जल प्रदूषण

                                                                                                                       डाॅ0 आर. एस. सेंगर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल प्रदूषण का कारण बनने वाली प्रत्येक विकृति को दूर करने का आवाहन करते हुए कहा कि हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से अपनी पुरानी आस्था पैदा करनी होगी। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में जल संरक्षण जैसे कामों को लेकर लोगों की जागरूकता बढ़ी है। वह राजस्थान के ब्रह्मा कुमारीज संस्थान के जल-जन अभियान की शुरुआत कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोगों ने हजारों वर्ष पहले की प्राकृतिक पर्यावरण एवं पानी को लेकर संयमित संतुलित और संवेदनशील व्यवस्था का सर्जन किया था। हमारे यहां कहा गया है कि हम जल को नष्ट न करें उसका संरक्षण करें। यह भावना हजारों वर्षों से हमारे आध्यात्मिक एवं धर्म का हिस्सा रही है। 
यह हमारे समाज की संस्कृति है हमारे सामाजिक चिंतन का केंद्र है इसलिए हम जल को  देव की संज्ञा देते हैं नदियों को अपनी माँ मानते हैं। मोदी ने कहा कि हमें जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से ऐसी ही अवधारणा पैदा करनी होगी।


जल संरक्षण के लिए आस्था पैदा करें मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के सिरोही जिले से जल-जन अभियान की शुरुआत करते हुए लोगों से पानी की बर्बादी रोकने की अपील की है। इसके साथ ही जलाशयों के संरक्षण के प्रति भी लोगों को एकजुट होने का आवाहन किया है। विश्व बैंक के अनुसार देश में हर व्यक्ति को रोजाना औसतन 1 से 50 लीटर पानी की जरूरत होती है, वहीं प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 45 लीटर पानी अपनी गलतियों या लापरवाही से बर्बाद कर देता है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है और हमें जल प्रदूषण का कारण बनने वाली हर विकृति को दूर करने का प्रयास करना होगा।


गिरता भूजल स्तर है हम लोगों के लिए चुनौती
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जल प्रदूषण की तरह ही गिरता भूजल स्तर पर भी एक बड़ी चुनौती है इसके लिए देश में ‘‘कैच द रेन’’ अभियान शुरू किया है। हजारों ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना के जरिए भी जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है इस पर और जोर देने की आवश्यकता है, जिससे हम गिरते हुए भूजल स्तर को रोक सकते हैं।
जल संचयन पर ध्यान देने की आवश्यकता
वलर््ड वाटर रिसोर्ट इंस्टिट्यूट के अनुसार भारत को हर साल करीब 3000 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है। वहीं बारिश से भारत अकेले 4000 क्यूबिक मीटर जल एकत्र कर सकता है, परन्तु दुर्भाग्य यह है कि भारत सिर्फ आठ फीसदी वर्षा जल का ही संचयन कर पाता है बारिश के पानी का पूर्ण रूप से संचय किया जा सके भारत भविष्य के होने वाले जल संकट से अपना बचाव कर सकता है।
तेजी से कम हो रही है जल की उपलब्धता
जल शक्ति मंत्रालय के जल शक्ति अभियान के अनुसार देश में बीते 75 वर्षों में पानी की उपलब्धता में तेजी से गिरावट आई है। वर्ष 1947 में सालाना प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 6042 क्यूबिक मीटर थी, जो कि वर्ष 2021 में घटकर 1486 क्यूबिक मीटर ही रह गई है। जल बचाने के लिए हमें जागरूक होना होगा और इसके लिए सभी को .एकसाथ मिलकर कार्य करना होगा।
भारत में हर साल लगभग 60 करोड लोग जल संकट से जूझते हैं। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड समेत प्रदेश के कई जिलों में 2022 में जल संकट से जूझना पड़ा था। जलस्तर नीचे जाने से संकट लगातार बढ़ रहा है।


पीने नहाने पर कम खर्च हो पानी
भारत में एक व्यक्ति प्रतिदिन और स्थान नहाने और खाने पर 5 लीटर पानी खर्च करता है, जो उसके द्वारा उपभोग किए जाने वाले पानी का 3 फीसदी है। सरकारी क्षेत्रों में लोग नल से पानी लेने के लिए पहले से बर्तन में मौजूद पानी फेंक देते हैं, रोजाना एक व्यक्ति 10 लीटर साफ पानी फेंक कर बर्बाद कर देता है।

प्रधानमंत्री मोदी की अपील
आजादी के अमृत काल में आज देश जल को कल के रूप में देखेगा तभी आने वाला कल भी रहेगा और इसके लिए हम सभी को आपस में मिलकर आज से ही प्रयास करने होंगे।