मोतियाबिन्द की होम्योपैथिक दवा और इसका सफल उपचार

                    मोतियाबिन्द की होम्योपैथिक दवा और इसका सफल उपचार

                                                                                                                                        डा0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                           

मोतियाबिन्द आँखों के लेंस में होने वाले धुन्धलेपन को कहते हैं, जिसके कारण व्यक्ति  को दिखाई देने की क्षमता प्रभावित होती है। जब किसी व्यक्ति की आँख में प्रोटीन के गुच्छे जमा हो जाते हैं, जो लेंस के रेटिना में चित्र भेजने की प्रक्रिया को बाधित करते हैं, तो उस स्थिति को मोतियाबिन्द कहते हैं।

          रेटिना, लेंस के माध्यम से संकेतों में आने वाली रोशनी को परिवर्तित करता है। यह प्राप्त संदेशों को आप्टिक तंत्रिका को भेजता है, जो उन्हें मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।

          मोतिया अक्सर धीरे धीरे विकसित होने वाली समस्या होती है जो कि एक आँख अथवा दोनों आँखों में हो सकती है।

मोतियाबिन्द के लक्षण-

ऽ        रंग फीके दिखाई देने लगते हैं।

ऽ        धुन्धला दिखाई देने लगता है।

ऽ        किसी भी आॅब्जेक्ट के चारों ओर प्रकाश दिखता है, यानि आभामण्ड़ल की तरह से।

ऽ        चमकदार रोशनी में देखने में परेशानी का अनुभव होना।

ऽ        अक्सर रात को दिखाई देने में परेशानी अनुभव होती है।

                                                           

अधिकाँशतः मोतियाबिन्द 80 वर्ष की आयु के पश्चात् होता है, परन्तु यह कम आयु में भी प्रभावित कर सकता है। रात में कम दिखाई देना, बार-बार कांटेक्ट लेंस या फिर चश्में के लैसं के नम्बर का बदलना, एक आँख से कई दृश्यों का दिखाई देना, तेज धूप या हैडलाइट की रोशनी में आँखों का चुंधिया जाना भी मातियाबिन्द के लक्षण होते हैं।

मोतियाबिन्द के कारण

  1. डायबिटीज जैसी कुछ बीमारियों के कारण।
  2. धूम्रपान तथा शराब आदि का सेवन करना।
  3. धूप और पैराबैंगनी किरणों के सम्र्पक में लगातार एवं लम्बे समय तक रहना।

हालांकि यह एक सर्जिकल कंडीशन होती है, परन्तु सौभाग्य से अब होम्योपैथिक की दवाओं के द्वारा इसका सफल उपचार किया जा सकता है। 

मोतियाबिन्द के उपचार के लिए होम्योपैथिक दवाईयाँ

          होम्योपैथ्किी में मोतियाबिन्द का प्रभावी उपचार करने के लिए बहुत सी दवाएं उपलब्ध हैं जिनकी संख्या सैंकड़ों में है। परन्तु हम यहाँ कुछ चयनित दवाओं एवं उनके लक्षणों के बारें में बात कर रहे हैं।

                                                             

          मोतियाबिन्द के उपचार में उपयोग की जाने वाली दवाईयों में मुख्य रूप से सिनेरारिया मारिटिमा आई ड्राप्स, कैल्केरिया फ्लोरिका, कास्टिकम, कोनियम, मेकुलेटम, फास्फोरस, यूफ्रेसिया आफिसिनैलिस, साइलीसिया टेर्रा, सल्फर, टैलूरियम मेटालिकम तथा थिओंसिनामीनम आदि को शामिल किया जाता है।

  1. मतियाबिन्द का होम्योपैथिक उपचार कैसे किया जाता है। Homeopathic me Cataract ka upchar kese kiya jata hai?
  1. 2.      मोतियाबिन्द की होम्योपैथिक दवाएं- Homeopathic Medicines for the treatment of CataractA
  2. 3.      मोतियाबिन्द के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े कुछ अन्य सुझााव- Cataract ke Homeopathic upchar se  jude kuchh anua sujhav A

होम्योपैथिक उपचार के दौरान नेत्र सम्बन्धी स्थितियों के उपचार के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग दवा होती है और मोतियाबिन्द के चरण के पर आधारित दवाएं एवं आई ड्राप्स रोगी को दी जाती हैं। 

