रोजगार एवं आमदनीं का उद्योगः कृषि पर्यटन

                                                               रोजगार एवं आमदनीं का उद्योगः कृषि पर्यटन

                                                                                                                   डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 शालिनी गुप्ता एवं मुकेश शर्मा

‘भारत जैसे विकासशील देशों में अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में से एक पर्यटन मुख्य तौर पर उभर कर सामनें आया है। यह न केवल राष्ट्रीय अरय के एक बड़े भाग में इसका योगदान रहा है। यह भावी विस्तार और विविधिकरण के लिये बड़ी सम्भावानाओं के साथ देश के सबसे तेजी से वृद्वि करने वाला सेवा उद्योग बन चुका है। देश के पर्यटन उद्योग के विकास से जुड़ें पेशेवरों ने दशकों से पर्यटन  के निरन्तर विकास और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते आर्थिक क्षेत्रों में से एक बनने के लिए विविधिकरण पर विशेष जोर दिया गया है।

                                                            

पर्यटन  सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरीकों से ही विकाशसील देशों को आकार देने की शक्ति के साथ एक सम्पन्न वैश्विक उद्योग बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में तेजी से पर्यटन  उद्योग का विकास हुआ है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद, विदेशी मुद्रा आय और रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत अपनी समृद्व प्राकृतिक सुन्दरता के साथ पर्यटन  को बढ़ावा देने वाले सबसे महत्वपूर्ण देशों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दृष्टि को एक नया रूप प्रदान करेन के लिए कृषि क्षेत्र को पर्यटन से जोड़कर एक नया स्वरूप प्रदान किया जा रहा है।’’

          केन्द्र सरकार ने किसानों की आमदनी को वर्ष 2022 ते दुगुना करने लक्ष्य निर्धारित किया है। इसक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु खेती और उससे सम्बद्व उद्योागें पर भी भरपूर जोर दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कृषि पर्यटन को आगे बढ़ाना आज के समय की मांग है। पर्यटन क्षेत्र में र्प्याप्त रोजगार सृजन की अपार सम्भावना विद्यमान हैं, ऐसे में कृषि पर्यटन जैसे नए क्षेत्रों के विकास से दोहरा लाभ हो रहा है।

इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, गरीबी उन्मूलन और सतत् मानव संसाधन विकास को भी बल मिलेगा। यहां अनाने वाले अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक भारत के गावों को देखने की अभिलाषा रखते हैं। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ऐसा करना फिलहाल पूरी तरह से नही हो पा रहा है। विदेशी सैलानियों के अतिरिक्त घरेलू पर्यटकों की संख्या अधिक है, जो गांव और कृषि और पर्यटन में अधिक रूचि रखते हैं।

भारत में एगो टूरिज्म की शुरूआत

           महाराष्ट्र और हरियाणा में कृषि पर्यटन केन्द्रों को बढ़ावा देने के साथ भारत में इसकी शुरूआत वर्ष 2004 में औपचारिक रूप से हूई थी। महाराष्ट्र के बारामती टूरिज्म सेंटर में लोगों का आना-जाना काफी हद तक बढ़ गया है। सेंटर ने इसे कृषि पर्यटन के तौर पर विकसित किया है। बारामती सेटर को विशेष पर्यटन के लिए राष्ट्रपति पुरूस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। महाराष्ट्र के चन्द्रपुर में कुछ युवाओं ने केन्द्र्र सरकार की अपील पर इसी क्षेत्र में र्स्टाटअप में इसकी शुरूआत की है।

15 हैक्टर क्षेत्रफल में इसकी विधिवत शुरूआत बहुत ही भव्य और शानदार रही है। हिमाचल प्रदेश के सेब के बागानों में रहने, खाने, सेब तोड़ने, पैकिंग करने एवं सेब के उत्पान से जुड़ी अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए पर्यटकों अग्रिम पुजिकरण किया जाता है।

                                                      

एग्रो टूरिज्म डेवलेपमेंट कॉपोरेशन ऑफ इण्डिया ने वर्ष 2014 में देश के 218 किसानों और उनके फार्म को को इसकी अनुमति प्रदान की थी, परन्तु यह समस्त गांव महाराष्ट्र के ही  हैं। कृषि पर्यटन के क्षेत्र में कदम बढ़ाने वाला द्वितीय राज्य हरियाणा बना है, जहां भारत सरकार के द्वारा कई स्थानों पर किसानों को एग्रो टूरिज्म की अनुमति प्रदान की है।

