छोटे किसानों के लिए लाभकारी समन्वित कृषि प्रणाली Publish Date : 17/01/2025
छोटे किसानों के लिए लाभकारी समन्वित कृषि प्रणाली
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
“भाकृअनुप”- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के द्वारा, विशेषतः उत्तर भारतीय परिस्थितियों के छोटे किसानों के 1.0 हैक्टर सिंचित क्षेत्र के लिए एक समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल विकसित किया गया है। इस मॉडल में फसल उत्पादन, बागवानी, कृषि-वानिकी, पशुपालन, (दुग्ध उत्पादन, मुर्गीपालन, बत्तख पालन), मधु-मक्खी पालन, मत्स्य-पालन एवं मशरूम उत्पादन इत्यादि घटक/उद्यम शामिल हैं।
समन्वित कृषि प्रणाली के घटक/उद्यम फसलोत्पादन समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत 1 हैक्टर क्षेत्रफल के 0.7 हैक्टर क्षेत्र में बेबीकॉर्न-बरसीम-बेबीकॉर्न, मक्का-सरसों-सूरजमुखी, मक्का-सब्जी, मटर-भिंडी, मल्टी कट ज्वार-आलू-प्याज, मक्का-गेहूं-लोबिया, धान-गेहूं-लोबिया, लौकी-गेंदा-मल्टीकट ज्वार, अरहर/मूंग-गेहूं-बेबीकॉर्न एवं बैंगन-रैटुन बैंगन-लोबिया (दोहरा उद्देश्य) इत्यादि फसल पद्वति को अपनाया जा सकता है।
बागवानी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा अनुमोदित बागवानी की नई तकनीकी एवं उन्नत प्रजातियों जैसे- आम (पूसा दीप शिखा, पूसा मनोहारी, पूसा श्रेष्ठ, पूसा प्रतिभा, पूसा लालिमा, पूसा पीताम्बर, पूसा अरुणिमा, पूसा सूर्या, आम्रपाली, दशहरी, लंगड़ा, अरुणिका, अम्बिका, गौरव, राजीव, सौरव, रामकेला और रत्ना आदि), अमरूद (इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ-49, ललित, श्वेता, अर्का मृदुला, अर्का अमूल्या, अर्का किरण, हिसार सुर्खा, हिसार सफेदा, चित्तीदार, रेड फ्रलेस्ड, नासिक धारदार आदि), किन्नु (पीएयू किन्नू-1, डेजी) अनार (भगवा, कंधारी लाल, गणेश, ज्योति, मृदुला, अरक्ता, रूबी, जालौर सीडलैस और जोधपुर रेड आदि), फालसा (शरबती, लंबा फालसा और बौना फालसा), आंवला (बनारसी, प्रफान्सिस, चकइया, नरेन्द्र आंवला-5, नरेन्द्र आंवला-6, नरेन्द्र आंवला-7, नरेन्द्र आंवला-9, नरेन्द्र आंवला-10 और कंचन), केला (पूवन, चम्पा, अमृत सागर, बसराई ड्वापर्फ, सफेद बेलची, लाल बेलची, हरी छाल, मालभोग, मोहनभोग, रोबस्टा और शाकभाजी के लिए मंथन, हजारा, अमृतमान, चम्पा, काबुली, बम्बई) आदि प्रमुख हैं।
गहन खेती के कारण होने वाले पर्यावरणीय दुष्परिणाम, लागत अधिक होने से किसानों की शद्व आय में कमी और मृदा स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव के बारे में बढ़ती जागरूकता की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप वर्ष 1970 के दशक के अंत में समन्वित कृषि के विकास की उत्पत्ति हुई थी। यह प्रणाली एकीकृत कीट प्रबंधन की अवधारणा से प्रेरित थी। एकीकृत कृषि को वर्तमान में एक समग्र व जैविक रूप से समन्वित प्रणाली के रूप में परिभाषित किया गया है, जो ऑफ-फार्म इनपुट के अधिकतम प्रतिस्थापन और कृषि आय को बनाए रखने के लिए कृषि गतिविधियों में प्राकृतिक संसाधनों को एकीकृत करती है।