          वर्ष 2010 में नार्थ अमेरिकन जनरल आफ होम्योपैथी में प्रकाशित किए गए एक अध्ययन में मोतियाबिन्द के 295 मरीजों को शामिल किया गया था। अध्ययन में शामिल इन मरीजों में 100 लोगों को 3 महीने से अधिक समय तक मातियाबिन्द की होम्योपैथक दवाओं का सेवन कराया गया।

          तीन महीनों के बाद लगभग 60 प्रतिशत मरीजों की देखने की क्षमता में अपेक्षित सुधार आया। इस अध्ययन के माध्यम से पता चलता है कि यदि मोतियाबिन्द का सही समय पर होम्योपैथिक दवाओं से उपचार किया जाए तो इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है।

मोतियाबिन्द की होम्योपैथिक दवाएं-

Homeopathic Medicines for the treatment of CataractA

1.      सिनेरिया मरिटिमा (Cineraria Maritima)

      सामान्य नामः डस्टी मिलर (Dusty Miller)

      लक्षणः यह दवा मुख्य रूप से कार्निया से सम्बन्धित स्थितियों के लिए नामित की जाती है, जिसमे व्यक्ति की नजर कमजोर तथा मोतियाबिन्द हो जाता है। अतः कोशकीय ऊतकों में रक्त परिसंचरण को बढ़ती है, सम्र्पािर्शवक और समान परिसंचरण को उत्तेजित करता है। यह वृद्वावस्था में होने वाले मोतियाबिन्द और ट्रामेटिक मोतियाबिन्द (आँख में लगी किसी चोट के कारण) होने वाले मोतियाबिन्द में भी लाभदायक है।

 

सिनेरिया मैरिटिमा HPUS–5X: यह एक सुरक्षित लसीकापित्त के रूप में कार्य करती है, अन्तः कोशिकीय ऊतकों में परिसंचरण को बढ़ती है, सम्पाशिर्वक परिसंचरण और सामान्य चयापचय को भी उत्तेजित करती है।

कैल्केरिया फ्लोरिका(Calcarea Flourica)

सामान्य नामः फ्लोराइड आफ लाइम (Fluoride of Lime)

लक्षणः यह दवा वेन्स (बढ़ी हुई नसें), घेघा (थायराइड ग्रन्थि के आकार का बढ़ना) और हड्डियों के कुपोषण तथा मोतियाबिन्द के लिए भी लाभदायक है। इसके अतिरिक्त इस दवा का प्रयोग कर निम्न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है-

  • त्वचा पर सख्त मांस का उभरना जिसमें पस भी हो सकती है।
  • पिलक्टैनुलर कैराटाइटिस अर्थात कार्निया में सूजन।
  • तीव्र रोशनी के सम्र्पक में आ जाने पर आँखों का चुन्धिया जाना।
  • कंजक्टिवाइटिस अर्थात आँखों का आना।
  • कार्निया पर धब्बे पड़ना।
  • कानों में पस का बनना।
  • कुछ समझ में नही आना अर्थात ध्यान का नही लग पाना आदि।
  • मोतियाबिन्द, कार्नियल ओपेसिटी, केराटाइटिस, झिलमिलाहट एवं फ्लोटर्स आदि के लिए।

मौसम के बदलने और आराम करने से यह लक्षण और बिगड़ जाते है। जबकि किसी गरम चीज का उपयोग गर्मी के मौसम में इन लक्षणों में सुधार आता है।

2.      यूफ्रेसिया आफिसिनैलिस (Euphrasia Officinalis)

      सामान्य नामः आई ब्राइट (Eyebright)

लक्षणः यह दवा ऐसे लोगों पर अधिक असर करती है, जिन्हें खुली हवा में आने पर अच्छा लगता है। यह दवा आँखों की कंजेक्टिपल झिल्ली की सूजन को कम करती है, विशेष रूप से जब सूजन के कारण आँखों से पानी आ रहा हो तो यह बहुत अच्छा कार्य करती है, इस दवा को आँखों का टानिक भी कहा जाता है। इस दवा का उपयोग सबसे अधिक व्यापक रूप से किया जाता है। यह दवाई मोतियाबिन्द, चोट के बाद कार्निया की अस्पष्टता, आँखों में दर्द सूखापन, लाली और सूजन, खुजली या आँखों में जलन आदि लक्ष्णो को भी ठीक करती है। इसके अतिरक्त यह दवा निम्न लक्षणों के अन्तर्गत भी प्रभावी कार्य करती है-

