सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट यानी वैश्विक स्तर पर अकाउंटिंग

                                          सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट यानी वैश्विक स्तर पर अकाउंटिंग

                                               

    ‘‘ सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट (सीपीए) कोर्स एक अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेशन प्रोग्राम है, जिसको कर लेने के बाद युवाओं के पास वैश्विक स्तर पर अकाउंटिंग के क्षेत्र में अपने कैरियर को विस्तार देने के भरपूर अवसर उपलब्ध होते हैं’’।

फाइनेंस एंड अकाउंट्स के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अपनी पहिचान बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट (सीपीए) कोर्स को करना एक अनिवार्य शर्त होती है।

सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कोर्स है, जिसे पेरा करने के बाद युवा अकाउंटिंग में विश्व स्तर पर अपने कैरिया को दिशा प्रदान कर सकते हैं।

                                                     

भले ही युवा किसी कॉरपोरेट के लिए कार्य कर रहे हो अथवा एकाउंटेंसी की प्रैक्टिस, यह कोर्स प्रत्येक इंडस्ट्री के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। असल में इस कोर्स को अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट्स (एआईसीपीए) के द्वारा डिजाइन किया गई एक परीक्षा है। इस कोर्स के अन्तर्गत फॉरेन्सिक अकाउंटिंग, इंटरनेशनल अकाउंटिंग और इंटरनल एंड एक्सटर्नल अकाउंटिंग स्तर की परीक्षाएं होती हैं। वहीं टैक्स एंड फाइनेन्शियल प्लॉनिंग, एश्योरेन्स एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज, फॉरेन्सिक अकाउंटिंग, अकाउंटिंग फाइनेन्स मैनेजमेंट रिव्यू एंड एडवाइजरी सर्विसेज आदि में स्पेलाइजेशन भी कराया जाता है।

यह कोर्स विभिन्न कम्पनियों और कर्मचारियों की अकाउंटिंग एवं फाइनेन्शियल आवाश्यकताओं की पर्ती करने में सहायता करता है। इस कोर्स को करने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जैसे कि एक अच्छी नौकरी की चाह, या किसी सम्मानित पद की इच्छा आदि।

रोजगार और वेतनमान 

    सीपीए की उपाधि प्राप्त कर लेने के बाद पेशेवर मान्यता, अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के अवसर, वैश्विक स्तर की मान्यता यह सब अधिक कमाई की सम्भावना में बढ़ोत्तरी करते हैं। गल्फ-कोऑपेरशन काउसिल अर्थात जीसीसी देशों यथा- बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सीपीए कोर्स सर्टिफिकेट के माध्यम से सबसे अधिक वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी बड़ी है, क्योंकि इन देशों में योग्य पेशेवरों की माँग सदैव ही बनी रहती है।

वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के साथ ही साथ एक सर्टिफाइड अकाउंटेंट पूरी दुनिया में कहीं भी काम करने के योग्य हो जाता है। भारत में सीपीए का कोर्स करने वाले युवा नॉन सर्टिफाइड अुवाओं की अपेक्षा कम से कम 30 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक अधिक वेतन अर्जित कर रहे हैं। इसके साथ ही समय के साथ प्राप्त अनुभव एवं योग्यता के अनुसार इनके वेतन में कई गुना तक वृद्वि भी सम्भव है।

सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट (सीपीए) बनने के लिए तैयारी

                                                                           

    सीपीए का कोर्स विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त एक कोर्स है, एक सीपीए व्यापक शिक्षा एवं प्रशिक्षण के चलते अलग-अलग ढंग से वित्तीय सेवाएं प्रदान करने में प्रवीण होता है- जैसे वित्तीय परामर्श, समीक्षा, लेखांकन और कर योजना आदि। इसके साथ ही इसमें विभिन्न नौकरियाँ भी शामिल की जाती हैं जैसे- कर-सलाहाकार, समीक्षाकर्ता और अन्य वित्तीय मामलों या बिजनेस आदि में परामर्श देना आदि।

भारत में सीपीए कोर्सः- सीपीए का प्रमाणपत्र, सम्बन्धित व्यक्ति की अकाउंटिंग और वित्त के क्षेत्र में उसकी विशेषज्ञता और क्षमता को प्रदर्शित करता है। सीपीए प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए मिनिमम एजुकेशन, सम्बन्धित व्यक्ति के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय अथवा संस्थान से वाणिज्य, अकाउंटिंग या उससे सम्बन्धित क्षेत्र में ग्रेजुऐशन की डिग्री का होना आवश्यक है।

                                                                      

सीपीए की परीक्षा

    सीपीए की परीक्षा को चार चार खण्ड़ों में विभाजित कर डिजाइन किया गया है। इन खण्ड़ों में वित्तीय अकाउंटिंग और रिपोर्टिंग (एफएआर), अकाउंटिंग और समीक्षा (एयूडी), बिजनेस एन्वॉयरमेन्ट एवं कॉसेप्ट्स (बीईसी) तथा विनियामक (आरईजी) आदि शामिल हैं। सीपीए की परीक्षा में प्रत्येक भाग के लिए प्राप्त होने वाले समय को परीक्षार्थी अपने हिसाब से व्यवस्थित करने के लिए स्वतंत्र होता है। परीक्षा की व्यापक तैयारी करने के लिए समस्त सैम्पल पेपर्स की पढ़ाई करे तथा मॉक टेस्ट आदि के द्वारा तैयारी करनी चाहिए।

