पांव उतने ही फैलाए जितनी लंबी चादर हो

                                                         पांव उतने ही फैलाए जितनी लंबी चादर हो

           बुजुर्गों द्वारा कहे जाने वाले यह शब्द काफी दूर तक जाते थे और लोगों को समझाया जाता था कि वह फिजूलखर्ची आदत में ना पड़े। प्रायः देखा गया है कि लोग जब मार्केट में जाते हैं तो उनको शॉपिंग में जो खुशी मिलती है वह तो अच्छी है। परन्तु कई बार उन्हें इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है।

शॉपिंग करना कोई बुरी चीज नहीं है अपतिु बुरा तो वह है जब हम जरूरत और विलासिता में अन्तर करना भूल जाते हैं। बाजार पहुंचते ही ज्यादातर महिलाएं कुछ ऐसे सामान खरीद लेती हैं, जिनकी उनको बहुत अधिक जरूरत नहीं होती है, इसलिए जरूरी है कि आप बचत के मूल्य को समझें आज ही कुछ ऐसे उपाय तलाशे जिनकी मदद से फिजूलखर्ची पर लगाम लगा सके और अपने घर में खुशहाली ला सकें।

सबसे पहले बजट

यह भले सिरदर्दी करें! मगर यह बचत का शानदार तरीका है, सैलरी के हाथ में आने के बाद उसे खर्च कर लेना और उसके बाद जो कुछ पैसे बचे हैं उनको बचत समझने का यह सही तरीका नहीं है।

अच्छा तो यह होगा कि घर के लिए जरूरी सामानों और राशन आदि के लिए आपको कितना खर्च करना है, उनको अलग कर लें इसके बाद आपके पास जो पैसे बचे वह आपकी बचत है।

साथ ही कुछ ऐसे अतिरिक्त खर्च के लिए भी निकाल कर अलग रख लें जिसे आप इमरजेंसी में खर्च कर सकें।  इन सभी का विवरण देखकर पता चलेगा कि आपने बेवजह किस जगह खर्च किया है आपको इन्हीं बेवजह के खर्चों पर लगाम लगाने की जरूरत होती है।

पॉकेट भी हो सेहत मंद

एक पुरानी कहावत है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है और यदि आप अपनी जीवनशैली सही रखते हैं तो आपको अतिरिक्त खर्च जैसी बीमारी आदि के लिए बार-बार चिकित्सक के पास जाना, जांच एवं दवा आदि के खर्चे से बचना आपके लिए आसान हो जाएगा।

यह ऐसे खर्चे हैं, जो बजट का एक बड़ा हिस्सा ले लेते हैं, इसलिए दवाओं आदि पर खर्च करने के बजाय अपनी दिनचर्या एवं अच्छे खान-पान पर खर्च करें, इससे आपकों दोहरा लाभ मिलेगा, आप स्वस्थ भी रहेंगे और आपका पैसा भी बचेगा।

क्या है जरूरी और क्या गैर-जरूरी इस पर ध्यान दें

फालतू के खर्च पर रोक लगाने के लिए यह बेहद अहम होता है बहुत सी महिलाएं बस यही जानकर अपने ढेर सारे पैसे बचा लेती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं बाजार में जो मन में आया उसे फौरन खरीद लेती है और बाद में वही उनको अफसोस दे जाता है कि आखिर क्यों उस पर उन्होनें धन खर्च किया। इसलिए हमेशा जरूरी और गैस जरूरी सामानों को ध्यान में रखें और उसके बाद ही खरीद-फरोख्त करने की आदत डालें।

डिस्काउंट से दोस्ती कब करें और कब नही

इन दिनों बाजार में इसका खासा चलन है, अधिकतर महिलाएं खरीददारी करने के लिए वहां जाती हैं जहां थोड़ा डिस्काउंट मिले। यह महिलाएं वहां जाती हैं तो खेल-खेल में बहुत सी गैर-जरूरी चीजों को खरीद लेती हैं। हालांकि इसके लिए भी सूझबूझ और थोड़े शोध की जरूरत होती है, लिहाजा कोशिश करें कि ऐसी जगह को चुने जहां चीजें भी अच्छी मिल जाएं और विकल्प के साथ डिस्काउंट भी।

मसलन बाहर खाने की बात को ले तो कुछ लोग महंगे रेस्तरां जाते हैं जबकि कुछ फूड स्टॉल उसी खाने को बड़े डिस्काउंट देते है। ऑनलाइन शॉपिंग में आप ऐसे विकल्पों पर ही फोकस कर सकती है।

