अजवायन के आयुर्वेदिक फायदों के साथ इसकी खेती से संबंधित तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां

                              अजवायन के आयुर्वेदिक फायदों के साथ इसकी खेती से संबंधित तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां

                                                         

अजवायन (Ajwain) या कारोम सीड्स (Carom Seeds) एक प्रमुख मसाला है जो भारतीय रसोई में बहुत ही ज्यादा उपयोग होता है। इसका उपयोग खाने में और पाचन को सुधारने के लिए किया जाता है। अजवायन का इतिहास बहुत पुराना है और यह भारतीय सभ्यता में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

Ayurvedic benefits of Ajwain

अजवायन के आयुर्वेदिक लाभ

                                                          

अजवायन का वैज्ञानिक नाम "Trachyspermum ammi" है और यह मेंथी कुल (Apiaceae) का सदस्य है. इसके छोटे-छोटे दानों की खास महक और औषधीय गुणों के कारण इसे एक महत्वपूर्ण मसाला माना जाता है. इतिहास के प्रमाणों से पता चलता है कि अजवायन का उपयोग वैदिक काल से ही होता आ रहा है. वेदों में इसे ‘‘यावनी’’ नाम से उल्लेख किया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘यूनानी’. अजवायन की खेती और इसका उपयोग भारतीय रसोई में प्रचलित रहा है और इसे औषधीय उपयोग के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

कई आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होती है अजवायन

अजवायन के गुणों के कारण, इसे विभिन्न रोगों जैसे कि पाचन, गैस, आंत्र और अन्य पाचन संबंधी विकारों के उपचार हेतु उपयोग किया जाता है. इसके बीजों में मुख्यतः थायमोल (Thymol), पार्सलीन (Parsleyne), लिमोनीन (Limonen), अल्फा-पिनीन (।सचीं.चपदमदम) और बेटा-पिनीन) जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं.

अजवायन की खेती के लिए उचित तापमान

अजवायन (Ajwain) की खेती के लिए उपयुक्त मौसम उष्णकटिबंधीय (वार्षिक तापमान कम से कम 15-25 डिग्री सेल्सियस) और उष्णकटिबंधीय (नमी की मात्रा कम होना चाहिए) होना चाहिए. अजवायन गर्म मौसम की पसंदीदा पौधा है और उष्णता और सूखे के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित होता है।

अजवायन की बुआई कार्यक्रम मार्च और अप्रैल के बीच के दौरान करना चाहिए। इस समय में मौसम गर्म होता है और धरती का तापमान आवश्यक बीजों के उगने के लिए उचित होता है।

इसके अलावा, अजवायन को उच्च तापमान (25-30 डिग्री सेल्सियस) और प्रकाश की अच्छी आवश्यकता होती है।

भारत के निम्न राज्यों में प्रमुखता से होती है पैदावार

                                                 

महत्वपूर्ण बात यह है कि अजवायन की खेती के लिए निचले सुझाए गए खेती जिलों के लिए उचित मौसम हो सकता हैः

उत्तर भारतः हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली

पश्चिमी भारतः राजस्थान, गुजरात

मध्य भारतः मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़

दक्षिण भारतः तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना

उपरोक्त सूची केवल संक्षेप में है वैसे अजवायन की खेती देश के अन्य भागों में भी संभव है, अगर उपयुक्त मौसम शर्तें पूरी होती हैं. यदि आप विशेष मौसम जानकारी के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लें, जो आपके क्षेत्र में अजवायन की खेती के लिए उचित मौसम की जांच कर सकते हैं।

अजवायन (Ajwain) कुछ प्रमुख किस्में-

रेगुलर अजवायन (Regular Ajwain): यह साधारण अजवायन होता है जो रसोईघर के लिए उपयोगी होता है। इसके बीज छोटे, गहरे भूरे रंग के होते हैं।

ज्वालामुखी अजवायन (Jwaamkhi Ajwain): यह अजवायन किस्म थोड़ी तेज़ और तीखी होती है. इसके बीज छोटे होते हैं और इसकी खुशबू आम अजवायन से काफी अलग होती है. इसका उपयोग आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है.

