पथरी का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक दवाईयाँ

                                                      पथरी का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक दवाईयाँ

                                                                                                                        डा0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 विजय शर्मा एवं मुकेश शर्मा

                                                    

    गुर्दे की पथरी का बेहतरीन उपचार होम्योपैथी में उपलब्ध है। होम्योपैथिक दवाईयाँ बिना किसी साईड इफ्ेक्ट के गुर्दे की पथरी को घोल देती हैं। साथ ही पथरी के रोग में होम्योपैथिक दवाईयों का सेवन करने से आपको कुछ अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं-

1.   होम्यौपैथिक दवाईयों का सेवन करने से पथरी का आकार कम हो जाता है और पथरी छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटकर शरीर से बाहर निकल जाती है।

2.   यदि पथरी के उपचार के लिए होम्योपैथिक दवाईयों का सेवन किया जाए तो भविष्य में दोबारा पथरी होने की सम्भावनाएँ का काफी कम हो जाती हैं।

होम्यापैथी के चिकित्सक इस रोग का उपचार करने से पूर्व रोगी से कुछ सवाल पूछते हैं जिनमें से प्रमुख है कि रोगी को अपने अन्दर किस प्रकार के लक्षण नजर आते हैं और रोगी के परिवार में कौन-कौन सी बीमारियाँ कॉमन रूप से उपस्थित हैं।

    इस प्रकार के सवालों के बाद रोगी का उपचार करना सुगम हो जाता है। अतः यह सवाल जो कि चिकित्सक के द्वारा पूछे जाते हैं यह सवाल रोगी के उपचार के लिए आवश्यक होते हैं। होम्योपैथिक दवाओं के सेवन के तुरन्त बाद पथरी के दर्द से राहत मिल जाती है। एक से तीन महीनें के अन्दर पथरी पूरी तरह से गायब हो जाती है।

असल में होम्योपैथिक दवाईयाँ हमारे शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम के साथ कार्य करती हैं और इनका कोई साईड इफ्ेक्ट भी नही होता है। इन दवाईयों की बहुत ही कम मात्रा रोगी को सेवन करने के लिए दी जाने के कारण इनकी आदत पड़नें की सम्भावना प्रायः न के बराबर ही होती है। इस प्रकार यदि पथरी से सम्बन्धित परेशानी अधिक जटिल नही है और ऑपरेशन की आवश्यकता नही है तो पथरी का उपचार होम्योपैथिक दवाओं के द्वारा आसानी से किया जा सकता है।

गुर्दे की के उपचार के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाईयों का विवरण-

                                                            

  • बेलाडोना (Belladonna)
  • आर्जेण्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)
  • बर्बेरिस वल्गेरिस (Berberis Vulgaris)
  • एसिड बेन्जोईक (Acid Benzoic)
  • कोकस कैक्टि (Coccus Cacti)
  • कैथरिस (Canthris)
  • लाइकोपोडियम क्लैैवाटम (Lycopodium Clavatum)
  • डायोस्कोरिया विलौसा (Dioscorea Villosa)
  • सार्सापाइरिला   (Sarsaparillia)
  • परेरा ब्रावा     (Pareira Brava)
  • थलास्पी बरसा पास्टोरिस (Thlaspi Bursa Pastoris)
  • होम्योपैथिक दवाओं के सेवन साथ अन्य सुझाव।
  • क्या होम्योपैथिक दवाओं के साइड इफ्ेक्ट्स होते हैं।
  • निष्कर्ष

गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए कुछ चयनित होम्योपैथिक दवाईयाँ

बेलाडोना (Belladonna)

सामान्य नामः डेडली नाईटशेड (Deadly Niteshed)

बेलाडोना के लक्षणः

    जब पथरी के लक्षण कम समय के लिए प्रकट होते हैं और इसके साथ निम्न लक्षणों में भी यह दवाई फायदा करती है-

