मानसूनः बिहार के रास्ते यूपी आते ही ठिठक जाता है हर बार

                                                          मानसूनः बिहार के रास्ते यूपी आते ही ठिठक जाता है हर बार

                                                        

    गत बारह वर्षों में से करीब छह वर्षों में ऐसा हुआ है कि बिहार के रास्ते गौरखपुर में प्रवेश के बाद मानसून उत्तर प्रदेश में आकर ठिठक जाता है। इन गुजरे बारह वर्षों में छह बार बार मानसून गोरखपुर के रास्ते और दो बार चुर्क के रास्ते यूपी में दाखिल हुआ है। दक्षिणी-पश्चिमी मानसून ने थोड़ बहुत बारिश की और फिर ठिठक गया जो कई-कई दिनों तक रूका रहा।

    इस वर्ष चार जून को केरल के तट पर दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के पहुँचने के आसार हैं। दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के यूपी में आने की तारीख सामान्य रूप से 18 जून है, परन्तु अक्सर यह देरी से ही आता हैं।

    मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी से चलने वाली मानसूनी हवाएं उडीसा, झारखण्ड़ और बिहार के रास्ते उत्तर प्रदेश तक पहुँचती हैं, जब कभी इन हवाओं का करंट कमजोर होता है, तो प्रदेश में मानसून का आगमन देर से ही होता है, अथवा पूर्वांचल के जनपदों में ही ठिठक कर रह जाता है।

    मौसम विज्ञानी अतुल कुमार सिंह बताते हैं कि यूपी में मानसून के आने के बाद उसके आगे न बढ़ने के पीछे बंगाल की खाड़ी से चलने वाली हवाओं का कमजोर पड़ जाना भी एक महत्वपूण कारण है। जम्मु कश्मीर को छोड़ उत्तर पश्चिम भारत में इस बार मानसून की बारिश सामान्य से भी कम रहने के आसार हैं।

                                                

                   बीते वर्षों में उत्तर प्रदेश में मानसून के आने के बाद उसकी चाल

वर्ष      यूपी में आने का समय आने के बाद ठहराव (दिनों में)
2022 17 जून चुर्क सोनभद्र में आया 29 जून को फिर से सक्रिय हुआ और 10 दिनों क वहीं ठहरा रहा।
2021 13 जून  आया और सक्रिय ही रहा।
2020 18 जून कुछ जिलों में बरस कर 25 जून तक ठिठका ही रहा।
2019 22 जून 24 जून तक बढ़ा और इसके बाद एक जुलाई तक रूका रहा।
2018 27 जून 28 जून को पूरे प्रदेश में सक्रिय हो गया था।
2017 22 जून (चुक्र से) 30 जून तक ठहरा ही रहा।
2016 19 जून  21 जून से आगे बढ़ा।
2015 23 जून 25 जून को पूरे प्रदेश में सक्रिय हुआ।
2014 19 जून  30 जून तक ठहरा रहा।
2013 13 जून 16 जून तक पूरे प्रदेश में सक्रिय हुआ।
2012 21 जून   04 जुलाई तक ठहरा रहा।
2011 17 जून   निरन्तर आगे ही बढ़ता रहा।

                                          एक बादाम के उत्पादन में लगता है 3.2 गैलन पानी

             रियो वेर्डे तराई के लोगों का साक्षातकार करते हुए मुझे उनसे यह पूछने की हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी कि क्या मै उनके बाथरूम का उपयोग कर सकता हूँ, क्योंकि वहाँ अतिरिक्त पानी नहीं है, इसलिए वहाँ के कुछ परिवार तो दिन में केवल एक बार ही शौचालय जाते हैं और नहाने पर तो राशनिंग हैं जो कि समयबद् हैं।

                                                    

            स्कॉट्सडेल शहर से आपूर्ति किए जाने वाले पानी की लाईन इस क्षेत्र से काट दिए जाने के बाद यहाँ पानी की बेहताशा कमी हो गई है। अत यहाँ पानी को बचाने की सबसे पहली आवश्यकता है। यह पूरें पश्चिम का संकट है, जिसे सस्ते पानी पर बसाया गया था, परन्तु अब वैश्विक जलवायु परिवर्तन के चलते सूखा बढ़ने से सस्ते पानी का उपयोग करना बीते दिनों की बात हो गई है।

एरिजोना क्षेत्र, सेवानिवृत्त लोगों को बड़ी संख्या में अपने गोल्फ कोर्स के कारण बहुत आकर्षित करता है। कभी-कभी 18 छिद्र वाले एक गोल्फ कोर्स के लिए सालाना 20 करोड़ गैलन पानी की आवश्यकता होती है। वैसे पानी सर्वाधिक खपत घर, विशाल लॉन, झरने, उद्योगों या गोल्फ कोर्सों में नही होती, बल्कि खेती में होती है।

एक ताजा अध्ययन के अनुसार, 17 पश्चिमी प्रान्तों में 88 प्रतिशत पानी का उपयोग खेती के कार्यों में होता है, जबकि घरों में मात्र सात प्रतिशत पानी का उपयोग ही किया जाता है।