  • नाक और आँखों की शलेष्मा झिल्लियों की सूजन में।
  • आँखों में बहुत पानी आना।     
  • सूजन के कारण सिरदर्द होना।
  • जलन के साथ ही आँखों में पानी का आना।

गरमी, दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली हवा के सम्पर्क आने और शाम के समय या घर में रहने पर इन लक्षणों में वृद्वि हो जाती है, जबकि काफी का सेवन करने और अन्धेरे में रहने पर इन लक्ष्णों में कुछ सुधार आता है।

3.      कास्टिकम (Causticum)

सामान्य नामः हेनमेन टिंकटुरा एक्रिस सिने कली (Hahnemann’s Tinctura Acris Sine Kali)

लक्षणः ऐसे लोग जिनका, किसी बीमारी अथवा बहुत अधिक चिन्ता के कारण वजन घट जाता है, यह दवा ऐसे लोगों पर सर्वााधिक प्रभाव दिखाती है। यह तंत्रिका तन्त्र में बदलाव आने के कारण उत्पन्न हुए मोतियाबिन्द को कम करने में सहायता करती है। मोटर की गड़बड़ी के साथ होने वाला मोतियाबिन्द, आँखों को रगड़ने के कारण आँखों में झुकाव के साथ दर्द, धुन्ध, चिंगारी  अथवा आँखों के सामने काले ध्ब्बे के कारण अस्पष्ट दृष्टि तथा नीचे दिये गये लक्षणों का प्रतिबन्धन भी प्रभावी ढंग से करती है-

  • ऊपरी पलकों में झुकाव।
  • दृष्टि दुर्बलता।
  • आँखों की आईलिड में सूजन।
  • आँखों में अल्सर का होना।
  • आँखों में गहरे धब्बों का पड़ना।
  • ठण्ड़े स्थानो पर जाने से आँखों की मांसपेशियों में च्ंतंसलेपे होना।
  • अत्याधिक खाँसी के कारण कूल्हों में दर्द होना।

ठण्ड़ी एवं सूखी हवा, ठण्ड़े और स्वच्छ मौसम के अन्तर्गत यह लक्षण अधिक बिगड़ सकते हैं। वहीं नमीयुक्त और गर्म मौसम तथा सीलन युक्त क्षेत्रों में इन लक्षणों में सुधार आना भी सम्भव होता है।

4.      साइलिशिया टेर्रा (Silicea Terra)

सामान्य नामः सिलिका (Silica)

लक्षणः यह दवा सबसे अधिक प्रभाव ऐसे लोगों पर दिखाती है, जिन्हे ठण्ड़ अधिक लगती है, इौर उन्हें अपने शरीर को गर्म रखने के लिए अधिक कपड़ों की आवश्यकता होती है। इनके हाथ और पैर सर्दी के कारण अधिक ठण्ड़े हो जाते हैं। प्रमुख रूप से इस दवा का उपयोग आँख में बैक्टीरियल संक्रमण तथा आंसू पैदा करने वाली नलियों में सूजन के उपचार के लिए किया जाता है, और इसके अलावा निम्नलिखित लक्षणों के प्रकट होने पर इनमें इसके उपयोग से राहत प्राप्त हो सकती हैं

  • प्रकाश के कारण आँखों में तीव्र दर्द का होना।
  • ट्रामेटिक चोट लगने के बाद कार्निया में फोड़े का बनना।
  • स्पष्ट दिखाई नही देता है।
  • पढ़ने के दौरान शब्दों का नृतन।
  • आफिस में काम करने (बन्द स्थानों पर) वाले व्यक्तियों में होने वाला मोतियाबिन्द।
  • कार्निया में छेद करने वाला अल्सर।
  • आँख में कैराटाइटिस संक्रमण के बाद आँख के ऊतकों में सूजन आना।
  • इरिटिस और इरिडोकोरोइडिटिस (आइरिस एवं कोरोइड में सूजन) के साथ ही आँख के आगे वाले हिस्से में पस का पड़ना।
  • आँख के कोणों का प्रभावित होना।