  • रोगी के पेशाब की मात्रा में कमी अथवा रूकावट के हो जाने पर।
  • रोगी को चुभता हुआ दर्द महसूस होता है, दर्द वाले स्थाना का स्पर्श करने पर तेज झनझनाहट का अनुभव होता है तथा खिंचाव के साथ दर्द का अनुभव।
  • रोगी का चेहरा लाल होता है।
  • रोगी की मूत्र की नली (Urine Tube) में दर्द होता है।
  • रोगी को असहनीय दर्द होता है।
  • पेट का तापमान बढ़ जाने पर तथा पेट में जलन होने पर इस दवा का उपयोग लाभकारी होता है।
  • गुर्दे की पथरी के साथ रोगी का प्रोटेस्ट ग्लैण्ड़ (गदूद) के बढ़ जाने पर बेलाडोना का प्रयोग करना चाहिए।

आर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)

सामान्य नामः सिल्वर नाइट्रेट (Silver Nitrate)

आर्जेन्टम नाइट्रिकम के लक्षण-

गुर्दे में अपशिष्ट पदार्थों के जमा होने पर जब दर्द होता है तो इस दवा का उपयोग दर्द की स्थिति में ही किया जाता है। इसके साथ इस दवा में यह लक्षण उपस्थित रहते हैं-

  • रोगी के मूत्रमार्ग में सूजन तथा यूरिन पास करते समय दर्द।
  • रोगी के पेशाब में खून का आना।
  • रोगी के पेशाब के रंग में बदलाव तथा उसकी मात्रा में कमी।
  • रोगी का पेशाब उसकी बिना इच्छा के ही निकल जाता है।
  • गुर्दे का स्पर्श अथवा धक्का लगने से तीव्र दर्द का अनुभव।
  • रोगी के गुर्दे में चोट लगने जैसा दर्द होता है।

बर्बेरिस वल्गेरिस (Berbeis vulgaris)

सामान्य नामः बारबेरी (Barbery)

बर्बेरिस वल्गेरिस के लक्षण-

                                                                    

    यदि किसी रोगी के बायें गुर्दें में पथरी और दर्द की समस्या है तो इसके लिए यह दवा बेहद कारग सिद्व होती है तथा इसका प्रयोग निम्न लक्षणों की उपिस्थिति में भी सफलतापूर्वक किया जाता है-

  • गुर्दे के आस-पास के क्षेत्रों में तीव्र दर्द का अनुभव करना, जिससे कभी-कभी तो माँसपेशियाँ भी सुन्न हो जाती हैं।
  • रोगी को खड़े होकर, उठने, बैठने तथा चलते समय तीव्र दर्द का अनुभव होता है।
  • रोगी के पेशाब की गन्ध में परिवर्तन हो जाता है।
  • रोगी के पेशाब में बलगम के साथ लाल रंग का पदार्थ निकलता है, जो कि खून नही होता है।
  • रोगी को यूरिन को पास आऊट करते समय जलन का अनुभव होता है।
  • गुर्दे में होने वाले दर्द का प्रभाव रोगी के पेट तथा उसकी जाँघों पर भी होता है।

एसिड बेन्जोईक (Acid Benzoic)

एसिड बेन्जोईक के चरित्रगत लक्षण-

    रोगी के पेशाब में तीव्र बदबू आती है और उसके पेशाब का रंग भूरा हो जाता है, ऐसे में इस दवा का प्रयोग किया जाना उचित रहता है। यह दवाई नीचे दिए गए लक्षणों में प्रयोग की जाती है-

  • रोगी के पेशाब में ग्लूकोज, बलगम की उपस्थिति तथा पेशाब के साथ लाल रेत के दाने भी निकलते हैं, और इसके साथ ही रोगी के पेशाब के रंग में भी परिवर्तन आ जाता है।
  • जब रोगी के पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है।
  • पेशाब नही भी करने के दौरान रोगी के मूत्र-मार्ग (Urine ract) में तीव्र दर्द एवं जलन अनुभव होता है।
  • साँस लेने पर या शरीर को झुकानें पर भी रोगी के गुर्दे में दर्द होता है।
  • गुर्दें के आस-पास के क्षेत्रों में दर्द होना जो छाती तक पहुँचता है।

