आपका गेंहूँ पीला पड़ रहा है      Publish Date : 20/12/2024

                             आपका गेंहूँ पीला पड़ रहा है

                                                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गेंहूँ, भारत की एक प्रमुख एवं लोकप्रिय फसल है, जो अपनी गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है। हालांकि, गेंहूँ की फसल में कभी-कभी विभिन्न प्रकार की समस्याएं आ जाने के कारण इसका उत्पादन कम हो जाता है, और इन समस्याओं में सबसे प्रमुख है गेहूँ की फसल में पीलापन आ जाना। गेंहूँ की फसल में यह समस्या आमतौर पर गेंहूँ की पहली सिंचाई के बाद देखी जाती है, जो कि किसानों की चिंता का मुख्य कारण होती है।

                                                                 

यदि इस समस्या का सही समय पर उचित उपचार नही किया जाए तो यह गेंहूँ के उत्पादन को भी प्रभावित कर सकती है और किसानों पर आर्थिक दबाव बढ़ा सकती है। आज के अपने किसान जागरण डॉट कॉम की इस पोस्ट में हम किसानों की इसी समस्या पर विचार करने जा रहें हैं। इसके सम्बन्ध में हम गेंहूँ की फसल में पीलापन आने के कारणों, इसके लक्षणों एवं इसके समाधान के बारे में विस्तार पूर्वक बात करेंगे।

इसके साथ ही यह भी बताएंगे कि इस समस्या बचने के लिए किसान भाईयों को किस प्रकार की खाद का उपयोग करना चाहिए और किस समय पर कौन से उपाय करने चाहिए ताकि उनकी गेंहूँ की फसल में पीलापन आने से बचा रहें। इस प्रकार से किसान भाईयों को न केवल अपने गेंहूँ के खेत की देखभाल करने में सहायता प्राप्त होगी, अपितु यह भी सुनिश्चित् होगा कि उनकी फसल स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली बनी रहें।

गेंहूँ में पीलापन आने के कारण

गेंहूँ की फसल में पीलापन आने का सबसे पहला और प्रमुख कारण इसकी प्रथम सिंचाई के बाद सामने आता है, जिसमें ठंड़ एवं कोहरे के चलते फसल के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, हालांकि भूमि में लौह तत्व की कमी होने के कारण भी फसल में पीलापन आ सकता है। अक्सर देखा गया है कि जब गेंहूँ में पहली सिंचाई की जाती है तो इसके पौधों में कुछ पीलापन दिखाई देने लगता है।

इसका मुख्य कारण गेंहूँ की बुवाई करने के दौरान खाद का उचित संतुलन नही बना पाना होता है। गेंहूँ में आमतौर पर डीएपी का उपयोग तो किया जाता है, परन्तु यूरिया (नाईट्रोजन) और जिंक जैसे अन्य तत्वों की फसल में कमी आ जाती है, क्योंकि यदि यूरिया एवं जिंक आदि का उपयोग उचित मात्रा में उपयोग नही किया जाता है तो इससे फसल के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व नही मिल पाते हैं जो कि फसल में पीलापन आने का एक प्रमुख कारण होता है।

नाईट्रोजन (Nitrogen) की कमी

                                                                  

नाईट्रोजन गेंहूँ की वृद्वि के लिए एक आवश्यक एवं प्रमुख तत्व होता है। इसकी कमी होने पर गेंहूँ के पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं और पौधों का यह पीलापन आमतौर पर पहली सिंचाई के बाद ही दिखाई देता है। यदि गेंहूँ की बुवाई के दौरान यूरिया की बेसल डोज नही दी जाती है तो गेंहूँ के पौधे नाइट्रोजन की कमी के कारण पीले और कमजोर हो जाते हैं।

जिंक (Zinc) की कमी

जिंक तत्व की कमी होने के कारण गेंहूँ के पौधों की पत्तियों में पीलापन आ सकता है, विशेष रूप से इसकी तीसरी पत्ती के निकलने के समय। जिंक तत्व की कमी का प्रभाव गेंहूँ की पत्तियों के विकास पर भी पड़ता है जिसके कारण गेंहूँ के पौधों की पत्तियाँ पीली पड़कर सूखने लगती हैं।

पोटाश (Potash) की कमी

                                                       

पोटाश तत्व की कमी के चलते गेंहूँ के पौधों की पत्तियों के ऊपरी हिस्से में भूरे रंग का पीलापन हो सकता है, विशेष रूप से जिन क्षेत्रों में गेंहूँ की फसल से पहले धान की फसल ली गई हो, उनमें पोटाश तत्व की कमी देखने को अधिक मिलती है। आमतौर पर यह समस्या फसल चक्र के दौरान ही उत्पन्न होती है।

गेंहूँ के पीलेपन को दूर करने के प्रभावी उपाय

खाद का संतुलन उचित बनाए रखें

गेंहूँ में आने वाले पीलेपन की रोकथाम करने के लिए सबसे पहले यह सुनिश्चित् करना जरूरी है कि दिए जाने वाले खाद का संतुलन उचित बना रहे। इसके लिए गेंहूँ की बुवाई करते समय ही डीएपी के साथ यूरिया और जिंक सल्फेट का उचित मात्रा में प्रयोग करना आवश्यक है। यूरिया का प्रयोग करने से पौधों को नाईट्रोजन प्राप्त होती है जिससे पौधों की वृद्वि का स्तर और हरियाली दोनों ही उचित बने रहते हैं, जबकि जिंक सल्फेट का प्रयोग करने से जिंक तत्व की पूर्ती होती है।

इसके लिए बेसल डोज के रूप में जिलेटेड अथवा ऑक्साइड फार्म में जिंक का उपयोग करना उचित रहता है। बेसल डोज के तौर पर जिंक 1 से 2 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से खेत में डाला जा सकता है। इसी प्रकार यदि यूरिया के प्रयोग की बात करें तो किसान भाई बेसल डोज के रूप में डीएपी के साथ ही 20 से 25 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से खेत में प्रयोग कर सकते हैं।

फॉस्फोरस (Phosphorus) की पूर्ति

यदि गेंहूँ की फसल में फॉस्फोरस तत्व की कमी हो रही है तो इसकी पूर्ति के लिए फॉस्फोरस का स्प्रे फसल पर करने से लाभ होगा। इस प्रकार फॉस्फोरस तत्व की कमी को पूरा करने के लिए 1.5 से 2 कि.ग्रा. डीएपी को 100 लीटर पानी में घोलकर शाम के समय गेंहूँ के पौधों पर इसका स्प्रे करें, इससे फॉस्फोरस की कमी को पूरा किया जा सकता है।

पोटाश की कमी के कारण पीलापन

                                                                

यदि गेंहूँ की फसल में पीलापन आने का कारण पोटाश तत्व की कमी है तो पोटाश की कमी को दर करने के लए किसान भाई म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए 1 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश को 100 लीटर पानी में घोलकर फसल पर स्प्रे करे तो इससे पित्तयों का पीलापन दूर होगा और पौधों में मजबूती भी आएगी। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।