क्रेडिट कार्ड से खरीदारी

यदि आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करती हैं तो यह आपको भारी खर्चे की आदत भी डाल सकता है। आप इसका चुनाव खुद कर सकती हैं कि कहां खर्च जरूरी है। इसमें सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि इसमें आपको हर माह ईएमआई के रूप में रकम चुकानी होती है और कुछ बड़े या महंगे खर्च हो गए तो यह मुसीबत बनकर आपके सामने होती है। इसलिए जरूरी है कि आपको क्रेडिट कार्ड का उपयोग बहुत सोच समझ ही करना चाहिए।

अच्छे कार्य की शुरुआत आज से ही करें

ज्यादातर महिलाएं सोचती हैं कि जब ढेर सारा पैसा होगा, तब बचत भी कर लेंगे, अभी तो कुछ खरीद-फरोख्त कर लेते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, आप अपने खर्च को कम करने के लिए सही समय पर सही कदम उठाना आज से ही शुरू कर दें। क्योंकि खर्चे जैसे-जैसे बढ़ते जाते हैं फिर बचत करना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए बचत शुरू करने का दिन न तलाशे और अपनी फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने की दिशा में आज ही काम शुरू कर दें। फिर भले ही क्यों ना आप अपनी सेलरी के छोटे हिस्से से ही बचत करना शुरू कर दें। याद रहे धीरे-धीरे की गई यह छोटी-छोटी बचत ही एक दिन बड़ी बन जाती है जो भविष्य में किसी बड़े काम को करने के काम आती है।

 

                                               स्वाद को प्राथमिकता अवश्य दें, पर एक लिमिट में ही

स्वाद किस दौर में पसंद नहीं किया गया, लेकिन इसका मतलब यह कभी नहीं रहा कि जिस स्वाद से आपकी सेहत प्रभावित होती है, उसको तरजीह दी जाए।

वैसे देखा जाए तो स्वाद और स्वस्थ्य की जुगलबंदी हमेशा से ही रही है और तभी तो घर के बने व्यंजन, अचार और मसाले आदि सब कुछ हमारी फिटनेस के लिए हेल्थ कैप्सूल की तरह से काम करते रहे हैं। लेकिन बीते कुछ सालों से जुबान पर स्वाद का रंग कुछ ऐसा चढ़ा है कि हम लोग जिनमें खासकर महिलाएं, अपनी सेहत की कीमत पर भी स्वाद को ही महत्व दे रही हैं।

आज हालत यह है कि फास्ट फूड किशोर उम्र में ही लड़के-लड़कियों को मोटापा दे रहा है तो कहीं महिलाएं सोशल स्टेटस के चक्कर में डिब्बाबंद चीजों का इस्तेमाल कर रही है। इसमें दो राय नहीं है कि स्वाद ही किसी भोजन को खाने के लिए मजबूर करता है, लेकिन यह भी सच है कि जब रसोई आपके हाथों में है तो आप खुद ही पौष्टिक भोजन को स्वादिष्ट बना सकती हैं। हां इसके लिए आपको सोशल स्टेटस की भावना से बाहर निकलना होगा।

इससे आप के बढ़ते बच्चे को भी अपनी फिटनेस के लिए आर्टिफिशियल सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं पड़ेगी आखिर आप को ही यह समझना होगा कि सही फिटनेस के लिए आपके शरीर और बच्चे के शरीर को और पूरे परिवार को किस तरह के भोजन की जरूरत है।

यहां ध्यान देने की बात है कि बीते कुछ सालों में युवाओं का फिटनेस के प्रति लगाव बढ़ा है, हालांकि यह सही भी है और गलत भी है। इसलिए यह सही तो आपकी सेहत के लिए जरूरी भी है और गलत इसलिए है कि कुछ युवा अपने जीने के आधुनिक अंदाज का दिखावा करने लगे हैं।

जल्द से जल्द खुद को फिट दिखाने और बॉडी बनाने के लिए ब्रांडेड प्रोटीन पाउडर और कैप्सूल आदि का उपयोग कर रहे हैं, जबकि जानकार कहते हैं इनसे बचना बेहद जरूरी है।

यह सेहत पर बुरा असर डालते हैं, बेहतर है कि नेचुरल प्रोटीन और कार्बाेहाइड्रेट ले और ज्यादा फैट वाली सामग्री से बचकर रहें। सेहत के जानकार पौष्टिक भोजन में दाल, सब्जियां और फल आदि खाने की सलाह देते हैं।

