एडिनोवायरस के संक्रमण के कारण फैल रहा है तेजी से आई फ्लू

                                                            एडिनोवायरस के संक्रमण के कारण फैल रहा है तेजी से आई फ्लू

                                                                                                                                                    डॉ0 दिव्यान्शु सेंगर

                                                      
बरसात के मौसम में अनेक प्रकार के संक्रमण होते रहते हैं क्योंकि यह मौसम ऐसा ही होता है। यदि बात करें कंजैक्टिवाइटिस अर्थात आई-फ्लू की तो वैसे तो यह बीमारी किसी भी मौसम में हो सकती है, परन्तु इसका सर्वाधिक प्रकोप बरसात के मौसम में ही देखने में आता है।

कंजेक्टिवाइटिस (आई फ्लू):- कंजेक्टिवाइटिस फ्लू अक्सर बरसात के मौसम में होने वाली एक आम समस्या है। इस बीमारी में हमारी आँखों की एक पारदर्शी एवं बारीक झिल्ली, कंजक्टिवा होती है, जो हमारी पलकों के अंदरूनी और आँखों की पुतली के सफेद भाग को कवर करती है। किसी भी कारण इसमें सूजन आने अथवा इसके संक्रमित हो जाने की स्थिति को ही कंजक्विाइटिस या आँख का आना कहा जाता है। कंजक्विाइटिस की समस्या आँखों में बैक्टीरिया, वायरस आदि के संक्रमण अथवा किसी एलर्जिक रिएक्शन के कारण हो सकती है।

डॉ दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि एडिनोवायरस के कारण वर्षों से आई फ्लू के मामले आते रहे हैं लेकिन इस बार संक्रमण अधिक दिखाई दे रहा है और तेजी से फैला है। 1 सप्ताह से मामले अधिक आ रहे हैं इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैलता जा रहा है और 2 सप्ताह बाद संक्रमण कम होने की संभावना है।

संक्रमण से आगामी कुछ दिनों में राहत मिल सकती है उन्होंने बताया कि आई फ्लू हरपीज के वह कई अन्य वायरस के कारण भी होता है, इस बार हरपीज का संक्रमण नहीं पाया जा रहा है। इस बार 20 से 30% मामलों में एडिनोवायरस के साथ-साथ स्टेफिलोकोक्कस बैक्टीरिया का सुपर संक्रमण भी देखा जा रहा है, लगभग 1% मरीज के कॉर्निया पर धब्बे पाए जा रहे हैं।

इस वजह से आंखों की रोशनी कमजोर होने की आशंका रहती है इसलिए मरीज को इमरजेंसी से छुट्टी देने के 3 दिन बाद दोबारा जांच की जा रही है। ज्यादातर मरीज मैं आई फ्लू के कारण आंख से पीला पानी आना बैक्टीरिया के संक्रमण का लक्षण हो सकता है। ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक दवा दी जा सकती है आंख की सूजन और लाली को जल्दी ठीक करने के लिए बहुत डॉक्टर मरीजों को स्ट्रॉइड्स दे रहे हैं।

इससे 2 सप्ताह बाद कॉर्निया पर धब्बे आने और आंखों का प्रेशर बढ़ाने का खतरा रहता है इसलिए आंखों के अच्छे डॉक्टर से ही इलाज कराने की जरूरत है, क्योंकि आंखें मानव शरीर में बहुमूल्य होती हैं इसलिए आई फ्लू होने पर अच्छे डॉक्टर को दिखा कर दवाई डालें जिससे आपको जल्दी राहत मिल सके।

कंजक्विाइटिस के लक्षण:-

                                               

1.   कंजक्विाइटिस से प्रभावित व्यक्ति की आँखों में सूजन आना।

2.   प्रभावित व्यक्ति की एक अथवा दोनों ही आँखों में जलन अथवा सूजन का होना।

3.   आँखों में किरकिरापन महसूस करना।

4.   प्रभावित व्यक्ति की एक या दोनों ही आँखों का लाल अथवा गुलाबी हो जाना।

5.   सामांन्य रूप से अधिक आँसुओं का आना।

आई फ्लू से बचाव कैसे करें?

