अच्छी नस्लों के प्रदुर्भाव से जिले में दुग्ध उत्पादन बढ़ा

                                          अच्छी नस्लों के प्रदुर्भाव से जिले में दुग्ध उत्पादन बढ़ा

                                          

    मेरठ जपनद प्रदेश के दुग्ध उत्पादन के क्षत्र में प्रथम स्थान पर आने की दिशा में अग्रसर है। दूध की बढ़ती माँग, और अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं की उपलब्धता के चलते, जिले में पिछले वर्ष की अपेक्षाकृत इस वर्ष 10 से 15 प्रतिशत तक की वद्वि दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में दर्ज की गई है। जिले में पशुपालकों की संख्या में हुई वृद्वि के साथ ही डेयरी उद्योग को बढ़ाने पर भी भरपूर बल दिया जा रहा है।

दुग्ध उत्पादन के क्षत्र के कुछ तथ्य

- जिले के किसानों का ध्यान अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं के पालने पर अधिक है।

- गत वर्ष की अपेक्षा, इस वर्ष 10 से 15 प्रतिशत तक दुग्ध उत्पादन में हुई वद्वि।

- जिले में कुछ गौवंशीय पशुओं की संख्या 2.44 लाख है।

- जिनमें से कुल 1.80 लाख गोवंशीय पशु वर्तमान में दुधारू हैं।

- इसी प्रकार जिले में कुल 5.15 लाख पशु महिषवंशीय हैं। 

- जिले में इस समय 4.10 लाख महिषवंशीय पशु दूध देने वाले हैं।

- जिले में 10.25 लाख लीटर प्रतिदिन उत्पादित होता है।

- जिले में प्रतिदिन होती है 25 लाख लीटर दूध की खपत।

- जिले में 450 दुग्ध समितियों का संचालन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है।

- मेरठ जिले में लगभग 13 लाख डेयरी संचालक हैं।

    जनपद में कोरोना काल के बाद आई लम्पी रोग की लहर ने दुग्ध उत्पादन को प्रभावित किया। इस स्थिति में सुधार के बाद जनपद के दुधारू पशुओं की सेहत में भी अपेक्षित सुधार आने लगा और इसका प्रभाव प्रत्यक्ष प्रभाव जनपद के दुग्ध उत्पादन पर भी दिखाई देने लगा। जहाँ वर्ष 2021-22 में जनपद में प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन 9.35 लाख लीटर के आस-पास था, वहीं वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 10.25 लाख लीटर प्रतिदिन तक हो गया।

आज युवा भी अपना रहें हैं डेयरी उद्योग:

                                                                    

    जिले के पशु-पालन विभाग के आँकडों के अनुसार जनपद के डेयरी उद्योग में पढ़-लिखे युवाओं के आने से एक नई आशा की किरण दिखाई दी है। पिछले एक वर्ष में 50 से अधिक युवाओं के द्वारा सीमित पशु संख्या के दम पर अपनी डेयरी को आरम्भ किया है। इसके साथ ही दूध से बने अन्य उत्पाद भी बाजार में आने शुरू हो गए हैं।

भविष्य में स्थिति की बेहतरी की उम्मीदें कायम

                                                                   

    इस वर्ष हुए इंवेस्टर्स समिट में डेयरी उद्योग स्थापित करने के लिए तीन प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए गए, जिससे लगभग 500 करोड़ रूपये का निवेश डेयरी उद्योग में भी किया जाएगा। इसके अतिरिक्त दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत कृत्रिम गर्भाधन कायक्रम को भी आरम्भ किया गया है। गुजरे एक वर्ष में तीन हजार से अधिक महिषवंशीय पशुओं में दुधारू प्रजाति एवं 90 प्रतिशत तक गौवंशी पशुओं में मादा पशु बच्चों का जन्म कराया गया है।

    जिले के दुग्ध उत्पादन में गत वर्ष की अपेक्षा 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्वि दर्ज की गई है, और जब अधिक दूध देने वाली पशु प्रजाति के पशुओं की संख्या बढ़ेगी तो दुग्ध् उत्पादन में अपेक्षित सुधार होगा।