सैकड़ों सालों की सभ्यता और संस्कृति के इस दौर में भोजन का मतलब सिर्फ हमारे शरीर को पोषण देने भर का ही नहीं रहा बल्कि यह दिन से लेकर रात तक हमारे जीवन से जुड़ा है। इतना ही नहीं खाना बनाने के पारंपरिक तरीकों के पीछे भी सालों का ज्ञान विज्ञान छुपा हुआ है।

क्षेत्र के मौसम और संस्कृति के अनुकूल खानपान के तरीकों के पीछे हमारे पूर्वजों का सदियों का ज्ञान और गहन अध्ययन रहा है। लेकिन आधुनिकता के इस दौर में खाने का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है और पाश्चात्य संस्कृति का असर हमारे खाने के साथ-साथ हमारी दिनचर्या पर भी अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।

लाइफस्टाइल के नाम पर हम अपनी सेहत से खिलवाड़ करने के लिए भी उतावले रहते हैं और इसका परिणाम भी गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आने लगा है। हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियां आज आम हो चली है। विश्व के सबसे युवा देश में आज युवक युवतियां गंभीर बीमारियों की मार से परेशान है।

हाईटेक जीवन शैली ने उनके लिए सब कुछ बदल कर रख दिया है, अब महिलाओं के लिए भी यह सबसे अधिक जरूरी हो गया है कि नया फैशन और नया सॉन्ग। साधारण जीवन जीना तो मानो अब की पीढ़ी भूल ही गई है लड़कियों और महिलाओं के लिए भी घर के स्वस्थ खाने से, कहीं ज्यादा जरूरी अब नया स्वाद हो गया है।

सालों तक जिन मसालों की दुनिया दीवानी रही है, आज वही मसाले वाला खाना ‘टू मच स्पाइसी’ हो गया है। मूंगफली और घी भी अब पीनट बटर हो गया है। डिब्बाबंद चीजें सोशल स्टेटस का पर्याय बन चुकी है। शरीर को फिट रखने के लिए सही और पौष्टिक भोजन मिलना जरूरी है, क्योंकि सही खान-पान से ही फिट रहा जा सकता है और इसी से वेट मैनेजमेंट भी होता है, साथ ही वर्कआउट करने पर कैलोरी बर्न होती है।

यहां तक पौष्टिक आहार की बात है तो गेहूं, जौ और राई में गुलेटिन अनसैचुरेटेड प्रोटीन के रूप में मौजूद होता है यही गुलूटेन भूख बढ़ाता है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि लेबल लगा हुआ है तो यह डाइट किसी भी दृष्टि से सेहत के लिए फायदेमंद नहीं है, इसमें नेचुरल फ्रुक्टोज और शुक्रोज उसकी तुलना में 100 प्रतिशत ज्यादा मीठापन होता है।

जो लोग यह सोचकर डाइट लेते हैं कि वह सेहतंद है तो यह जान लीजिए कि शुगर शरीर को इंसुलिन के अधिक उत्पादन के लिए उकसाता है।

खानपान को स्वादिष्ट बनाए रखना तो अपने नियमित भोजन में कम तेल, मसालों से बने खाने को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन आजकल तो डाइट फूड का बड़ा कारोबार खड़ा हो चुका है।

प्रोसेस्ड और डिब्बा बंद खाने से बाजार भरा पड़ा है। इस प्रकार का खाना शरीर के साथ सेहत के लिए भी हानिकारक ही होता है। शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान फ्राइड फूड पहुंचाते हैं, इनका सेवन करने से अधिक फैट शरीर में जाता है।

एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के अध्ययन से पता चलता है कि भोजन को अत्यधिक तापमान पर देर तक रखने से कैंसर का जोखिम बना रहता है। इससे संबंधित दूसरी समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं। शुगर सिरप और शुगर मेपल जैसी सामग्री हमारे शरीर के सिस्टम को नुकसान पहुंचाती है।

आजकल प्रोसेस जूस पीने का चलन है, जबकि इसमें मौजूद शुगर सिरप मोटापे की सबसे बड़ी वजह होती है। अतः शरीर को फिट रखने के लिए सबसे जरूरी है कि अल्कोहल का सेवन न किया जाए, क्योंकि इसकी ज्यादा मात्रा दिल, फेफड़े और किडनी की समस्या खड़ी करती है।

राइटिंग अल्कोहल के सेवन से अधिक पास होती है जिससे एडिशन की स्थिति बनती है, जबकि इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से चेहरे पर सूजन भी आ सकती है। अतः आप अपनी डाइट को कंट्रोल करें, जिसका लाभ आपको मिलेगा।