                                                   

सनई अजवायन: यह अजवायन किस्म आम अजवायन से थोड़ी बड़ी होती है. इसके बीज गहरे भूरे रंग के होते हैं और यह आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पायी जाती है।

अजवायन पत्ता (Ajwain Leaf): अजवायन की पत्तियों का उपयोग भी किया जाता है, जो अपने व्यापक स्वाद और गंध के लिए प्रसिद्ध हैं। इन पत्तियों को ताजगी सलाद, चटनी और सब्जियों में उपयोग किया जा सकता है।

बाज़ार में अच्छे दामों में बिकती है अजवायन

भारत में अजवायन की बाज़ार में किसानों को बहुत अच्छी कीमत मिलती है, अगर हम इस वर्ष की बात करें तो यह 15 हजार से लेकर 23 हजार रुपये क्विंटल के भाव तक में खरीदी गई थी।

एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल 2 लाख टन से ज्यादा अजवायन (Ajwain) का उत्पादन किया जाता है.

  • पेट की बीमारियों से छुटकारा अजवाइन पेट की कई बीमारियों का रामबाण इलाज है।
  • वजन घटाने में मददगार अजवाइन वजन घटाने में भी काफी मददगार हैं।
  • सर्दी-जुकाम और खांसी में राहत।
  • गठिया।
  • करे मसूड़ों की सूजन दूर ।
  • पीरियड्स के दर्द से छुटकारा।
  • मुंहासों की छुट्टी।
  • डिलिवरी के बाद अजवाइन का पानी

अजवाइन है गुणों का खजाना, जानिए इसके लाभों को

अजवाइन है गुणों का खजाना, जानिए इसके लाभ

                                                

  • अजवाइन के छोटे-छोटे बीजों में ऐसे गुणकारी तत्व मौजूद हैं, जिनसे आप अब तक अंजान हैं. अजवाइन सर्दी-जुकाम, बहती नाक और ठंड से निजात पाने की अचूक दवा है।
  • सेहत के लिए बहुत गुणकारी है अजवाइन।

आमतौर पर अजवाइन का इस्तेमाल नमकीन पूरी, मठ्ठी, नमक पारे और पराठों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन अजवाइन के छोटे-छोटे बीजों में ऐसे गुणकारी तत्व मौजूद हैं, जिनसे आप अब तक अंजान हैं इनडाइजेशन या अपच होने पर अकसर मां हमें गरम पानी और नमक के साथ अजवाइन खाने की हिदायत देती है।

यही नहीं अजवाइन सर्दी-जुकाम, बहती नाक और ठंड से निजात पाने की अचूक दवा है. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और जलनरोधी तत्व पाए जाते हैं, जो न सिर्फ छाती में जमे कफ से छुटकारा दिलाते हैं बल्कि सर्दी और साइनस में आराम देते हैं. यहां पर हम आपको अजवाइन के ऐसे ही लाभों के बारे में बता रहे हैं-

1. पेट की बीमारियों से छुटकारा

                                                         

अजवाइन पेट की कई बीमारियों के लिए एक रामबाण उपचार के रूप में जाना जाता है। इसका सेवन करने से पेट दर्द, गैस, उल्टी, खट्टी डकार और एसिडिटी में आराम मिल जाता है। अजवाइन, काला नमक और सूखे अदरक को पीसकर चूरन तैयार कर लें, खाना खाने के बाद इस चूरन का सेवन करने से खट्टी डकार और गैस की समस्या दूर हो जाती है। पेट खराब होने पर अजवाइन चबाएं, केवल यही नहीं अगर डाइजेशन सही करना हो तो अजवाइन से बेहतर अन्य कोई उपाय नहीं हैं।

2. वजन घटाने में मददगार

                                           

    अजवाइन वजन घटाने में भी काफी मददगार है. अजवाइन का पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है, जिससे शरीर की परजा चर्बी घटने लगती है एक गिलास पानी में रात भर अजवाइन भिगोकर रख दें, इसमें शहद मिलाकर खाली पेट पीने से जल्दी फायदा होता है वेसे आप चाहें तो पानी में अजवाइन उबालकर भी पी सकते हैं।

