कार्डियक अरेस्ट, डायबिटीज आदि रोगों से बचने के लिए युवा करें यह उपाय      Publish Date : 14/10/2024

कार्डियक अरेस्ट, डायबिटीज आदि रोगों से बचने के लिए युवा करें यह उपाय

                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

गैर-संक्रामक बीमारियों में दिल की बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े है - जो कि वर्ष 1990 में 25.7 मिलियन से बढ़कर 2023 में 64 मिलियन तक हो चुके हैं। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के डेटा के अनुसार, भारत में दुनिया भर के कुल डायबिटीज के मामलों का 15 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है।

हाल के दिनों में कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) के मामलों में भ काफी तेजी देखी गई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसे मामलों का सही समय पर पता कैसे लगाया जाए और उन्हें रोका कैसे जाए। भारत में और मेडिकल क्षेत्र में दिल की बीमारियों और गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। इसके लिए भारत के युवाओं की जीवनशैली और स्वास्थ्य से जुड़ी उनकी आदतों में सुधार व्यापक करने की जरूरत है।

गैर-संक्रामक बीमारियों का बढ़ना, जैसे दिल की बीमारियां, स्ट्रोक, कैंसर, डायबिटीज और फेफड़ों की बीमारियां आदि मौतों का एक कारण हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ऐसी बीमारियां दुनिया भर में 74 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार होती हैं। यह बीमारियां 21वीं सदी की सबसे चुनौतीपूर्ण लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं मानी जा रही हैं।

दिल की बीमारियों के मामलों में तेजीः

                                                                

इसके अलावा, 40-50 प्रतिशत दिल से जुड़ी बीमारियां 55 साल से कम उम्र के लोगों में पाई जाती हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, उम्मीद की जाती है कि अब हमारे समाज और विशेष रूप से युवाओं को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बहुत आवश्यक है। लेकिन तेज-तर्रार जीवनशैली, डिजिटल आदतें, काम-काज व जिंदगी में संतुलन की कमी एक हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए अनुकूल माहौल नहीं प्रदान करती हैं।

सोशल प्रेशर और लाइफस्टाइल की खराब आदतें:

पर्सनल और प्रोफेशनल्स गोल्स को हासिल करने का बढ़ता हुआ दबाव, दोस्तों और समाज की उम्मीदें और खराब खानपान की आदतें तथा लंबे समय तक तनाव और चिंता का कारण बनती हैं। इससे शरीर में कोर्टिसोल हार्माेन का प्रोडक्शन बढ़ता है, जो दिल की बीमारियों को और बढ़ावा देता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 2018 के आंकड़ों से पता चलता है कि बढ़ता हुआ कोर्टिसोल न केवल गैर-संक्रामक रोगों को बढ़ाता है, बल्कि यह अंतःस्रावी और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं का कारण भी बन सकता है। क्लीनिकल स्टडीज और हालिया मामलों ने यह भी बताया है कि हाई कोर्टिसोल डीएनएस तक को नुकसान पहुंचा सकता है।

इस भ्रम में न रहें कि मैं अभी जवान हूँ:

                                                                

आमतौर पर यह माना जाता है कि ‘‘ अभी तो मैं जवान हूं, मुझे डायबिटीज या दिल की बीमारियों जैसी खामोश बीमारियां नहीं होंगी’’ लेकिन असल में, गैर-संक्रामक बीमारियां धीरे-धीरे कई सालों में विकसित होती हैं। 20 और 30 की उम्र में की गई खराब लाइफस्टाइट की आदतें भविष्य में स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकती हैं। युवा पेशेवर जो करियर बनाने की होड़ में लगे होते हैं, अक्सर अपनी बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल और काम की आदतों की अक्सर अनदेखी कर देते हैं।

जो लोग जंक फूड के खतरों को समझते हैं, वे भी सही खानपान के फैसले नहीं कर पाते, कई प्रोडक्ट्स में शुगर छिपी होती है, जैसे ‘‘हेल्दी’’ कहे जाने वाले फूड्स में. उदाहरण के लिए स्मूदी, एनर्जी बार, फ्लेवर्ड योगर्ट और यहां तक कि कुछ सलादों में भी शुगर की अधिकतम मात्रा उपलब्ध होती है, जो गैर-संक्रामक रोगों और तनाव को बढ़ावा दे सकती है।

लंबे समय से तनाव एक बड़ा कारकः

समय के साथ, लंबे समय तक तनाव के साथ जीने से कोर्टिसोल लेवल को बढ़ाता है, हाई ब्लड प्रेशर होता है और शरीर में सूजन होती है, जो दिल की बीमारियों का कारण भी बन सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है, फिर भी यह बहुत से युवाओं के लिए प्राथमिकता में शामिल नहीं होता है।

समाज या कॉर्पोरेट सेटअप को दोष देना इस समस्या का हल नहीं है, बल्कि हमें समस्या को समझने और मानने की जरूरत है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर एक संतुलित तरीका अपनाने की जरूरत है। युवाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सोच को बदलकर इसकी रोकथाम पर ध्यान देना होगा, तब ही इस समस्या से मुक्ति मिल सकेगी।

यह एक आमधारणा कि ‘‘जवानी’’ गंभीर बीमारियों से हमारा बचाव करती है, जो कि गलत और खतरनाक है। कैंसर, हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसे साइलेंट किलर उम्र देखकर हमला नहीं करते हैं बल्कि वे तो आपकी अनदेखी का फायदा ही उठाते हैं।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।