फोन के अधिक सम्पर्क रहने वाले बच्चों में दृष्टि दोष का खतरा

                                                     फोन के अधिक सम्पर्क रहने वाले बच्चों में दृष्टि दोष का खतरा

                                                                                                                                       डॉ0 दिव्यॉन्शु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                         

वर्तमान समय में स्मार्टफोन और डिजिटल स्क्रीन का अधिक उपयोग और फिजिकल एवं बाहरी एक्टिविटीज के कम होने के कारण बच्चों में मायोपिया नामक रोग बढ़ने लगा है, अर्थात ऐसे बच्चों में निकट दृष्टि दोष की समस्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है। आँखों में होने वाले इस रोग के कारण प्रभावित व्यक्ति को दूर की वस्तुएं स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं। डॉक्टरों ने आँखें की जांच के दौरान पाया है कि यदि बच्चों की डिजिटल स्क्रीन की लत और इस पर उनकी निर्भरता इसी तरह बढ़ती चली गई तो एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2050 तक देश में 50 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से ग्रसित हो सकते हैं।

                                                           

यदि ऐसा हुआ तो नजर कमजोर होने की वजह से देश की आधी जनसंख्या सेना और सशस्त्र बल जैसे काम के लिए अयोग्य हो जाएगी। ऐसे में एम्स के बाल नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने देश भर के 63 नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक टीम के साथ मिलकर बच्चों में मायोपिया की बीमारी रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों को लेकर इंडियन जनरल ऑफ थीमोलॉजी में एक अध्ययन भी प्रकाशित किया गया है।

इस रोग से बचाव के उपाय

  • डिजिटल स्क्रीन का उपयोग कम से कम करें बच्चे।
  • नजर कमजोर हो जाने के बाद बच्चे को चश्मा जरूर लगाना चाहिए, ऐसा नही करने पर नजर और अधिक कम होती जाती है।
  • अभिभावकों को चाहिए कि साल में एक बार बच्चों की आंखों की जांच अवश्य कराएं।
  • बच्चो को पढ़ते समय आँखों से किताब की दूरी 20 सेमी से कम नहीं होनी चाहिए।

कम से कम दो घण्टे प्रकाश मैं व्यतीत करें बच्चे

बच्चों की फिजीकल एक्टिविटी के बढ़ने से मायोपिया का खतरा कम हो जाता है। अतः इसके लिए बच्चों को प्रतिदिन कम से कम 2 घंटे घर से बाहर सूर्य के प्रकाश में आवश्यक रूप से व्यतीत करने से उनकी शारीरिक वृद्धि अच्छी होती है और आंखों को कमजोर होने का खतरा भी कम हो जाता है। विभिन्न अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि जो बच्चे दिन में 40 मिनट से लेकर 120 मिनट तक बाहर खेलकूद आदि अन्य गतिविधियां निरंतर रूप से करते हैं, उन्हें इस बीमारी का खतरा कम हो जाता है।

अतः इसके लिए प्रत्येक माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह अपने बच्चों को लगातार फोन या किसी अन्य डिवाइस के सम्पर्क में रहने से बचाएं। अपने बच्चे को बाहर खेलने के लिए अवश्य भेजें, जिससे बच्चों की दृष्टि कमजोर नहीं होगी और उनकी शारीरिक वृद्धि भी अच्छी होगी।

                                                        युवाओं में खर्राटें लेने की आदत से बढ़ता है दिल का खतरा

                                                          

व्यवहारिक दृष्टिकोण से भी और स्वास्थ्य के हिसाब से भी खर्राटे लेने को लोग बुरी आदत मानते हैं, यह सत्य है कि खर्राटे लेना एक बुरी आदत है। एक नए अध्ययन में यह बात फिर से प्रमाणित हुई है कि खासतौर पर 20 वर्ष से कम उम्र में खर्राटे लेना आगे चलकर युवाओं के लिए दिल के दौरे का जोखिम को बढ़ा सकता है।

कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के अनुसार ऐसे युवाओं को पूर्ण अवस्था में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, या फिर दिल से संबंधित परेशानियों का खतरा 5 गुना अधिक हो जाता है।

शरीर को ऑक्सीजन आपूर्ति में होती है समस्या

वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि खर्राटे तब आते हैं जब नाक से ली जाने  वाली सांस में बाधा आने लगती है और फेफड़ों तक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में और सही तरीके से नहीं पहुंच पाती है। इससे सांस लेने में 10 से 30 सेकंड का अंतर पड़ता है और यह बढ़कर एक मिनट का भी हो सकता है। ऐसा होने के कारण ही मानव शरीर में खर्राटे लेने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

