गाँव भी होंगे अब ब्रॉडबैण्ड युक्त

                                                          गाँव भी होंगे अब ब्रॉडबैण्ड युक्त

“भारत सरकार के द्वारा अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ता प्रदान करने के उद्देश्य से गाँवों को ब्रॉडबैण्ड से संयुक्त करने की कवायद”

                                                    

    भारत सरकार के केबिनेट के द्वारा 6.4 लाख गाँवों को बॉडबैण्ड से संयुक्त करने के लिए 1.30 हजार करोड़ रूपये की स्वकृति प्रदान कर दी है। ऐसे में आशा की जा रही है कि अब इस योजना को धरातल पर उतारने में अधिक आसानी होगी।

अभी तक लगभग दो लाख गाँवों तक ही ब्रॉडबैण्ड इंटरनेट सेवा की पहुँच बन पाई है। यदि इस योजना पर समय रहते सही दिशा में काम किया गया तो भारत का ग्रामीण क्षेत्र भी निश्चित् रूप से इस समय जारी डिजिटल क्रॉन्ति में शामिल होगा। 

    क्योंकि वर्तमान दौर डिजिटल युग का है, तो इस योजना के माध्यम से देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार आने की पूरी सम्भावनाएं हैं। देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ता प्रदान करना वैसे भी हमारे नीति-निर्माताओं की प्राथमिकता के तौर पर उनकी सूचि में होना ही चाहिए, क्योंकि भारत की कुल आबादी का एक बड़ा भाग आज भी इन गाँवों में ही निवास करता है। इसके साथ ही गाँवों के ब्रॉडबैण्ड से जुड़ने के साथ ही गाँवों में अनेक प्रकार की कारोबारी गतिविधियों को बल मिलने की आशाएं भी व्यक्त की जा रही है।

                                                                  

    इससे स्वाभाविक रूप से जीएसटी के क्लेक्शन में तो वृद्वि होगी ही, तो इसका लाभ भी पुरे देश को प्राप्त होगा। परन्तु इसके साथ ही सरकार को यह भी देखना होगा कि हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था किस प्रकार से और अधिक संस्थागत स्वरूप ग्रहण कर सकेगी। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था जिस अनुमान के साथ बढ़ रही है, उसी के अनुरूप टैक्स का दायरा नही बढ़ पा रहा है।

    जहाँ तक गाँवों की बात है तो इस योजना के सही रूप में लागू किये जाने से उनमें आय के साधनों के बढ़ने के साथ ही ग्रामीणों की डिजिटल पहुँच भी निरंतर बढ़ती जा रही है और इस के साथ गाँवों में अब कारोबारी क्षेत्रों का विस्तार भी उसी गति हो रहा है।

इसमें चाहे जीएसटी का संग्रहण हो अथवा आयकर, परन्तु हमारी ग्रामीण अर्थव्यस्था कुल मिलाकर अभी भी अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। यह तथ्य भले ही अपने आप में सही है कि हमारे अधिकाँश किसान आर्थिक रूप से सत्पन्न नही हैं, परन्तु इसका यह अर्थ भी कदापि नही है कि हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे लोग मौजूद नही हैं जो कि एक अच्छी-खासी कमाई न कर रहे हों।

    हालांकि यह एक अलग बात है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बाशिंदों में धनी एवं बड़े किसान भी अभी भी टैक्स के दायरे से बाहर ही हैं। अतः अब इस बात पर भी विचार किया जाना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी आय अर्जित करने वाले, जो लोग भी टैक्स अदा करने में समर्थ हैं, उन्हें भी आयकर के दायरे लाया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना देश की खुशहाली एवं बेहतरी के लिए भी अति आवश्यक है।

                                                              

    वर्तमान में भारत सरकार अपने गाँवों को बेहतर और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास कर रही है, लेकिन इन सभी प्रयासों की सार्थकता उस समय ही है जब हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पूरा का पूरा ढाँचां ही पारदर्शी होगा।

