गुर्दों के स्वास्थ्य के लिए जागरूकता आवश्यक है

डा0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

       खून को साफ करने की प्रक्रिया में गुर्दों की केन्द्रीय भूमिका होती है और इसके लिए आवश्यक है कि गुर्दे स्वस्थ रहें और उनकी कार्यप्रणाली भी एकदम बढ़िया रहें।

गुर्दों से सम्बद्व कुछ समस्या तथा उन्हें स्वस्थ रखने के लिए कुछ टिप्स-

    आजकल गुर्दों से सम्बन्धित समस्याएं एक गम्भीर चुनौति के रूप में सामने आ रही हैं, और यदि समय के रहते ही उनका उचित उपचार नही किया जा सके तो डायलिसिस अथवा गुर्दा प्रत्यारोपण आदि विकल्पों का चयन करना पड़ता है जो कि एक महंगी तथा जटिल प्रक्रिया होती है।

गुर्दें के फेल होने के कारणः हमारे देश में गुर्दे के फेल होने की समस्या निरन्तर बढ़ रही है। इसके सम्बन्ध में दो कारण तो बिलकुल स्पष्ट है- मधुमेह तथा रक्तचाप । देश में इन दोनों ही समस्याओं से ग्रस्त लोगों की संख्या में दिन प्रति दिन बढ़ोत्तरी हो रही है।

        भारत में प्रतिवर्ष लगभग एक लाख लोगों के गुर्दें फेल हो जाते हैं, जबकि अगर बात करें गुर्दा प्रत्यारोपण की तो यह मात्र 10 से 15 हजार लोगों में ही हो पाता है। बाकी लोगों को डायलिसिस अथवा इसके बिना ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ता है। सटीक उपचार के नही मिल पाने के कारण लाग शीघ्र ही मौत का शिकार हो जाते हैं।

खतरा तो अन्य बीमारियाँ भी हैं- यदि गुर्दें अपना कार्य सुचारू रूप से नही कर पा रहे हैं, और मरीज प्रत्यारोपण कराने में सक्षम है तो सबसे अच्छा विकल्प रेनल ट्रांसप्लांट ही रहता है। क्योंकि डायलिसिस अधिक लम्बे समय के लिए कारगर नही होती है और यह रोग व्यक्ति को जकड़ता ही जाता है।

    रोगी को हृदय रोग, टीबी, हेपेटाइटिस तथा अन्य कई रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

रोग के अन्य कारण- गुर्दे से सम्बन्धित रोग होने का एक बहुत बड़ा कारण ग्लोमेरूलोफ्राइटिस भी होता है, जिसके अन्तर्गत हमारा शरीर अपने ही गुर्दों से लड़ रहा होता है, जिसके कारण गुर्दें फेल भी हो सकते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका जन्म ही कमजोर गुर्दों के साथ होता है तो किसी को पेशाब के रास्ते में जन्मजात समस्या रहती है।

चिकित्सक से परामर्श करने की स्थिति- आपको अपने गुर्दों से सम्बन्धित कोई समस्या अनुभव होती है तो एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट, ब्लड यूरिया टेस्ट तथा यूरिन में प्रोटीन के स्तर की जांच कराना आवश्यक होता है। यदि यह तीनों टेस्ट ही पाजिटिव आते हैं तो तत्काल डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। प्रारम्भिक अवस्था में ही किसी अच्छे डाक्टर की देखभाल में रहने से किडनी फेल्योर से बचा जा सकता है। यदि यह ज्ञात हो जाता है कि गुर्दे प्रोटीन स्रावित कर रहे हैं तो इस स्थिति को किसी भी हालत में नजरअंदाज नही करना चाहिए।

अन्त में-

  • 40 वर्ष की आयु को पार चुके लोगों को समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहना चाहिए।
  • वर्ष में एक बार या दोबार अपना ब्लड प्रेशर तथा ब्लड शुगर अवश्य चैक कराना चाहिए।
  • यदि आपको पेशाब के लिए बार-बार उठना पड़ता है तो सावधान यह स्थिति गुर्दे खराब होने का पहला संकेत भी हो सकता है।
  • पेशाब करने पर उसमें झाग बन रहें तो जांच करवाना आवश्यक है।
  • गुर्दों का मुख्य कार्य खून बनाना होता है, यदि खून कम बन रहा अर्थात आपमें हीमोग्लोबिन का स्तर कम आता है तो अपनी सम्पूर्ण जांच करवाएं।

महिलाओं का अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने के लाभ

      महिलाओं के स्वास्थ्य की चुनौतियाँ पुरूषों की स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियों से अलग होती हैं। यदि महिला अपनी किशोरावस्था के दौरान अपनी सेहत प्रति जागरूक रहे तो वह आयु के प्रत्येक मुकाम पर स्वस्थ रह सकती हैं। प्रस्तुत पोस्ट में एक स्त्री किस प्रकार से अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बन कर कैसे स्वास्थ रह सकती हैं इस विषय से सम्बन्धित कुछ टिप्स प्रदान किए गए हैं-

