अब 6 जून तक चलेगी सीयूआईटी यू जी

                                                                         अब 6 जून तक चलेगी सीयूआईटी यू जी

                                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर,

स्नातक दाखिले की संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा यानी कि सीयूआईटी यूजी 2023 अब 6 जून तक चलेगी। 21 मई से शुरू होने वाली परीक्षा पहले 31 मई तक आयोजित की जानी थी।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एनटीए ने बड़े शहरों में छात्रों की अधिक संख्या को देखते हुए परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी के अध्यक्ष एमण् जगदीश कुमार ने बताया कि छात्रों की दिक्कतों को कम करने के लिए अब दूसरे सत्र को जोड़ा गया है।

यह 1 और 2 जून के साथ 5 और 6 जून को होगी। छात्रों की अत्यधिक संख्या परीक्षा केंद्र कंप्यूटर की उपलब्धता के आधार पर परीक्षा की तिथि में बदलाव किया गया है। इसके अलावा 7 और 8 जून को आरक्षित तारीखों के रूप में रखा गया है।

परीक्षा केंद्र शहरों की सूची जारी

एनटीए ने 21 मई से शुरू होने वाली परीक्षा के लिए केंद्र और शहरों की सूची जारी की थी। 25ए 26ए 27 28 को मई होने वाली परीक्षा के लिए भी सूची जारी हो चुकी है। इस वर्ष 14 लाख आवेदन आए हैं। यह पिछले वर्ष के 9ण्9 लाख आवेदनों से यह 41% अधिक है।

बोर्ड परीक्षाओं को गैर-जरूरी नहीं करेगा सीयूईटी

यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार का दावा है कि सीयूईटी से बोर्ड परीक्षाएं गैर-जरूरी नहीं हो जाएंगी। कॉलेज व विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए मान्यता प्राप्त बोर्ड से कहा कि कक्षा 12 पास करना बुनियादी पात्रता है, इसे नहीं बदला जाएगा।

उच्च शिक्षा को पूरी तरह बदल देगा चैट जीपीटी

कोरोना महामारी से उच्च शिक्षा प्रणाली को बड़ा झटका लगा था और ऐसा सब जगह हुआ। इस दौरान अध्ययनए अध्यापन का काम ऑनलाइन होने लगाए लेकिन मूल्यांकन को लेकर चुनौती खड़ी हुई । पर उच्च शिक्षा क्या है और इसकी उपलब्धियों को बढ़ाने में मूल्यांकन का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इसे जानने समझने का मौका विश्वविद्यालयों ने गवां दिया। चैटजीपीटी और ऐसे ही दूसरे चैटबांटो के आगमन ने इस क्षेत्र को फिर से एक और मौका उपलब्ध करवाया है, ताकि यह प्रतिबिंबित हो सके कि मूल्यांकन क्यों और कैसे किया जाए और उच्च शिक्षा क्या है।

चैटजीपीटी एक चाटबॉट तकनीक है जो कृत्रिम मेधा एआई द्वारा संचालित होती है। इसके माध्यम से उपयोगकर्ता कंप्यूटर के साथ ठीक वैसे ही संवाद कर सकता है जैसे वह दूसरे व्यक्तियों के साथ करता है। उपयोगकर्ता के सवालों को समझने और उनका जवाब देने के लिए चैटजीपीटी उन्नत भाषा प्रोसेसिंग तकनीक का इस्तेमाल करता है। चैटजीपीटी इंटरनेट के भारी.भरकम डाटा भंडार से काम की सूचनाएं निकालता है और उनसे ही सवाल का सही. सही जवाब देता है।

दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के शिक्षाविदों द्वारा चैटजीपीटी के माध्यम से अध्ययन-अध्यापन के तरीके खोज रहे हैं। इनका मानना है कि चैटजीपीटी मूल्यांकन को समझने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम साबित हो सकता है।

इसका सही उपयोग किया जाए तो यह छात्रों के भीतर आलोचनात्मक सोच पैदा करनेए लिखने और कृत्रिम मेधा पर आधारित टूलों की व्यापक भूमिका को तय करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। परन्तु अब सवाल ये उठता है कि चैटजीपीटी को एक खतरे के रूप में देखा जाए या फिर एक अवसर के रूप में। ब्रिटेन में यह पूछा भी जाने लगा है कि एआई क्या विश्वविद्यालय को खत्म कर देगा?