यहाँ पर भी पर्यटकों के ठहरने की पूर्ण सुविधा उपलब्ध है। दिल्ली के निकट सिथत हर्बल बागीचे में लगभग सभी प्रकार की जड़ी-बूटियों के पौधों को लगाया गया है। यहां भेड़-बकरी, गाय, ऊंट घोडा, मुर्गी, भैंस आदि को देखने के साथ-साथ कलरव करते छोट-छोटे पक्षियों को भी सुना जा सकता है। गाय के गले में बंधी घंटियां किसी का भी मन मुग्ध करने की क्षमता रखती हैं। बरगद और पीपल के पुराने भारी-भरकम वृक्षों छाया में शीतल हवाएं किसी को भी यहां पर आने के लिए विवश कर सकती हैं।

          देश में कृषि पर्यटन को विकसित करने एवं इसको बढ़ावा देने के क्रम में महाराष्ट्र अग्रणी राज्य के रूप में उभर कर सामने आया है। यहां कृषि पर्यटन विकास निगम वर्ष 2005 में प्रारम्भ किया गया, पुणे शहर से 70 किमी दूर स्थित बारामति जिले के पलशीवाड़ी में 25 एकड़ के क्षेत्रफल में एग्राम पायलट टूरिज्म का प्रोजेक्ट है। यहां की मुख्य गमिविधियों में एग्रो टूरिज्म को बढ़ावा देने, प्रशिक्षण तथा अनुसंधान आदि कार्यक्रमों का संचालन करने हेतु अधिक से अधिक किसानों को प्रोतहित करने के साथ-साथ एग्रो टूरिज्म कार्यक्रम का संचालन करना भी हैं।

यह एकमात्र मंच है, जिसके अन्तर्गत अधिकांश पर्यटकों की बुकिंग की जाती है और उसके बाद पर्यटकों को राज्य के विभिन्न केन्दों पर भेजा जाता है। इससे किसानों की विपणन की लागत की बचत भी होती है तथा वे स्वयं भी बुकिंग ले सकते हैं। एग्रो टूरिज्म डेवलेपमेंट कॉपोरेशन (एटीडीसी) केवल किसानों को सहायता प्रदान करता है।

          वर्ष 2007 में एटीडीसी ने महाराष्ट्र कृषि पर्यटन विस्तार योजना के साथ-साथ प्रशिक्षण एवं कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया था। पहले 52 किसानों को महाराष्ट्र में चुना गया। यह कृषि पर्यटन मॉडल महाराष्ट्र के 30 जिलों के 328, पर्यटन केंद्रों में दोहराया गया है, जिससे गांव के वातावरण, गांव की परम्पराओं और संस्कृति, रीति-रिवाजों, कला व हस्तशिल्प को संरक्षित करने में भी काफी सहायता मिली है। एग्रो टूरिज्म मॉडल गांव की संस्कृति, कृषि, परम्पराओं आदि का प्रदर्शन करके आंगतुकों को प्रमाणिक अनुभव प्रद्वत करता है। इसने स्थाई आय के स्रोतों को हासिल करने और स्थानीयरोजगार सृजित करने में भी उल्लेखनीय सहायता प्रदान की है।

भारत में कृषि पर्यटन

          भारत में कृषि और पर्यटन दोनों ऐसे क्षेत्र हैं, जो सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराते हैं, इसके साथ ही इन दोनों ही क्षेत्रों में रोजगार की असीम सम्भावानाएं विद्यमान हैं। हमारे देश की अधिकांश जनता गावों में ही निवास करती है और वह कृषि पर ही निर्भर है। गांवों से शहर पहुंच कर भी लोग अपनी जड़ों की यादें बनाए रखना चाहते हैं। पूर्ण रूप से शहरी हो चुके लोग भी अपने बाल-बच्चों को गांवों को नजदीक से दिखाना चाहते हैं। विदेशी सैलानियों की रूचि भी भरत के ग्रामीण जीवन और कृषि पर लोगों कोजानने वसमझनें में अधिक है। इसी कारण भारतीय अर्थव्यवसा की रीढ़ कृषि के क्षेत्र में पर्यटन एक नई सम्भावना के रूप में उभर कर सामने आया है।

