जीवन का फलसफा, अच्छी जिंदगी के लिए सुनना सीखें

                                                 जीवन का फलसफा, अच्छी जिंदगी के लिए सुनना सीखें

सुनकर बढ़ाएं अपनी समझ को तभी बनेंगे अच्छे संबंध

                                                        

मैं हमेशा से ही एक ऐसी अभिभावक बनना चाहती थी जो बच्चों को उनकी भावनाओं पर नियंत्रण करना सिखा सके। अपने जीवन के अनुभवों से उन्हें सही दिशा दिखा सके। जिससे कि वे हर प्रकार की परिस्थिति का सामना कर सकें, मैं एक ऐसी मां बनना चाहती थी जिसके पास बच्चे अपने मार्गदर्शन के लिए आ सके। पर मैं बच्चों को सही ढंग से समझा नहीं सकी और ना जरूरत के समय उनके लिए उपलब्ध हो सकी।

जब बच्चे मेरे पास अपनी कोई समस्या लेकर आते या भावुक बातें करते तो मेरी प्रक्रिया होती मैं कैसे तुम्हारी समस्या का हल निकाल सकती हूं या तुम्हारी उदासी किस तरह दूर कर सकती हूं। कई बार मैं उनकी समस्या से भयभीत हो जाती थी, मेरी बेचैनी बढ़ जाती थी कि मैं तुरंत हुई समाधान दे पा रही हूं। मुझे नहीं मालूम था कि अपने बच्चों के साथ कैसे बैठा जाता है उन्हें कैसे सुना जाता है।

उनके हर इमोशन गुस्से, डर, उदासी, और अकेलेपन आदि को कैसे समझा जाता है और कैसे उन्हें नई राह दिखाई जा सकती है। जब कभी भी बच्चे मुझसे कुछ कहते तो मैं उदास हो जाती थी, उनका अच्छा मार्गदर्शन करना चाहती थी लेकिन नहीं कर पाती थी।

अपनी भावनाओं पर करें  काबू

यह एक कटु सत्य है कि अधिकतर लोगों को मालूम ही नहीं होता कि जब कोई हमें कुछ कहता है तो उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, उनकी भावनाओं का कैसे सम्मान किया जाता है। यहां तक कि हम खुद की भावनाओं को भी समझ नहीं पाते हैं। हम जब बच्चे थे तो हमें भी अपनी भावनाओं के साथ अकेले छोड़ दिया जाता था यह नहीं सिखाया गया था कि उन्हें कैसे काबू किया जा सकता है। जब भी हमारे सामने कोई बड़ी भावनात्मक स्थिति आए तो हमें वह प्यार नहीं मिल पाया और ना ही हमारे ऊपर ध्यान दिया गया।

हमारे बड़ों को भी नहीं मालूम था कि अपनी भावनाओं को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस तरह से वह एक पैटर्न बन गया, आज भी अधिकतर बच्चों को नहीं मालूम है कि उन्हें अपनी भावनाओं को कैसे काबू करना चाहिए।

अनुभव के साथ जीवन में होते हैं बदलाव

हम सभी लोगों की जिंदगी में ऐसा अनुभव उम्र के हिसाब से बढ़ते जाते हैं, यह अनुभव सुखद व मधुर हो जरूरी नहीं होता है। मुझे अपने जीवन में छोटे-बड़े कई प्रकार के कष्ट एवं तकलीफ का सामना करना पड़ा जो असहनीय भी थे। लेकिन जीवन के क्षण मुश्किल होते हैं जब आप उन लोगों को तकलीफ में देखते हैं जिन्हें आप दुनिया में सबसे अधिक प्यार करते हैं, क्योंकि आपके दिल में उनके प्रति गहरी खूबसूरत एवं कोमल भावनाएं होती हैं इसलिए उन्हें किसी प्रकार के दुख या गम से जुड़ते देखना काफी कष्टकारी होता है।

मैं भी जब बच्चों को इस तरह की परिस्थिति में देखा करती थी तो मेरे भीतर का दर्द एवं छिपी हुई भावनाएं सामने आने लगती थी। मुझे सब ऐसा लगने लगता था लेकिन उसके बावजूद मैं धैर्य से काम लेती थी और अपने अनुभव तथा बड़े लोगों से इसीलिए कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखती थी।

जीवन में फाइट फ्लाइट और फ्रिज को अपनाएं

यह अपने आप में सत्य है कि जीवन कभी भी आसान नही होता है। परन्तु जब आपका कोई बेहद प्यारा व्यक्ति तकलीफ में होता है तो ऐसे क्षण बेहद कठिन होते हैं।

