होम्योपैथी बीमारी को जड़ से करती है खत्म

                                                         होम्योपैथी बीमारी को जड़ से करती है खत्म

                                                                                                                                   डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                             

जर्मनी के शहर मिशन के निवासी डॉक्टर सैमुअल हैनिमैन के द्वारा होम्योपैथी नामक चिकित्सा पद्वति की शुरुआत की थी। हालांकि, प्रारंभ के वर्षों में वह एक एलोपैथी चिकित्सक हुआ करते थे, परन्तु अपने मन-माफिक परिणाम प्राप्त न होने के कारण उस चिकित्सा प्रणाली से वह संतुष्ट नहीं थे। अंतत उन्होंने अपनी एलोपैथी की प्रैक्टिस को ही बंद कर दी और भाषा के अनुवाद आदि का कार्य करने लगे। यह सब करते हुए वर्ष 1796 में उन्होंने एक नई चिकित्सा पद्धति के रूप में होम्योपैथी का आविष्कार किया, जिसका विस्तार धीरे-धीरे पूरी दुनिया में प्रसार हुआ और आज यह चिकित्सा पद्धति विश्व में काफी लोगों के द्वारा अपनाई जाती है, इसकी लोकप्रियता भारत समेत विश्व के अनेक देशों में लगातार बढ़ रही है।

                                                            

भारत में होम्योपैथी की शुरुआत कब और कैसे

एक बार महाराजा रणजीत सिंह बीमार हुए तो उन्होंने ऑस्ट्रिया के एक होम्योपैथी डॉक्टर मार्टिन होनिग्बर्गर को अपने उपचार के लिए भारत बुलवाया। डॉक्टर मार्टिन ने उनका सफलतापूर्वक उपचार किया। इसके बाद वह (कोलकाता तब जिसका नाम कोलकाता) था, चले गए, जहां से उन्होंने भारत में होम्योपैथी की शुरुआत की। इसीके परिणामस्वरूप, आज पूरे भारत में 250 से अधिक होम्योपैथी के कॉलेज चल रहे हैं, जिनमें बीएचएमएस की पढ़ाई होती है। जबकि इनमें से 25 से 30 प्रतिशत कॉलेज ऐसे हैं जिनमें बीएचएमएस के साथ एमडी की भी पढ़ाई कराई जाती है। इसमें काफी युवा रुचि लेते हैं और इस पढ़ाई में सफल होने के उपरांत देश के विभिन्न शहरों में होम्योपैथी पद्वति के माध्यम से लोगों का सफलतापूर्वक उपचार / इलाज कर रहे हैं।

होम्योपैथी जुड़ाव प्रत्येक नए दौर से रहा

                                                         

होम्योपैथी का आरम्भ हुआ था तो उसे दौर में मानवीय जीवन शैली वर्तमान समय की अपेक्षा बिल्कुल भिन्न थी, और बीमारियों और लोगों की जीवनशैलियों वर्तमान के समान जटिलताएं नही थी। इसके बाद जैसे-जैसे चुनौतियाँ बढ़ी तो होम्योपैथी के अन्तर्गत नए-नए आयाम जुड़ते चले गए। इसका प्रभाव यह है कि वर्तमान दौर में होने वाली लगभग समस्त बीमारियों का उपचार होम्योपैथी चिकित्सा पद्वति के माध्यम से सम्भव हैं और यहाँ तक कि इसके द्वारा उपचार से कई प्रकार की सर्जिकल कंडिशन्स का उपचार भी सफलता पूर्वक किया जा रहा है।

इस प्रकार से कहा जाए तो कुछ ऐसी बीमारियों को छोड़कर, जिनमें कि तुरन्त ही ऑपरेशन करना आवश्यक है के अतिरिक्त अन्य समस्त बीमारियों का उपचार होम्योपैथी की सहायता से सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

जीवनशैली से सम्बन्धित समस्याओं का दुष्प्रभाव रहित समाधान

मानव की जीवनशैली से सम्बन्धित रोगों के उपचार में होम्योपैथी को बहुत ही सराहनीय योगदान रहा है। जैसे मधुमेह और रक्तचाप के जैसी बीमारियों के उपचार के लिए जहां, एलोपैथी की दवाईएँ प्रभावित व्यक्ति को जीवन भर खानी पड़ती हैं, उन बीमारियों का भी होम्योपैथी से सफलतापूर्वक इलाज हो सकता है।