                   वर्ष 2014, 2015 और 2016 में एटीडीसी के सर्वेक्षण के माध्यम से ज्ञात हुआ कि 0.40 मिलियन, 0.53 मिलियन, 0.7 मिलियन पर्यटकों ने क्रमशः इन केन्द्रों का दौरा किया है, जिससे किसान परिवारों को 35.79 मिलियन मूल्य की भारतीय मुद्रा की प्राप्ति हुई है, इसके साथ ही महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार की प्राप्ति भी हुई।

भारत में कृषि पर्यटन की सम्भावनाएं

          वास्तविक ग्रामीण जीवन का अनुभव करना, स्थानीय वास्तविक भोजन का स्वाद उठाना तथा विभिान्न कृषि कार्यों से परिचित होना ही एग्रो टूरिज्म कहलाता है। वर्तमान दौर में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि ही है। यहां की लगभग 75 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भर है। किसी पेशे अथवा व्यवसाय से अधिक कृषि भारत की संस्कृति है। इसलिए मौजूदा कृषि में अतिरिक्त आय प्रदान करने वाली गतिविधियों को सम्बद्व करने से निश्चित रूप से राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में   कृषि का योगदान बढ़ेगा अतः इस दिशा में गम्भीर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

          पर्यटन को रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन और सतत् मानव विकास के लिए एक साधन के रूप में देखा जाता है। वर्ष 1999-2000 के दौरान पर्यटन द्वारा सृजित प्रत्यक्ष रोजगार 15.5 मिलियन था। इसके अतिरिक्त पर्यटन राष्ट्रीय एकीकरण और अन्तर्राष्ट्रीय समझ को बढ़ावा भी देता है, इसके साथ ही स्थानीय हस्तशिल्प और सांस्कृतिक गतिविधियों का समर्थ भी करता है।

कृषि पर्यटन की सम्भावनाएं

                                                              

          कृषि पर्यटन में ग्रामीण माटी की सोंधी महक और असल भारत को देखने, समझने एवं जानने का अवसर प्राप्त होता है। यहां के स्थानीय खान-पान के साथ खेती से जुडें विभिन्न पहलुओं को समझने में भी आसानी होती है। भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनता परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से खेती पर ही निर्भर है। लगभग 9 करोड़ से अधिक किसान देश के 6.5 लाख गांवों में निवास करते हैं, जो लगभग 27 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न का वार्षिक उत्पादन करते हैं। इसके अतिरिक्त बागवानी उत्पाद, फल-फूल, डेयरी उत्पाद, पशुधन, पोल्ट्री और मछली उत्पाद भी शामिल है। सरल एवं सहज रूप से कहा जाए तो भारत का एग्रीकल्चर ही यहां का कल्चर है।

          विश्व बाजार में भारत के पर्यटन हिस्सा मात्र 0.38 प्रतिशत है। इस अल्प हिस्सेदारी के साथ, विदेशी मुद्रा 14,475 करोड़ रूपये के बराबर अर्जित की गई है। घरेलू पर्यटन में व्यवसाय इससे कहीं अधक है। घरेलू पर्यटन को बढावा देने के लिए महत्वपूर्ण में आधारभूत संरचनाओं का विकास, उत्पाद विकास और विििधकरण, इको-एडवेंचर  स्पोर्टस का विकास, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, सस्ते आवास प्रदान करना, हवाई अड्डों पर सुविधा प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करना, मानव संसाधन विकास, जागरूकता और जनता का विकास किया जाना आवश्यक है। निजी क्षेत्रों की भागीदारी और सुविधा आदि इस प्रक्रिया के महत्वपूर्ण घटक हैं।

एग्रो टूरिज्म के लाभ

          वर्तमान समय में बच्चों की दुनिया स्कूल, कक्षाओं, टेलीविजन पर कार्टून कार्यक्रमों, विडियो गेम्स, चॉकलेट, शीतल पेय, मसालेदार फास्ट फूड, कम्प्यूटर इन्टरनेट आदि तक ही सीमित रह गई है। आज बच्चे केवल टीवी स्क्रीन पर ही मदर नेचर देखते हैं। अतः अब यह आवश्यक हो गया है कि बच्चे कृषि आधारित गतिविधियों तथा अन्य व्यवसायों के पारम्पारिक तरीकों की भी जाने पहचाने, जिससे कि बच्चे प्रक्रति के बहुत करीब आते हैं और टिकाऊ जीवन व्यतीत करने के लिए कई आवश्यक चीजों को सीखते भी है।

