स्टील उद्योग के कचरे से निर्मित खाद से कृषि को मिला सम्बल

                                               स्टील उद्योग के कचरे से निर्मित खाद से कृषि को मिला सम्बल

    टाटा स्टील के द्वारा हाल ही में स्टील उत्पादन की प्रक्रिया के अन्तर्गत निकलने वाले कचरे (एलडी स्टील) के माध्यम से उर्वरक बनाकर भारतीय कृषि क्षेत्र में एक अनोखा प्रयोग किया गया है। झारखण्ड़ के राउरकेला खरसावां जिला अन्तर्गत स्थित आदित्यपुर में स्थापित अपने संयंत्र में धुर्वी गोल्ड उर्वरक तैयार किया जा रहा है।

 

इस उर्वरक के बारे में किसानों का कहना है कि इस खाद का उपयोग करने के बाद विभिन्न फसलों के उत्पादन में 25 से लेकर 70 प्रतिशत तक की वृद्वि होने के साथ ही कृषिगत लागत में भी कमी आई है।

    केवल इतना ही नही, इस उर्वरक का कैल्शियम, सल्फर, सिलिका, आयरन, मैग्नीशियम, मॉलीब्डेनियम, बोरोन, फॉस्फोरस (पीपीएम) एवं जिंक आदि तत्वों से युक्त होने के कारण यह खाद फसलों के साथ ही भूमि को भी पोषण प्रदान करती है।

                                                              

    स्टील की निर्माता कम्पनियाँ लौह अयस्क को गलाकर उससे क्रूड स्टील तैयार करती हैं और इसी प्रक्रिया के तहत कचरे के रूप में एक अनुपयोगी पदार्थ एलडी स्टील बाहर निकलता है। अब टाटा स्टील कम्पनी ने स्लैग के निस्तारण की चुनौति एवं इस समस्या का समाधान भी खोज निकाला है।

टाटा स्टील अपने जमशेदपुर संयत्र के माध्यम से एक करोड़ टन स्टील का उत्पादन करती है जिससे 20 प्रतिशत एलडी स्लैग निकलता है। कम्पनी के टेक्नोलॉजी एण्ड न्यू मेटेरियल्स विभाग ने एक लम्बे शोध के बाद स्लैग से ध्रुवी गोल्ड खाद को तैयार किया है।

इस खाद का प्रयोग करने से टमाटर, प्याज, गन्ना, शाक-सब्जी, सरसों, धान तथा गेंहँू इत्यादि फसलों की खेती करने वाले किसानों की उपज एवं आमदनी में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। टाटा स्टील इस उर्वरक का पेटेण्ट भी करा चुकी है।

डीएपी एवं यूरिया की खपत में हुई कमी

    अभी तक किसान अपनी फसलों की पैदावार के लिए डाई-अमोनियम सल्फेट (डीएपी) को यूरिया के साथ मिलाकर अपने खेतों में डालते रहें हैं। यूरिया का आयात किया जाता है, जो कई बार आवश्यकता के समय उपलब्ध भी नही हो पाता है। इस पर किसानों का कहना है कि स्लैग से बनी हुई खाद का प्रयोग करने से डीएपी एवं यूरिया आदि की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो गई है।

                                                                       

  • एलडी स्लैग से बनी खाद मृदा की गुणवत्ता के साथ-साथ किसानों की उपज में भी वृद्वि करती है। इस खाद में उपलब्ध पोषक तत्व धीरे-धीरे पानी में विलेय होते हैं, जिससे फसलीय पौधों को पर्याप्त मात्रा में माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स प्राप्त होते हैं।

पी गणेश, हेड वैंचर्स, ध्रुवी गोल्ड प्रोजेक्ट।

  • इस खाद का प्रयोग करने से हमारी उपज में दो गुना तक की वृद्वि हुई है। एक एकड भूमि में 7 क्विंटल के स्थान पर 13 क्विंटल टमाटर की पैदावार हुई है।

अशोक महतो, किसान, लोआडीह षटमदा।

 

उर्वरकों पर 1.08 लाख करोड़ रूपये की सब्सिड़ी

खरीफ की फसलों पर सुविधा

    पिछले दिनां केन्द्रीय कैबिनेट के द्वारा फॉस्फेट और पोटाश (पी एण्ड के) उर्वरकों के लिए 38 हजार करोड़ रूपये की सब्सिड़ी को स्वीकृति प्रदान की। जारी खरीफ मौसम में सस्ती दरों पर उर्वरकों की उपलब्धता के मद्देनजर, कुल उर्वरक सब्सिड़ी को बढ़ाकर 1.08 करोड़ रूपये कर दिया गया है। इस सब्सिडी में केन्द्रीय बजट 2023-24 में घोषित की गई यूरिया पर 70 हजार करोड़ रूपये की सब्सिडी भी शामिल है। 

    केन्द्र सरकार ने कहा कि उर्वरकों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कोई परिवर्तन नही होगा। पिछले कुछ महीनों में वैश्विक स्तर पर कीमतों में आई कमी के चलते जारी खरीफ के मौसम में पोटाश एवं फॉस्फेट उर्वरकों पर पर सब्सिडी पर का बोझ, सरकार कम करना चाहती है।

एक अनुमान के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान उर्वरकों पर होने वाला व्यय 2.25 करोड़ रूपये तक पहुँचनें की सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता। केन्द्रीय उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि कैबिनेट ने चालू खरीफ के मौसम के तहत फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

उर्वरक मंत्री ने बताया कि कैब्निेट के द्वारा नाइट्रोजन (एन) के लिए 76 रूपये प्रति किलोग्राम, फॉस्फोरस (पी) के लिए 41 रूपये प्रति किलोग्राम, पोटाश (के) के लिए 15 रूपये प्रति किलोग्राम तथा सल्फर (एस) के लिए 2.8 रूपये प्रति किलोग्राम सब्सडी देने के लिए   स्वीकृति प्रदान की है। उन्होने बताया कि सब्सिडी को कम किया गया है।

उदाहरण के तौर पर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतें 925 डॉलर प्रति टन से कम होकर 530 डॉलर प्रति टन रह गई हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में अक्टूबर से मार्च की छमाही में केन्द्रीय सरकार के द्वारा नाइट्रोजन (एन) के लिए 98.02 रूपये प्रति किलोग्राम, फॉस्फोरस (पी) के लिए 66.93 रूपये प्रति किलोग्राम, पोटाश (के) के लिए 23.65 रूपये प्रति किलोग्राम तथा सल्फर (एस) के लिए 6.12 रूपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी को निर्धारित की गई थी।

  • कैबिनेट के फैंसलों के अनुसार केन्द्रीय कैबिनेट के द्वारा पी एण्ड के उर्वरकों पर सब्सिडी देने के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान की है।

मिश्र के प्रतिस्पर्धा प्राधिकरण के साथ समझौते को भी स्वीकृति प्रदान की गई-

    केन्द्रीय कैबिनेट के द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) एवं मिश्र के प्रतिस्पर्धा प्राधिकरण (ईसीए)के मध्य प्रस्तावित अनुबंध पर भी हस्ताक्षर करने को स्वीकृति प्रदान की गई है। इन दोनों नियामकों के बीच एमओयू का द्देश्य सूचनाओं का आदान-प्रदान करना, सर्वोत्तम चलन को साझा करने के साथ ही साथ विभिन्न क्षमता निर्माण पूर्व के माध्यम से प्रतिस्पर्धा कानून और नीतियों में सहयोग को बढ़ावा देना एवं उसे सुदृढ़ता प्रदान करना है।