स्लीप एपनिया जैसी समस्या होती है

विश्वविद्यालय में हुए शोध में 20 से 50 वर्ष की आयु वर्ग वाले 7,66,000 लोगों शामिल किया गया है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन को यूरोपियन सोसायटी आफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित किया है उनके अनुसार कुल उम्मीदवारों में से 7500 में स्लीप एपनिया जैसी परेशानी देखी गई जिसमें तेज आवाज में खर्राटे लेना और हाँफते हुए सांस लेना जैसी समस्या सामने आती है।

अध्ययन में शामिल उम्मीदवारों की 10 वर्षों तक निगरानी के बाद पाया गया कि जो लोग खर्राटे लेते थे, उनमें खर्राटे नहीं लेने वालों के मुकाबले दिल के दौरे का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ गया था। चिकित्सकों के मुताबिक यह खतरा धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को और भी ज्यादा होता है।

                                                        हार्ट अटैक के आने से पहले शरीर देता है यह संकेत

                                                      

    वर्तमान समय में और विशेष रूप से कोविड-19 के बाद हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ चुका है। ऐसे में बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के ही लोग हार्ट अटैक के शिकार हो रहें हैं। दरअलस जब ऑक्सीजन एवं रक्त हमारें दिल तक पर्याप्त मात्रा में नही पहुँच पाते है, तो ऐसे में हार्ट अटैक का खतरा उत्पन्न हो जाता है।

    रक्त के दिल नही पहुँच पाने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिनमें से महत्वपूर्ण कारक धमनियों में जमा हुआ कोलेस्ट्रॉल भी प्रमुख होता है। हार्ट अटैक के आने से पहले शरीर के बाकी अंगों पर इसका प्रभाव दिखना आरम्भ हो जाता है। कई बार यह लक्षण हार्ट अटैक के आने से काफी पहले से ही दिख्ना शुरू हो जाते हैं तो कई बार यह लक्षण इतने हल्के होते हैं कि हार्ट अटैक का समय रहते पता लगाना भी कठिन हो जाता है।

हम आज के अपने इस लेख में ऐसे ही कुछ प्रमुख लक्षणों की बात कर रहें हैं जो कि हार्ट अटैक के आने से पहले ही दिखना शुरू हो जाते हैं-

1. अपच का होना:- हार्ट अटैक आने का सबसे प्रमुख लक्षण बेचैनी और घबराहट आदि होते हैं, जिन्हें आमतौर पर लोग गैस बनने अथवा अपच के साथ ही जोड़कर देखते हैं। जबकि छाती एवं पेट की जलन कई बार दिल से सम्बन्धित किसी परेशानी के कारण भी हो सकती है। यदि किसी की छाती में जलन कई दिनों तक रहती है और उसके साथ ही पीड़ित को घबराहट भी हो रही है तो ऐसे में डॉक्अर की सलाह लेना आवश्यक है।

                                                      

2. सीने में जकड़न:- यदि किसी व्यक्ति के सीने में जकड़न, भारीपन के साथ ही कुछ दबाव भी महसूस होता है तो ऐसे में अविलम्ब डॉक्टर से सम्पर्क करना ही उचित रहता है। क्योंकि यह लक्षण हार्ट अटैक की शुरूआती स्थिति के साथ जुड़े भी हो सकते हैं। इसके साथ ही यदि छाती में असहनीय दर्द का अनुभव हो रहा है तो इसके लिए तुरंत ही अस्पताल जाना चाहिए।

3. जबड़े में दर्द होना:- ब्लड प्रेशर के मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा सर्वोच्च होता है और यदि ऐसे में बिना किसी विशेष कारण जबड़े या गर्दन में दर्द है तो इसे नजरअन्दाज नही करना चाहिए और तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करने में ही भलाई है।

4. उल्टी एवं ब्लॉटिंग:- कई बार महिलाओं में हार्ट अटैक के विशेष लक्षण के रूप में उल्टी, मतली और ब्लॉटिंग को भी देखा गया है। अधिकतम बेचैनी और सीने में दर्द के साथ प्रभावित व्यक्ति को ऐसा अनुभव होता कि उसे उल्टी होने वाली है। जबकि इसके विपरीत अधिकतर व्यक्ति इस समस्या को पेट के साथ जोड़कर देखते हैं और इसे सामान्य ही मान लेते हैं परन्तु इस स्थिति को हर बार इग्नोर करना भारी भी पड़ सकता है।

                                                        

5. टखने और हाथों में दर्द होना:- हार्ट अटैक /हार्ट फेल होने के सबसे अधिक कॉमन लक्षणों में पैरों में सूजन का होना और सांस लेने में परेशानी का होना प्रमुख होते हैं। वहीं इसी के साथ ही कई बार बाएं हाथ दर्द होना भी हार्ट अटैक के लक्षणों के तौर पर ही देखा जाता है।

लेखकः डॉ0 दिव्यान्शु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।