पूर्णिमा तिथि, महावारी तथा बाँयी करवट से लेटने पर तथा आँखों को धोने के बाद यह लक्षण वृद्वि करते हैं और नमीयुक्त, गर्म वातावरण, गरम मौसम और सिर को ढक लेने के बाद इन लक्षणों में कुछ राहत प्राप्त होती है।

5.      सल्फर (Sulphur)

सामान्य नामः ब्रिमस्टोन (Brimstone)

लक्षणः जो व्यक्ति सदैव परेशान रहते हैं और बहस किया करते हैं, यह दवाई ऐसे लोगों के लिए अधिक प्रभावशाली होती है। यह दवाई कार्निया से सम्बन्धित दृष्टि दोष एवं धुन्धलेपन को को कम कर मोतियाबिन्द का उपचार करती है तथा निम्न लक्षणें को भी इसकी सहायता से कम किया जा सकता है-

  • प्रभावित व्यक्ति की पलकों में दर्द होना।
  • आँखों में सूखेपन के कारण होने वाला दर्द।
  • पढ़ने के दौरान स्पष्ट दिखने में परेशानी।
  • आँखें से बहुत अधिक पानी जाना।
  • आँखों में सफेद धब्बों का पड़ना।
  • आँखो का फड़कना।
  • रात में नही दिखना।
  • प्रकाश विशेष रूप से धूप में दिखने में परेशानी का होना।
  • सूजन के कारण आँख की पुतली (आइरिस) में लाली आना।
  • सूखेपन के कारण आँखो की पुतलियों में दर्द होना।
  • आँखों में पानी आना।
  • आँखों का सूखापन।
  • आँखों एवं पलकों में खुजली तथा जलन आदि का अनुभव होना।

6.      कोनियम मैकुलेटम (Conium Maculatum)

सामान्य नामः पाइजन हेमलाक (Poison Hemlock)

लक्षणः यह दवा वृद्व और मस्तिष्क एवं शारीरिक कमजोरी या कम्पन से ग्रस्त लोगों के लिए बहुत लाभदायक है। यह दवाई आँखों में पानी आना और आँखों की मांसपेशियों में Paralysis की स्थिति को ठीक करती हैं। इसके अतिरिक्त इस दवाई की सहायता से निम्न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है-

  • प्रकाश से परेशान अर्थात अर्थात Photophobia
  • विशेष रूप से कृत्रिम रोशनी (Artificial Light) में नजर का कमजोर होना।
  • आँखों की सूजन।
  • आँखों में घर्षण अथवा अल्सर आदि के कारण Photophobia का गम्भीर रूप ग्रहण करना।
  • कार्निया (Keratitis) में सूजन आना।
  • कंजक्टिवाइटिस 
  • कार्निया में पस युक्त फोड़ों का बनना।

उपरोक्त लक्षण महावारी के दौरान उससे पहले, बिस्तर पर लेटने, बिस्तर से उठने और करवट के बदलने, मानसिक अथवा शारीरिक थकान होने से बढ़ जाते हैं। जबकि अन्धेरे, उपवास, दबाने तथा हाथ एवं पैरों को ढ़ीला छोड़ देने के बाद इन लक्षणों में सुधार होता है।

          कोनियम मैकुलेटम के प्रभाव को देखने के लिए ऐसे 43 रोगियों पर एक अध्ययन किया गया, जिनकी आँखें पर काले रंग के धब्बे, आँखों में चित्रों की परछाई, आइरिस के भाग में परछाई के आने और दिखाई देने में समस्या थी। इन पीड़ितों का उनकी उम्र के आधार पर दो भागों में विभाजित कर लिया गया। दोनों समूहों में 1 से 4 महीने तक अलग-अलग समयावधि तक कोनियम मैकुलेटम का सेवन कराया गया। इन दोनों ही समूहों के पीड़ितों की देखने क्षमता और सुधार आया। इस अध्ययन में बताया गया कि कोनियम मैकुलेटम इमैच्योर कैरेक्टर (जिसने कि पूर्ण रूप मोतियाबिन्द के रूप को ग्रहण न किया हो) के उपचार में लाभकारी सिद्व होता है।

