओं का भोजन तो जलता ही है।

                                 इफ्को नैनो यूरिया (तरल यूरिया) उर्वरक में आधुनिक कृषि की अन्तर्राष्ट्रीय सम्भावनाएं उपलब्ध

                                                        

    इफ्को नैनो यूरिया (तरल यूरिया) उर्वरक संयंत्र के भ्रमण पर पूर्व राजदूत ग्रेगरी जे. नेवेल आमंत्रित प्रतिनिध्यों के साथ आंवला पहुँचे। उच्च तकनीकी संयंत्र और उत्पादन की क्वालिटी को परखने के बाद ग्रेगरी जे. नेवेल ने इसमें उपलब्ध अन्तर्राष्ट्रीय सम्भावनाओं पर बल देते हुए कहा कि आधुनिक कृषि के क्षेत्र में भारत के द्वारा निर्मित इफ्को नैनो यूरिया (तरल) उर्वरक को एक क्रान्तिकारी कदम बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा कदम है जिसने भारतीय किसानों की प्रगति के द्वारों को खोल दिया है।

    गौरतलब है कि दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के देश सूरीनाम और श्रीलंका में इफ्को नैनो यूरिया (तरल) उर्वरक की आपूर्ति के बाद अन्य देश भी कृषि के क्षेत्र में भारत के इफ्को नैनो यूरिया (तरल) और इफ्को नैनो डीएपी (तरल) उर्वरकों में आधुनिक कृषि की सम्भावनाओं को तलाश कर रहें हैं। इफ्को के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक राकेश पुरी ने बताया कि उच्च तकनीकी युक्त, गुणवत्ता के मानकों पर खरा, भारत का स्वदेशी इफ्को नैनो यूरिया (तरल) उर्वरक किसानों के लिए बहुत अधिक उपयोगी सिद्व हो रहा है।

                                                     

    प्रतिनिधि मंडल के सदस्य किरण पुरोहित, ज्योतिंद्र बहादुर, किशोर सिंह चौहान, बेनी गाला, चन्द्रकला पुरोहित, मुकेश पटेल और कशिश पुजारा आदि ने इफ्को नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का भ्रमण करने के दौरान तरल उर्वरक की विशेषताओं को देखा। इस अवसर पर वरिष्ठ महाप्रबन्धक एस सी गुप्ता, नैनो संयंत्र के प्रमुख मंकेश खेतान, आशीष गुप्ता आदि के सहित इफ्को मुख्यालय से गिरीश शर्मा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।