डीएपी: एक परिचय      Publish Date : 06/11/2024

                                  डीएपी: एक परिचय

                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

क्या है D A P खाद की फुल फॉर्म

डीएपी का तात्पर्य डायमोनियम फॉस्फेट से है, जो एक सांद्रित फॉस्फेट-आधारित उर्वरक है जिसका उपयोग पौधों को फास्फोरस, नाइट्रोजन और सल्फर प्रदान करने के लिए किया जाता है।  

डीएपी उर्वरक के अवयवों का विवरण और इससे प्राप्त लाभ कुछ इस प्रकार से हैं:-  

फास्फोरस

डीएपी फास्फोरस का एक उच्च स्रोत है, जो नए पौधों के ऊतकों के विकास और प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक तत्व होता है।  

नाइट्रोजन

डीएपी का 1: 1 N A P अनुपात इसे नाइट्रोजन का एक प्रभावी स्रोत बनाता है। डीएपी में नाइट्रोजन धीरे-धीरे स्रावित होता है और यह इसका भूमि निक्षालन का प्रतिरोध करता है।  

गंधक

डीएपी में मौजूद सल्फर पौधों को नाइट्रोजन और फास्फोरस को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में उनकी सहायता करता है।  

मिट्टी का पीएच

डीएपी उर्वरक कण के आसपास की मिट्टी के पीएच को अस्थायी रूप से बढ़ा देता है, जिससे पौधों को अम्लीय मिट्टी से फास्फोरस को अवशोषित करने में सहायता पा्राप्त होती है।

क्या है एन पी के खाद की फुल फॉर्म

                                                                   

एनपीके का अर्थ है नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम, यह तीन मुख्य पोषक तत्व हैं जो एक पूर्ण उर्वरक बनाते हैं:-

N: नाइट्रोजन का रासायनिक प्रतीक

P: फॉस्फोरस का रासायनिक प्रतीक

K: पोटेशियम का रासायनिक प्रतीक  

N A P के उर्वरक वह रासायनिक पदार्थ हैं जिनका उपयोग किसान फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए करते हैं। यह पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक तत्व होते हैं।  

एन पी के सम्बन्धित उर्वरकों को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता हैः

मिश्रित एनपीके उर्वरकः यह उर्वरक रासायनिक रूप से जुड़े घटकों के माध्यम से बने होते हैं।

मिश्रित एनपीके उर्वरकः यह उर्वरक एकल पोषण घटकों के भौतिक संयोजन होते हैं।  

भारत में रासायनिक खादों का प्रयोग 1960 के दशक में हरित क्रांति के दौरान आरम्भ किया गया था। इनका उपयोग खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाने के लिए किया गया था जिससे कि भारत को खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके और उसे दूसरे देशों से खाद्यान्न का आयात न करना पड़े।

डी.ए.पी. (DAP) तथा एन.पी.के. (NPK) में बेहतर कौन है ?

  • भारतीय कृषि में उर्वरक (खाद) का एक मत्वपूर्ण स्थान है।
  • चाहे किसी भी तरह की फसल क्यों न हो उसमें किसान खाद का प्रयोग जरूर करते हैं।

किसान भाई अधिकतर बुवाई के दौरान DAP तथा NPK खाद का ही प्रयोग करते हैं, बिना यह जाने की इनके प्रयोग से उन्हें क्या लाभ अथवा हानि हो सकती है।

इनके प्रयोग करने के दौरान अक्सर किसानों के पास इन दोनों खादों को लेकर एक ही सवाल रहता है कि इन दोनों में से बेहतर कौन है तथा किस फसल के लिए कौन सी खाद का प्रयोग करना अधिक उपयोगी साबित होता है।

ऐसे में हमारा ब्लॉग किसान जागरण डॉट कॉम आप के लिए इन दोनों खादों के सम्बन्ध में पूर्ण में जानकारी लेकर आया है।

डी.ए.पी. (DAP) खाद

                                                    

DAP की फुल फार्म Diammonium Sulphate होती है।

  • इसके अवयवों में 18 प्रतिशत नाईट्रोजन तथा 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है।
  • इस 18 प्रतिशत नाईट्रोजन में से 15.5 प्रतिशत अमोनियम नाईट्रेट होता है तथा 46 प्रतिशत फास्फोरस में से 39.5 प्रतिशत फास्फोरस पानी में घुलनशील होता है।
  • शेष बचा हुआ फास्फोरस मिट्टी में ही घुल जाता है।

डाई अमोनियम फास्फेट (डी.ए.पी.) की पहचान किसान भाई नीचे दिए गए गुणों के आधार पर कर सकते हैं-

एन.पी.के. (NPK) खाद

                                                      

DAP खाद तीन प्रकार के अनुपात में उपलब्ध होते हैं, जो खाद के पैकेट पर भी अंकित रहता है अर्थात 18:18:18, 19:19:19 तथा 12:32:16 के अनुपात में अंकित रहता है।

इस व्यवस्था में पहला अंक नाईट्रोजन, दूसरा अंक फास्फोरस तथा तीसरा अंक पोटेशियम को प्रदर्शित करता है। अधिकांश किसान भाई 12:32:16 के अनुपात को ही प्रयोग करते हैं।

इसमें 12 प्रतिशत नाईट्रोजन, 32 प्रतिशत फास्फोरस तथा 16 प्रतिशत पोटैशियम होता है।

अभी कुछ समय से जिंक कोटेड होने के कारण 0.5 प्रतिशत जिंक की मात्रा भी होती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।