कार्य का अनुभव

    भारत में सीपीए बनने के लिए कार्यानुभव की आवश्यकता को पूर्ण करना होता है। इसके लिए सम्बन्धित व्यक्ति को किसी लाईसेंस प्राप्त सीपीए या रजिस्टर्ड कम्पनी के साथ काम करने का अनुभ्व प्राप्त करना होता है। एक सीपीए के रूप में कार्य करने के लिए सम्बन्धित व्यक्ति को प्रोफेशनली तैयार किया जाता है, जिससे कि वह इसकी कार्य प्रणाली को अच्छी तरह से समझ सकें। चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इण्डिया अथवा कॉस्ट अकाउंटेन्ट्स ऑफ इण्डिया इन समस्त कामों को करने और आगे बढ़ने में प्रतिभागियों की सहायता करते हैं।  

                                                      सच्चे गुरू और सच्चे शिष्य का रहस्य

मिश्र में एक कहावत प्रचलित है, कि जब शिष्य पूरी तरह से तैयार हो जाता है तो गुरू भी स्वयं ही उसे उपलब्ध हो जाता है। अनेक लोग ऐसे हैं जो गुरू की तलाश करते रहते हैं, परन्तु ऐसे में सवाल उठता है कि आप कैसे गुरू की तलाश करना चाहेंगे। इसके लिए आपके पास कोई मापदण्ड़ भी उपलब्ध है क्या? और यदि आप इतने कुशल हो गए हैं कि आप गुरू की जाँच भी कर सकते हैं तो आप तो गुरू से भी ऊपर उठ चुके हैं।

    यह सत्य है कि एक शिष्य गुरू की खोज नही कर सकता, बल्कि एक गुरू स्वयं ही योग्य शिष्य की खोज करता है। वस्तुतः जब भी आप शिष्य बनने के लिए तैयार हो जाते हैं तो आपके लिए गुरू भी स्वयं ही प्रकट हो जाता है। इसलिए कह सकते हैं कि बड़ी चीज गुरू को खोजना नही अपितु शिष्य बनने के योग्य हो जाना ही अपने आप में एक बड़ी चीज है।

    शिष्य बनने का मतलब आपका एक गड्ढे के स्वरूप को ग्रहण कर लेना अर्थात जब आप एक गड्ढे के रूप में परिवर्तित हो जाएंगे, पानी बरसेगा और आपकी झील स्वतः ही भर जाएगी। लेकिन यह भी एक सत्य है कि गड्ढ़ों को खोजा नही जा सकता, क्योंकि गड्ढ़ा होने का अर्थ है पूर्ण समर्पण। गुरू ऐसी कठोर परीक्षाएँ लेते है कि जिनसे गुजर कर उनका शिष्य कुन्दन बन जाए।

    ओशो एक कहानी सुनाते हैं कि एक भारतीय गुरू नारोपा तिब्बत गए, जहाँ उनका प्रथम शिष्य था मिलारेपा। गुरू नारोपा, अपने शिष्य मिलारेपा को ऐसे-ऐसे कार्य करने के लिए कहते हैं कि उन कामों को करने के दौरान किसी की भी हिम्मत टूट जाए, लेकिन गुरू नारोपा ने उससे कहा कि जिस दिन भी तुझे सन्देह उठे, उसी दिन तुम चले जाना, क्योंकि मुझे पूर्ण समर्पण ही चाहिए। नारोपा, मिलारेपा से कहते हैं कि इस पहाड़ के पत्थरों को काटों। मिलारेपा के मन में सवाल उठा कि मै तो यहाँ सत्य की साधना करने के लिए आया हूँ, लेकिन यहाँ पहाड़ से पत्थर काटने पड़ रहे हैं, परन्तु मिलारेपा ने पत्थर ही काटे।

    इसके बाद गुरू नारोपा ने आदेश दिया कि अब इन पत्थरों से एक छोटा सा मकान बना कर तैयार करो तो मिलारेपा ने मकान भी बना दिया। फिर जिस दिन यह मकान बनकर खड़ा हो गया तो नारोपा वहाँ गये और उन्होंने अब इस मकान को गिराने का आदेश दिया। इस कहानी में आगे पता चलता है कि गुरू नारोपा ने मिलारेपा से ऐसे मकान सात बार बनवाकर गिरवा दिए और हर बार जब वह मकान को गिरवाते तो उन पत्थरों को एक खाई में फिंकवा देते थे। इस प्रकार वे बार-बार इन पत्थरों को खाई से ऊपर चढ़वाते, मकान बनवाते और फिर उस मकान को गिरवाकर पत्थरों को खाई में फिंकवाते रहें।

    यह कार्यक्रम निरंतर सात वर्षों तक चलता रहा। सातवें वर्ष में गुरू नारोपा ने कहा कि मिलारेपा तेरी शिक्षा अब पूर्ण हो चुकी है और तुम पास हो चुके हो। तुम मुझसे जितना कुछ पा सकते थे वह तुमने प्राप्त कर लिया है

    इसके बाद मिलारेपा के शिष्य उनसे पूछते थे कि यह कैसी शिक्षा थी? तो इसके बारे में मिलारेपा का उत्तर होता था कि पहले तो मैं भी कई बार विचलित हुआ, लकिन फिर मैने आपने आप से कहा कि जब एक बार निश्चय कर ही लिया, तो अधिक से अधिक यह जिन्दगी ही जाएगी न, लेकिन मैं छोडूगाँ नही! और जिस दिन मैने यह तय कर लिया, उस दिन से ही मैं बिलकुल शांत हो गया।

    यह केवल पत्थरों का जमाना ही नही था, यह मेरा जन्मों का जमा किया हुआ अन्धकार था, मुझसे केवल वही अन्धकार जमवाया और उखड़वाया जाता रहा। यह सात बार जो मकान को बनाना और गिराना था; वह तुम सबको एक मकान दिख रहा होगा, वस्तुतः वह मेरा स्वयं अपने आपको बनाना और मिटाना था। यही होता है एक सच्चे गुरू और सच्चे शिष्य का रहस्य।