कोकास कैक्टि

सामान्य नामः कोचिनियल (Cochinial)

इस दवाई के लिए लक्षणः

    जब रोगी के पेट, गुर्दे तथा उसके आस-पास दर्द के साथ ऐंठन भी होती है तो दवा बेहतर कार्य करती है और साथ में नीचे दिये गये लक्षणों का होना भी आवश्यक है-   रोगी के पेशाब का रंग अधिक गहरा हो जाता है, तथा उसके पेशाब में लाल रंग के कणों की उपिस्थिति रहती है।

  • गुर्दे से लेकर मूत्राश्य तके तीक्ष्ण दर्द का होना तथा मूत्र मार्ग में खून के थक्कों का जमना।
  • पथरी के साथ ही यूरिक एसिड का बढ़ जाना।
  • रोगी को बार-बार मूत्र त्यागने की इच्छा होती है और त्यागते समय रोगी को दर्द का अनुीाव होता है।                                                                                         

कैथरिस (Canthris)

कैन्थरिस के प्रधान लक्षणः

  • रोगी के गुर्दे में तीक्ष्ण दर्द जो पुरूष रोगी के लिंग तथा रिप्रोडक्टिव ग्लैण्ड (टैस्टिस) तक पहुँचता है।
  • रोगी का पेशाब बूँद-बूँद करके निकलता है या फिर पेशाब के साथ लाल रंग का पदर्थ निकलता है जो रक्त नही होता है।
  • रोगी में पेशाब करने की तीव्र इच्छा बनी रहती है।
  • रोगी को पेशाब करते समय तीव्र दर्द का अनुभव होता है। यह दर्द पेशाब करने से पूर्व तथा पेशाब करने के बाद भी रह सकता है।
  • रोगी के गुर्दे में अचानक दर्द होना और दर्द के दौरान पेशाब करने की इच्छा बलवती होती हैं।

लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)

सामान्य नामः क्लब मॉस (Club Moss)

लाइकोपोडियम क्लैवाटम के लक्षणः

    इस प्रकार के रोगी जो कि बार बार गुर्दें की पथरी हो जाने से परेशान रहते है, उनके लिए यह दवाई वरदान स्वरूप हैं जिसके अन्तर्गत निम्न लक्षण उपस्थित होते हैं-

  • जब रोगी को दांएं गुर्दे में तीक्ष्ण दर्द का अनुभव होता है और इस दर्द का फैलाव मूत्र-मार्ग तक होता है।
  • पेशाब करने के बाद रोगी के प्रोटेस्ट ग्लैण्ड में भी तीव्र दर्द होता है।
  • रोगी का पेशाब गाढ़ा होता है।
  • रोगी को पेशाब के रोकने में दर्द होता है।
  • रोगी का दर्द पेशाब करने के बाद कम हो जाता है।
  • रोगी को पेशाब करते समय जलन अनुभव होती है और उसके मूत्र-मार्ग में रक्त के थक्के बन जाते हैं।
  • पीड़ित व्यक्ति का पेशाब झागदार होता है।
  • रोगी को पेशब करने के बाद दर्द में आराम आता है।
  • रोगी को पेशाब रोकने के उपरंत तेज पसीना आता है।

डायोस्कोरिया विलोसा (Dioscorea Villosa)

सामान्य नामः वाइल्ड यम (Wild Yam)

दवा के लक्षणः

    इस दवा का प्रयोग पथरी के कारण पेट में होने वाले तीव्र दर्द के समय किया जाता हे तथा इसी के साथ ही निम्न लक्षणों में भी इसका प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा सकता है-