अगर विश्वविद्यालय आत्मविश्वास के साथ यह दावा नहीं कर सकते हैं कि शिक्षाविदों द्वारा मूल्यांकन किए गए पाठ उनके छात्रों ने ही तैयार किए हैं तो उनकी साख के लिए इससे बड़ा खतरा और कोई नहीं हो सकता। चैटजीपीटी और इसी तरह के दूसरे टूलों का सही तरीके से उपयोग किया जाएए तो यह माध्यम छात्रों को ज्ञान हासिल करने और उनका सृजन करने में चमत्कार दिखा सकते हैं।

उच्च शिक्षा की समाप्ति के संकेत के बजाय चैटजीपीटी ने उच्च शिक्षा क्षेत्र और समाज को कही ज्यादा व्यापक रूप से सोचने का मौका दिया है। यह वक्त है जब नवाचार को विकसित करें और उन्हें अपनाएं।

चैटजीपीटी और इसी तरह के दूसरे टूलों का सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह माध्यम छात्रों को ज्ञान हासिल करने और उनका सर्जन करने में चमत्कार दिखा सकता है।

ग्रीन हाउस गैसों और अलनीनो की वजह से बढ़ेगा तापमान

विश्व मौसम विज्ञान संगठन डब्ल्यूएमओ ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि आने वाले 5 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को सीमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत 1.5 डिग्री सेल्सियस की वैश्विक तापमान सीमा को पार करने की आशंका दो तिहाई बढ़ गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ताप को अवशोषित करने वाली ग्रीन हाउस गैसों और अलनीनो की वजह से पांच अगले वर्षों में वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि होगी।

इस दौरान 98% आशंका इस बात की है कि 2023 से 2027 के बीच एक साल ऐसा होगा, जो अब तक के सबसे अधिक गर्म साल रहे 2016 के रिकॉर्ड को तोड़ देगा। वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के तहत तय किया गया कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन की भीषण प्रकोप से बचाने के लिए इस सदी के अंत तक पृथ्वी की सतह के औसत तापमान को औद्योगिक काल पूर्व 1850 से 1900 काल की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होने देना है और किसी भी कीमत पर 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है।

लेकिन, डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की आशंका 66% है कि वर्ष 2023 और वर्ष 2027 के बीच निकट सतह वार्षिक औसत वैश्विक तापमान, औद्योगिक काल के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाएगा।

रिपोर्ट के लेखक एवं जलवायु वैज्ञानिक लियोन हर्मनसन कहते हैं कि राहत की बात यह है कि यह बदलाव स्थाई नहीं होगा, जिससे वैश्विक तापमान लक्ष्य को हासिल करने की संभावना बनी रहेगी। वैज्ञानिक आमतौर पर 30 साल के औसत का उपयोग करते हैं।

यहां ध्यान देने की बात यही है कि जलवायु बदलाव के विरूद्व जारी प्रयासों के सामने बाधाओं का स्तर आने वाले 5 वर्षों में 66% तक बढ़ जाएगा, जो पिछले वर्ष तक 48% था, वर्ष 2020 में 20% और एक दशक पहले मात्र 10% था।

एक अच्छी खबर भी है

हर्मनसन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सब कुछ बुरा ही नहीं, बल्कि एक अच्छी खबर भी है। ला नीना से अलनीनो में बदलाव की वजह से जहां पहले बाढ़ थी वहां अब राहत मिलेगी और जहां पहले सूखा पड़ा था वहां जमकर बारिश होने वाली है।

अमेजन के जंगल अगले 5 वर्ष तक असामान्य रूप से सुखे रहेंगे जबकि अफ्रीका का साहेल हिस्सा. उत्तर में सहारा और दक्षिण में सवाना के बीच संक्रमण क्षेत्र बारिश से तर होगा।

  • पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक माइकल मान कहते हैं कि असल चिंता महासागरों के गहरे पानी में छुपी है, जो मानव जनित गर्मी के एक बड़े हिस्से को अवशोषित करता है और इसकी वजह से समुंद्र की गर्मी की मात्रा में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और यदि यह इसी प्रकार जारी रहे तो यह भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