1.   अधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।

2.   अपनी आँखों को बार-बार हाथों से स्पर्श न करें।

3.   जब भी आवश्यक हो तो अपने हाथों को आवश्यक रूप से धोएं।

4.   किसी संक्रमित व्यक्ति की चीजों का प्रयोग करने से बचें।

5.   संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें।

6.   अपनी व्यक्तिगत चीजें जैसे तौलिया, रूमाल, तकिया, आई-कॉस्मेटिक्स (आँखों का मेकअप) आदि सामानों को किसी के साथ शेयर न करें।

आई फ्लू के दौरान बरते जाने वाली सावधानियाँ:-

1.   बार-बार अपनी आँखों को हाथ से न छुएं।

2.   टी0वी0 अथवा मोबाईल आदि गैजेट्स से दूरी बनाकर रखें।

3.   आँखों के लिए चश्में का उपयोग करें।

4.   प्रतिदिन प्रयोग की जाने वाली वस्तु जैसे कि तौलिया या रूमाल आदि की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।

5.   संक्रमित व्यक्ति की आँखों से सर्म्पक न बनाएं।

6.   समय-समय पर अपने हाथों को साबुन आदि से धोते रहें और सेनीटाइजर का प्रयोग भी करें।

7.   प्रत्येक आधा घण्टे के बाद अपनी आँखों को भी धोते रहें।

                               

उपचार:-

     ऊपर दिये गये लक्षणों की अधिकता होने पर अपने निकटवर्ती चिकित्सालय में सम्पर्क कर डॉक्टर की सलाह के अनुसार एन्टीबायोटिक/आई-ड्रॉप्स का प्रयोग करें। 

                                                                              कैसर हार गया, अन्नानास के गर्म पानी से

                                                                           अब अनानास के गर्म पानी से बचेगी लोागें की जान

                                                                   

अनानास का गर्म पानी कैसर की कोशिकाओं को मारता हैं।

    इसके लिए आप अनानास के 2-3 टुकड़ों को लोकर उन्हें एक प्याले में पीसकर उसमें गर्म पानी डाल दें। इस उस पानी का स्वाद खारा हो जायेगा। इस पानी का प्रतिदिन सेवन करना सभी के लिए अच्छा रहता है।

    आईसीबीएस जनरल हॉस्पिटल के प्रोफेसर डॉ0 गिल्बर्ट ए. क्वोक ने जोर देकर कहा कि यदि इस बुलेटिन को प्राप्त करने वाला प्रत्येक व्यक्ति कम से कम दस व्यक्तियों को इसकी प्रतियाँ प्रषित करें, तो कम से कम एक आदमी के जीवन को बचाया जा सकता है। अतः इस बुलेटिन को प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति से आशा की जाती है कि वह आवश्यक रूप से ऐसा ही करेगा।

कैंसर के प्रभावी उपचार के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाओं में नवीनतम प्रगति

                                          

    वैज्ञानिकों ने बताया कि गर्म अनानास कैंसर रोधी पदार्थों को श्रावित करता है। अनानास के गर्म फल में विभन्न प्रकार के सिस्ट्स एवं कैंसर्स को दूर करने का गुण उपलब्ध होता है। अनानास के गर्म पानी से लगभग सभी प्रकार के कैंसर को ठीक किया जा सकता है। अनानास के रस से बनी सभी कैंसर की दवाएं केवल कैंसर की हिंसक कोशिकाओं को ही नष्ट करती हैं और यह शरीर की अन्य तथा स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई प्रभाव नही छोड़ती हैं।

    इसके अतिरिक्त अनानास के रस में उपलब्ध अमीनो एसिड्स एवं अनानास पॉलीफिनोल्स व्यक्ति के उच्च रक्तचॉप को नियन्त्रित करने में सक्षम होते हैं। यह आंतरिक रक्त वाहिकाओं में होने वाली रूकावट को रोकते हैं, रक्त परिसंचरण में सुधार करेन के साथ ही रक्त के थक्के बनने से रोक पाने में भी सफल होते हैं।

 आप अपना, अपने परिवार एवं एवं अपने परिचितों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें, और प्रसन्नतापूर्वक अपना जीवन व्यतीत करें अस्तु।

 

लेखक: डॉ0 दिव्यान्शु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।