3. सर्दी-जुकाम और खांसी में राहत

                                                     

अगर आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही है तो इसमें अजवाइन का पानी बहुत लाभप्रदान करेगा.। इसके लिए अजवाइन को पानी में मिलाकर उबाल लें, अब इसमें काला नमक मिलाकर पीने से आपको आराम मिलेगा 

4. गठिया

                              

अजवाइन से गठिया के रोग में भी आराम मिलता है। अजवाइन के चूरन की पोटली बनाकर घुटनों में सेंकने से फायदा होता है., तो वहीं आधा कप अजवाइन के रस में सौंठ मिलाकर पीने से भी गठिया का रोग ठीक हो जाता है।

5. करे मसूड़ों की सूजन दूर

अगर मसूड़ों में सूजन हो तो गुनगुने पानी में अजवाइन के तेल की कुछ बूंदे डालकर कुल्ला करने से आराम मिलेगा। इसके अलावा अजवाइन को भूनकर उसे पीसकर पाउडर बना लें, इससे ब्रश करने से मसूड़ों के दर्द और सूजन में राहत मिलती है।

6. पीरियड्स के दर्द से छुटकारा

                                                  

कई महिलाओं को पीरियड्स के वक्त कमर और पेट के निचले हिस्से में बहुत दर्द होता है. ऐसे में गुनगुने पानी के साथ अजवाइन लेने से दर्द में आराम मिलता है. हां, इस बात का ध्यान रखिए कि अजवाइन की तासीर गरम होती है और अगर ब्लड फ्लो ज्यादा हो इसका उपयोग नहीं करना चाहिए.

  7. मुंहासों की छुट्टी

अब तो आप यह जान ही गए हैं कि अजवाइन डाइजेशन ठीक करता है। तो जाहिर है कि अगर पेट साफ होगा तो मुंहासों नहीं आएंगे। अगर आपके चेहरे पर मुंहासे हैं तो दही के साथ थोड़े से अजवाइन पीसकर इस लेप को चेहरे पर लगाएं, जब लेप सूख जाए तब इसे गर्म पानी से साफ कर लें। इसप्रकार से कुछ ही दिनों में आपके मुंहासे गायब हो जाएंगे।

8. डिलिवरी के बाद अजवाइन का पानी

बच्चे की डिलिवरी के बाद महिलाओं को अजवाइन का पानी पीने की सलाह दी जाती है। ऐसाकरने से पेट की सफाई होती है और शरीर को गर्मी भी मिलती है। हालांकि अजवाइन का पानी पीने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

अजवाइन उपयोग, फायदे और न्यूट्रिशनल वैल्यू

    अजवाइन को आमतौर पर कैरम या बिशप वीड्स के रूप में जाना जाता है। इसमें एसेंशियल ऑयल होता है, जो कई बायोएक्टिव कंपाउंड से बना होता है, और इसलिए इसका औषधीय महत्व है। अजवाइन साल भर उपलब्ध रहती है। अजवाइन के पत्ते पंखदार होते हैं। अजवाइन झाड़ी का फल है, जो छोटा, अंडाकार आकार का और हल्के पीले रंग का होता है।

अजवाइन सौंफ और जीरे की तरह दिखती है। प्राचीन काल से भारतीय, अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों में खाना पकाने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह खाने का स्वाद भी बढ़ाती है और चटनी, अचार और जैम में प्रेज़रवेटिव की तरह काम करती है। इसमें डाइजेस्टिव फाइबर का एक अनूठा स्रोत होता है जो पेट की सेहत अच्छी रखने में मदद करता है।

अजवाइन की गंध तेज और तीखी होती है इसलिए इसे संस्कृत में इसे उग्रगंध के नाम से जाना जाता है। अफ़ग़ानिस्तान में ब्रेड और बिस्किट बनाते समय स्वाद और महक के लिए अजवाइन डाली जाती है। अजवाइन से शरीर को बहुत सारे फायदे मिलते हैं इसलिए इसे कच्चा या भूनकर भी खाया जाता है। घी में अजवाइन मिलाना एक आम बात है।