ऐसे में यदि सरकार देश के सभी गाँवों को ब्रॉडबैण्ड से जोड़ने की इस पहल को देश के आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण पहलू के तौर पर देख रही है, तो सरकार को कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को विशेष रूप से कर के दायरे में लाने के लिए इस ओर भी अपनी दृष्टि डालनी चाहिए। इसके बाद ही गाँवों का आर्थिक विकास उचित तरीके से कर पाना सम्भव होगा।       

                                     कम समय में ज्यादा पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदायक

                                               

स्वास्थ्य और सेहतमंद जीवन के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है, परन्तु आवश्यकता से अधिक पानी का सेवन करना भी घातक सिद्व हो सकता है। अभी हाल ही में, अमेरिका में एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जहाँ एक महिला की मौत अधिक पानी का सेवन हो गई।

अधिक पानी का सेवन करने के कारण बिगड़ी हालतः- इंडियाना की एशले समर्स काफी तेज धूप में चलकर अपने घर पहुँची। तीव्र प्यास के कारण उन्होंने लगभग 20 मिनट में 2 लीटर पानी का सेवन कर लिया। इससे उनके मस्तिष्क में सूजन आ गई तो परिजनों ने उन्हें सीपीआर दे दिया। समर्स के डॉक्टरों के अनुसार, ऐसा ‘वॉटर टॉक्सिसिटी’ के कारण होता है।

    वॉटर टॉक्सिसिटी को वॉटर इनटॉक्सिटी भी कहते हैं। कम समय में बहुत अधिक पानी का सेवन कर लेने के बाद यह स्थिति आती है। इस स्थिति में व्यक्ति की किडनी में अधिक पानी का जमाव हो जाता है।

                                                                              

वॉटर टॉक्सिसिटी के लक्षणों से सम्बन्धित में प्रमुख रूप से मितली, सिरदर्द, ऐंठन, दौरे और मस्तिष्क की सूजन आदि हैं।

वॉटर टॉक्सिसिटी से बचाव

1.  अधिक पसीने के निकलने पर पानी का सेवन धीरे-धीरे करें।

2.  कई बार व्यक्ति के अधिक खेलने या अधिक व्यायामक करने से शरीर से अधिक पानी के निकलने के बाद चक्कर भी आ सकते हैं।

                                                      कामों को सही तरीके से करने की बेचैनी

“घर या ऑफिस मे विभिन्न प्रकार के कार्य ऐसे होते हैं कि जहाँ पर गलतियाँ करना भारी साबित हो सकता है। इस क्रम में हमारे द्वारा लिए गए निर्णयों का प्रभाव चाहे वह सकारात्मक हो अथवा नकारात्मक, का प्रभाव हमारे साथ ही साथ दूसरे लोगों को भी प्रभावित करने लगता है, तो यह आवश्यक हो जाता है कि किसी भी काम को अच्छी तरह से सोच-समझ कर ही किया जाए और ऐसा नही कर पाना हममें बेचैनी पैदा करता है”।

अपने कुछ दैनिक कार्यों को करने के लिए हम इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि अपने इन कार्यों को हम आँखें बंद करके भी पूर्ण कर सकते हैं। इन कार्यों को करने के लिए हमें बहुत अधिक सोचने की आवश्यकता नही पड़ती है। परन्तु इससे अलग कुछ कार्य ऐसे भी होते हैं जिनका सम्पादन करने के दौरान हमसे परफेक्शन की अपेक्षा की जाती है।

इस प्रकार से घर या ऑफिस के इन्ही कार्यों से मान-सम्मान, पैसा, मेहनत और आगामी समय के लिए योजनाएं अथवा अन्य कई लोगों के हित और अनहित भी इन्हीं के साथ जुड़े होते हैं। यही ऐसे काम हैं जो कि हमारे अन्दर बेचैनी बढ़ाने का काम करते हैं, ये हमें डराते भी हैं और अनेक अवसरों पर यह काम हमें आगे आकर फैंसलें लेने से भी रोक देते हैं। 

