मिलेट्स का उपयोग बढ़ने से छोटे किसानों को लाभ

                                                मिलेट्स का उपयोग बढ़ने से छोटे किसानों को लाभ

                                                

    केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि पोषण के लिए मिलेट्स वर्तमान की आवश्यकता है, उन्होने यह बात जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (राजस्थान) के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के अन्तर्गत आयोजित 2 दिवसीय नेशनल मिलेट कॉन्फ्रेंस के शुभारम्भ समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही।

    केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि हम सभी यह जानते हैं कि दुनिया में मिलेट्स का उत्पादन एक विशिष्ट उत्पादन के तौर पर किया जाता रहा है। लेकनि समय के साथ-साथ मिलेट्स के भोजन का आकार हमारे भोजन की थालियों में कम होता गया, जिससे अन्य अनाजों के सापेक्ष मिलेट्स की प्रतिस्पर्धा समाप्त होती चली गई। वर्तमान में मिलेट्स को पुनः बढ़ावा मिले और इनका उपयोग बढ़ सके, के सम्बन्ध में समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं।

    उन्होने बताया कि मिलेट्स की खेती अधिकाँशतः वर्षा पर आधारित होती है, जिसे कम खर्च और पानी के माध्यम से उगाया जाता है। मिलेट्स के उपयोग में जितनी अधिक बढ़ोत्तरी होगी, हमें अपने भोजन में उतने ही अधिक पोषक तत्व प्राप्त होंगे। अब चालू वर्ष को अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाए जाने से मिलेट्स का उपयोग पूरी दुनिया में बढ़ेगा तो इनकी प्रोसैसिंग भी बढ़ेगी, निर्यात भी बढ़ेगा और इसका लाभ अन्ततः छोटे किसानों को प्राप्त होगा, जिससे उनकी आर्थिक दशा में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा।

                                                    

    इसके सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स ईयर का महत्व इस दृष्टि से कहीं अधिक बढ़ जाता है कि देश में मिलेट्स पर आधारित रिसर्च बढ़ाने के लिए 3 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केन्द्र हरियाणा, हैदराबाद एवं बैंगलुरू में स्थापित किए गए हैं। नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में लगभग 2,000 स्टार्टअप्स कार्य कर रहें हैं, जिनमें से अधिकतर मिलेट्स से ही सम्बन्ध रखते हैं।

                                               

    उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए और राज्य में स्थित जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के प्रयास एवं उसकी भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि मिलेट्स की जो किस्में विलुप्ति के कगार पर हैं, यह विश्वविद्यालय उनके ऊपर भी कार्य कर रहा है, इस कार्य को और बढ़ावा देने की जरूरत है।

    उक्त कार्यक्रम में सांसद वी डी शर्मा, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रमोद कुमार मिश्रा आदि भी शामिल रहे। 

                                                      भारत में जैव विविद्यता संरक्षण के सम्बन्ध में मानक निर्धारित

    जैव विविद्यता के संरक्षण, सुरक्षा, बहाली और उनके संवर्धन पर कार्य करने में भारत सदैव ही आगे रहा है। भारत ने अपने नये लक्ष्यों के माध्यम से अब देश ने अपने लिए और भी अधिक ऊँचे मानकों का निर्धारण किया है।

    जी-20 पर्यावरण एवं जलवायु की स्थिरता पर मंत्री-स्तरीय बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सम्बोधित करते हुए देश प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने वर्ष 2030 के निर्धारित लक्ष्यो से नौ वर्ष पूर्व ही गैर-जीवाश्म ईंधन के स्रोतों से अपनी स्थापित विद्युत क्षमता को प्राप्त कर लिया है।

    उधर, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में भी भारत विश्व के पाँच शीर्ष देशों में से एक है। भारत ने वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को भी निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक विशाल विवधिताओं से सम्पन्न देश है।

मिशन अमृत सरोवर

    प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के द्वारा की गई पहल यहाँ के लोगों की भागीदारी के माध्यम से संचालित होती है। ऐसा ही मिशन अमृत सरोवर जल संरक्षण की एक अनूठी पहल है। इस मिशन के अन्तर्गत लगभग एक वर्ष में 63,000 से अधिक जलाशयों का विकास किया जा चुका है।

मिशन नमामी गंगे

    मोदी ने कहा कि नमामी गंगे मिशन के चलते गंगा नदी में डॉल्फिन संरक्षण एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। उन्होंने, इसके सम्बन्ध में संत तिरूवल्लुवर के द्वारा लिखित एक दोहे का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि सागर से जल प्राप्त करने वाले बादल, यदि वर्षा के रूप में जल को नही लौटाएंगे तो सागर भी सिमट जाएंगे।

मिशन अंत्योदय

    प्रधानमंत्री ने चेताया कि हमें जलावयु से सम्बन्धित कार्यों में निश्चित् रूप से अंत्योदय का पालन करना चाहिए। प्लास्टिक के माध्यम से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए जी-20 के सदस्य देशों से प्रभावी उपकरण का रचनात्मक तरीके से उपयोग करने का भी उन्होंने आह्वान किया।  