सावधानियों का बरतना भी आवश्यक

                                                         

होम्योपैथी में दवाओं का सेवन लोगों को अपने आप से ही नहीं करना चाहिए। सर्दी जुकाम आदि की समस्या होने पर खुद दवा लेने से बचना चाहिए क्योंकि यह होम्योपैथी के नियम के विरुद्ध है। इससे आपको लाभ कम और नुकसान अधिक हो सकता है, आज पूरे देश में होम्योपैथी डॉक्टर उपलब्ध है अतः ऐसे में उचित तो यही होगा कि आप उनसे परामर्श करके भी किसी दवाई का सेवन करें।

होम्योपैथी का दवा का सेवन करते समय अपनाई जाने वाली सावधानियाँ:-

  • किसी भी होम्योपैथी दवा के सेवन के आधा घंटे पहले और आधा घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना चाहिए।
  • कोई भी ऐसा खाद्य जिसमें बहुत ज्यादा गन्ध हो, जैसे कि हींग, लहसुन और प्याज आदि का सेवन दवा के सेवन के तुरंत बाद या पहले ना करें।
  • कुछ खास दावाओं में कई विशेष प्रकार के परहेज भी करने होते हैं तो इसके बारे में होम्योपैथ्ी के चिकित्सक से परामर्श करके जान लेना चाहिए।
  • आज नशा बहुत सामान्य हो गया है तो ऐसे में तंबाकू और शराब के नशे की लत को दूर करने में भी होम्योपैथी बहुत अधिक प्रभावकारी सिद्व होती है। होम्योपैथी दवाएं व्यक्ति में इन नशीली वस्तुओं के प्रति उनमें अनिच्छा उत्पन्न कर देती है। इस प्रकार  प्रभावित व्यक्ति की नशे के प्रति इच्छा धीरे-धीरे कम होने लगती है और अन्ततः उनकी नशे की लत छूट जाती है।

कुछ बदलाव जिनके लिए आप करें स्वयं को करें तैयार

  • आज की व्यस्ततम जीवन शैली में दो बातें बहुत जरूरी है जिनमें पहले नियमित व्यायाम और दूसरा उतना ही भोजन करना जितना कि आसानी के साथ हजम हो सके। अतः इन बातों को अवश्य ही अपने ध्यान में रखें तो आप जीवन सुखपूर्वक बिता पाएंगे।
  • गुणवत्तापूर्ण भोजन करें जिसमें आपके शरीर के लिए पोषण तत्वों की भरपूर मात्रा उपलब्ध हो इसके साथ जंक फूड से बचें जो कि कई तरह की बीमारियों का प्रमुख कारण होते हैं।
  • हमें अपने सोचने और जीवन जीने के तरीके में भी आवश्यक सुधार करना होगा क्योंकि इससे जीवन सहज और गुणवत्ता पूर्ण होता है।
  • हमें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए और इसके लिए घर में बनी हरी सब्जियों का सेवन करनें को प्राथमिकता दें तथा घर के बाहर का भोजन करने से बचें।
  • खाद्य तेल को कई बार गर्म करने से उनमें उपलब्ध पोषक तत्व नष्ट होने के साथ ही वह विशाक्त भी हो सकता है इसलिए खाद्य तेलों का काम से कम सेवन करें।
  • भोजन को दोबार से गर्म करने पर भोजन में उपलब्ध एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए उबली हुई चीजों का अधिक सेवन करेंगे तो वह सेहत के हिसाब से ठीक रहेंगे।
  • सलाद, फलों और सब्जियों के रस जैसे कच्चे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • अपनी शारीरिक सक्रियता को बढ़ाएं और तनाव से दूर रहेंगे तो आप जल्दी ही स्वस्थ भी होंगे।

लेखक : मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवा, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

इसमें ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें। इसके लिए आप फोन न0- 9897702775 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकगण के अपने हैं।