बस्ते का वजन बच्चों को कर रहा बीमार

                                                                बस्ते का वजन बच्चों को कर रहा बीमार

                                                                                                                                             डॉ आर एस सेगर

स्कूलों के आगे सरकारें है लाचार

                                                                     

मुश्किल में है बचपन स्कूल बैग पॉलिसी 2020 लागू लेकिन उस पर नहीं हो रहा अमल

स्कूल इन दिनों कावड़ यात्रा के कारण बंद है, लेकिन जैसे ही खुलते हैं वैसे ही स्कूल ही बच्चों के बस्तों का वजन अचानक बढ़ जाता है। बच्चों की पीठ, कंधे, गर्दन और सिर दर्द को लेकर अभिभावक डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। शिकायतें स्कूल प्रशासन तक भी पहुंच रही है, लेकिन निजी प्रकाशनों की मोटी मोटी किताबों से कमाई में जुटे स्कूल कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।

देश में स्कूल बैग पॉलिसी 2020 लागू है, लेकिन स्कूलों की लॉबिंग के आगे सरकारें कुछ करने को तैयार नहीं है। जुलाई 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन में ‘स्कूल बैग वेट एंड लो बैंक पैन’ में 45% बच्चों के बैग का वजन उनके वजन के 15% से अधिक पाया गया, 30% बच्चों ने कमर में तेज दर्द की शिकायत की। कई राज्यों में सरकारी स्कूलों की शुरुआत हो चुकी है, तो वहीं निजी स्कूल अब अपनी मनमानी पर चल पड़े हैं। यूरोपीय देशों में 8 साल तक के बच्चों को किताब की जगह खेल खेल में पढ़ाया जाता है।

क्या है राष्ट्रीय स्कूल बैग नीति 2020

                                                             

शिक्षा निदेशालय ने एनसीईआरटी द्वारा जारी नई स्कूल बैग नीति 2020 की अनुपालन को नवंबर 2020 में ही आदेश जारी किया था। नीति के अनुसार छात्रों के स्कूल बैग का वजन उनके शरीर के वजन का 10% ही होना चाहिए। शिक्षकों को बताना होगा कि किस दिन कौन सी किताब नोटबुक लानी है। कक्षा दो तक होमवर्क नहीं किया जाएगा। कक्षा 3 4 5 के लिए प्रतिमाह 2 घंटे होमवर्क, कक्षा 6, 7, एवं 8 के लिए प्रतिदिन एक घंटा होमवर्क तथा कक्षा 9 से 12 के लिए प्रतिदिन 2 घंटे से ज्यादा का होमवर्क नहीं दिया जा सकता।

55.9% बच्चों में दर्द की होती है शिकायत

                                                   

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन 2022 में प्रकाशित एक अध्ययन में छात्रों के वजन का 16.5 फ़ीसदी बैग का वजन पाया गया। शोध में शामिल 55.9% बच्चों ने पूरे साल पीछे कंधे या सिर दर्द की शिकायत की, इनमें से 21.3% बच्चों के परिजन डॉक्टर के पास भी गए।

बच्चे भारोत्तोलन बैग दे, कंटेनर नहीं है

मई 2018 में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे ना तो भारत्तोलक हैं और ना ही बैग कंटेनर है। अप्रैल 2019 में उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य को बैग का वजन कम करने के आदेश दिए थे। वही भोपाल कोर्ट ने 2022 में जिला शिक्षा विभाग को नोटिस दिया था, लेकिन अभी तक शायद लागू नहीं हो पा रहा है।

कुछ राज्यों में है नो बैग डे का प्रावधान

दिल्ली कर्नाटक श्रीनगर उत्तराखंड की सरकारी स्कूलों में बैग नीति 2020 लागू कर दी गई है। महाराष्ट्र में कक्षा एक से बच्चों के लिए एक ही किताब में पूरा कोर्स समायोजित है। राजस्थान और कर्नाटक ने सरकारी स्कूलों में हर शनिवार को नोबैग घोषित कर दिया है। पश्चिम बंगाल के स्कूलों में किताबों के लिए लॉकर योजना पर काम कर रहा है, इनमें बच्चों की किताबें रखी जाएंगी, जिससे बच्चों को रोजाना बैग में किताबों को न ढोना पड़े।

5 किलो अधिकतम होगा कक्षा 12 तक के बच्चों का स्कूल बैग

                                                        

स्कूल बैग नीति और बस्ते का वजन

कक्षा 1 से 2 तक के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 1.6 से 2.2 किलो तक होना चाहिए। कक्षा 3, 4, और 5 के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 1.7 से 2.5 किलो तक होना चाहिए। कक्षा 6 और 7 के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 2.0 और 3.0 किलोग्राम तक होना चाहिए। कक्षा 8 तक के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 2.5 से 4.0 किलोग्राम होना चाहिए। कक्षा 10 के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 2.5 से 4 किलोग्राम होना चाहिए तथा कक्षा 11 और 12 के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 3.5 से 5 किलोग्राम होना चाहिए।

कक्षा 6 से 10 के बच्चे इस तरह झेल रहे तकलीफ

45.6% छात्र तथा 54.4% छात्राएं झेल रहे हैं तकलीफ, जिसमें से 64% शहरी बच्चे और 66% ग्रामीण बच्चे शामिल हैं। यदि सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में तुलना की जाए तो 53.2% निजी स्कूल तथा खाली दशमलव 8 सरकारी स्कूल के बच्चे तकलीफ में है।

दर्द से परेशान  कितने बच्चे

                                                       

एक अध्ययन के मुताबिक 39.2% कंधे के दर्द से छात्र-छात्राएं परेशान हैं। 19.6 प्रतिशत घुटने के दर्द से छात्र-छात्राएं परेशान हैं और 18.0% पीठ दर्द से छात्र-छात्राएं परेशान हैं तथा 10.4% सिरदर्द से छात्र-छात्राएं परेशान हैं।

             

डॉ आर एस सेगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष

प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।