    वर्तमान में हम सभी की जीवन शैली के कारण कालेज जाने वाली लड़कियाँ और कामकाजी महिलाएं ही वजन के बढ़ने की समस्या से परेशान नही है अपितु किशोरवय लड़कियाँ भी इस समस्या से जूझ रही हैं। इसी प्रकार की एक अन्य अहम समस्या है हमारे शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाली लड़कियाँ अपनी छोटी उम्र अर्थात कम आयु में ही महावारी का आरम्भ हो जाना, इसमें घबराने जैसी कोई बात नही है, वैसे जल्दी महावारी के शुरू होने के कारण लड़कियों में हाईट की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

    इसके बचाव के लिए छोटी लड़कियों को विभिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियों वाले खेलों को खेलने के लिए प्रौत्साहित करना, खान-पान में जंक फूडों से परहेज आदि के साथ चिकित्सीय परामर्श के माध्यम से जल्दी महावारी के शुरू होने की समस्या का समाधान हो सकता है.

इसके लिए कुछ टिप्स जिनको अपनाकर एक स्त्री अपने जीवन को स्वस्थ बना सकती है-

  • लडकियों को उनकी कम आयु से ही बेहतर स्वास्थ्य तथा साफ सफाई के प्रति जागरूक एवं प्रेरित करते रहना चाहिए।    
  • शादी से पूर्व ही यदि लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर विरोधी वैक्सीन का टीका लगवा दिया जाए तो इससे कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौत में कमी आ सकती है। तीन डोज वाले इस टीके को अपने आसपास के स्वास्थ्य केन्द्रों से लिया जा सकता है।
  • महिला के प्रसव से पूर्व अधिक सक्रियता की अपेक्षा अच्छा होगा कि वह प्रसव पूर्व एक विस्तृत योजना को लेकर ही आगे बढ़ें।
  • यदि किसी महिला को 45 वर्ष की आयु से पूर्व ही मैनोपाज की स्थिति का समाना करना पड़ता है, तो वह भी मैच्योर ही होता है, हालाँकि इसके लिए, अपने डाक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिए।
  • महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ ही उनकी हड्डियों एवं मांसपेशियों से सम्बन्धित परेशानियां बढ़ जाती हैं। अतः इसके लिए महिलाओं को प्रत्येक पाँच वर्ष में एक बार बोन डेंसिटी स्कैन करवाना चाहिए, इसके माध्यम से उनकी हड्डियों में उपस्थित कैल्श्यिम तथा अन्य खनिज पदार्थों की मात्रा का पता लगाया जाता है।
  • महिलाओं को अपने भोजन में बासी खाना, डिब्बा बन्द खाद्य तथा जंक फूड का समावेश कम या बिलकुल नही करना चाहिए।
  • प्रातः काल का नाश्ता पौष्टिक तत्वों से भरपूर होना चाहिए।
  • मुख्य खाद्य-पदार्थ तथा सहायक खाद्य पदार्थों  का सम्मिश्रण, अन्न तथा दालों जैसे इड़ली, खिचड़ी आदि अधिक पोष्टिक होते हैं। यदि महिला जल्दी में है तो भी इस प्रकार के भोजन सही होते हैं। प्रतिदिन अंकुरित दालों का सेवन करना ओर भी अच्छा होता है।
  • लौह तत्व के साथ ही फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयोडिन तथा विटामिन ए युक्त भोजन के सेवन को प्राथमिकता देनी चाहिए।

पृथ्वी पर होने वाले वायु-प्रदूषण से कोई सुरक्षित नही

    अभी हाल ही में, लैसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल के द्वारा प्रकाशित अध्ययन के माध्यम से ज्ञात हुआ कि विश्वभर में पीएम 2.5 नामक सूक्ष्म कण, जो कि वायु को प्रदूषित करते हैं, उससे उत्पन्न खतरों की जद में लगभग प्रत्येक व्यक्ति है।

    आस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि सम्पूर्ण भूक्षेत्र का लगभग 0.18 प्रतिशत एवं आबादी का 0.001 प्रतिशत भाग ही ऐसा बचा हुआ है जो कि इनके सम्पर्क में नही है। यह नीति निर्माताओं, सर्वाजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों एवं शोधकर्ताओं के लिए, वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों जैसे- विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक सुविधाओं तथा वाहनों के माध्यम से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के उपायों पर अमल करने का समय है।

    अध्ययन का नेतृत्व करने वाले युमिंग गुओं के द्वारा एक ई मेल से वाशिंगटन पोस्ट को जानकारी प्रदान की कि वर्तमान में हममें में से कोई भी इस वायु प्रदूषण से अछूता नही है। यह आश्चर्य है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जारी दिशा निदेर्शों की अपेक्षा विश्व के लगभग सभी भागों में इसकी सान्द्रता का वार्षिक औसत 2.5 गुना से भी अधिक है।