इसे चबाने के बाद इसका स्वाद थाइम जैसा होता है। किराने की दुकानों में अजवाइन के साथ-साथ इसका मसाला पाउडर भी उपलब्ध होता है। हमारी डाइट में अजवाइन के कई फायदे हैं, जिनकी चर्चा इस ब्लॉग पोस्ट में की गई है।

अजवाइन के स्त्रोतः

अजवाइन का पौधा आमतौर पर ईरान (पर्शिया), एशिया और तुर्की में पाया जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में भी अजवाइन की खेती की जाती है। अजवाइन मध्य पूर्वी देशों और उत्तरी अफ्रीका में भी पाई जाती है।

                                                                        

अजवाइन के अन्य नाम

दुनिया में अजवाइन को अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे कि अजोवन, ओमम, ओमुम, इथियोपियन क्यूमिन, अजोवन कारावे, अजवाएन, अजवान, अजावे सीड्स, ट्रेकिस्पर्मम एम्मी, दीप्यका, यमनी, बिशप वीड, यवनिका, यामनिका, जैन, यवन, यौवन, जावन, योयाना , यवनी, अजमा, जावैन, अजमो, ओमा, योम, जेवैन, अयानौदकन, ओनवा, वामू, जुआनी आदि।

   संस्कृत में इसे उग्रगंध के नाम से जाना जाता है।

   हिंदी में इसे अजवाइन के नाम से जाना जाता है।

   मराठी में इसे ओमा के नाम से जाना जाता है।

   अंग्रेजी में इसे कैरम सीड्स या बिशप वीड कहा जाता है।

   ओड़िया में इसे जुआनी कहा जाता है।

   तमिल में इसे ओमम कहा जाता है।

   तेलुगु में इसे ओमम्मु, वामु, वीलकर कहा जाता है।

   मलयालम में इसे अयोधमकम कहा जाता है।

   फ्रेंच में, इसे अजोवन, कैम्बोला ग्रेन्स कहा जाता है।

   जर्मन में इसे अजोवन सेमेन के नाम से जाना जाता है।

अजवाइन के पोषक तत्व

अजवाइन के पोषक तत्व नीचे दी गई टेबल में बताए गए हैं

पोषक तत्व           प्रति 100 ग्राम में

कार्बाेहाइड्रेट          43 ग्राम

प्रोटीन               16 ग्राम

फैट                 25 ग्राम

फाइबर               39.2 ग्राम

सोडियम             10 मिलीग्राम

आयरन              4 मिलीग्राम

विटामिन सी          4 मिलीग्राम

कुल कैलोरी           305 कैलोरी

अजवाइन के महत्वपूर्ण केमिकल कंपाउंड (रासायनिक यौगिक)

अजवाइन के बीज और उसके तेल में 20 अलग-अलग बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं, जिनमें थाइमोल, टर्पेनोइड, पी-साइमेन, गामा टर्पीनिन और एसेंशियल ऑयल मुख्य हैं।

थाइमोल और कार्वैक्रोल ऐसे महत्वपूर्ण घटक हैं जो फंगस और बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए जिम्मेदार हैं।

अजवाइन के औषधीय उपयोग और सेहत को मिलने वाले फायदे-

                                                           