वर्ष 2027 तक पृथ्वी होगी 1.5 डिग्री सेल्सियस और गर्म

वैश्विक इतिहास में पहली बार आने वाले कुछ सालों में हम वैश्विक गर्मी को वह भयावहता देखेंगे जिसकी अब तक विश्व भर के वैज्ञानिक और पर्यावरण विद् केवल कल्पना भर ही कर रहे थे। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार अगले 5 साल में पहली बार वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने के आसार हैं। पहली बार वर्ष 2027 तक अस्थाई रूप से वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की 66% आशंका बनी हुई है।

संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन का कहना है कि वैश्विक तापमान की सीमा को छूने का अर्थ है कि विश्व 19वीं शताब्दी के दूसरे हिस्से के मुकाबले अब 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है। तापमान की तुलना का यह वह समय है, जब औद्योगिकीकरण से फॉसिल फ्यूल का उत्सर्जन शुरू नहीं हुआ था।

वैज्ञानिकों ने अलनीनो के कारण अस्थाई रूप से गर्मी के वृषण उफान की उम्मीद जताई है। कोयला, तेल और गैस जलाने की सभी सीमाएं पार करने से यह होगा 2015 के पेरिस पर्यावरण समझौते में 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान को वातावरण की चेतावनी की वैश्विक सीमा निर्धारित किया गया था। वैज्ञानिकों ने संयुक्त राष्ट्र की 2018 की विशेष रिपोर्ट में कहा है कि इस स्थिति में भी बेहतर करने पर भी भीषण और भयावह तरीके से अधिक मौतें होगी।

 वैश्विक इकोसिस्टम को हानि होगी या वह नष्ट हो जाएगा। डब्ल्यूएमओ के महासचिव ने एक बयान में कहा है कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि हम स्थाई रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस के तापमान को बदलेंगे। समझौते में तापमान का अर्थ है कि यह बढ़ोतरी होगी और लगातार बहुत सालों तक रहेगी। हालांकि ने अपनी रिपोर्ट में खतरे की घंटी बजा दी है इससे 1.5 डिग्री तापमान स्थाई रूप से पहुंचेगा लेकिन आने वाले समय में यह तेजी से बढ़ता जाएगा।

एक साल में इससे कुछ नहीं होने वाला, क्योंकि वैज्ञानिक आमतौर पर इस तरह के बदलाव के लिए औसतन 30 साल का समय मानते हैं, विश्व के विभिन्न तत्वों के आकलन पर आधारित है।

एक कंपनी एंड अर्थ के पर्यावरण वैज्ञानिक जैक हॉर्स फादर का कहना है कि हमें 1.5 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान 2030 से पहले पहुंचने की उम्मीद नहीं हैए लेकिन हर एक साल 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के करीब तेजी से पहुंचना भी बहुत बड़ा संकट है। ला-निनो से अलनीनो में शिफ्ट होने की स्थिति में जहां पहले बाढ़ आती थी वहां सूखा पड़ेगा और जहां सूखा पड़ता था वहां बाढ़ आ सकती है।

व्यायाम से कम हो सकता है पार्किन्सन का खतरा

     एक ताजा अध्ययन में जानकारी दी गई है कि शरीर के अंगों में कम्पन की बीमारी पार्किंसन के जोखिम को थोड़ी सी सावधानी के साथ कम किया जा सकता है।

मेडिकल जर्नल अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्युरोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि हल्के शारीरिक व्यायाम जैसे. साइकिल चलाना, टहलना, साफ-सफाई करना और खेल-कूद के जरिये पार्किंसन रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।

पार्किन्सन रोग का एक न्युरोलॉजिकल स्थिति है जो मस्तिष्क के एक के एक भाग में तंत्रिका कोशिकाओं के एक छोटे समूह को प्रभावित करती है। इसकी शुरूआत आमतौर पर एक हाथ मे कम्पन के साथ होती है जो बाद में शीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकती है।

     ऐसे लोग जो अधिक व्यायाम करते हैं उनमें इस रोग का खतरा व्यायाम न करने वाले लोगों की अपेक्षा 25 प्रतिशत तक कम पाया गया है।

 

 