इसका उद्देश्य कृषि उत्पादन के नकारात्मक प्रभावों को कम करते हुए उसके सकारात्मक प्रभावों को सुदृढ़ करना, अर्थात कृषि संबंधी संतुलन प्राप्त करना है। इससे कृषि के क्षेत्र में परिवार के लिये संतुलित पौष्टिक आहार जुटाने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, पूरे वर्ष आमदनी व रोजगार का इंतजाम करने तथा मौसम और बाजार संबंधी जोखिम कम करने में भी मदद मिलती है।
समन्वित कृषि प्रणाली के घटक/उद्यम कम लागत में भरपूर उपज
मधुमक्खी पालनः मधुमक्खी से शहद एवं मोम के अतिरिक्त अन्य उत्पाद, जैसे- गोंद, प्रोपोलिस, रॉयल जेली और डंक-विष आदि भी प्राप्त होते हैं। मधुमक्खी पालन हेतु विदेशी मधुमक्खी, जैसे-ऐपिस मेलीपफेरा, ऐपिस इंडिका, ऐपिस फ्रलेरिया और ऐपिस डोरसाला को प्रति हैक्टर भूमि में 4 बॉक्स की दर से रखें। एक बॉक्स की कीमत लगभग 5000 रुपये होती है। इसमें 10 फ्रेम होते हैं और एक फ्रेम में 250 से 300 मधुमक्खियों को रखा जा सकता है, ताकि लगभग 200 ग्राम शहद प्राप्त की जा सके। इस प्रकार एक बार में एक बॉक्स से 2 कि.ग्रा. तक शहद प्राप्त होता है, जो लगभग 10-15 दिनों में एक बार शहद निकलने लायक तैयार हो जाता है।
इस प्रकार एक महीने में दो चक्र की दर से 4 कि.ग्रा. तक शहद प्राप्त किया जा सकता है। किसानों को सावधानी के तौर पर बॉक्स व उसके आसपास साफ-सफाई सुनिश्चित करनी चाहिए। हरी छाल, मुठिया, कैम्पियरगंज तथा रामकेला, कटहल (एनजे-1, एनजे-2, एनजे-3, एनजे-15, स्वर्ण मनोहर, स्वर्ण पूर्ति, रसदार, खजवा, सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी), नीबू (पूसा उदित, पूसा अभिनव, कागजी प्रामलिनी, विक्रम, चक्रधर, पीकेएम 1, चयन 49, सीडलेस लाइम, ताहिती स्वीट लाइमः मिथाचिक्रा, मिथोत्रा लिंबाः यूरेका, लिस्बन, विलाफ्रांका, लखनऊ सीडलेस), करौंदा (कैरिसा कैरांडास, कैरिसा ग्रैंडीफ्रलोरा, कैरिसा बाइस्पिनोसा, कैरिसा इडयूलिस, कैरिसा ओवेटा, कैरिसा स्पाईनेरम, कैरिसा पॉसिनेरिया, कैरिसा सुआविसिमा, पंत मनोहर, पंत सुदर्शन, पंत सुवर्णा, सीआईएसएच करौंदा 11) आदि को किसान समन्वित कृषि प्रणाली में आसानी से सम्मिलित किया जा सकता है।
पशुधन उत्पादनः एक हैक्टर क्षेत्र पर किसान अच्छी दुधारू वाली नस्ल की कम से कम 3 गाय (साहीवाल, गिर, देओनी आदि) या भैंस (मुर्रा, भदावरी आदि) का पालन कर सकते हैं। इससे किसान ज्यादा मात्रा में दूध या दूध के अन्य उत्पाद तैयार कर उससे अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
बत्तख पालन और मत्स्य पालन के साथ-साथ उसी तालाब में बत्तख की खाकी कैंपबेल, इंडियन रनर, व्हाइट पेकिंग, मुस्कोवी आदि प्रजातियों का भी पालन कर सकते हैं। जब यह पानी में रहती हैं, तब पानी में नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति होती रहती है एवं बत्तख के मलमूत्र से फाइटोप्लांकटन एवं जूप्लांकटन का निर्माण होता रहता है, जो मछलियों के आहार के रूप में काम आता है साथ ही यह मछली पालन की लागत को भी कम करता है।
मत्स्य पालन मधुर जल में मछलीपालन के लिए ऊपरी सतह फीडर सिल्वर कॉर्प या कतला (40 प्रतिशत), मध्य सतह पर फीडर रोहू या ग्रॉस कॉर्प (30 प्रतिशत) व कॉमन कॉर्प या मृगल तलीय फीडर (30 प्रतिशत), के रूप में संचय किया जा सकता है। ऐसे छोटे विभिन्न कृषि घटकों का क्षेत्र वितरण प्रतिशत के हिसाब से पालन कर सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।