रक्षाबन्धन मनाएं मंत्रों के साथ

                                                                             रक्षाबन्धन मनाएं मंत्रों के साथ

                                                                   

    रक्षाबन्धन त्यौहार पर बहनें, अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधते समय आमतौर पर किसी भी मंत्र का उच्चारण नही करती हैं। जबकि विधान के अनुसार, बहनों को अपने भाईयों की कलाई पर रखी बाँधते समय मंत्र आवश्यक रूप से बोलना चाहिए।

    प्रत्येक बहन यह चाहती है कि उसका भाई अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल हो वह सदैव प्रगति की ओर अग्रसर रहे। ठीक इसी प्रकार प्रत्येक भाई भी यही चाहता है कि उसकी बहन सदैव सुखी एवं समृद्व रहे। इसलिए रक्षा बन्धन का पर्व बहन और भाई दोनों के लिए ही विशेष मायने रखता है।

                                                                   

    परन्तु यदि शास्त्रों की माने तो इसका पूर्ण लाभ और शुभता आदि उस समय ही प्राप्त होते हैं जब इस पर्व को शुभ मुहुर्त में पूर्ण विधि-विधान के पालन करते हुए इसे मनाया जाए। इसके परिप्रेक्ष्य में शुभ मुहुर्त का अर्थ भद्राहिरत काल से होता है। अतः जब बहन अपने भाई की कलाई में राखी भद्रारहित काल में बाँधती है तो इससे भाई को प्रत्येक कार्य में सिद्वि और विजयश्री की प्राप्ति होती है।

पहले से ही जान लें रक्षाबन्धन के विधि-विधान:- वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य द्वार वह स्थान होता है, जहाँ से घर के अन्दर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश घर के अन्दर होता है। अतः रक्षाबन्धन के दिन घर के मुख्य द्वार पर ताजे फूल और पत्तियों आदि से बनी बन्धनवार अवश्य लगानी चाहिए और इसी के साथ अपने घर को रंगोली आदि से सजाएं।

    रक्षाबन्धन की पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसमें चन्दन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई और इसके साथ ही कुछ ताजे फूलों के बीच में एक दीपक रखें। इसके बाद दीपक को प्रज्जवलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्ट देव को तिलक लगाकर उन्हें राखी बाँधें और उनकी आरती उतार कर उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।

    इसके बाद अपने भाई को पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठाएं। इसके बाद भाई के सर पर रूमाल अथवा कोई वस्त्र रखें। अब भाई के माथे पर रोली-चन्दन और अक्षत आदि का तिलक लगाकर उसके हाथ में एक नारियल दें और इसके बाद ‘‘येन बद्वो बलि राजा, दानवेन्दों महाबलः तेन त्वाम प्रतिबद्वनामि रक्षे माचल माचलः’’ नामक मंत्र का जाप करते हुए अपने भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बाँधें।

                                                  

इसके बाद अपने भाई की आरती उतारते हुए उसे मिठाई खिलाएं और भाई के उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की प्राप्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।

कहाँ से हुई इस परम्परा की शुरूआत:- एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु जी ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि के माँगें तो उन्होने इन तीनों पगों में राजा बलि के सम्पूर्ण राज्य को ही माप लिया और राजा बलि को पाताल लोक में निवास करने के लिए कहा, तो राजा बलि ने भगवान विष्णु से मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने को कहा। तो भगवान विष्णु भी उन्हें मना नही कर पाए। इसके बाद जब लम्बे समय तक भी भगवान विष्णु अपने धाम नही लौटे तो माता लक्ष्मी को इसकी चिंता हुई, तो नारद मुनि ने ने माता लक्ष्मी को राजा बलि को भाई बनाने सलाह दी।

इसके बाद माता लक्ष्मी एक गरीब स्त्री का वेश धारण कर राजा बलि के पास पहुँची और उन्हें राखी बाँध दी। इसके बदले में माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से ले जाने का वचन ले लिया। जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था और ऐसा माना जाता है कि उसी दिन से रक्षा बन्धन का पर्व मनाने की शुरूआत हो गई।

राखी बाँधने के नियम:- हिन्दु धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पुरूषों और अविवाहित कन्याओं को उनके दाहिने हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बाँधना चाहिए, जबकि विवाहित स्त्रियों के बाएं हाथ की कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधने का विधान है।

भाईयों को राखी बँधवाते समय अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी को बन्द रखते हुए अपने बाएं हाथ को सिर के ऊपर रखना चाहिए। वास्तुशास्त्र में काले रंग को औपचारिकता, बुराई, नीरसता और नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है, अतः भाई और बहन दोनों को ही इस दिन काले रंग के परिधान धारध करने से बचना चाहिए।

रक्षाबन्धन के लिए शुभ मुहुर्त:-

                                                                

    हिन्दु पंचांग के अनुसार, 30 अगस्त, 2023 को प्रातः 10 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि के लगने के साथ ही भद्रा लग जायेगी जो रात्री 9ः00 बजेर 01 मिनट तक जारी रहेगी। वहीं श्रावण पूर्णिमा 31 अगस्त प्रातः 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगी। अतः राखी के बाँधने का शुभ मुहुर्त 30 अगस्त को रात्री 09 बजकर 01 मिनट से लेकर 31 अगस्त को प्रातः 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगा।