जलसूक्ष्म जीव-विज्ञान का उद्यमिता पर प्रभाव और उसका महत्व      Publish Date : 16/12/2024

      जलसूक्ष्म जीव-विज्ञान का उद्यमिता पर प्रभाव और उसका महत्व

जलसूक्ष्म जीव-विज्ञान वह विज्ञान है, जिसके अंतर्गत जल में उपस्थित सूक्ष्म-जीवों का अध्ययन किया जाता है। जल शोधन, जल गुणवत्ता परीक्षण और जल प्रदूषण नियंत्रण के अंतर्गत इसकी अहम भूमिका होती है। वर्तमान में यह क्षेत्र न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य बल्कि उद्यमिता के लिए भी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।

                                           

स्थानीय सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिक महाविद्यालय में उक्त विषय पर विस्तार से विचार किया गया, जिसमें जलसूक्ष्म जीव-विज्ञान का उद्यमिता में योगदान और इसके विकास के अवसरों पर प्रकाश डाला गया। प्रोफेसर आर. एस. सेंगर के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में सी.सी.एस विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ कपिल स्वामी तथा जैव प्रौद्योगिक महाविद्यालय के डॉ पंकज चौहान, डॉ निलेश कपूर और डॉ रेखा दीक्षित आदि भी शामिल रहे।

सी० सी० एस० विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ कपिल स्वामी ने बताया कि जलसूक्ष्म जीव-विज्ञान ने जल-शोधन प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को जन्म दिया है। सूक्ष्मजीवों के उपयोग से जल में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस आदि को प्रभावी ढंग से हटाया जा सकता है, जो जल-जनित रोगों से बचाव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

डॉ पंकज चौहान ने बताया कि जलसूक्ष्म जीव-विज्ञान का अध्ययन करने वाले उद्यमी भी अब विभिन्न उद्योगों में पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण तो कम हो ही रहा है और इसके साथ ही जल स्रोतों का संरक्षण भी प्रभावी ढंग से हो रहा है।

इस प्रकार, जलसूक्ष्म जीव-विज्ञान, न केवल जल के संरक्षण और स्वच्छता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उद्यमिता के क्षेत्र में भी नए अवसर उत्पन्न कर रहा है, जो कि भविष्य में जल सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते है।