  • रोगी की दाहिनी मूत्र-नलिका (Right Urine Tube) में असहनीय दर्द होता है जो कि पुरूषों में उनके लिंग एवं र्स्पेर्मेटिक कॉर्ड तक पहुँच जाता है।
  • पथरी के कारण पीड़ित व्यक्ति के हाथ और पैरों में भी दर्द होता है।
  • आगे अथवा पीठ की ओर झुकने पर दर्द का अनुभव होता है।
  • जो रोगी पथरी से पीड़ित होने के उपरंत भी चाय का अधिक सेवन करते हैं उनके लिए यह दवा रामबाण का कार्य करती है।                                                  

सार्सापेरिला (Sarsaparrila)

सामान्य नामः स्माइलैक्स (Smilax)

दवा के लक्षणः

    पेशाब करते समय तेज दर्द होने पर इस दवा का प्रयोग किया जाता है इसके साथ ही निम्न लक्षणों में भी इस दवा का प्रयोग किया जाता है-

ऽ   रोगी को पेशाब करते समय दर्द का अनुभव होता है और उसके पेशाब का रंग लाल होता है। रोगी जब खड़ा होकर पेशाब करता है तो उससे मवाद आती है।

  • रोगी का पेशाब बूँद-बूँद करके निकलता है।
  • रोगी व्यक्ति के दाहिने गुर्दे का दर्द मूत्राश्य (Right Urinary Bladder) तथा पेशाब-मार्ग (Urinal Tract) तक चला जाता है।
  • पीड़ित व्यक्ति के पेशाब के साथ मिट्टी के रंग के पत्थरों का निकलना।
  • रोगी के गुर्दे से तेज दर्द आरम्भ होकर वह नीचे तक फैल जाता है।

परेरा ब्रावा (Pareira Brava)

समान्य नामः विरजिन वॉईन (Virigine Wine)

दवा के सामान्य लक्षणः

    पथरी के काण पेशाब-मार्ग में उत्पन्न होने वाली समस्याओं में इस दवा का प्रयोग किया जाता है तथा नीचे दिए गए लक्षणें के अर्न्गत भी इस दवा को दिया जा सकता है-

  • एक ऐसी स्थिति जब रोगी को जमीन पर बैठकर सिर झुका कर पेशाब करना पड़ता हो और सिर को भी इतना झुकाना पड़ता है कि वह उसे जमीन से मिला लेता है तब ही पेशाब कर पाता है।
  • गुर्दें के दर्द के साथ ही रोगी के गदूद यानी कि प्रोटेस्ट गलैण्ड में भी दर्द होता है।
  • रोगी में पेशाब करने की तीव्र इच्छा होने के उपरंात भी वह पेशाब को बाहर नही निकाल पाता है और ऐसी स्थिति में जोर लगाने पर रोगी के गुर्दें में दर्द हो जाता है।

थलास्पी बरसा पास्टोरिस (Thlaspi Bursa Pastoris)

दवा का सामान्य नामः शेफर्डस पर्स (Shapherd’s Purse)

सामान्यतौर पर दवा के लक्षणः

    बार-बार गुर्दे तथा पेट में दर्द होने पर इस दवा का प्रयोग अपेक्षित है तथा कुछ इस प्रकार के मामलों में भी इस दवा का प्रयोग लाभकारी सिद्व होगा जैसे कि-

  • पेशाब में फॉस्फेट की मात्रा की अधिकता के साथ बहुत अधिक पेशाब का आना।
  • रोगी के गुर्दे मे तीव्र दर्द तथा पेशाब के साथ लाल रंग के पदार्थ का निकलना।

होम्योपैथिक दवाओं के सेवन के समय कुछ विशेष सुझावः

                                                   

    होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करते हुए यदि सम्बन्धित रोगी व्यक्ति अपने जीवन की शैली में भी कुछ परिवर्तन करते हैं तो निश्चित् रूप से वे इस पथरी की समस्या से लड़ सकेंगे। नीचे दिये गये सुझावों को प्रत्येक गुर्दे की पथरी के रोगी को आवश्यक रूप से पालन करना चाहिए जिससे कि वह शीघ्रता के साथ स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें-

