गरमी का कवचः प्याज

काटते समय आँखों में पानी ला देने वाला प्याज वास्तव में अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। प्याज के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न औषधीय गुण असल में मानव स्वाथ्य के मामले में बेजोड़ होते हैं। विशेष रूप से गरमी के दुरूह दिनों में प्याज का सेवन बिलकुल अमृत तुल्य होता है।


    प्याज गरमी के मौसम में मानव शरीर के तापमान को कम कर उसे ठंडक युक्त बनाता है। प्याज की प्रभावकारी तासीर गरमी से सम्बन्धित तमाम परेशानियों को दमर करने की क्षमता रखती है। विशेष रूप से मई-जून माह के दौरान चलने वाली भयंकर लू प्याज का सेवन करना बेहद प्रभावकारी सिद्व होता है। गरमी के मौसम में प्रतिदिन के भोजन में प्याज को शामिल करने से लू लगने के खतरे से पूर्ण रूप से बचा जा सकता है, इसलिए प्याज को गरमी का कवच भी कहना कोई अतिश्योक्ति नही होगी। 
    वैसे तो हममें से अधिकाँश लोग सलाद के रूप में कच्चा प्याज शामिल करते हैं परन्तु वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते है, जिन्हे कच्चे प्याज के सेवन करने से परहेज होता है। इस प्रकार के लोग चाह कर भी कच्चे प्याज का सेवन नही कर पाते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों के कच्चा प्याज का सेवन करने से उनका मन कच्चा होने लगता है। 
    इस प्रकार के नाजुक मिजाज को रखने वाले लोग कच्चे प्याज की महक को सहन नही कर पाते हैं, और इसमें कोई परेशानी वाली कोई बात नही है क्योंकि ऐसे लोगों के लिए प्याल के लाभ प्राप्त करने के अन्य मार्ग भी उपलब्ध हैं। इसके लिए साबुत प्याज को थोड़ा सा बेक कर लें, इसके बाद उसे छीलकर सलाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है और वैसे भी बेक किए गए प्याज का स्वाद काफी अच्छा लगता है। 
    

साधारण तौर पर प्याज की गंध से परेशान होने वाले लोगों की संख्या कम ही होती है, जिसके कारण इस प्रकार की परेशानी कम ही सामने आती है। अन्यथा अनेक गुणों से भरपूर प्याज को अधिकतर लोग बड़े ही शौक और चाव के साथ खाते हैं। निरन्तर प्याज का सेवन करने वाले लोग यदाकदा ही बीमार पड़ते हैं। 
    हालांकि, यह भी अपने आप में एक सत्य है कि प्याज के अभाव में स्वादिष्ट नमकीन पदार्थों की कल्पना भी नही की जा सकती। मटनचिकन एवं मछली आदि से सम्बन्धित समस्त पकवानों में प्याज का भरपूर प्रयोग किया जाता है और शाकाहारी लोगों के लिए भी विभिन्न स्वादिष्ट सब्जियों में भी प्यजा का भरपूर उपयोग किया जाता हैं 
    

सलाद, चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों न हो उसमें प्याज किसी न किसी रूप में अवश्य ही शामिल रहता है। वरसात के मौसम में भी प्याज के पकौड़ों को बेहद पसन्द किया जाता है और जब प्याज अपनी उच्चतम दरों पर बिकता है तो इसको पसन्द करने वाले लोग इसके सेवन के बिना तब भी नही रह पाते है। इसी कारण के चलते प्याज के दामों ने कई बार सरकार गिराने और सरकार बनाने में भी मुख्य भूमिका निभाई है। 
    

देश में झुग्गी-झोपिड़यों में रहने वाले गरीब लोग भी चाहे और कुछ खाएं अथवा नही, परन्तु उनकी मोटी-मोटी रोटियों के बीच प्याज अवश्य ही उपस्थित रहता हैं भले ही उन्हें प्याज के गुणों में अधिक जानकारी नही होती हो। हालांकि जब प्याज अधिक महंगा हो जाता है तो उन्हें प्याज नही खा पाने का अफसोस जरूर रहता है।
प्याज के औषधीय गुण
  

 लहसुन की तरह से ही प्याज भी औषधीय गुणों से भरपूर होती है, जबकि प्राचीन समय में प्याज का उपयोग काॅलरा जैसी खतरनाक बीमारी के उपचार में भी किया जाता था, जो कि बहुत कारगर सिद्व होता था। इतिहास की बात करें तो रोमन सम्राट नैरो, सर्दी से बचाव करने के लिए यिमित रूप से प्याज का सेवन किया करते थे। 
    आज भी ग्रामीण लोग डाॅक्टरों के ईलाज को नापंसद करते हैं, जिसके कारण उन्हे प्याज के जैसे उपचार बेहद रास आते हैं। वैद्य लोग लू लगने तथा दमा जैसे रोगों में प्याज का ही उपयोग करते है। लू लग जाने के बाद प्याज और पौदीने के अर्क को दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। 
    वैज्ञानिकों के अनुसार कच्चे प्याज का सेवन करना बहुत लाभदायक होता हैं, यह अलग बात है कि इसका स्वाद कुछ तीखा होता है परन्तु इसका प्रभाव कमाल का होता है। कच्चे प्याज में आर्गेनिक सल्फर कम्पाउंड और एक किस्म का तेल होता है। प्याज के अन्दर जो लाभदायक तत्व होते है उनका प्रभाव प्याज को पकाने के बाद समाप्तप्रायः हो जाते हैं। 

    न्यूट्रीशनिश्ट मानते हैं कि आँतों की अच्छी सेहत के लिए प्रोबायोटिक का होना आवश्यक है जबकि प्रोबायोटिक के पाचन के लिए प्रीबायोटिक आवश्यक होते हैं और प्याज तथा लहसुन प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करते हैं जिसके कारण प्याज तथा लहसुन की अहमियत और अधिक बढ़ जाती है। इसके साथ ही प्याज में क्रोमियम भी उपलब्ध होता है, जो मानव के ब्लड शुगर को नियिन्त्रत कर डायबिटीज जैसे असाध्य रोग से बचाव करता है। प्याज में उपलब्ध बायेटिन मानव की त्वचा, बाल, लीवर तथा नर्वस सिस्टम आदि के लिए आवश्यक होता है इसके साथ ही बायोटिन आँखों के लिए भी एक आवश्यक तत्व होता है। प्याज के उपरोक्त लाभों को देखते हुए हमें अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे प्याज का सेवन करना चाहिए और कच्चे प्याज का सेवन करने के लिए प्याज को काटने के तुरन्त बाद ही खा लेना चाहिए, क्योंकि कटे हुए प्याज को को कटने के जितनी देर बाद भी खाते हैं उसका प्रभाव उतना ही कम होता जाता है और एक समय ऐसा भी आता है कि जब प्याज के तमाम गुण नष्ट हो जाते हैं।         
लेखकः सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।