अब 6 जून तक चलेगी सीयूआईटी यू जी

स्नातक दाखिले की संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा यानी कि सीयूआईटी यूजी 2023 अब 6 जून तक चलेगी। 21 मई से शुरू होने वाली परीक्षा पहले 31 मई तक आयोजित की जानी थी।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एनटीए ने बड़े शहरों में छात्रों की अधिक संख्या को देखते हुए परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी के अध्यक्ष एमण् जगदीश कुमार ने बताया कि छात्रों की दिक्कतों को कम करने के लिए अब दूसरे सत्र को जोड़ा गया है।

यह 1 और 2 जून के साथ 5 और 6 जून को होगी। छात्रों की अत्यधिक संख्या परीक्षा केंद्र कंप्यूटर की उपलब्धता के आधार पर परीक्षा की तिथि में बदलाव किया गया है। इसके अलावा 7 और 8 जून को आरक्षित तारीखों के रूप में रखा गया है।

परीक्षा केंद्र शहरों की सूची जारी

एनटीए ने 21 मई से शुरू होने वाली परीक्षा के लिए केंद्र और शहरों की सूची जारी की थी। 25, 26, 27 और 28 को मई होने वाली परीक्षा के लिए भी सूची जारी हो चुकी है। इस वर्ष 14 लाख आवेदन आए हैं। यह पिछले वर्ष के 9.9 लाख आवेदनों से यह 41% अधिक है।

बोर्ड परीक्षाओं को गैररूरी नहीं करेगा सीयूईटी

यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार का दावा है कि सीयूईटी से बोर्ड परीक्षाएं गैरण्जरूरी नहीं हो जाएंगी। कॉलेज व विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए मान्यता प्राप्त बोर्ड से कहा कि कक्षा 12 पास करना बुनियादी पात्रता है, इसे नहीं बदला जाएगा।

उच्च शिक्षा को पूरी तरह बदल देगा चैट जीपीटी

कोरोना महामारी से उच्च शिक्षा प्रणाली को बड़ा झटका लगा था और ऐसा सब जगह हुआ। इस दौरान अध्ययनए अध्यापन का काम ऑनलाइन होने लगाए लेकिन मूल्यांकन को लेकर चुनौती खड़ी हुई । पर उच्च शिक्षा क्या है और इसकी उपलब्धियों को बढ़ाने में मूल्यांकन का उपयोग कैसे किया जा सकता हैए इसे जानने समझने का मौका विश्वविद्यालयों ने गवां दिया।

चैटजीपीटी और ऐसे ही दूसरे चैटबांटो के आगमन ने इस क्षेत्र को फिर से एक और मौका उपलब्ध करवाया हैए ताकि यह प्रतिबिंबित हो सके कि मूल्यांकन क्यों और कैसे किया जाए और उच्च शिक्षा क्या है।

चैटजीपीटी एक चाटबॉट तकनीक है जो कृत्रिम मेधा एआई द्वारा संचालित होती है। इसके माध्यम से उपयोगकर्ता कंप्यूटर के साथ ठीक वैसे ही संवाद कर सकता है जैसे वह दूसरे व्यक्तियों के साथ करता है। उपयोगकर्ता के सवालों को समझने और उनका जवाब देने के लिए चैटजीपीटी उन्नत भाषा प्रोसेसिंग तकनीक का इस्तेमाल करता है।

चैटजीपीटी इंटरनेट के भारीण्भरकम डाटा भंडार से काम की सूचनाएं निकालता है और उनसे ही सवाल का सहीण् सही जवाब देता है।

दक्षिण अफ्रीका] ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के शिक्षाविदों द्वारा चैटजीपीटी के माध्यम से अध्ययन-अध्यापन के तरीके खोज रहे हैं। इनका मानना है कि चैटजीपीटी मूल्यांकन को समझने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम साबित हो सकता है।

इसका सही उपयोग किया जाए तो यह छात्रों के भीतर आलोचनात्मक सोच पैदा करने, लिखने और कृत्रिम मेधा पर आधारित टूलों की व्यापक भूमिका को तय करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। परन्तु अब सवाल ये उठता है कि चैटजीपीटी को एक खतरे के रूप में देखा जाए या फिर एक अवसर के रूप में। ब्रिटेन में यह पूछा भी जाने लगा है कि एआई क्या विश्वविद्यालय को खत्म कर देगा?

