एआई काम की गुणवत्ता को तो बढ़ायेगा परन्तु नौकरियाँ भी कम होंगी

                                                    एआई काम की गुणवत्ता को तो बढ़ायेगा परन्तु नौकरियाँ भी कम होंगी

                                                                                                                                                डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 शालिनी गुप्ता एवं मुकेश शर्मा

अमेरिकी सीनेट में पेश किए गए ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने कहा कि कृत्रिम बुद्विमतता पर सरकार का नियन्त्रण भी आवश्यक और इसके लिए नियमों का प्रतिपादन आवश्यक

    ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने अमेरिकी सीनेट में स्वीकार किया कि कृत्रिम बुद्विमतता (एआई) का अपना एक खतरा भी है। उन्होंने कहा कि एआई किसी भी कार्य को बेहतर तरीके से करने में सक्षम हैं और इससे नौकरियों के जाने का भय भी बना है। इस कारण से एआई तकनीकी पर सरकार का नियन्त्रण होना भी आवश्यक है एवं इसको लेकर नियम भी बनाएं जाने चाहिए।

   ओपनएआई के कृत्रिम बुद्विमतता, चैटपॉट, चैटजीपीटी से नौकरियों पर खतरे की सम्भावनाओं पर चर्चा के लिए सेनेटरों की उपस्थिति में उन्होनें यह बात  कही।

                                                                                        

एआई वॉयस के माध्यम से हुई सुनवायी-

    डपसमितिके अध्यक्ष रिचर्ड ब्लूमेंथल के द्वारा यह सुनवायी एआई वॉयस के माध्यम से आरम्भ की गई, जिसमें सीनेटरों का औपचारिक स्वागत किया गया। इस दौरान रिचर्ड ने कहा कि यहाँ उपस्थित सभी लोग जानते हैं कि यह मेरी एआई वॉयस है, परन्तु इस सुनवाई में ऑन लाईन शामिल हुए लोगों को इस बात का अहसास तक नही हुआ कि यह आवाज मेरी नही है।

हस्तक्षेप भी आवश्यक

    एआई के सम्भावित खतरों को कम करने के लिए इस पर शुरूआत से ही नियन्त्रण आवश्यक है।

                                                            

एआई का चुनावों पर प्रभाव

    एआई का प्रभाव दुनिया की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी पड़ सकता है। इसके तहत लोगों को आाधी-अधूरी जानकारी प्रेषित की जा सकती है।

कार्य पूर्ण करने में सक्षम एआई भविष्य में काम करने में भी सक्षम हो सकता है, अतः आने वाले समय में इसका प्रभाव नौकरियों पर पड़ना तय है।

कॉपीराइट पर काम

    सैम ऑल्टमैन से जब एआई के माध्यम से बनाई जा रही तस्वीरों पर सवाल किया  गया तो उन्होने ने उत्तर दिया कि वह इसके लिए कॉपीराईट के मुद्दे पर काम कर रहें हैं, और वह ऐसे लोगों को मुआवजा देने के लए भी तैयार हैं, जिनकी आर्ट उपयोग किया गया है।

ऑपरेटिंग लाइसेंस मिले

    सुनवाई में शामिल हुई आईबीएम की चीफ प्राइवेसी ऑफिसर क्रिस्टीना मोंटगोमेरी ने कहा कि नीति निर्माताओं को एआई से सम्बन्धित मशीनों पर पारदर्शी नियम लाने एवं दिशा निर्देशों को बनाए जाने की तत्काल जरूरत है।

5 जी तकनीक और यूपी के युवा

    उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार, राज्य के युवाओं के भविष्य के लिए उन्हें नई तकनीकों में कुशल (स्किल्ड) बनाने के लिए एक नए कोर्स का आरम्भ करने जा रही है, और इसकी शुरूआत 5जी तकनीक के सम्बन्ध में ट्रेनिंग प्रदान कर की जा रही है। कौशल विकास मिशन के अन्तर्गत प्रस्तावित इस योजना के माध्यम से युवाओं न केवल प्रशिक्षित किया जाएगा, बल्कि उनके रोजगार की व्यवस्था करना भी शामिल है।

आने वाले दिनों में प्रदेश के पाँच जिलों किया जा सकता है योजना का शुभारम्भ

    प्रदेश के युवाओं को 5जी तकनीक कुशल बनाने के लिए सम्बन्ध में इस योजना का उद्देश्य है कि इस कोर्स में दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित करने के साथ ही साथ 5जी टेक्नोलॉजी से सम्बद्व जॉब रोल्स में स्थान प्रदान कराना भी है, इसके अन्तर्गत आने वाले 8 महीनों में 1,000 या इससे अधिक युवाओं को इसके अन्तर्गत प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें नौकरी भी दिलायी जाएगी।

