वेपिंग यानी कि ई-सिगरेट

    स्वास्थ्य सम्बन्धित विभिन्न परेशानियों को लेकर हमारी वेबसाईट के द्वारा यह कॉलम आरम्भ किया गया है, जिसके अर्न्तगत आप अपनी किसी भी समस्या के विशेषज्ञों से अपने प्रश्न पूछकर अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धितम समस्या हा हल पा सकते हैं-

    तो पेश हैं इसके तहत आज के शुधि पाठकों के सवाल और उनके जवाब डॉक्टर साहब के द्वारा-

प्रश्न 1 - डॉक्टर साहब, मेरे पुत्र की आयू 16 वर्ष है, मुझे अभी ज्ञात हुआ है कि वह वेपिंग यानी कि ई-सिगरेट का सेवन करता है। मैने उसको समझाया तो उसे उत्तर दिया कि वेपिंग से कोई भी नुकसान नही होता हैं। तो कृपया बताएं कि वेपिंग का हमारे बच्चों के फेफड़ों की सेहत पर क्या प्रभाव हो सकता है और इस आदत को किस प्रकार से छोड़ा जा सकता है?

                                         

उत्तर- वेपिंग अर्थात ई-सिगरेट का सेवन करने से भी फेफड़ों को वास्तविक सिगरेट के पीने के जितना ही नुकसान होना सम्भव है। हालांकि पेपर जलने के उत्पाद वेपिंग में नही होते हैं, परन्तु वेपिंग भी फेफडे की बीमारियों के जोखिमों में वृद्वि करती हैं।

    सबसे पहली बात तो यह है कि इस आदत को छोड़ने के लिए सम्बन्धित व्यक्ति में मानसिक सुदृढ़ता का होना अति आवश्यक है। निकोटिन पर निर्भरता हमारे मन से जुड़ी एक भावना होती है, अतः इस आदत को छोड़ने के लिए मानिसक रूप से मजुबूत होना बहुत आवश्यक है।

    दूसरी बात यह है कि अभी तक इसके कोई दवाई नही बनी है, जो आपकी इस बारे में कोई हैल्प कर सके। हाँ काउंसलिंग के द्वारा आपको इस आदत को छोड़नें में आवश्यक सहायता अवश्य ही उपलब्ध कराई जा सकती है। 

प्रश्न 2 - हैलो सर, मेरी उम्र 55 वर्ष है, और मेरी समस्या यह है कि मुझे जल्दी-जल्दी खाँसी होने की समस्या है। मैने अभी हाल ही में अपना एक्स-रे भी कराया था, जिसकी रिपोर्ट में नोड्यूल लिखा हुआ है। हालांकि, मेरे डॉक्टर ने इसके बारे में कुछ नही बताया और केवल दवाईयाँ ही दी हैं। इन दवाईयों का सेवन करने के बाद अब मुझे कुछ आराम भी है। परन्तु इस सम्बन्ध में इंटरनेट पर जो जानकारियाँ उपलब्ध थी, वह मुझे डरा रही हैं। कृपया आप मुझे बताएं कि क्या यह एक गम्भीर समस्या है, जिसके बारे में मुझे किसी अन्य डॉक्टर से सर्म्पक करना चाहिए?

                                         

उत्तर- यदि आपके लंग्स में नोड्यूल रिपोर्ट है आपको इसकी जांच आवश्यक रूप से करानी चाहिए। इसके सबसे पहले डॉक्टर्स ऐसे मरीज का एक कंट्रॉस्ट सीटी-स्कैन करवाते हैं, जिसके माध्यम से ज्ञात होता है कि नोड्यूल दिखने में कैसा है। यदि डॉक्टर को नोड्यूल की अपीयरेंस में ऐसा शक होता है कि कि यह सक्रिय बीमारी के कारण से ही है तो इसके लिए कुछ जांचें और करवायी जा सकती हैं जो कि ब्रोंकोस्कॉपी अथवा बॉयोप्सी की सहायता से की जाती हैं। इसके साथ ही नोड्यूल के साथ मरीज को कोई अन्य लक्षण भी है तो उसे इसको लेकर अपने डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए। यदि नोड्यूल के साथ कोई अन्य लक्षण नही है तो उपचार के तीन महीने के बाद फिर से एक बार सीटी स्कैन कराना चाहिए। इस सीटी स्कैन में यदि नोड्यूल के आकार अथवा उसके साईज में कोई परिवर्तन नही हुआ है तो उसे ऐसे ही ऑब्जरवेशन के लिए छोड़ दिया जाता है। लेकिन यदि नोड्यूल का आकार बढ़ा है याए फिर उसके रूप में कोई परिवर्तन आया है तो डॉक्टर उसके लिए फिर आपकी कुछ जांज करा सकते हैं।

प्रश्न 3- डॉक्टर साहब मेरी माता जी की आयु 65 वर्ष हैं, जिन्हें अकसर खँसी एवं सांस फूलने की समस्या रहती है। समय-समय पर उन्हें यह परेशानी होती रहती है। मै जानना चाहता हूँ कि बच्चों की तरह से ही बुजुर्गों के लिए भी कुछ विशेष प्रकार के टीके उपलब्ध है, जिससे इस समस्या से छुटकार पाया जा सकें।

उत्तर- फ्लू की वैक्सीन को 6 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को वर्ष में एक बार और प्रत्येक 5 वर्ष में एकार निमोनिया की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। इसके अलावा बार-बार होने वाली खाँसी एवं सांस के फूलने की शिकायत पर यह पता करना भी जरूरी होता है कि इस सब का कारण कहीं कोई अन्य रोग तो नही है। यदि किसी व्यक्ति को सांस से सम्बन्धित कोई अन्य बीमार जैसे- अस्थमा, इत्यादि की भी समस्या है तो उसका उपचार कराना चाहिए। यदि आपेी माता जी को मौसम बदलने के साथ ही यह परेशानी होती है तो यह लक्षण दमा के शुरूआती लक्षण भी हो सकते हैं।

प्रश्न 4 - डॉक्टर साहब, मै धूम्रपान नही करता हूँ, परन्तु जिन लोगों के साथ मै कार्य करता हूँ, वे सभी धूम्रपान करते हैं और मैं उन्हें ऐसा करने से मना भी नही कर सकता। इस हालत में मैं अपने फेफड़ों पर से धूम्रपान के धूँऐ के प्रभाव को किस प्रकार से कम कर सकता हूँ?

उत्तर- इसके सम्बन्ध में सबसे पहली बात तो यह है कि आप ऐसे धूम्रपान करने वाले लोगों से कम से कम उस समय तो दूर रहने का ही प्रयास करें जब वे लोग धूम्रपान कर रहें हों क्योंकि इस अप्रत्यक्ष धूम्रपान का भी उतना ही बुरा प्रभाव पड़ता है, जितना कि धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों पर पड़ता है। इसके साथ ही आप अपने आहार में कुछ वांछित बदलाव करें। इसके लिए आप पोष्टिकता से भरपूर भोजन ग्रहण करने के साथ ही प्रोटीन का सेवन अधिक मात्रा में करें। इसके अलावा मौसमी फल एवं सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करे और नियमित व्यायाम कर आपने फेफड़ों को मजबूती प्रदान करें। 

लेखक: डॉ0 दिव्यान्शु सेंगर, प्यारे लाल जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।