अगर विश्वविद्यालय आत्मविश्वास के साथ यह दावा नहीं कर सकते हैं कि शिक्षाविदों द्वारा मूल्यांकन किए गए पाठ उनके छात्रों ने ही तैयार किए हैं तो उनकी साख के लिए इससे बड़ा खतरा और कोई नहीं हो सकता। चैटजीपीटी और इसी तरह के दूसरे टूलों का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह माध्यम छात्रों को ज्ञान हासिल करने और उनका सृजन करने में चमत्कार दिखा सकते हैं।

उच्च शिक्षा की समाप्ति के संकेत के बजाय चैटजीपीटी ने उच्च शिक्षा क्षेत्र और समाज को कही ज्यादा व्यापक रूप से सोचने का मौका दिया है। यह वक्त है जब नवाचार को विकसित करें और उन्हें अपनाएं।

चैटजीपीटी और इसी तरह के दूसरे टूलों का सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह माध्यम छात्रों को ज्ञान हासिल करने और उनका सर्जन करने में चमत्कार दिखा सकता है।

ग्रीन हाउस गैसों और अलनीनो की वजह से बढ़ेगा तापमान

विश्व मौसम विज्ञान संगठन डब्ल्यूएमओ ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि आने वाले 5 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को सीमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत 1.5 डिग्री सेल्सियस की वैश्विक तापमान सीमा को पार करने की आशंका दो तिहाई बढ़ गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ताप को अवशोषित करने वाली ग्रीन हाउस गैसों और अलनीनो की वजह से पांच अगले वर्षों में वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि होगी।

इस दौरान 98% आशंका इस बात की है कि 2023 से 2027 के बीच एक साल ऐसा होगा, जो अब तक के सबसे अधिक गर्म साल रहे 2016 के रिकॉर्ड को तोड़ देगा। वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के तहत तय किया गया कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन की भीषण प्रकोप से बचाने के लिए इस सदी के अंत तक पृथ्वी की सतह के औसत तापमान को औद्योगिक काल पूर्व 1850 से 1900 काल की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होने देना है और किसी भी कीमत पर 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है।

लेकिन, डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की आशंका 66% है कि वर्ष 2023 और वर्ष 2027 के बीच निकटण्सतह वार्षिक औसत वैश्विक तापमानए औद्योगिक काल के स्तर से 1ण्5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाएगा।

रिपोर्ट के लेखक एवं जलवायु वैज्ञानिक लियोन हर्मनसन कहते हैंए कि राहत की बात यह है कि यह बदलाव स्थाई नहीं होगा, जिससे वैश्विक तापमान लक्ष्य को हासिल करने की संभावना बनी रहेगी। वैज्ञानिक आमतौर पर 30 साल के औसत का उपयोग करते हैं।

यहां ध्यान देने की बात यही है कि जलवायु बदलाव के विरूद्व जारी प्रयासों के सामने बाधाओं का स्तर आने वाले 5 वर्षों में 66% तक बढ़ जाएगा, जो पिछले वर्ष तक 48% था, वर्ष 2020 में 20% और एक दशक पहले मात्र 10% था।

एक अच्छी खबर भी है

हर्मनसन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सब कुछ बुरा ही नहीं, बल्कि एक अच्छी खबर भी है। ला-नीना से अलनीनो में बदलाव की वजह से जहां पहले बाढ़ थी, वहां अब राहत मिलेगी और जहां पहले सूखा पड़ा था वहां जमकर बारिश होने वाली है। अमेजन के जंगल अगले 5 वर्ष तक असामान्य रूप से सुखे रहेंगे जबकि अफ्रीका का साहेल हिस्सा, उत्तर में सहारा और दक्षिण में सवाना के बीच संक्रमण क्षेत्र बारिश से तर होगा।

  • पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक माइकल मान कहते हैं कि असल चिंता महासागरों के गहरे पानी में छुपी है, जो मानव जनित गर्मी के एक बड़े हिस्से को अवशोषित करता है और इसकी वजह से समुंद्र की गर्मी की मात्रा में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और यदि यह इसी प्रकार जारी रहे तो यह भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

