आलू की प्रमुख किस्में Publish Date : 20/11/2024
आलू की प्रमुख किस्में
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
आलू की तीन प्रमुख किस्में, जो बुवाई के 80-90 दिनों में हो जाएंगी तैयार और उत्पादन होगा बंपर।
अक्टूबर का महीना आते ही देश के अधिकांश किसान आलू की खेती की तैयारी में जुट जाते हैं। लेकिन कई बार फसल की उपज और मुनाफा किसान की उम्मीद से काफी कम होता है, जिससे किसान अक्सर निराश हो जाते हैं। देश के विभिन्न भागों की जलवायु को ध्यान में रखते हुए किसानों को आलू की सही किस्मों और खेती की उचित तकनीकों का चयन करना बेहद आवश्यक होता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने इस संदर्भ में कुछ अहम सुझाव दिए हैं। डॉ0 सेंगर का मानना है कि सही समय और मौसम के अनुसार आलू की उचित किस्मों का चुनाव करने से किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त हो सकता है। डॉ0 सेंगर ने किसान डॉट कॉम की खास बातचीत में आलू की तीन प्रमुख किस्मों के बारे में विशेष रूप से बताया जिनमें अगेती (जल्दी पकने वाली), मध्यम पकने वाली और पछेती (देर से पकने वाली) किस्में शामिल हैं।
आलू की रोपाई के 20 दिनों के अंदर आलू की फसल की पहली सिंचाई करना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में यदि समय पर सिंचाई नहीं हो पाती है तो 20-25 प्रतिशत तक आलू खराब होने की सम्भावना बनी रहती है। आलू की पछेती खेती में झुलसा रोग का खतरा अधिक रहता है, जिससे आलू की 80 प्रतिशात तक फसल नष्ट हो सकती है। इस रोग की रोकथाम करने के लिए लगभग हर 7 दिन के अंतराल पर मेन्कोजेब (Mencojeb) नामक दवाई का छिड़काव करना जरूरी होता है।
डॉ0 सेंगर ने बताया कि आलू की खेती करने के लिए खेत की जुताई अच्छी तरह से करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके साथ ही जैविक और रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग करना भी अति आवश्यक होता है। जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए प्रति हेक्टेयर 30 टन गोबर की खाद डालनी चाहिए, और रासायनिक खाद का अनुपात 150:90:120 (नाइट्रोजनःपोटाशःफास्फोरस) होना चाहिए। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से आलू में बीमारी लगने का खतरा रहता है, इसलिए इसका भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
आलू की अगेती किस्में: यह किस्में बुवाई के 80-90 दिनों में तैयार हो जाती हैं। आलू की प्रमुख अगेती किस्में निम्नलिखित हैं- राजेंद्र आलू-3, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी सतुराज और कुफरी आनंद आदि।
मध्यम पकने वाली किस्में: यह किस्में 100 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं और इन्हें अक्टूबर से नवंबर के अंत तक आसानी से बोया जा सकता है।
आलू की पछेती किस्में: यह किस्में 120 दिनों में पककर तैयार होती हैं और अन्य किस्मों की तुलना में यह उपज भी अधिक देती हैं। प्रमुख पछेती किस्में हैं - राजेंद्र आलू-1, कुफरी सिंदूरी और कुफरी लालिमा, जिनसे प्रति हेक्टेयर 400 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त करना संभव है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।