    कोई भी इन्सान हो, उसमें विभिन्न प्रकार की भावनाओं का उतार एवं चढ़ाव तो सदैव ही बना रहता है। अन्य लोगें की परेशानियों के बारे में सुनकर हम विभिन्न प्रकार की सर्वाइवल स्ट्रेटेजीज का उपयोग करते हैं। इनमें से कुछ ‘फाईट’, ‘फ्लाइट’, और ‘फ्रीज’ आदि हैं।

                                                                   

    यह सुनने में अतार्किक लग सकता है कि किसी बच्चे की कोई समस्या बच्चे के अभिभावक में भय उत्पन्न करती है, तो कई बार वे उस समस्या से निपटने के लिए वे आपस में झगड़ने (फाईट) लगते हैं या फिर कई बार बच्चे भी क्रोध में बनें रह सकते हैं।

कुछ लोग ‘फ्लाइट’ स्ट्रेटजी को भी अपनाते हैं। कहने का अर्थ यह है कि वह लोग दूसरे लोगों की किसी भी समस्या को सुनते ही कह देते हैं कि हमारे पास उनकी समस्या का कोई भी हल नही है।

इसके अलावा एक और रणनीति होती है और वह है ‘फ्रीज’ यानी कि जड़ हो जाना। कई बार हमें अहसास होता है कि अमुक भावना को हम सह नही पा रहे हैं, अतः हमें अकेला ही छोड़ दिया जाए। परन्तु यदि हम ऐसी परिस्थितियों में अपने लोगों को अकेला छोड़ भी देते हैं तो यह हमारे उनके साथ रिश्ते को कुप्रभावित करता है।

हालांकि ऐसे में आवश्यकता समस्या के हल की नही होती है अपितु उससे कहीं अधिक दूसरे लोगों की बात को प्रेम से सुनने की तथा उन्हें यह अनुभव कराने की कि हम सदैव किसी भी परिस्थिति में उनके साथ हैं। ऐसा करना आपकी बेचैनी को कम करने में तो सहायक होता ही है साथ ही दूसरों को भी अपने भावों को सही ढंग से समझानें में सहायता प्राप्त होती है।

अपनी समझ को भी बढ़ाएं

                                                             

इंसानी दिमाग एक खास तरीके से कार्य करता है, वह भिन्न-भिन्न भावनाओं में अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। जब हम अपनी भावनाओं को याद कर आगे बढ़ते हैं तो हम मस्तिष्क के उस हिस्से का उपयोग करने लगते हैं जो हमारे विचारों को शत-शत बनाता है। हम अच्छे निर्णय एवं आइडिया के बारे में सोच पाते हैं विचारों में खुलापन आने से किसी के सुझाव बुरे नहीं लगते इसलिए जरूरी है कि हम अपने बच्चों को अपनी भावनाओं को समझने में मदद करें ताकि वे मस्तिष्क के उस हिस्से का इस्तेमाल कर सकें जो अच्छे निर्णय लेने में हमें सहयोग करता है।

मेरे मन में भी बच्चों की समस्याओं का समाधान निकालने की तीव्र इच्छा थी, लेकिन दूसरा सच यह भी था कि अपने बच्चों की भावनाओं को सार्थक रूप से समझना सबसे कठिन कार्य लगता था, जिसे मैं आज तक सीख रही हूं। हालांकि दुनिया में सबसे ज्यादा कोई अहमियत रखता है तो वह है मेरे बच्चे। मैं उनके साथ अपने संबंधों को शुद्ध करना चाहती हूं। अपने ज्ञान एवं अनुभव से उनका मार्गदर्शन करना चाहती हूं, अपने बच्चों के साथ बैठना उन्हें सुनना उनसे बातें करना बहुत ही खूबसूरत एहसास है।

इससे भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर पाते हैं और हम उन्हें ढंग से समझ पाते हैं उनकी मदद भी कर पाते हैं। जब मेरे बच्चे मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्हें बात करनी है तो वह दुनिया का सबसे श्रेष्ठ एहसास होता है। मुझे पता होता है कि वे अपने दिल की सारी बातें मुझसे साझा करना चाहते हैं तब मैं उनकी मदद कर सकूंगी सिर्फ सलाह यह प्रतिक्रिया देने के बजाय प्रेम, करुणा से सुनना भी उन्हें गहरी भावनात्मक सुरक्षा का आभास कराता है।

                                                               

उस भावना के माध्यम से अपनी प्रतिभा क्षमता एवं आइडिया के बल पर अपने लक्ष्य को आत्मविश्वास एवं जनता से हासिल कर पाते हैं। यह बात हर संबंध पर लागू होती है जिस को आगे बढ़ाना सभी का कार्य है कि वह अपने संबंधों को यदि मजबूती देना चाहते हैं तो सभी को सुनना सीखना होगा।यदि वह सुनने की आदत डाल लेंगे तो निश्चित रूप से उनका जीवन एक खूबसूरत जीवन में बदल जाएगा।