    हाल के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2019 में दुनियाभर में अकेले वायु प्रदूषण के चलते, लगभग 70 लााख से अधिक मनुष्य काल के गाल में समा गए। वायु के ऐसे छोटे कण जिनका आकार 2.5 माइक्रोन अथवा उससे कम चोड़ाई वाला होता है, वह मानव के लिए सर्वाधिक जहरीले वायु प्रदूषणों में से एक है, जिन्हें पीएम 2-5 के रूप में जाना जाता है।

    छोटे वायु प्रदूषक तत्व आकार में मानव बाल की चोड़ाई का एक तिहाई के बराबर चोड़ाई वाले होते हैं, जो मानव के फेफड़ों में आना जाना कर सकते हैं और सांस लेने में समस्याएं उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। यह कण मानव में हृदय रोग तथा फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं।

    अध्ययन के माध्यम से यह भी दवा किया गया है कि दुनियाभर में एक वर्ष के लगभग 70 दिनों तक लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ता है। गुओ और उनके सहयोगियों के द्वारा एक कम्यूटर माडल का उपयोग कर वर्ष 2019 से वर्ष 2020 तक विश्व में पीएम 2.5 सान्द्रता का अध्ययन किया, जिसके अन्तर्गत ग्राउंड स्टेशनों से पारम्परिक वायु गुणवत्ता अवलोकन, रासायनिक परिवहन, माडल सिमुलेशन तथा मौसम से सम्बन्धित डेटा भी शामिल किया गया था।

होली का उल्लास, रंगों की बरसात

रंग और गुलाल से होली खेलते समय अपेक्षित सावधानियाँ

    भारतीय संस्कृति में त्यौहारों का विशेष स्थान है, जो हमारे जीवन में, विभिन्न रंग भरते हैं और इन सभी में होली का त्यौहार तो स्वयं रंगों का ही त्यौहार है। होली का उल्लास ही ऐसा होता है कोई भी व्यक्ति अपने सारे दुखः दर्द को भुलाकर इस त्यौहार की मस्ती में डूब जाना चाहता है।

    वर्तमान की भागदौड़ और आपाधापी से भरी जिन्दगी में यदि अपनों से मिलने का अवसर भी मिले तो बात ही क्या। वैसे इस त्यौहार का रोमांच कुछ ऐसा होता है कि कई बार वह खतरनाक स्वरूप भी ग्रहण कर लेता है।

    रंगों के सम्पर्क में आने से कई लोगों को आँखों एवं त्वचा से सम्बन्धित परेशानियाँ आ जाए तो यह उल्लास भी समाप्त होने लगता है। इसी प्रकार से कुछ लोगों को वायरल इंफेक्शन हो सकता है। अतः होली खेलने से पहले अपनी सुरक्षा का ध्यान भी आवश्यक रूप से रखना चाहिए। इस त्यौहार की अच्छी यादें बाद तक बनी रहे, तो इसके लिए हमें कुछ सावधानियां बरतनी होंगी-

  • अधिकतर इस त्यौहार पर पूरी बाजू के कपड़ों को ही पहनना चाहिए। अपनी त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए आप वाटर प्रूफ कपड़ों का चयन भी कर सकते हैं।
  • आपकी पर्याप्त सावधानियों के बाद भी आपकी आँखों में यदि रंग चला जाए तो तुरन्त साफ पानी से अपनी आँखों की सफाई करें और इसके बाद भी यदि आँखों जलन आदि बनी रहती है तो तत्काल डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
  • रंग भरे गुब्बारे लगने से कई बार खून निकल आता है तो ऐसे में घबराना नही चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम उसे सूती कपड़े से ढंक दें और आरम नही मिलने पर डाक्टर से मिलें।
  • त्वचा अथवा आँखों में एलर्जी होने पर उसका इलाज स्वयं  न करें अपितु ऐसी स्थिति में आपको चिकित्सीय परामर्श करना चाहिए।
  • यदि आप मधुमेह के मरीज हैं और डाक्टर के द्वारा आपको खानपान पर नियन्त्रण की सलाह दी है तो उनके निदेर्शों का पालन सुनिश्चित करें।
  • केवल एक ही दिन की तो बात है इससे क्या होगा अपनी पसंदीदा मिठाई का सेवन न करें, यह बात तब भी लागू होती है जबकि आपका शुगर लेवल नियन्त्रित हो।
  • बाजार की मिठाईयों एवं खानपान की अन्य वस्तुओं से दूरी बनाकर रखें अथवा उनकी गुणवत्ता के प्रति आश्वत होने के बाद ही उनका सेवन करें अन्यथा रंग में भंग के पड़ने में भी देर नही लगेगी।

लेखकः सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं जैव-प्रौद्यागिकी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।