अब लाल नहीं, काला टमाटर खाइए! सस्ता भी मिलेगा!

                                                              अब लाल नहीं, काला टमाटर खाइए! सस्ता भी मिलेगा!

आपने काले टमाटर, जिसे अंग्रेजी में इसे इंडिगो रोज़ टोमेटो कहते है, के बारे में शायद ही कभी सुना होगा। पिछले दो सालों से भारत में इसकी खेती भी शुरू कर दी गई है। काला टमाटर ब्रिटेन के रास्ते भारत पहुंचा इस टमाटर की खेती कमोबेश लाल टमाटर की तरह से ही की जाती है। काला टमाटर सिर्फ अपने रंग के लिए ही विख्यात नहीं है बल्कि इसमें मौजूद गुणकारी तत्व भी कमाल के है।

                                                              

काले टमाटर को सबसे पहले ब्रिटेन में उगाया गया। पहली बार इस टमाटर को उगाने का श्रेय रे ब्राउन को जाता है। इस टमाटर को जेनेटिक म्यूटेशन के द्वारा बनाया गया है। खुशखबरी तो ये है कि अब यह काला टमाटर भारत में भी पदार्पण कर चुका है, यानि इसकी खेती अब भारत में भी संभव है क्योंकि इसके बीज ऑनलाइन खरीददारी करके मंगाए जा सकते हैं। अंग्रेजी में इसे इंडिगो रोज़ टोमेटो कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे इंडिगो रोज़ टोमेटो कहा जाता है। काले टमाटर के बीज के एक पैकेट की कीमत 110 रुपए है, जिसमें 130 बीज होते हैं।

इतने रंग बदलता है ये खास टमाटर! 

                                                                

यह टमाटर आम टमाटर की तरह से ही उगया जाता है। सबसे पहले यह हरे रंग का होता है, उसके बाद लाल और फिर इसका रंग नीला होते-होते काला हो जाता है। जो कि काला टमाटर कहलाता है। जब आप इसे काटेगे तो इसका गूदा लाल टमाटर की तरह की लाल होता है। बस फर्क यह है कि इसमें पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाएं जाते है।

काले टमाटर से प्राप्त लाभ

                                        

शुगर: यदि आप शुगर से लड़कर थक चुके हैं तो काला टमाटर आपके लिए रामबाण औषधि भी साबित हो सकता है। काला टमाटर आपका शुगर जल्दी ही ठीक कर देता है।

कैंसर: दरअसल, काले टमाटर में फ्री रेडिकल्स से लड़ने की क्षमता होती है। फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर के बहुत ज्यादा सक्रिय सेल्स होते हैं, जो कि हमारे शरीर के स्वस्थ सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, और अपने इसी गुण के कारण यह काला टमाटर कैंसर से लड़ने में भी सक्षम है।

                                                         वर्षा जल-संचयन

                                                    

   मानसून सम्पूर्ण भारत को कवर कर चुका है, ऐसे में उत्तराखण्ड़ राज्य सरकार के द्वारा वर्षा की बून्दों को सहेजने अर्थात वर्षा जल संचयन अभियान आरम्भ किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आरम्भ किए गए ‘‘कैच द रेन’’ अभियान के तहत राज्य में सफल एवं सुव्यवस्थित क्रियान्वयन करने के लिए शासन के द्वारा इससे सम्बन्धित आठ विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

सम्बन्धित विभागों से कहा गया है कि वे आगामी 15 दिनों के अन्दर यह जानकारी उपलब्ध कराएं कि वर्षााकाल के तीन महीनों के दौरान उनके द्वारा वर्षा जल के संचयन का कितना लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    इस सब में सबसे अधिक महत्वपूर्ण तो यह है कि सम्बन्धित विभागों को वर्षा के इन तीन महीनों के साथ ही आगमी तीन से पाँच वर्षों की कार्य योजना को तैयार करने के लिए अभी से निर्देशित किया जा चुका है।

यदि हम आँकड़ों की बात करे तो उत्तराखण्ड़ में प्रतिवर्ष औसतन 1521 मिलीमीटर वर्षा होती है, जिसमें से 1229 मिलीमीटर वर्षा केवल वर्षाकाल (मानसून) के दौरान ही होती है, और उचित कार्ययोजना के अभाव में प्रतिवर्ष इतनी बड़ी मात्रा में यह वर्षा जल ऐसे ही बह जाता है।

                                                            

    इस प्रकार यदि वर्षा जल के संचयन हेतु पूरे प्रयास किए जाए तो इस जल से खेतों को पुनर्जीवन दिया जा सकता है। इसलिए शासन के इस अभियान के अन्तर्गत पहले से ही बनाई जा चुकी जल संचयन की संरचनाओं का पुनरोद्वार करने का निर्णय भी लिया गया है, और इसी कड़ी में विभिन्न विभाग वर्षा जल संरक्षण के अन्तर्गत आने वाले पौधों का रोपण किया जाना भी शामिल है।

                                                             

    इसके साथ ही सिंचाई विभाग को नदियों में विभिन्न स्थानों पर 10 छोटे-छोटे बाँधों को बनाने के लिए भी निर्देशित किया गया है,जिनके माध्यम से वर्षा जल का संचयन किया जायेगा। हालांकि, ऐसा नही है कि इससे पूर्व वर्षा जल के सचंयन के लिएप्रयास न किए गए हों, लेकिन उस समय विभागों के आपसी तालमेल के कारण बहुत अधिक सफल नही हो पाए थे। इसी से सबक लेते हुए सभी विभागों को वर्षा जल संचयन पर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।