मन एवं मस्तिष्क का सेहतमंद होना भी जरूरी है-

                                                      मन एवं मस्तिष्क का सेहतमंद होना भी जरूरी है-

                                                          

    ‘‘पिछले दिनों मानसिक स्थिति ठीक नही होने के कारण सीआरपीएफ के एक जवान के द्वारा एक ट्रेन में गोलीबारी की घटना के बाद एक फिर से यह प्रश्न उठा कि क्या हम अपने मानसिक स्वास्थ्य के लेकर भी उतने ही सचेत हैं? तो आज की इस ब्लॉग पोस्ट में हमारे विशेषज्ञ बता रहे हैं इस समस्या की गम्भीरता एवं निदान आदि के सम्बन्ध में अपनाये जाने वाले उपायों के बारे में’’-

    जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान अथवा बीमार रहने लगता है, तो अक्सर इसकी आरम्भिक स्थिति में लोगों को इसके बारे पता ही नही चल पाता है। आमतौर पर मानसिक रोग कई प्रकार के होते हैं और इन सबके लक्षण भी प्रायः अलग-अलग ही होते हैं। हालांकि इस रोग के प्रारम्भिक लक्षणों को समझते हुए यदि कुछ समुचित उपाय किए जाएं तो इस समस्या का भी प्रभावी निदान किया जाना सम्भव हैं। जबकि लोगों में इसके प्रति जागरूकता एवं सही जानकारी के न होने के कारण इसका मरीज लम्बे समय तक उचित उपचार से वंचित ही रह जाता है, जिसके चलते यह समस्या एक बड़ा रूप धारण कर लेती है।

साइकोसिस विशेष चिन्तनीय हैः- मानसिक अस्वस्थता का एक गम्भीर प्रकार होता है साइकोसिस अर्थात मनोविकृति। इस बीमारी के दौरान मरीज का सम्बन्ध, वास्तविकता से काफी हद तक टूट जाता है। इसमें मरीज को ऐसी चीजें भी वास्तविक लगने लगती हैं जिनका वास्तव में कोई अस्तित्व होता ही नही है। मरीज को यह वहम हो जाता है कि उसके बारे में उसकी पीठ पीछे बाते कर रहा है अथवा उसका कोई दुश्मन है। ऐसे में यदि उसे लगता है कि फलां व्यक्ति ने उसके घर में चोरी की है अथवा किसी व्यक्ति ने उसके मोबाइल को हैक कर लिया है, तो यह मानसिक अस्वस्थता का आरम्भिक लक्षण भी हो सकता है।

परेशानी को किस प्रकार से समझेः- ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि यदि कोई व्यक्ति मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य हो रहा है तो उसके परिजन कैसे पता करें कि यह उसकी मानसिक समस्या है। अधिकाँशतः लोग मानसिक समस्या के प्रारम्भिक लक्षणों को समझ ही नही पाते हैं, या फिर उनकी अनदेखी कर देते हैं।

बाद में जब कोई दुर्घटना हो जाती है तो इस बीमारी के बारे में पता चलता है। जबकि यह भी अपने आप में सत्य है कि कोई बीमार व्यक्ति भी इसके बारे में किसी को कुछ नही बताता है। हालांकि जब कोई व्यक्ति अन्दर से परेशान होता हैं तो यह उसके स्वभाव एवं व्यवहार आदि में भी दिखने लगता है। जैसे गुस्सा, चिड़चिड़पन, उदासी अथवा भय आदि के साथ ही उसके व्यवहार में भी कुछ परिवर्तन आने लगते हैं।

                                              

समुचित उपचार से समाधान की सम्भावनाएं बढ़ती हैंः- जब किसी व्यक्ति की दिनचर्या में असामान्य से होने वाले परिवर्तन दिखाई देने लगे, तो उसके स्वजनों को सतर्क हो जाना चाहिए और किसी मनोरोग विशेषज्ञ से मिलकर उसका उचित उपचार आरम्भ कर देना चाहिए। जब डॉक्टर मरीज के साथ वार्तालाप करेंगे तो इसके बारें में सही जानकारी स्पष्ट होने लगेगी और बीमारी के कारणों के बारे में भी पता चलेगा तो मरीज सही उपचार के माध्यम से जल्द ही स्वस्थ हो सकेगा।

सावधान हो जाएं जब

  • प्रभावित व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करे, उसकी नींद खराब हो या फिर उनके भोजन करने की आदतों में कोई असामान्य बदलाव नजर आए।
  • प्रभावित व्यक्ति में डर, बेचैनी एवं घबराहट आदि दिखाई देने लगे।
  • प्रभावित व्यक्ति लोगों के प्रति तटस्ता का भाव दिखाए अथवा इसके विपरीत वह भीड़ में जाकर भाषण देना पसंद करने लगें।

इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर मरीज के स्वजनों को सचेत हो जाना चाहिए।

यह अवसाद की समस्या से बिलकुल अलग प्रकार की समस्या है-

    हमें मनोविकृति (साइकोसिस) एवं अवसाद (डिप्रेशन) को अलग-अलग तरीके से समझने की आवश्यकता होती है। चूँकि डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को नही अपितु स्वयं अपने आपको ही नुकसान पहुँचाता है। किसी दूसरे व्यक्ति को या स्वयं अपने आपको नुकसान पहुँचाने में अंतर होता है। वर्तमान समय में देश की 8 से 10 प्रतिशत जनता अवसाद यानी डिप्रेशन का ही शिकार है।

                                                         

