गर्मी से बचाव

                                                                             गर्मी से बचाव

    बच्चों, बुजुर्गों एवं घर से बाहर निकलने वाले लोगों को होता है अधिक खतराः- लू लगने का सबसे अधिक खतरा बच्चों, बुजुर्गों एवं पहले से किसी रोग को भोग रहे लोगों को रहता है, क्योंकि उनके शरीर के तापमान को नियन्त्रित करने वाला सिस्टम ठीक से काम नही करता है।

इसके साथ ही जो लोग धूप में अधिक देर तक कार्य करते हैं, उन्हें भी लू लगने की सम्भावना अधिक होती है। शरीर से जिस मात्रा में पसीने का निष्काशन होता है, उसी के अनुपात में इलेक्ट्रोलाईट पानी पीने की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रोलाईट पानी का अर्थ है जिस पानी के अन्दर खनिजों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध हो।  

                                                

वर्तमान में सूर्य की गर्मी हमारे तन को झुलसा रही है, और दोपहर के समय धूंप की तीव्रता एवं गर्म हवाओं का प्रभाव सर्वाधिक रहता है। गर्मी के कारण डायरिया, टाइफाईड एवं त्वचा का संक्रमण होने की आशंका भी अधिक रहती है। गर्मी का सामना स्वच्छ खानपान, धूंप से बचाव एवं कुछ अन्य सावधानियों को अपनाकर ही कर पाना सम्भव है।

    चूँकि हमारे शरीर का सामान्य तापमान 95.5 फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) होता है। वातावरण का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर हमारी त्वचा इसे नियन्त्रित करती है, जिससे पसीने का निकलना शुरू हो जाता है। वातावरण के तापमान में चार से पाँच डिग्री सेल्सियस की वृद्वि होने से शरीर के तापमान को नियन्त्रित करना कठिन हो जाता है और गर्मी एवं लू अदि के लग जाने के कारण थकावट, बेहोशी जैसे अनेक लक्षण सामने आने लगते हैं।

लक्षण एव्र बचावः तेज धूंप के लगने से हमें अपने शरीर में पानी की कमी/हीट एक्जर्शन का अनुभव होने लगता है। इसके कारण प्यास बहुत अधिक लगने लगती है, सिरदर्द होने लगता है, उल्टी लगना, चक्कर आना, बुखार एवं पसीना अधिक आने के जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं, इसे ही हीट सिंड्रोम कहते हैं।

    लगातार या अधिक समय तक लू के सम्पर्क में रहने से शरीर से पसीने का निकलना बिलकुल बन्द हो जाता है, जो कि एक खतरे की घंटी होती है। पसीने का बन्द होना ही हीट स्ट्रॉक का लक्षण है, जिसके कारण किडनी एवं लीवर जैसे शीरर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बन्द कर सकते हैं और यह जानलेवा हो सकता है। लू लगने पर तुरन्त अस्पताल मे जाना चाहिए, क्योंकि इस स्थिति में शरीर को बहुत तेजी के साथ ठण्ड़ा करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए शरीर को बर्फ से स्पंज करने के साथ ही साथ तापमान को नियन्त्रित करने के लिए ड्रिप भी लगाना पड़ सकता है।

बच्चे, बुजुर्गों एव घर से बाहर निकलने वालों को अधिक खतराः- लू लगने का सबसे अधिक खतरा बच्चों एवं बुजुर्गों में सबसे अधिक होता है, क्योंकि उनके शरीर के तापक्रम को कन्ट्रोल करने वाला सिस्टम ठीक से कार्य नही कर पाता हैं। इसके अलावा, जो लोग धूप में ज्यादा देर तक काम करते हैं, उनमें भी लू लगने की आशंका अधिक रहती है।

    आपके शीरर से जितनी मात्रा में पसीना निकलता है, उसी मात्रा के अनुरूप ही आपको इलेक्ट्रोलाइट पानी पीने की आवश्यकता होती है जबकि इलेक्ट्रोलाइट पानी का अर्थ है वह पानी, जिसमें पर्याप्त मात्रा में खनिज उपलब्ध हों। यही कारण है कि गर्मियों में ओआरएस का घोल पीने की सलाह दी जाती है, जिससे कि हमारे शरीर का हाइड्रेशन बना रहे। सुबह 11.00 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक के बीच लू लगने की आशंका सबसे अधिक रहती है अतः इस समय के दौरान धूंप से बचने का भरसक प्रयास करना चाहिए।

