
गन्ने के उत्पादन बढ़ाने के लिये मंथन किया गया Publish Date : 08/03/2025
गन्ने के उत्पादन बढ़ाने के लिये मंथन किया गया
“गन्ना विकास सर्वोत्तम पैदावार” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया-
उत्तर प्रदेश में गन्ने की पैदावार में और अधिक बढ़ाने के लिये कीटों की समस्या का स्थायी समाधान को लेकर सोमवार को लखनऊ में, कृषि विशेषज्ञों ने विचार विमर्श किया गया। लखनऊ में ‘‘गन्ना विकास, सर्वोत्तम पैदावार” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में सरकारी अधिकारियों, शुगर मिल मालिकों, गन्ना विशेषज्ञों तथा किसान विकास केन्द्र, आईआईएसआर के वैज्ञानिकों, जिला गन्ना अधिकारियों ने भाग लिया और प्रदेश में गन्ने की उपज और उसकी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार लाने तथा इस क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने के लिए आधुनिक समाधानों पर व्यापक चर्चा एवं विचार विमर्श किया गया।
कार्यक्रम में गन्ना प्रजनन संस्थान के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. बख्शी राम, यूपी कॉऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन लिमिटेड के महानिदेशक डा कुमार विनीथ के अलावा हरदोई के विधायक माधवेंद्र प्रताप सिह और रोशन लाल तमक, ईडी एवं सीईओ चीनी व्यापार, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड आदि शामिल थे।
सेमिनार में तमिलनाडु के मुकाबले में उत्तर प्रदेश में प्रति हेक्टेयर कम मन्ना उपज की समस्या के कारणों की पहचान, आधुनिक तकनीकों की सीमित उपलब्धता (बीज, मिट्टी की जांच, प्रेसीनान खेत टेक्नोलॉजी एवं फाइनेंस), मार्केट का अनुपयुक्त एक्सेस तथा खेती के लिए उचित इनपुट्स का उपयोग न किया जाना जैसे विषय शामिल थे। संगोष्ठी में आंकड़ों के माध्यम से इस बात पर रोशनी डाली गयी कि यूपी में प्रगतिशील किसानों ने 284 टन तक की उत्पादकता भी हासिल की है। (जैसा कि 16-17 नवम्बर को लखनऊ में आयोजित सीआईआई शुगरटेक मीटिंग के दौरान कहा गया), हालाकि प्रदेश में अभी भी बहुत अधिक क्षमता है, जिसका सदुपयोग किया जा सकता है।
इस बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान का भी हवाला दिया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उपजाऊ जमीन तथा गंगा एवं यमुना जैसी नदियों से पर्याप्त जल संसाधनों के उपलब्ध होने के कारण प्रदेश में खेती के उत्पादन को बढ़ाकर तीन गुना या चार गुना तक भी किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि एक तुलनात्मक विश्लेषण में पाया गया है कि भारत में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज और किसानों की आय चीन की तुलना में केवल एक तिहाई है, और अन्य विकसित देशों की तुलना में तो यह मात्र 25-30 फीसदी ही है।
इन चुनौतियों पर बात करते हुए डॉ. आर जी अग्रवाल, चेयरमैन एमेरिटस ने उत्पादकता एवं मुनाफा बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि प्रथाओं तथा वैज्ञानिक प्रगति की आवश्यकता पर जोर दिया।