वर्ष 2027 तक पृथ्वी होगी 1.5 डिग्री सेल्सियस और गर्म

वैश्विक इतिहास में पहली बार आने वाले कुछ सालों में हम वैश्विक गर्मी को वह भयावहता देखेंगे जिसकी अब तक विश्व भर के वैज्ञानिक और पर्यावरण विद् केवल कल्पना भर ही कर रहे थे। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार अगले 5 साल में पहली बार वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने के आसार हैं। पहली बार वर्ष 2027 तक अस्थाई रूप से वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की 66% आशंका बनी हुई है।

संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन का कहना है कि वैश्विक तापमान की सीमा को छूने का अर्थ है कि विश्व 19वीं शताब्दी के दूसरे हिस्से के मुकाबले अब 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है। तापमान की तुलना का यह वह समय है,

जब औद्योगिकीकरण से फॉसिल फ्यूल का उत्सर्जन शुरू नहीं हुआ था। वैज्ञानिकों ने अलनीनो के कारण अस्थाई रूप से गर्मी के वृषण उफान की उम्मीद जताई है। कोयला, तेल और गैस जलाने की सभी सीमाएं पार करने से यह होगा 2015 के पेरिस पर्यावरण समझौते में 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान को वातावरण की चेतावनी की वैश्विक सीमा निर्धारित किया गया था।

वैज्ञानिकों ने संयुक्त राष्ट्र की 2018 की विशेष रिपोर्ट में कहा है कि इस स्थिति में भी बेहतर करने पर भी भीषण और भयावह तरीके से अधिक मौतें होगी।

     वैश्विक इकोसिस्टम को हानि होगी या वह नष्ट हो जाएगा। डब्ल्यूएमओ के महासचिव ने एक बयान में कहा है कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि हम स्थाई रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस के तापमान को बदलेंगे। समझौते में तापमान का अर्थ है कि यह बढ़ोतरी होगी और लगातार बहुत सालों तक रहेगी। हालांकि ने अपनी रिपोर्ट में खतरे की घंटी बजा दी है।

इससे 1.5 डिग्री तापमान स्थाई रूप से पहुंचेगा लेकिन आने वाले समय में यह तेजी से बढ़ता जाएगा। एक साल में इससे कुछ नहीं होने वाला, क्योंकि वैज्ञानिक आमतौर पर इस तरह के बदलाव के लिए औसतन 30 साल का समय मानते हैं, विश्व के विभिन्न तत्वों के आकलन पर आधारित है।

एक कंपनी एंड अर्थ के पर्यावरण वैज्ञानिक जैक हॉर्स फादर का कहना है कि हमें 1.5 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान 2030 से पहले पहुंचने की उम्मीद नहीं है, लेकिन हर एक साल 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के करीब तेजी से पहुंचना भी बहुत बड़ा संकट है। ला-नीना से अलनीनो में शिफ्ट होने की स्थिति में जहां पहले बाढ़ आती थी वहां सूखा पड़ेगा और जहां सूखा पड़ता था वहां बाढ़ आ सकती है।

व्यायाम से कम हो सकता है पार्किन्सन का खतरा

     एक ताजा अध्ययन में जानकारी दी गई है कि शरीर के अंगों में कम्पन की बीमारी पार्किंसन के जोखिम को थोड़ी सी सावधानी के साथ कम किया जा सकता है।

मेडिकल जर्नल अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्युरोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि हल्के शारीरिक व्यायाम जैसे- साइकिल चलाना, टहलना, साफ-सफाई करना और खेल-कूद के जरिये पार्किंसन रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।

पार्किन्सन रोग का एक न्युरोलॉजिकल स्थिति है जो मस्तिष्क के एक के एक भाग में तंत्रिका कोशिकाओं के एक छोटे समूह को प्रभावित करती है। इसकी शुरूआत आमतौर पर एक हाथ मे कम्पन के साथ होती है जो बाद में शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकती है।

     ऐसे लोग जो अधिक व्यायाम करते हैं उनमें इस रोग का खतरा व्यायाम न करने वाले लोगों की अपेक्षा 25 प्रतिशत तक कम पाया गया है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर में प्रोफेसर एवं कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष हैं तथा लेख में प्रस्तुत विचार उनके स्वयं के हैं ।