बचाव के तरीके-

  • बच्चों, बुजुर्गों एवं महिलाओं को धूंप से बचकर ही रहना चाहिए।
  • घर से बाहर जाते समय छाते का प्रयोग करें तथा अपने सिर एवं चेहरे आदि को कपड़े से ढंककर रखें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी एवं जूस अर्थात पेय पदार्थों का सेवन करें और ढीले-ढाले वस्त्रों का प्रयोग करें।
  • धूंप से आँखें के बचाव के लिए काले रंग के चश्मों का उपयोग करें।
  • फलों के जूस, नारियल पानी, सत्तु, बेल का शरबत और छाछ आदि का सेवन करने से हमारे शरीर ऊर्जावान बना रहता है।
  • जिन लोगों की बाहर काम करने की विवशता होती है, वे अपने काम को दोपहर के स्थान पर शाम अथवा सुबह के समय अपने काम कर सकते हैं।

ऐसी बातों का विशेष ध्यान रखें-

  • एसी से निकलकर किसी गर्म स्थान पर जाने से बचेंः- वातानुकूलि कमरे अथवा कार इत्यादि से निकलकर तुरंत किसी गर्म स्थान पर जाने से हमारे शरीर को अपने तापमान का संतुलन बनाने में दिक्कतें आती हैं, ऐसा करने से हमें सर्दी-जुकाम हो सकता है और हमारा स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है।
  • धूंप में से आकर तुरंत फ्रिज के पानी का सेवन न करेंः- कुछ लोग धूंप या बाहर से आने के तुरंत बाद फ्रिज में रखे ठण्ड़ पानी का सेवन कर लेते हैं, इससे उस व्यक्ति को सर्दी-जुकाम लग सकता है। धूंप में से आने के बाद कुछ देर विश्राम कर शरीर को ठण्ड़ कर लेने के बाद पानी का सेवन करना अच्छा रहता है।
  • पैरासिटामोल न लें, ठण्ड़े पानी से स्नान करेंः- लू लगने के कारण यदि किसी को बुखार आ रहा है, तो उसे स्वयं के अनुसार पैरासिटामोल आदि टेबलेट्स लेना उसके लीवर एवं किडनी आदि के लिए घातक सिद्व हो सकता है। इसके स्थान पर दिन में कई बार स्नान करना लाभदायक सिद्व हो सकता है।
  • रेहडी पर बिकने वाले पानी का सेवन न करेंः- गर्मी शुरू होते ही स्थान-स्थान पर रेहड़ियों पर पानी बिकना शुरू हो जाता है। आमतौर पर रेहडियों पर बिकने वाले पानी के टैंकों की साफ-सफाई समुचित तौर पर नही की जाती है। अतः रेहड़ियों पर बिकने वाला यह पानी एवं खुलें में बिकने वाले कटे हुए फलों को खाने से डायरिया के अलावा कई अन्य परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं।
  • फलों को साफ करके ही खाएंः- यह प्रकृति का करिश्मा है कि गर्मियों के मौसमी फल तरबूज, खरबूजा, आम एवं लीची आदि में पानी की मात्रा अधिक ही होती है। गर्मी के दिनों में अन्य मौसमी फलों, खीरा एवं ककड़ी आदि का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। इन फलों को पकाने के लिए विभिन्न प्रकार के कैमीकल्स का प्रयोग किया जाता है, अतः फलों को अच्छी तरह से धोकर ही इनका उपयोग करना चाहिए।
  • दमा/अस्थमा के रोगी रहें सतर्कः- गर्मियों के दिनों में कई बार धूलभरी आँधी के चलने से वातावरण में धूलकणों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे सांस के रोगियों की परेशानियाँ बढ़ सकती हैं। इस कारण दमा/अस्थमा के मरीजों को अतिक्ति सतर्कता बरतनी चाहिए। सांस फूलने की समस्या होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।