जबकि तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो यह स्थिति महिलाओं में अधिक देखी जाती है, क्योंकि इसके पीछे मासिक धर्म की शुरूआत या गर्भावस्था के दौरान होने वाले विभिन्न शारीरिक परिवर्तन आदि इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अवसाद की स्थिति में मरीज उदास रहने लगता है, मनोरंजन की सामग्रियों में उसकी रूचि कम हो जाती है, उसका मन किसी भी काम में नही लगता है, प्रभावित व्यक्ति को नींद भी अच्छी नही आती और उसका आत्मविश्वास भी कम हो जाता है, इससे प्रभावित व्यक्ति को लगता है कि उसका तो जीवन ही बेकार है।

सही एवं संतुलित जीवनशैली को अपनाएं-

  • अपनी दिनचर्या में योग एवं व्यायाम आदि को नियमित रूप से शामिल करें।
  • सभी प्रकार के नशे से दूरी बनाकर रखें।
  • परिवार के किसी सदस्य से कोई मनमुटाव है तो उसका शांति के साथ समाधान निकालने का प्रयास करें।
  • अपने परिवार या फिर समाज में किसी के प्रति भी कोई दुर्व्यवहार न करें।
  • यदि मन में कोई दुविधा या उलझन आदि है तो उसके बारे में स्वजन से बात करें और डॉक्टर से अविलम्ब सम्पर्क करें।
  • देश में प्रतिवर्ष करोड़ो रोगियो का उपचार किया जा रहा है और इस प्रकार की मनोचिकित्सा से उन्हें भरपूर लाभ भी प्राप्त हो रहा है।

                                                                 जीवन में उत्साह का भरना भी आवश्यक है

                                                               

‘‘बोरियत एक ऐसी भावना है, जिसका अनुभव हम सभी कभी न कभी आवश्यक रूप से करते हैं। परन्तु यदि ऐसा किसी व्यक्ति के साथ लगातार हो रहा है तो इससे उनकी उत्पादकता में कमी, उदासी और यहाँ तक कि अवसाद भी हो सकता है। अतः इस बोरियत की भावन से बाहर किस प्रकार निकलें बता रहें हैं हमारे विशेषज्ञ विस्तार से’’-

अपने सम्बन्धों को सदैव ही ऊर्जावान बनाए रखे-

                                                        

 

    एक ही प्रकार की दिनचर्या पर चलते रहने से जीवन ऊबाऊ हो जाता है। ऐसी स्थिति में लोगों से मिलना, अपने विचारों को उनके साथ साझा करना, विभिन्न लोगों के दृष्टिकोणों के बारे में सुनना और मुस्कुराहट का आदान-प्रदान करना आपकी सहायता, अपनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में कर सकता है। अतः जिन लोगों एवं रिश्तों को आप महत्व प्रदान करते हैं उनके लिए समय आवश्यक रूप से निकालें तो आप निश्चित् रूप से इस बोरियत की भावना से छुटकारा पा सकते हैं।

थोडा सा समय अपने आप के लिए-

    आप सेल्फ केयर यानी स्वयं की देखभाल के लिए कितना समय निकाल पाते हैं? इसमें यदि आपका जवाब है कि अधिक नही तो अब अपनी इस आदत को बदलें। सेल्फ केयर करना कोई विलासिता नही है, बल्कि यह तो एक आवश्यकता है क्योंकि यह आपको खुशहाली का अहसास कराती है। स्वयं की देखभाल करना आपके मन एवं शरीर को यह संकेत देती है कि आप स्वयं को महत्व देते हैं। जब आपका दिमाग इन संकेतों को ग्रहण करता है तो वह आपके शरीर में खुशी वाले हार्मोन्स रिलीज करता है, जो आपको निरन्तर उत्साहित रहने की अनुमति प्रदान करता है।

माइंडफुलनेस को जोड़ें अपने दैनिक कार्यो के साथ-

                                                               

    आप अपनी दिनचर्या में माइंडफुलनेस से सम्बधित तत्वों को शामिल करके भी अपने आन्नद में वृद्वि कर सकते हैं। जैसे किसी काम करने के समय अपने हाथों का निरीक्षण करना, बोलते समय या फिर कुछ छूने के दौरान आपके शरीर में उत्पन्न संवेदनाओं का अनुभव करना आदि। हमारे दैनिक जीवन में अनुभव होने वाले तनाव को कम करने में बहुत सहायता करता है।

आजमाएं कुछ नया

    नई-नई चीजें करने से न केवल वर्तमान में अधिक उत्साह पैदा होता है, अपितु यह हमारी नए प्रकार के कौशलों को सीखने में बहुत सहायता करता है। इसके लिए आप योग की कक्षाओं शामिल हो सकते हैं, कोई नई भाषा सीख सकते हैं। इसके साथ ही एक अलग अनुभव और लुक के लिए अपने घर की चीजों को व्यवस्थित ढंग से सजाते हुए उनका स्थान परिवर्तन करें।

    इस प्रकार की गतिविधियाँ आपके मस्तिष्क के दाहिने भाग को सक्रिय करती हैं, जो आपके अवचेतन मन में खुशी, आत्मसम्मान एवं उत्साह की सकारात्मक भावनाओं का संचार करती हैं। इसके साथ ही प्रत्येक तीसरे महीने में अपनी दिनचर्या के अन्तर्गत कुछ ऐसा शामिल करे, जो कि पहले से नही था, इससे आप अपने जीवन में चीजों को दिलचस्प और मजेदार बनाए रखेंगे।