सावधान! माइक्रो प्लास्टिक की पहुँच अब आपके दिल तक

                                           सावधान! माइक्रो प्लास्टिक की पहुँच अब आपके दिल तक

                                           

    20वीं शताब्दी के आरम्भ में हुई प्लास्टिक की खोज ने मानव विकास नए आयाम और नई गति प्रदान की और अपनी इन विशेषताओं के चलते प्लास्टिक ने समस्त मानव जाति के जीवन में एक अतिमहत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया। गुजरते समय के साथ ही वर्तमान मे यही प्लास्टिक मानव जीवन के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक के रूप देखा जा रहा है। इसमें प्रदूषण के चलते मानव के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के साक्ष्य तो पूर्व में ही सामने आ चुके थे, परन्तु वर्तमान में माइक्रो प्लास्टिक के कणों की पहुँच अब मानव के दिल तक हो चुकी है।

हाल ही अमेरिका में की गई एक सर्जरी के पहले और बाद में लिए गए दिल के ऊतकों यानी कि टिश्यूज के नमूनों में भी माइक्रो प्लास्टिक के कण मिलने की पुश्टि की गई है।

    बेहद टिकाऊ होना ही प्लास्टिक की एक महान विशेषता हुआ करती थी, और अब यही स्थिति इससे उत्पन्न होने वाले खतरों का कारण भी बन रही है। प्लास्टिक आसानी के साथ नष्ट नही होता है। एक लम्बे समय तक पानी या मिट्टी के अन्दर रहने के बाद भी प्लास्टिक गलता नही है और इसी के कारण आज प्लास्टिक का कचरा एक न निबटने वाला संकट बनता जा रहा है।

    अब स्थिति यह बन चुकी है कि जल स्रोतों में फेंके गए प्लास्टिक के कचरे के कारण आज पानी के माध्यम से माइक्रो प्लास्टिक कण लोगों के शरीर में भी पहुँचने लगे हैं। इसके साथ ही हवा के माध्यम से भी इन कणों का शरीर में पहुँचनें के खतरे में भी वृद्वि हो रही है। मानव के शरीर में माइक्रो प्लास्टिक के कण कैंसर समेत अन्य गम्भीर रोगों बन सकते हैं। मानव के रक्त और पेट में माइक्रो प्लास्टिक के कणों के प्राप्त होने की बात पूर्व में ही विभिन्न अध्ययनों में सामने आ चुकी है। अब ह्नदय में माइक्रो प्लास्टिक के कण मिलने से दिल के रोगों का खतरा भी बढ़ने लगा है। अमेरिकन केमिकल सोसायटी में यह अध्ययन प्रकाशित किया गया है।

टिश्यू में प्राप्त हुए माइक्रो प्लास्टिक के हजारों कण

                                                             

    अपने अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 15 लोगों के दिल की सर्जरी होने से पहले तथा बाद में टिश्यूज के नमूनें लिए गए थे। इन नमूनों में से अधिकतर नमूनों में माइक्रो प्लास्टिक के हजारों कण पाए गए। प्लास्टिक के प्रकार और कणों की संख्या इन मरीजों में पृथक-पृथक थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि किसी व्यक्ति के दिल पर माइक्रो प्लास्टिक कणों से पड़ने वाले प्रभावों को समझनें के लिए अभी व्यापक शोध करने की आवश्यकता है। हालांकि इस बात में कोई सन्देह नही है कि माइक्रो प्लास्टिक का पहुँचना वाकई चिन्ताजनक है।

वायु प्रदूषण बना असमय मौत का कारण

    माइक्रो प्लास्टिक के बढ़ते खतरों के साथ ही अब वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों के सम्बन्ध में चिंता बढ़ाने वाली बात सामने आई है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण शरीर में दाखिल होने वाले सूक्ष्म प्रदूषण कणों के कारण लोग बड़ी संख्या में असमय ही मौत का शिकार हो रहे हैं। वायु प्रदूषण के चलते दिल की विभिन्न बीमारियों के चलते वर्ष 1990 में 26 लाख लोग असमय मौत या फिर स्थाई विकलाँगता का शिकार हुए थे।

    वर्ष 2019 में यह संख्या बढ़कर 35 लाख लोगों के स्तर तक पहुँच चुकी थी। वर्ष 1990 से 2019 के बीच के 240 देशों के आँकड़ों को शामिल करते हुए तैयार की गई ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडीज में यह तथ्य सामने आया है। वाहनों के माध्यम से उत्सर्जित धुआँ, ध्ूल तथा विभिन्न कारखानों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में गिने जाते हैं।

                                                     बालों और त्वचा को पोषण देता है टी ट्री ऑयल

                                                        

    सबसे सुन्दर दिखना, उनकी त्वचा का खिला-खिला रहना और बालों का काला रेग और चमकदार होना आदि सब महिलाओं को प्रिय लगता है, और अपनी त्वचा की खूबसूरती को बनाए रखने के लिए वे कुछ भी कर गुजरने के लिए हमेशा ही तैयार रहती हैं। हालांकि बदलते हुए मौसम में त्वचा एवं बाल अपनी विशेष देखभाल चाहते हैं, क्योंकि यदि उचित समय पर इनकी देखभाल न की जाए तो वक्त एवं मौसम की मार से बाल एवं त्वचा रूखें और बेजान नजर आने लगते हैं। लेकिन यदि हम टी ट्री ऑयल का उपयोग सही विधि से करें तो इस समस्या बच सकते हैं। हमारे विशेषज्ञ बता रहें हैं आपको टी ट्री ऑयल के सही उपयोग के बारे में-