एग्रो टूरिज्म का आकर्षण

          पर्यटकों एवं उपभोक्ताओं का रूझान खेती और खाने की वस्तुओं से जुड़ा होता है, जिनका उपयोग हम सभी लोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं। इनकी आपूर्ति का स्रोत यानी कि खेती और उन उत्पादों के पैदा होने की पूरी प्रक्रिया को नजदीक से देखने और जानने की अभिलाषा से ही एग्रो टूरज्म को बढ़ावा मिला, जो कि अब फलने-फूलने लगा है।

क्या है कृषि पर्यटन

          एग्रो टूरिज्म की अवधारणा बहुत ही सरल है। इसमें शहरी पर्यटक किसानों के घर जाते हैं तथा एक किसान की तरह से रहते हैं, खेती की गतिविधियों में संलग्न होकर, बैलगाड़ी, ट्रैक्टर की सवारी, पतंग उड़ाने, प्रमाणिक भोजन खाने, पारम्परिक परिधान पहनने, स्थानीय संस्कृति को समझने, लोक गीतों और नृत्य का आन्नद लेने, ताजी कृषि उपज को खरीदने और किसानी का अनुभव करते हैं। एक किसान इसके जरिये अपनी उपज को बेहतर कीमत पर बेचता है और पूूरे वर्ष जीविकोपार्जन करता है।

शहरवासियों का आकर्षण  

                                            

         अब छुट्टियों में लोगों का रूझान  अब फार्मिंग यानि खेती करने के तरीकों को देखने की ओर बढ़ा है। दूध कहो से आता है और चने की झाड़ के बारे में आज के शहरी बच्चों को कोई जानकारी नही होती है। फलों के बाग में फलों के विभिन्न रूपों को देखना और हाथ से उन्हें तोड़ने का रोमांच भी शहरी बच्चों के साथ ही उनके माता-पिता को भी अनुभव होता है। पशुओं से दूध दुहनें, उससे पनीर एवं अन्य उत्पाद बनाने की प्रक्रिया आदि से भी पर्यटक लाभान्वित होते हैं।

किसान बनने का लुत्फ

          गांव में अस्थाई तौर पर रहकर भी किसानों के जीवन को बहुत अच्छी प्रकार से जाना जा सकता है। खेतों से ताजा सब्जियां और फल इत्यादि तोड़ना, घोड़े की सवारी, ऊंट की सवारी, बैलगाड़ी पर बैठना, तांगें पर बैद्यठकर घूमना, ताजे शहद का स्वााद लेना, वइन के बनने का अंगूर के बाग में ही बनते देखना ाअदि रोमांच भी इसी में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त हस्तशिल्प की वस्तुओं को वहीं से क्र्रय करने की सुविधा भी मिलती है। पर्यटक स्वयं किसान बनकर गांव में रहता है तो उसको एक शानदार अनुभव की प्राप्ति होती है। खेती के विभिन्न कार्यों में सहयोग तथा खेती करने के गुरों को सीखना भी कृषि पर्यटन को प्रोत्साहित कर रहा है।

किसानों को अतिरिक्त आमदनी

          एग्रो टूरिज्म छोटे किसान और गांव के अन्य लोगों के लिए आयका अतिरिक्त साधन के रूप में विकसित हो रहा है। इससे मुश्किलों के दौर से गुजरने वाले किसानों को खेती के अतिरिक्त आय भी अर्जित हो रही है। खेत पर ही उनके उत्पादों की बिक्री के साथ ही उपभोक्ताओं को ताजा क्रषि उत्पाद मिल जाता है। इसी के चलते जहां एक ओर लोग कृषि पर्यटन की ओर आकर्षित होने लगे हैं, वही दूसरी ओर किसानों को भी दोहरा लाभ प्राप्त होने लगा है। भारत सरकार का पूरा जोर किसानों की आमदनी को बढ़ाकर दोगुना करने पर केन्द्रित है और कृर्षि पर्यटन के कारण इस योजना को अतिरिक्त बल प्राप्त हो रहा है।

देखने ओर लुत्फ उठाने हेतु आंगतुकों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र

          पशु-पक्षी, खेत और प्रकृति ऐसी चीजें हैं, जिन्हें एग्रो-टूरिज्म पर्यटक देखने की पेशकश कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त संस्कृति, पोषण, त्यौहार और ग्रामीण खेल कृषि पर्यटन में आंगतुकों के मन में पर्याप्त रूचि पैदा करने में सक्षम हैं।

