बादल से सबक      Publish Date : 07/03/2025

                                                     बादल से सबक

बादलों का धरती के साथ एक अनकहा रिश्ता होता है, क्योंकि बादल हजारों मील की दूरी पर होने के बाद भी धरती की प्यास को जान लेता है। धरती के दुःख को जानकर वह व्यग्र हो उठता है। धरती की ओर से उसके पास कोई प्रणय निवेदन नही आता, फिर भी वह उसे अपने अंक में समेट लेने के लिए तत्पर हो उठता है। बादल भौतिक दूरियों को भी इसमें बाधक नही बनने देता है।

                                               

बादल के बरसने का अर्थ होता है, अपने आप को उस पर न्यौछावर कर देना। बादल को पता होता है कि वह इस प्रक्रिया में अपने अस्तित्व को मिटा देने वाला है, लेकिन बावजूद इसके भी वह बरसता है। इस प्रकार बाइल को अपने अस्तित्व के समाप्त हो जाने का दुःख नही होता, बल्कि उसे धरती की प्यास बुझाने का आनंद प्राप्त होता है।

धरती पर वैसे तो जल के अथाह स्रोत उपलब्ध हैं, परन्तु वह धरती के इस संताप को समझ ही नहीं पाते हैं, क्योंकि परमात्मा ने इसके योग्य बनाया ही नही और बादल को इतनी सामर्थ्य प्रदान की है कि उसके पास सीमित जल और जीवन की अवधि भी सीमित होने के उपरांत भी उसमें यह महानता है कि वह धरती को तृप्त करने में सक्षम है। स्थिति तो यह है कि यदि समय पर बादल नही बरसे तो चारो ओर हाहाकार मच जाता है, किंतु मानव तो स्वाभाविक रूप से ही कृतघ्न होता है।

जिस समय बादल अपना अस्तित्व मिटाकर धरती को तृप्त कर रहा होता है तो उस समय मानव उत्सव मनाने के लिए लालियत होने लगता है। इसी के चलते वह बादल से कोई सीख ग्रहण करने के अवसर को व्यर्थ ही गवां देता है। इस प्रकार बादल माव की रसिकता को तुष्ट करने वाला एक माध्यम ही बनकर रह जाता है।

मानव ने कभी यह सोचा ही नही कि बादल के बरसने का निहितार्थ क्या हैं। बादल धरती के लिए ही बना है और अंततः उसीके काम भी आ रहा है। वह अपने लिए कभी कुछ संचय नही करता है क्योंकि उसे विश्वास है कि जब भी कभी उसे फिर से बादल बनना पड़ेगा तो उस जल का अभाव नही होगा। उसकी क्षमता के अनुरूप ही जल उपलब्ध हो जाएगा।

मानव सोचता है कि वह केवल अपने आप के लिए ही बना है और यही कारण है कि मानव सुख सुविधाएं केवल इस जन्म के लिए ही नही अपितु आगे के कई जन्मों के लिए इन्हें संचित कर लेना चाहता है। मानव को लगता है कि उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य यही है।

अहंकार, लोभ, संवेदनहीनता के चलते मानव अपनी नजर में कुछ भी बन सकता है, किन्तु वह बादल कभी नही बन सकता है।