भारत की शान है विश्व प्रसिद्व रसभरी सेव

                                                                  भारत की शान है विश्व प्रसिद्व रसभरी सेव

                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

                                                        

यह Shopian (Jammu & Kashmir India) का विश्व प्रसिद्ध रसभरी सेव है। इसका विश्व में एक विशेष स्थान और पहचान है। मुंह में काटते ही रस छिटक जाते हैं। स्वाद ऐसा की खाने की इच्छा करें, मन ललचाए लेकिन एक-दो सेव खाने के बाद पेट भर जाए और आनंद नहीं बल्कि परमानंद की प्राप्ति हो मन तृप्त हो जाए। विशेष प्रकार की राष्ट्रीय संस्था Meri Aawaz Suno यहां के सैकड़ों किसानों से जुड़ी हुई है । उसमें से एक किसान सज्जाद के बहुत बड़े खेत के पेड़ का यह फल है।

.नई वृक्षों को लगाएं तथा पुराने वृक्षों को कुल्हाड़ी से बचाएं

                                                                         

 

वनों और वृक्षों के महत्व से सभी परिचित हैं, वनों की सुरक्षा एक तरह से हम सभी की सुरक्षा है। यही वजह है कि वन क्षेत्र बढ़ाने के साथ पौधारोपण के अभियान भी चलते रहते हैं। इसी क्रम में देश में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक वन महोत्सव सप्ताह मनाया गया, मानसून की दस्तक के साथ ही यह सप्ताह हर वर्ष मनाया जाता है।

इसका एक उद्देश्य वन की सुरक्षा और वनों की कटाई से जीव-जंतुओं पर जो प्रभाव पड़ता है उसके प्रति जागरूकता फैलाना भी है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया के वनों पर कुल्हाड़ी चल रही है। असल में यह कुल्हाड़ी वनों पर नहीं बल्कि हमारे जीवन पर भी चल रही है क्योंकि वनों को काटने से जानलेवा वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है।

                                                        

वायु प्रदूषण मानव के लिए ही नहीं बल्कि सभी जीवो के लिए हानिकारक है। इसलिए हम सभी लोगों को चाहिए कि हम वृक्ष कटने से रोके और नए से नए वृक्ष को लगाकर अपने जीवन को सुरक्षित करें

भारत में बहुत पहले से ही सरकारों, सामाजिक संस्थाओं और पर्यावरण प्रेमियों ने वनों और वृक्षों को बचाने के प्रयास आरंभ कर दिए थे। जहां एक तरफ 1950 में वनों को बचाने के लिए वन महोत्सव की शुरुआत की गई वहीं दूसरी तरफ 1970 के दशक में जब देश में वन संपदा का अपार भंडार होता था तब भी पर्यावरण की चिंता करते हुए गढ़वाल के लोगों ने बच्चों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन आरंभ कर दिया था।

वृक्ष है तो हम हैं वृक्ष हमें जीवन ऑक्सीजन देते हैं साथ ही फल भी देते हैं। लेकिन बहुत अफसोस है कि हम मनुष्य अपेक्षा कर रहे हैं यदि सरकारी अभियान के तहत लगाए गए पौधों की सुरक्षा हो और वह पेड़ बन जाए। तब भी हरियाली का क्षेत्र बढ़ सकता है लेकिन दुर्भाग्य से वन महोत्सव हो चाहे कोई दूसरा आयोजन खानापूर्ति ही साबित होते हैं। इस तरह तो हरियाली नहीं बढ़ सकती। वनों के संरक्षण के साथ वन क्षेत्र बढ़ाने और आबादी क्षेत्र में भी हरियाली बढ़ाने के लिए पौधारोपण के साथ पेड़ बनने तक पौधों की देखभाल करने पर भी ध्यान देना होगा।

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया की सोसाइटी ऑफ ग्रीन बोर्ड फॉर सस्टेनेबल एनवायरमेंट के माध्यम से उनका प्रयास है कि गांव में जाकर किसानों को अधिक से अधिक समझाने का प्रयास और उनको प्रशिक्षण देकर फलदार वृक्षों को लगाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे किसान फलदार वृक्षों को लगाकर अपने आय को तो बड़ा ही सकें साथ ही वायु प्रदूषण को रोकने में भी अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं ।

उन्होंने बताया कि गांव मैं जाकर किसानों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वह अपने घर के आस-पास और खेत खलियान में जहां भी उचित समझे वहां पर कम से कम 12 फलदार वृक्षों के पौधे लगाकर अपने आय में बढ़ोतरी करें।