आंगतुकों के लिए मनोरंजक गतिविधियाँ

          कृर्षि कार्यों और तैराकी में भाग लेना, बैलगाड़ी की सवारी का लुत्फ उठाना, साइकिल चलाना, ऊंट की सवारी, भैंस की सवारी, खाना बनाना और ग्रामीण खेलों में भाग लेना आदि कुछ ऐसी गतिविधियाँ हैं, जिनें भाग लेकर पर्यटक आनंद का आत्मीय अनुभव कर सकता है।

कृषि पर्यटन

          कृषि पर्यटन का अर्थ है ‘‘कृषि और पर्यटन। जहां पर्यटक खेतों में जाते हैं, वे खेती के विभिन्न पहलुओं ताजा सब्जियों, फलों एवं प्रदूषणमुक्त वतावरण का आन्नद उठाते हैं। इससे शहरी और ग्रामीण भारत के बीच की खाई कम होगी और शहरी मुद्रा के द्वारा ग्रामीण विकाससम्भव हो सकेगा। इसके लिए कृषि पर्यटन एजेन्सी पिछले 13 वर्षों से कार्य कर रही है और महाराष्ट्र राज्य में 350 से अधिक कृषिऔर ग्रामीण पर्यटन केन्द्रों की शुरूआत की गई है।

कृषि पर्यटक केन्द्रों की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ रही है। वर्ष 2015-16 में लगभग 23 लाख पर्यटकों ने कृषि और ग्रामीण पर्यटन के लिए महाराष्ट्र राज्य को दौरा किया और एक वर्ष में 35.79 करोड़ रूपये का कारोबार हुआ। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि और ग्रामीण पर्यटन में काफी सम्भावानां और अवसर उपलब्ध हैं।

पर्यटकों के खरीददारी का अनुभव

                                               

          ग्रामीण शिल्प, पोशाक, ताजा कृर्षि उत्पाद ऐसे ही सामान है जिन्हें पर्यटक यादागार के लिए एक स्मृति चिन्ह के रूप में खरीद सकते हैं।

          कृर्षि पर्यटन, सेवा क्षेत्र के रूप में उच्च लाभ से जुड़े एक स्वच्छ उद्योग के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। इसके अतिरिक्त रोजगार एवं आयसृजन करने में भी यह उद्योग अन्य उद्योगों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी हैं। अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन एक अदृश्य निर्यात है और इससे विदेशी मुद्रा का सतत् प्रवाह भी बनता है। अन्य निर्यात उद्योगों के रूप में विदेशी मुद्रा का यह प्रवाह व्यापार, घरेलू आय, सरकारी लाभ और रोजगार का सृजन भी करता है।

एग्रो टूरिज्म की शुरूआत

          एग्रो टूरिज्म की शुरूआत वर्ष 1980 में यूरोप के इटली से हुई, जहां इसे एग्रो टूरिज्म का नाम दिया गय। वर्तमान समय में पूरे विश्व में एग्रो टूरिज्म लोकप्रिय हो चुका है। आस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका और ऐशिया में भी यह तेजी से फैल रहा है। वहीं कृषक समुदाय के लिए यह एक अतिरिक्त आय के साधन के रूप में सामने आया है। पर्यटकों के समक्ष खेती-किसानी से जुड़ी गतिविधियाँ, अपनी प्राचीन विरासत को मनोरंजक तरीकों से पर्यटकों के सामने प्रस्तुत करना ही मुख्य रूप से एग्रो टूरिज्म कहलाता है। खेतों से सीधे आपके खाने की मेज पर वस्तुएं परोसी जाती हैं, जिनका लुत्फ बड़े ही शौक से उठाया जाता है। ऐसे में उसके बारे में जानने की इच्छा भला किसकी नही होगी और इच्छा को पूरा करने की उत्सुक्ता ही एग्रो टूरिज्म को प्रोत्साहित करती है। 

          पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय पर्यटन उद्योग का तेजी से विकास हुआ है, जो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद, विदेशी मुद्रा की आय और रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। समृद्व प्राकृतिक सुन्दरता के साथ भारत एग्रो पर्यटन को बढ़ावा देने वाले सबसे प्रमुख देशों में से एक है। भारतीय कृषि पर्यटन उद्योग, विदेशी मुद्रा भंड़ार में अपने योगदान के फलस्वरूप एक संतुलित अर्थव्यवस्था के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। विकासशील देशों में विदेशी पर्यटकों के आगन की आशा के साथ ही अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढ़ने की उम्मीद भी की जा सकती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर स्थित कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख हैं।