भाई-चारा शक्ति के बिना असंभव Publish Date : 20/01/2025
भाई-चारा शक्ति के बिना असंभव
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जब हम हिंदू समाज के शक्तिशाली होने की बात करते हैं तब कुछ लोग कहते हैं की यह विद्वेष फैलाने की बात है, तथा भाईचारे का ज्ञान देते हैं परंतु हमें यह समझना होगा कि भाईचारा का अर्थ क्या है? जब भारत विश्व की बड़ी आर्थिक शक्ति हुआ करता था तब विश्व के अनेक देशों के लोग भारत में व्यापार के मार्ग से आए और लूट पाट की। जब भारत मुगल आक्रांताओं के घोड़े की टॉपों से रौंदा जा रहा था, अंग्रेजों द्वारा पराधीन हो गया अर्थात कमजोर हो गया तब कोई भाईचारे का संदेश लेकर नहीं आया। आज जैसे-जैसे भारत शक्तिशाली हो रहा है।
विश्व की अनेक शक्तियां भारत के साथ संबंध जोड़ने को आतुर दिख रही है। अपने निजी जीवन में भी यह दिखाई देता है कि जब आप किसी भी रूप से शक्तिशाली होते हैं तब आपके बहुत रिश्तेदार निकल आते हैं अर्थात वह आपके साथ भाईचारा स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन जैसे ही आप कमजोर होते हैं अर्थात आप पर कोई संकट आता है, तब कोई भी आपसे भाईचारा स्थापित नहीं करना चाहता। हिंदू समाज अपने संगठन से ही शक्तिशाली होगा। हिंदू समाज की शक्ति हिंदू में ही है, जैसे-जैसे यह शक्ति बढ़ेगी वैसे ही जो स्वयं को हिंदू नहीं कहते वह भी भाईचारे की बात करेंगे और केवल बात ही नहीं करेंगे बल्कि अपेक्षित व्यवहार भी करेंगे, परंतु यह ध्यान रहे वह व्यवहार आपकी अपेक्षाओं के अनुरूप तब तक रहेगा जब तक आप शक्तिशाली बने रहेंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।