समझे अपने पैट्रन को

    हर समय परफेक्ट, बिना गलती किए काम को पूरा करने के सम्बन्ध में हमारा डर, हमारे काम, हमारी सेहत एवं हमारे फैंसलों पर बुरा प्रभाव डालता है। अतः यह समझना आवश्यक है कि काम चिन्ता करने से नही बल्कि उसमें व्याप्त समस्याओं का समाधान करने से पूर्णता को प्राप्त करते हैं। लीडरशिप कोच एवं लेखक रॉबिन शर्मा कहते हैं कि हमारे सोचने एवं कार्य करने का एक तरीका होता है।

कुछ गलतियाँ, जिन्हें हम बार-बार दोहराते रहते हैं, इसके बचाव के लिए हमें अपने कार्य करने के पैटर्न पर ध्यान देना होगा और इसके साथ ही उसमें सुधार कर हम इन गलतियों से बच सकते हैं।

    विभिन्न प्रकार की छोटी-छोटी बातें, जो हमारा तनाव बढ़ाती हैं] तो कितनी ही बार हम अपनी आदतों एवं व्यवहार के कारण दूसरे लोगों के साथ जुड़ नही पाते हैं और अपने कामों को टालते रहते हैं। हम अपनी अपेक्षा दूसरों को कमतर आंकते हैं और इसी के साथ दूसरे लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे, यह सोच भी हमारे काम और तनाव पर बुरा प्रभाव छोड़ती है और परफेक्शन को लेकर हमारी या दूसरों की अपेक्षाएं हमारे तनाव को और अधिक बढ़ा देती है।

गलती एवं बेचैनी दोनों ही होगी कम-

    हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के अपने लेख में एलिस बॉयस कहती हैं कि इस प्रकार के विभिन्न रचनात्मक तरीके भी होते हैं, जिनसे हम अपने काम से जुड़ी सम्भावित गलतियों और बेचैनी दोनों को ही कम कर सकते हैं।

पहला और सबसे जरूरी काम अपनी छोटी और बड़ी गलतियों की पहचान करते हुए अपना फोकस बड़ी गलतियों पर सैट करना, इसमें हमार अगला कदम अपनी आदतों और व्यवस्थाओं को बढ़ावा देना है, जो गलतियों की आशंकाओं को कम करते हैं। कहा जाता है कि काम करके ही गलतियों के डर को दूर किया जाना सम्भव हैं।

जब हम प्रत्येक सम्भावित गलती से बचने का प्रयास करते हैं तो हम बड़ी गलतियों को कम करने पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दे पाते हैं।

    सबके साथ जरूरी कामों की पूर्व योजना बनाना और सम्भावित चुनौतियों से से निपटने के तरीकों पर विचार करना, हमारी किसी कार्य को व्यवस्थित रूप से पूरा कर पाने में मदद करता है।

    इसके सम्बन्ध में मनोविज्ञानी एलिस कहती हैं कि कुछ परिस्थितियाँ तो हमारे हाथ में होती हैं तो कुछ नही, अचानक ही क्या होने वाला है, हम सब यह नही जानते हैं। तो ऐसे में डर कर रहने के स्थान पर उपलब्ध चुनौतियों के आधार पर कदम उठाने के लिए सदैव ही तैयार रहना, हमारी बेचैनी को कम करता है।

अच्छे लीडर अपनी सीमाओं को भी समझते हैं, हम प्रत्येक कार्य में एक्सपर्ट नही हो सकते, परन्तु हम स्वयं को अलग-अलग प्रकार के कौशल रखने वाले लोगों में जरूर रख सकते हैं।

    हमारी समझदारी तो गलतियों से बचने की कोशिश में लगे रहने में है न कि उनमें अटके रहने मे। इस प्रकार से अपनी गलतियों में सुधार करते हुए काम करते रहना ही हमारी कामयाबी है।