कैलीफोर्निया एक बादाम उत्पादित करने वाला राज्य हैं, वर्ष 2019 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार बादाम का एक फल उत्पादन करने में 3.2 गैलन पानी खर्च होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र को एक बड़े सूखे का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर में कुएं सूख रहे हैं और यूटा स्थित ग्रेट सॉल्ट लेक भी लगभग दो-तिहाई तक सिकुड़ चुका है।

इस क्षेत्र में पानी काफी दूर से लाया जा रहा है और लोग 11 सेंट प्रति गैलन की दर से पानी खरीदने के लिए विवश हैं। इस बीच कोलाराडो नदी में जल का स्तर कॉफी कम हो गया है। बाइडन प्रशासन के द्वारा कैलीफोर्निया, एरिजोना एवं नेवादा के पानी के आवंटन में समान रूप से एक-चौथाई तक की कटौति कर दी के बचे हुए हिस्से को बचाने का प्रस्ताव दिया गया है।

मुख्य समस्या यह है कि पानी का आवंटन बाजार मूल्यों पर नही किया जाता है, अपितु अक्षम सिंचाई अधिकारों के एक समूह के माध्यम से किया जाता है, जो कि ‘‘पहले आओ, पहले पाओं’’ के आधार पर दिए जाते हैं। यह पानी इतना सस्ता है कि पानी का उपयोग कम करने के लिए तकनीकी नवाचारों को संरक्षित या विकसित करने के लिए कोई गम्भीर प्रयास नही किए जा रहें हैं।

पानी को समान्य रूप से उसके बाजारी भाव के हिसाब से नियन्त्रित किया जाता है, इसमें आने वाली बहुत सी कमियाँ तो स्वतः ही दूर हो जाएंगी। किसान बादाम के बागों की सिंचाई नही करेंगे, अगर उन्हें प्रत्ये बादाम का उत्पादन करने के लिए बाजारू भाव से 3.2 गैलन पानी खरीदना पड़ेगा।

                          कृत्रिम बुद्विमतता लाभदायक होने के साथ ही किसी महामारी एवं परमाणु युद्व के जैसी खतरनाक भी है

                                   

    कृत्रिम किसी बुद्विमतता के बहुत से लाभ तो हैं ही, परन्तु यह किसी भी प्रकार से किसी महामारी एवं परमाणु युद्व के खतरों से कम भी नही है। इस तकनीकी से खतरनाक हथियारों की दौड़ बढ़ने की प्रबल आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। यह आशंका एआई के खतरों के विशेषज्ञों के द्वारा जारी किए गए एक खुले पत्र के माध्यम से सामने आई । इस पत्र पर 350 लोगों के द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, और सेंटर फॉर एआई सेफ्टी (सीएआईएस) के द्वारा इस पत्र को प्रकाशित किया गया है। 

    इस पत्र पर शीर्ष आटिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) वैज्ञानिक एवं अधिकारियों ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें ज्योफ्री हिंटन और योशुआ बेगियो जैसे नाम भी शामिल हैं। ज्योफ्री हिंटन को एआई का गॉडफादर भी कहा जाता है। हालांकि, एआई को लेकर ओपनएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैम और गूगल डीपमाइंड के के कार्यकारी अधिकारी डेमिस हसबिस के द्वारा भी इस पर अपनी चिंताएं प्रकट की गई हैं।

  मेटा ने इस पत्र से किया किनारा

    सेंटर फॉर एआई सेफ्टी की ओर से बताया गया कि मेटा की ओर से इस पत्र पर कोई हस्ताक्षर नही किये गये हैं। सीएआईएस के निदेशक डेन हैड्रिक्स ने कहा कि हमने कई मेटा कर्मचारियों से इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था।

सबसे पहले मस्क ने गई थी चिंताः हैड्रिक्स ने बताया कि स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क एवं कई अन्य एआई विशेषज्ञ एवं अधिकारी पिछले महीने एआई के सम्भावित खतरे जताने वाले प्रथम व्यक्ति थे। उन्होंने बताया कि हमने मस्क से अनुरोध किया है और हमें आशा है कि वह इस सप्ताह पत्र पर हस्ताक्षर कर देंगे। 

स्मार्ट मशीनों को लेकर भय का माहौल तैयार किया जा रहा है-

                                 

    डेन हैड्रिक्स कहते हैं कि एआई के द्वारा गोपनीयता के उल्लंघन, भ्रामक सूचना अभियानों के सम्बन्ध मे मशीनों को लेकर भय उत्पन्न किया जा रहा है। गैर-लाभकारी संस्था फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट (एफएलआई) के द्वारा इस प्रकार के पत्र को जारी करने के लगभग दो महीनों के बाद उक्त चेतवनी आयी हैं। इस पत्र पर भी मस्क समेत अन्य सैंकड़ों लोगों के हस्ताक्षर थे, इसमें मानवता के लिए खतरों का हवाला देते हुए उन्नत एआई अनुसंधान पर तत्काल रोक लगाने की माँग की गई थी।

    एफएलआई के अध्यक्ष मैक्स टेगमार्क के द्वारा हैड्रिक्स के वर्तमान पत्र पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं।