माँ और बच्चा दोनों को स्वस्थ्य रखने के लिए गर्भावस्था के अन्तिम महीनों में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

                     माँ और बच्चा दोनों को स्वस्थ्य रखने के लिए गर्भावस्था के अन्तिम महीनों में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

                                                                                                                                       डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                            

यदि कोई महिला जल्दी ही माँ बनने वाली है तो उन्हें बता दें कि प्रीग्नेंसी का अन्तिम माह सर्वाधिक संवेदनशील होता है। इसके दौरान होने वाली माँ के मन में भी विभिन्न प्रकार के सवाल होते हैं। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते हैं और इन परिवर्तनों को देखते हुए ही हैल्थ एक्सपर्ट गर्भवती महिलाओं को विशेष प्रकार के रूटीन को फॉलो करने की परामर्श देते हैं, जिसके चलते इन महिलओं को अपने डिलिवरी के सतय कोई विशोष समस्या न हो।

ऐसे में हम आपको अपनी इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से प्रीगनेंसी अन्तिम दौर में ध्यान रखने वाली कुछ विशेष बाते बताने जा रहे हैं। जैसे कि 9वें महीनंे में एक माँ की डाइट कैसी होनी चाहिए, और किस प्रकार चीजों को उन्हें अवाईड करना चाहिए। यदि आप हमारे हैल्थ एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार इनको फॉलों करती है तो यह निश्चित् है कि आपको अपनी डिलिवरी के दौरान किसी विशेष या अनचाहे होने वाले कॉम्प्लिकेशन्स का सामना नही करना पड़ेगा- 

ब्रीथिंग प्रैक्टिस

    गर्भवती महिलाओं को उनकी गर्भावस्था के अन्तिम महीनों के दौरान अक्सर स्ट्रैस रहता है, जो कि लेबर पेन, ऑपरेशन अथवा बच्चे की चिन्ता के कारण भी बढ़ जाता है। इस प्रकार के स्ट्रेस से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को ब्रीथिंग प्रैक्टिस करनी चाहिए, क्योंकि जितनी अधिक फ्रेश एयर गर्भवती महिलाओं के शरीर में जाएगी वे उतना ही अधिक अपने आपको फ्रेश और स्ट्रेस फ्री अनुभव करेंगी। गर्भस्थ शिशु के लिए भी ऑक्सीजन आवश्यक है, ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सिम्पल ब्रीथिंग प्रैक्टिस करनी चाहिए।

    गर्भवती महिलाओं के द्वारा ब्रीथिंग प्रैक्टिस करने से उन्हें उच्च रक्तचॉप, मानसिक तनाव एवं सिरदर्द आदि व्याधियों से भी छुटकार मिलता है। इसके अतिरिक्त यदि उन्हें नींद भी नही आती है तो वे ब्रीथिंग प्रैक्टिस के माध्यम से इस स्लीपिंग डिसआर्डर से भी छुटकारा पा सकती हैं। गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है, जिससे शरीर के दर्द में भी राहत मिलती है। ब्रीथिंग प्रैक्टिस करने के लिए सीधा बैठ जाएं और अपने पेट से सांस लें अर्थात सांस से आपके पेट में फुलाव आना चाहिए।

                                                                

अब थोड़े से समय के लिए वायु को अपने पेट में ही रोककर रखें और इसके बाद सांस को धीरे-धीरे छोड़ें, इसके अतिरिक्त ये महिलाएं अनुलोम-विलोम भी कर सकती हैं। अनुलोम-विलोम करने के लिए आप किसी भी आरमदायक स्थिति में बैठ जाएं और सांस भरकर 10 तक गिनती गिने और दाएं नासिका के छिद्र से अपनी उंगली को हटाकर बाएं नासिका के छिद्र पर रखें और इसी क्रिया को लगभग दस बार दोहराएं।

9वें महीने क्या नहीं खाना चाहिए

                                                        

         कुछ महिलाओं को सी-फूड का सेवन करना पसंद होता है, परन्तु यदि आप गर्भवती हैं और यह आपका 9वां महीना चल रहा है तो आपको सी-फूड से दूरी बना लेनी चाहिए। ज्ञात हो कि सी-फूड में आमेगा-3 की प्रचुर मात्रा उपलब्ध होती है और प्रेग्नेंसी के अन्तिम माह में आपको ओमेगा-3 को पचाने में दिक्कत हो सकती है।

इसके अतिरिक्त आपकों विभिन्न प्रकार के जंक फूड्स और ऑयली फूड्स से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए, क्योंकि अधिक चटपटा और मसालेदार खाना खाने से पेट से सम्बन्धित रोग आपको परेशान कर सकते हैं। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को चाय एवं कॉफी आदि का सेवन भी कंट्रोल करना चाहिए।

    कैफीन का अधिक मात्रा में सेवन करने से बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। यदि आप अपनी गर्भावस्था के दौरान कैफीन युक्त चीजों का सेवन करती भी हैं तो आपको इनकी मात्रा 200 ग्राम प्रतिदिन तक ही निर्धारित रखनी चाहिए। साथ ही गर्भवती महिलाओं को एल्कोहॉल तथा तम्बाकू आदि के सेवन से भी बचना चाहिए। यदि किसी चीज को सेवन करने के बाद आपके शरीर में किसी प्रकार के बदलाव का अनुभव होता है तो इसे अनदुखा न करें और तुरन्त अपनी डॉक्टर से सम्पर्क करें।

गर्भावस्था के अन्तिम महीने क्या-क्या खाना चाहिए-

    गर्भावस्था के इस समय में आपको अपने आहार में आयरन (लौह-तत्व) को आवश्यक रूप से स्थान देना चाहिए। क्योंकि इसका आयरन का सेवन करने से इन महिलाओं में नही होती है, यहाँ बहुत सी महिलाओं को एनीमिया (रक्ताल्पता) के चलते परेशानियों का समाना करना पड़ता है। अतः इस स्थिति से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में अंड़े, दाल, मीट, बींस, नट्स तथा पत्तेदार हरी सब्जियों को आवश्यक रूप में शामिल करना चाहिए। इसके यदि यह महिलाएं चाहें तो मछली, चिकन एवं सोयाबीन आदि का सेवन भी कर सकती हैं।

    प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्शियम रिच फूड्स को विशेष रूप से शामिल करना चाहिए, कैल्शियम का सेवन करने से हड्डियों को पोषण प्राप्त होता है। इसके साथ ही कैल्शियम के इनटेक से गर्भवती महिलाओं को गर्भकाल के बाद होने वाले जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है तो वहीं गर्भ के अन्तिम महीने यानी कि 9वें महीने में कैल्शियम इनटेक से होने वाले बच्चे की हड्डियाँ भी सुदृढ़ होती हैं। दूध, दही, संतरा और तिल आदि में कैल्शियम की भरपूर मात्रा उपलब्ध होती है।

    प्रेग्नेंसी के अन्तिम माह में होने वाले बच्चे का पूरा विकास हो चुका होता है और उसका वजन भी पूरा हो चुका है। गर्भावस्था के इस दौर में महिलाओं को पाचन से सम्बन्धित समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। पाचन सम्बधित समस्याओं से बचने के लिए गर्भवती महिला को फाइबर युक्त फूड्स का सेवन करना चाहिए। विभिन्न प्रकार के फ्रूट्स, मल्टीग्रेन ब्रेड तथा खजूर आदि में फाइबर की भरूर मात्रा होती है। इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं को विटामिन-सी युक्त चीजों जैसे कीवी, अंगूर, संतरा और शिमला मिर्च आदि का सेवन भी पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए। ज्ञात हो कि मानव शरीर में फॉलिक एसिड का होना भी अनिवार्य होता 

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल, मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।