- डॉ0 अखिलेश गर्ग, सीवीओ।

    जनपद के दुग्ध उत्पादन में काफी सुधार आया है। पिछले वर्ष दुग्ध समितियों के माध्यम से प्रतिदिन 40 हजार लीटर दूध की प्राप्ति हो रही थी, जो अब बढ़कर 50 हजार लीटर तक पहुँच चुकी है।

- दलजीत सिंह, महाप्रबन्धक पराग डेयरी, मेरठ। 

 

घर पर ही लीफ शाईनर बनाने का तरीका

  यदि आप अपने पौधों की सुन्दरता को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक तरीकों को अपनाना चाहती हैं तो इसके लिए आप अपने घर में ही लीफ शाईनर बना सकते हैं।

  पौधों की अच्छी देखभाल के लिए केवल खाद-पान, या धूंप आदि ही पर्याप्त नही होते हैं, अपितु समय-समय पर उनकी कटिंग और क्लीनिंग भी आवश्यक है, जिससे कि उनके साथ लगे छोटे-छोटे कीटों को भी साफ किया जा सके।

  इसी प्रकार पौधों की पत्तियों की नियमित सफाई करने से पौधें सदैव दशईनी नजर आते हैं। पौधों की पत्तियों की सफाई करने के लिए आप किसी नम तौलिये या कपड़े की सहायता भी ले सकते हैं। परन्तु यदि आप पौधों की पत्तियों को चमकदार बनाने के साथ ही कीटाणु रहित भी करना चाहते हैं तो इसके लिए लीफ शाईनर का उपयोग करना सबसे अच्छा रहता है, जिन्हे घर पर भी अच्छी तरीके से बनाया जा सकता है।

1. दूध और पानीः- दूध में उपलब्ध लैक्टिक एसिड पौधों पर फंफंूदी तथा फंगल इंफेक्शन्स को भी दूर करने में सक्षम होता है। इसे तैयार करने के लिए आप कटोरी अथवा स्प्रे बौतल में 30 प्रतिशत स्किम्ड मिल्क और 70 प्रतिशत पानी का घोल बनाएं और किसी स्वच्छ कपड़े की सहायता से इस घोल से पौधों की पत्तियों को साफ कर दें।

2. सिरकाः- व्हाईट विनेगर (सफेद सिरका) में उपलब्ध एसिटिक एसिड पौधों पर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और कवक इत्यदी को समाप्त करने के साथ ही इनकी पत्तियों के ऊपर व्याप्त धूल, गन्दगी औश्र ग्रीस इत्यादि को भी हटा देता है। इसे तैयार करने के लिए चार कप स्वच्छ पानी, एक चौथाई चम्मच छोटा चम्मच सफेद सिरका, एक दो बून्द डिश शोप और दो बून्द नारियल के तेल को एक साथ मिलाएं। एक नरम माइक्रोफाइबर कपड़े की सहायता से इस मिश्रण से पौधों की पत्तियों को साफ कर लें।

3. नीम का तेलः- नीम का तेल पौधों के कीटों, फंफूदी और एफिड्स आदि को समाप्त करने में मदद करता है। इसे तैयार करने के लिए एक चम्मच नीम का तेल, आधा बड़ा चम्मच डिश सेाप और एक गैलन पानी का मिश्रण बनाएं। माइक्रोफाइबर कपड़े की सहायता से आप इस मिश्रण से पौधों की पत्तियों को साफ कर सकते हैं।

4. एप्सम सॉल्टः- एप्सम सॉल्ट में मैग्नीशियम और सल्फेट जैसे नेचुरल फर्टिलाइजर्स उपलब्ध रहते हैं जो फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया में वृद्वि करते हैं। इसे तैयार करने के लिए किसी स्प्रे बोतल में दो लीटर पानी में एक बड़ा चम्मच एप्सम सॉल्ट मिला लें और इसका स्प्रे अपने पौधों की पत्तियों पर करें। ध्यान रखें कि स्प्रे करने के एकदम बाद पत्तियों को कपड़े से न पोंछें, अपित कुछ देर इंतजार करने के बाद पत्तियों की सतह से अतिरिक्त घोल को किसी माइक्रोफाइबर कपड़े की सहायता से पौछ दें।

इस प्रकार आप अपने घर में ही बनाए गए इन लीफ शाईनर्स की सहायता से अपने घर में लगे पौधों की पत्तियों की शाईनिंग एवं उनके स्वास्थ्य में वृद्वि कर सकते हैं।