7.      फास्फोरस (Phospjorus)

सामान्य नामः फास्फोरस (Phosphorus)

लक्षणः होम्योपैथिक की यह दवाई पतले, लम्बे लोग जिनकी त्वचा पतली हो और जिनकी छाती चैड़ी नही होती और वे कमजोर रहते है, ऐसे लोगों के लिए विशेष लाभकारी होती है। इस प्रकार के लोगों में अचानक बेहोशी, पसीना और दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव होता है। फास्फोरस मोतियाबिन्द का प्रभावी उपचार करती है और आँखों में पड़े काले धब्बों को कम करती है। इस दवा के माध्यम से निम्न लक्षणों का उपचार भी किया जा सकता है-

  • रोगी को अपनी आँखों में धूल या मिट्टी जाने का अहसास होता है।
  • रोगी को अपनी आँखों में खिंचाव महसूस होता है।
  • रोगी कों आँखो में थकान का अनुभव होता है।
  • रोगी को पढ़ते समय अक्षरों का रंग लाल दिखाई देता है।
  • आप्टिक नर्वस के ऊतकों को हानि पहुंचती है।
  • रोगी के तम्बाकू खाने के कारण उसकी आँखें कमजोर हो जाती हैं।
  • रोगी को ग्लूकोमा होता है।
  • बुजुर्गों की आँखों में रेखाएं तथा घाव नजर आते हैं।
  • जो चीजें नही हैं उनको देखना।
  • आँखों की आर्बिटल हड्डियों (आँख की आर्बिट को बनाने वाली 6 हड्डियों का एक समूह होता है), में दर्द रहता है।

मौसम के बदलने के साथ ही मानसिक एवं शारीरिक थकान, दर्द वाले हिस्सें या बाँयीं करवट से लेटने और गरम चीजें खाने या पीने से इन लक्षणों में वृद्वि होती है। जबकि अन्धेरे, दाँयीं करवट से लेटने, ठण्ड़े पानी से स्नान करने, ठण्ड़ी वस्तुओं को खाने और ठण्ड़ी एवं ताजी हवा के सम्र्पक में जाने से यह लक्षण कुछ बेहतर हो जाते हैं।

8.      थिओसिनामीनम (Thiosinaminum)

सामान्य नामः सरसों के बीज से निकले तेल से निकला एक रसायन (A Chemical derieved from oil of mustard oil)

लक्षणः होम्योपैथिक की इस दवाई के माध्यम से मोतियाबिन्द और कार्निया में पारदर्शिता के नही होने की स्थिति को ठीक किया जा सकता है, जो कि शरीर में उपस्थित स्कार टिश्यू को भी कम करती हैं। इसके साथ ही इस दवाई से सिर चकराने (Vertigo) और कानों में घंटी के बजने की आवाज (Titnus) आदि का उपचार भी किया जाता है।

9.      टेलुरियम मैटालिकम (Tellurium Metallicum)

सामान्य नामः मैटल टैलुरियम (Tellurium The Metal)

लक्षणः अत्याधिक संवेदनशील कमर वाले लोगों के लिए यह होम्योपैथिक दवाई बेहतर काम करती है। इन लोगों के पूरे शरीर में दर्द, कमर दर्द और साइटिका के कारण दर्द अनुभव होता है। यह दवाई न केवल मोतियाबिन्द को कम करती है अपितु इसके कारण उत्पन्न आँखों के घाव भी ठीक कर देती है। इसके अलावा इस दवाई के माध्यम से निम्न लक्षणों में भी राहत पायी जा सकती है-

  • पलकों का भारीपन।
  • पस्टुलर कंजिक्टवाइटिस (जिसमें मवाद हो)
  • आँखों में सूजन के साथ खुजली का होना आदि।

आँखों के घर्षण, ठण्ड़े मौसम, रात को आरम करने, हँसने, खाँसने अथवा दर्द वाले भाग की तरफ से लेटने के बाद इन लक्षणों में वृद्वि होती है।

लेखक : मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवा, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

इसमें ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकगण के अपने हैं।