  • तरल पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें।
  • कॉफी तथा हर्बल टी का उपयोग न करें।
  • पीड़ित व्यक्ति के लिए अधिक व्यायाम भी हानिकारक होते हैं।
  • दोपहर में सेाने से बचें।
  • सदैव फ्री रहने का प्रयास करें।
  • अधिक देर तक खड़े रहने की स्थिति से बचने का प्रयास करें।
  • आइसक्रीम अथवा अन्य ठण्ड़ें जमंे हुए पदार्थों का सेवन न करें।
  • इत्र एवं तीक्ष्ण सुगन्धित पुष्पों का साथ दूरी को बनाएं रखें।
  • मन को भटकाव वाली स्थिति से बचाने का प्रयास करें तथा अधिक तनाव भी न लें।
  • सूप में मसालें अथवा किसी भी अन्य कच्चे पदार्थ को न मिलाएं।
  • किसी दूसरे रोगी व्यक्ति की औषधियाँ, मसाले अथवा किसी भी प्रकार के औषधीय पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
  • चुकन्दर, पसल, टमाटर तथा चॉकलेट आदि का सेवन न करें क्योंकि यह पदार्थ पथरी की सम्भावनाओं को बढ़ावा देते हैं।
  • चिकित्सक के द्वारा बताये गये डाईट-चार्ट का ही पालन करें। यदि कुछ अन्य पदार्थ खाने का मन हो तो उसे बहुत कम मात्रा में सेवन करें।
  • दवाओं को सम्भाल कर रखें और उनमें हवा न लगने दे। होम्योपैथिक दवाईयाँ बहुत कम मात्रा में सेवन की जाती हैं इसलिए इन्हें सम्भाल कर रखे।
  • दर्द का अनुभव नही होने पर रोगी को रोजाना सुबह और शाम सैर के लिए जाना चाहिए। बाहर ताजी हवा में घूमने से रोगी का मन शांत रहता है और अपने आपको तनाव रहित अनुभव करता है।
  • पथरी से सम्बन्धित किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आने पर जैसे दर्द आदि का अनुभव होने पर या पेशाब से सम्बन्धित अनियतिताएं दिखाई देने पर इन्हें किसी कागज पर समय के साथ नोट कर लें क्योंकि यह अपनी स्थिति को चिकित्सक को अच्छे से दिखाने के लिए आवश्यक है।

क्या होम्योपैथिक दवाईयों के प्रतिकूल प्रभाव भी होते हैं-

आमतौर पर होम्योपैथिक दवाईयाँ किसी भी प्रकार के कोई बुरे प्रभावों को नही दिखाती हैं, इसलिए यह पूर्णरूप से सुरक्षित होती हैं। परन्तु होम्योपैथिक दवा किसी कुशल होम्योपैथिक चिकित्सक के साथ परामर्श करना अच्छा रहता है। इसके साथ ही दवाईयों का सेवन करने के साथ-साथ खान-पान में सावधानियाँ बरतना भी आवश्यक होता है। अपने अच्छे उपचार के लिए अपने समस्त लक्षणों को अपने होम्योपैथिक चिकित्सक के समाने अच्छे से प्रस्तुत करें।

                                          

निष्कर्षः

गुर्दे की पथरी का आकार बढ़ने के साथ ही दर्द भी बढ़ने ल्रगता है। होम्योपैथिक दवाईयाँ दर्द में एकदम आराम प्रदान करती हैं और कुछ ही दिनों में पथरी को निकाल बाहर करती हैं। किसी अन्य रोग की दवाईयों का सेवन इनके साथ भी किया जा सकता है परन्तु ऐसा करने से पूर्व अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। 

विशेषः मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

    ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकगण के अपने हैं।