  • अजवाइन के अर्क से मेथॉक्ससेलेन दवा बनाई जाती है। यह कैप्सूल, टॉपिकल क्रीम जैसा अलग-अलग फॉर्मेट में उपलब्ध है। विटिलिगो (स्किन पिगमेंटेशन का आंशिक नुकसान) सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याओं के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • प्राचीन काल से हर्बल फॉर्मूलेशन तैयार करने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि उनका मानना है कि यह शरीर के सिस्टम को संतुलित कर सकता है।
  • अजवाइन में कई स्वास्थ्यप्रद और उपचारात्मक गुण मौजूद हैं।
  • अजवाइन घुलनशील डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, और यह पेट की समस्याओं में पाचन तंत्र को बेहतर करने, आंतों की सेहत में सुधार करने के लिए जाना जाता है। यह पेट फूलने की समस्या से राहत दिलाने में भी मदद करती है।
  • अजवाइन मांसपेशियों में ऐंठन के दर्द, अपच के कारण पेट की समस्या, छाती में जलन और भूख न लगने के इलाज में फायदेमंद होती है।
  • अजवाइन एंटी-ऑक्सीडेंट का बेहतरीन स्रोत है और इसलिए यह दिल के मरीजों के लिए वरदान है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में अच्छे और खराब कोलेस्ट्रॉल को मैनेज कर सकते हैं और इस तरह से ये दिल की बीमारियों को रोकते हैं।
  • अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) और एंटी-फंगल (फंगस रोधी) गुण होते हैं और इसलिए यह फूड पोइज़निंग और आंत व पेट की समस्याओं को रोकने के लिए साल्मोनेला, ई-कोली और फंगई जैसे बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
  • अजवाइन के अर्क में प्रमुख केमिकल कंपाउंड (रासायनिक यौगिक) होते हैं जो कैल्शियम चौनलों को ब्लॉक करते हैं, जो ब्लड प्रेशर लेवल को और कम कर सकते हैं।
  • अजवाइन को चबाना अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है।
  • अजवाइन की चाय डायरिया, पेचिश, स्पास्मोडिक (ऐंठन) दर्द के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है।
  • अजवाइन का तेल स्टीम डिस्टिलेशन (भाप आसवन) प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है और यह रह्यूमेटिक दर्द के इलाज में बहुत असरदार है इसलिए इसे दर्द वाली जगह पर लगाया जाता है।
  • अस्थमा (दमा) और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों के इलाज के लिए अजवाइन और अदरक के अर्क का मेल काफी असरदार होता है।
  • अजवाइन वायु प्रवाह और फेफड़ों की कार्य प्रणाली में सुधार करती है।
  • अजवाइन में ब्रोंको-डाइलेटिंग प्रभाव होता है, यह फेफड़ों में ब्रोन्कियल नलियों को फैलाने में मदद करता है जिससे हल्के अस्थमा में राहत मिलती है।
  • अजवाइन का पानी एक बेहतरीन माउथ वॉश है, और यह अच्छी ओरल हाइजीन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
  • अजवाइन गर्भवती महिलाओं की अपच संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है; यह गर्भाशय और पेट को साफ करने में मदद करती है, जिससे अनियमित पीरियड्स की समस्या दूर हो जाती है।
  • नियमित रूप से अजवाइन का पानी पीने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है, जिससे शरीर की चर्बी कम करने में मदद मिलती है।
  • अजवाइन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, और यह लाली को कम करने और जलन व सूजन के लिए  फायदेमंद होती है।
  • अजवाइन के एनेस्थेटिक गुणों के कारण यह दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करती है।

सिर, कान और दांत दर्द के लिए अजवाइन

कान के दर्द से राहत पाने के लिए अजवाइन के तेल की कुछ बूंदें काफी हैं। दांत दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए अजवाइन और नमक का गुनगुने पानी का मिश्रण बहुत असरदार होता है। कभी-कभी जले हुए अजवाइन का धुंआ दांत दर्द के लिए ज़्यादा असरदार होता है।

अजवाइन में एक आवश्यक बायोएक्टिव घटक, यानी थाइमोल होता है जो एक मजबूत कवकनाशी और कीटाणुनाशक है। इसलिए, स्किन इंफेक्शन से राहत पाने के लिए अजवाइन को पीसकर लगाया जाता है।

एक्ने और पिंपल्स की रोकथाम के लिए अजवाइन:

अजवाइन में अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी घटक होते हैं, और इसलिए अजवाइन के बायोएक्टिव अर्क भी एक्ने और पिंपल्स जैसी स्किन की समस्याओं को कम करने में मददगार होते हैं। अजवाइन में मौजूद थाइमोल और कार्वैक्रोल बैक्टीरिया और फंगस को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। अजवाइन पाउडर सप्लीमेंट मुँहासे के निशान को हल्का करने में मदद करते हैं।