मत्स्य बीज उत्पादन में स्वरोजगार की सम्भावनाएं

    क्वालिटी मत्स्य महाविद्यालय के स्नातक छात्रों के लिए संस्थागत विकास योजना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के माध्यम से मत्स्य प्रजनन एवं हैचरी प्रबन्धन नामक विषय पर आयोजित एक सप्त दिवसीय दक्षता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

    आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि केन्द्रीय मत्स्य शिक्षण संस्थान, मुम्बई के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ0 वी के तिवारी के द्वारा इस प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के सहित राज्य सरकार के द्वारा संचालित अनेक योजनाओं के माध्यम से मत्स्यपालन के विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है।

    प्रदेश में निरंतर बढ़ते मत्स्यपालन व्यवसाय के मद्देनजर सदैव ही क्वालिटी फिश सीड्स की मांग बनी रहती है। अतः हैचरी प्रबन्ध एवं बीज उत्पादन में प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार प्राप्त होने की अपार सम्भावनाएं उपलब्ध हैं।

    समारोह के विशिष्ट अतिथि, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आईडीबी प्रभारी एवं निदेशक मॉनिटरिंग एंण्ड प्लानिंग डॉ0 महेश कोठारी के द्वारा 25 सफल प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए।  

कृषि उद्यमिता विकास पर कार्यशाला का आयोजन

    महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वश्विद्यालय, उदयपुर के संगठक राजस्थान कृषि महाविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सौजन्य से प्रायोजित आईडीबी परियोजना के तहत एक सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

    कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ0 एम एस शर्मा ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन करने का उद्देश्य कृषि विज्ञान के छात्रों में कृषि को विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में उद्यमिता के विकास एवं विपणान प्रबन्धन पर जानकारी एवं कुशलता प्रदान करना था। 

ई-पड़ताल के माध्यम से होगी फसलों की निगरानी

‘‘प्रदेश के समस्त जिलों की स्थिति का निर्धारण करने के लिए डिजिटल क्रॉप सर्वें किया जायेगा’’।

  • सर्वे के अनुसार स्कीम पॉलिसी एवं लिए गए निर्णयों का लाभ प्राप्त करने में मिलेगी सहायता।
  • खरीफ के सीजन के लिए सर्वे करने की पूरी तैयारी, रबी-जायद के समेत सभी फसलों के लिए किया जायेगा रोडमैप तैयार।

मौसम में जारी परिवर्तनों के चलते फसलों में होने वाल नुकसान से बचाने और किसानों तक सरकारी अनुदान एवं अन्य लाभदायक योजनाओं के लाभों की पहँच सुनिश्चित् करने के लिए अब सरकार एक नई पहल यानी डिजिटल क्रॉप सर्वे ‘ई-पड़ताल’ को प्रारम्भ करने जा रही है।

सरकार के इस निर्णय से मौजूदा खरीफ सीजन से न केवल फसलों के निरीक्षण का आरम्भ होने जा रहा है, अपितु रबी और जायद की फसलों के समेत अब प्रदेश के अन्य डिजिटल क्रॉप सर्वे के सम्बन्ध में रोडमैप निर्धारित कर लिया गया है। उक्त सर्वे समस्त प्रकार की फसलों के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्व होगा। सर्वे से सम्बन्धित पूरी कार्ययोजना को तैयार कर लिया गया है।

इस सर्वे का उद्देश्य यह है कि फसलों से सम्बन्धित डेटा की वास्तविकता का निर्धारण कर एक एकल, सत्यापित स्रोत के रूप में इस प्रकार के ईको-सिस्टम एवं डाटाबेस का विकास किया जायेगा, जिससे आवश्यकता के होने पर रियल टाईम में स्थितियों का आकलन किया जा सके और इसी के अनुरूप योजनाएं तैयार की जा सके।

    सर्वे में प्रदेश के 75 जनपदों की 350 तहसीलों में तैनात 31002 लेखपालों के अधनी क्षेत्रों के 35,983 ई-पड़ताल क्लस्टर्स के डाटा को समार्वेिशत किया जाना है। इसके अन्तर्गत समस्त फसलों की स्थिति, उनकी तस्वीरों एवं अन्य सम्गन्धित आँकड़ों का संकलन किया जायेगा।

विस्तृत ब्यौरा होगा तैयारः- उक्त सर्वे में फसलों से सम्बन्धित आँकड़ों का संकलन पूर्ण हो जाने के बाद, यह एक डाटाबेस के तौर पर उनकी स्थिति के सम्बन्ध में एक विस्तृत ब्योरा उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। इसी के आधार पर विभिन्न विभागों के द्वारा जारी की गई योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुँचाने के लिए और फसलों के मूल्य निर्धारण में सहायता के साथ ही विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी भी प्राप्त हो सकेगी।