त्वचा के स्वास्थ के लिए उपयोग

                                                         

    अपनी त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आप टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदों को रूई के फाहे पर डालकर अपने चेहरे और गर्दन की त्वचा के ऊपर इसे एप्लाई करे। यदि आपके चेहरे पर मुहांसे के दाग हैं तो तो इसका उपयोग आप अपनी प्रभावित त्वचा के ऊपर कर सकते हैं, इससे आपके चेहरे के दाग धब्बे दूर हो जाएंगे। टी ट्री ऑयल युक्त फेसवॉश और जेल आदि का प्रयोग भी अपनी त्वचा को स्वस्थ्य रखने के लिए कर सकते हैं।

सूखी त्वचा के लिए टी ट्री ऑयल का उपयोग

    यदि किसी व्यक्ति शुष्क है तो वह इसके लिए 5 चम्मच टी ट्री ऑयल और एक चम्मच बादाम ऑयल को एकसाथ मिलाएं और नहाने से पूर्व वह अपने चेहरे पर एवं शरीर पर हल्की मसॉज करके 10 मिनट के बाद सामान्य जल से स्नान कर ले। ऐसा करने से उसकी त्वचा नम, नर्म, मुलायम और चमकदार हो जायेगी।

फगल इंफेक्शन होने पर टी ट्री ऑयल का उपयोग

    चूँकि टी ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक गुण विद्यमान होते हैं, अतः आप इसका उपयोग फंगल इंफेक्शन से पभावित शरीर के भाग पर भी कर सकते हैं। नाखूनों में फंगल इंफेक्शन हो जाने पर भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यदि आप चाहें तो आप इसकी पत्तियों को उबालकर इस पानी से प्रभावित स्थान को साफ कर अथवा टी ट्री ऑयल को पानी में मिलाकर भी इसका उपयोग कर सकते हैं, इससे आपको लाभ प्राप्त होगा। टी ट्री ऑयल शरीर की खुजली, लालिमा आदि समस्याओं को दूर करने में भी सक्षम हैं।

टी ट्री ऑयल के माध्यम से फोड़ा, मस्सा, दाद और खुजली का उपचार

                                                         

    टी ट्री ऑयल हमारे शरीर में होने वाले फोड़े-फंसी आदि का उचार करने में सहायक होता है। यदि आपके शरीर पर कहीं मस्सा है तो आप इसके लिए टी ट्री ऑयल को कुछ दिन तक मस्से पर प्रयोग करें तो कुछ समय के बाद मस्सा अपने आप ही हट जाता है। परन्तुअ ऐसा करने से पूर्व ध्यान दें कि आपकी त्वचा संवेदनशील तो नही है अतः टी ट्री ऑयल का प्रयोग करने से पहले अपनी त्वचा पर इसका टेस्ट कर लें। टी ट्री ऑयल त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है।

त्वचा पर किसी कट के लग जाने पर

    यदि आपकी त्वचा पर सब्जी काटते समय या फिर शेविंग करते समय कोई कट लग जाता है तो आप टी ट्री ऑयल को थोड़ी सी रूई की सहयता से प्रभावित स्थान पर आशातीत लाभ प्राप्त होगा। कट वाले स्थान पर इसका सीधे प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

त्वचा पर रेशेज के हो जानें पर टी ट्री ऑयल का उपयोग

                                                                     

किसी कीट-पतंगे के काटने पर होने वाली खुजली या जलन पर भी टी ट्री ऑयल का उपयोग करना लाभदायक रहता है। यदि आपके शरीर पर बिना किसी विशेष कारण के भी खुजली हो रही तो इस समस्या के समाधान के लिए आप अपने स्नान करने के पानी में टी ट्री ऑयल की बूंदों को मिलाकर स्नान करे, राहत प्राप्त होगी। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करें तो समस्या से पूर्ण रूप से मुक्ति मिलेगी।

वर्तमान समय में टी ट्री ऑयल से बने साबुन भी उपलब्ध हैं, इस साबुन का उपयोग करने से आप पसीने से आने वाली बदबू से छुटकारा भी पा सकते हैं, क्योंकि टी ट्री ऑयल एंटीवायरल और एंटी फंगल होने के कारण इस प्रयोग करना हमेशा लाभदायक रहता है।

बालों लिए भी लाभप्रद है टी ट्री ऑयल

    आप टी ट्री ऑयल को अपने बालों की जड़ों में भी एप्लाई कर सकते हैं, इससे बालों की जड़ों को पोषण भी मिलता है। टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदों को आप सर में लगाए जाने वाले किसी भी तेल में मिलाकर अपने बालों की जड़ों में लगाएं। बालों में शैम्पू में टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें मिलाकर शैम्पू करने से डैंड्रफ की समस्या दूर हो जाती है, हालांकि इसके लिए कुछ समय तक इसका प्रयोग रना पड़ सकता है।

    यदि आपके बाल रूखें हैं तो आप जोजोबा के के तेल में टी ट्री ऑयल का मिश्रण करें और बालों की जड़ों में मालिश कर ऐसा ही रहने दे। बाद में बालों को नॉर्मल पानी से धो लें, ऐसा करने से आपके बाल मुलायम और चमकदार हो जाएंगे।