अजवाइन के प्रोडक्ट और उनकी अनुशंसित डोज-

अजवाइन की आयुर्वेदिक डोज़ इसके रूपों के मुताबिक अलग-अलग होती है। अजवाइन प्रोडक्ट्स के विभिन्न रूप

प्रोडक्ट   कैसे इस्तेमाल करें         दिन में कितनी बार

चूर्ण पाचन को बेहतर बनाने के लिए खाने से पहले और बाद में गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच अजवाइन चूर्ण लें। 

दो बार

काढ़ा एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर 10 मिनट तक उबालें। अस्थमा (दमा) और सर्दी के लिए आधा चम्मच अजवाइन का काढ़ा लें। 

तीन बार

पेस्ट भुने हुए अजवाइन और गुड़ को मिलाकर मिक्सी में पेस्ट बना लें। इसे खाना खाने के बाद लें। 

दो बार

गोली गर्म पानी के साथ अजवाइन की एक गोली लें।  दो बार

अर्क खाने के बाद अजवाइन अर्क की पाँच बूँदें गर्म पानी के साथ लें।

दो बार

अजवाइन के साइड इफेक्ट और सावधानियां:

                                                 

  • अजवाईन के ज़्यादा सेवन से पेट में गैस बन सकती है, जिससे एसिडिटी और रिफ्लक्स हो सकता है।
  • कुछ लोगों को अजवाइन के बीज से एलर्जी होती है, जो थाइमोल की मौजूदगी के कारण होता है, जिससे चक्कर आना, मतली और उल्टी हो सकती है।
  • अजवाइन के कुछ बायोएक्टिव कंपाउंड ज़्यादा असर डाल सकते हैं, इनसे मुंह में इंफ्लेमेशन हो सकता है, जिसके कारण जलन और मुंह में छाले हो सकते हैं।
  • गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा मात्रा में अजवाइन लेने से बचना चाहिए क्योंकि भ्रूण के विकास पर इसका उल्टा असर पड़ने की संभावना रहती है।
  • अजवाइन को ज़्यादा मात्रा में खाने को विषैला माना जाता है; इसका परिणाम घातक पोइज़निंग हो सकता है।
  • सर्जरी के दौरान और बाद में अजवाइन सप्लीमेंट लेने से ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, सर्जरी से 2 हफ्ते पहले अजवाइन का सेवन बंद करने की सलाह दी जाती है।

अजवाइन का अन्य दवाओं के साथ इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया):

  • कभी-कभी अजवाइन खून के थक्के जमने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। अगर कोई खून पतला करने जैसी दवाएं ले रहा है तो अजवाइन का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आइबूप्रोफेन, डाइक्लोफेनेक, वार्फरिन और एस्पिरिन जैसी दवाओं में खून पतला करने वाले पदार्थ होते हैं।
  • अजवाइन उन दवाओं में भी हस्तक्षेप कर सकती है जो लीवर में ब्रेक डाउन होती हैं। लीवर में लवास्टैटिन, केटोकोनाज़ोल और इट्राकोनाज़ोल जैसी दवाएं ब्रेक डाउन होती हैं। अगर आप इनमें से कोई भी दवा ले रहे हैं तो अजवाइन का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • यदि आप ऐसी दवा ले रहे हैं जो लीवर पर दबाव डालती है, तो अजवाइन खाने से बचना चाहिए, अजवाइन लीवर को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं के साथ-साथ लीवर के खराब होने की संभावना को बढ़ा सकती।

अजवाइन का इस्तेमाल पारंपरिक भारतीय खाना पकाने और आयुर्वेदिक हर्बल फॉर्मूला में किया जाता रहा है। अजवाइन में शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी), एंटी-फंगल और एंटी-ऑक्सीडेटिव घटक होते हैं।

अजवाइन का तेल स्किन के इलाज के लिए लोशन और मलहम तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अजवाइन के हर्बल अर्क में एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) और एंटी-इंफ्मेंलेटरी गुण होते हैं, और इस तरह यह पेप्टिक अल्सर के इलाज में असरदार होते हैं, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करते हैं।