                                                                            

    लखनऊ, कानपुर, गौतमबुद्व नगर, मुरादाबाद, आगरा, गोरखपुर, बनारस तथा प्रयागराज आदि में से किन्हीं पाँच जिलों के अन्तर्गत इस योजना का शुभारम्भ किया जाला प्रस्तावित है।

तीन प्रकार के कोर्सेज पर 2.8 करोड़ रूपये से अधिक का व्यय करेगी सरकार

    सरकार के इस प्रस्ताव के अनुसार, इस कार्यक्रम के अन्तर्गत तीन प्रकार के कोर्सेज का संचालन किया जाना है जिनमें से पहला टेलीकॉम रिगर-5जी और लीगेसी नेटवर्क्स, दूसरा टेक्नीशियन 5जी- एक्टिव नेटवर्क इन्स्टॉलेशन तथा तीसरा प्रोजेक्ट इन्जीनयर-5जी नेटवर्क्स शामिल हैं। इन तीनों कोर्से पर 2.8 करोड़ रूपये से अधिक धनराशी के व्यय होने का अनुमान हैं।

    टेलीकॉम रिगर-5जी एंड नेटवर्क्स के तहत 450 घंटों में 360 अभ्यथियों को स्किल्ड बनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रयेक अभ्यर्थी पर 22 हजार रूपये से अधिक धनराशि का व्यय होगी एवं कुल मिलाकर लगभग 80 लाख रूपये का खर्च आने का अनुमान है।

यह कार्यक्रम पाँच चरणों के अन्तर्गत पूर्ण किया जाएगा

    इस पूरी योजना का प्रारूप ट्रेनिंग से लेकर रोगार प्रदान करने तक पाँच चरणों में किया जाएगा। जिसमें सबसे पहले इन कोर्सेज के प्रति युवाओं में आकर्षण बढ़ाया जाएगा तथा इसके बाद युवाओं की प्री एवं पोस्ट इनरोलमेंट काउंसलिंग की जाएगी जिसके बाद उनकी मॉनीटरिंग एव्र इवैल्यूएशन किया जाएगा।

    कार्यक्रम के तहत इसके चौथे चरण में युवाओं को प्लेसमेंट सर्पोट दिया जाएगा, जबकि पाँचवें एवं अन्तिम चरण में युवाओं की मेटरिंग के साथ-साथ सपोर्ट फीडबैक की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

                                          

 

नौकरी के साथ बीटेक नही किया जा सकता

  • सर,क्या मैं सरकारी क्लर्क की नौकरी करते हुए बीेटेक भी कर सकता हूँ? असल में एक निजी एजुकेशनल कंसल्टेन्ट के द्वारा मुझे बीटेक की डिग्री दिलवाने का प्रस्ताव दिया गया है। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरा मार्गदर्शन करें।

राहुल देव, पल्लवपुरम, मेरठ।

उत्तर- भारत में केवन उन इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा सकता है, जिनको ऑल इण्डिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त है। एआईसीटीई भारत सरकार के अन्तर्गत आने वाला एक स्वशासी निकाय है, जिसको बीटेक जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों को मान्यता प्रदान करने का अधिकार प्राप्त है और बिना एआईसीटीई की मान्यता के कोई भी विश्वविद्यालय ऐेसे किसी भी कॉलेज को अपनी सम्बद्वता प्रदान नही कर सकता।

एआईसीटीई के द्वारा अपने विभिन्न आदेशों में कई बार यह स्पष्ट किया जा चुका है कि बीटेक पाठ्यक्रम को डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से संचालित नही किया जा सकता।

    इसके लिए नीयत नियमों के अनुसार रेगुलर पाठ्यक्रमों की कक्षाओं में छात्र/छात्राओं की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। इसलिए नौकरी करते हुए बीटेक करना असम्भव है।

    अतः ऐसे में मेरा सुझाव तो यह है कि यदि किसी अभ्यर्थी को किसी भी संस्थान अथवा एजुकेशनल कंसल्टेंट नौकरी करते हुए बीटेक आदि पा्ठ्यक्रमों की डिग्री उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया जाता है तो उसे अविलम्ब खारिज कर देने में ही भलाई है, क्योंकि इस प्रकार की डिग्री का किसी को भी कोई लाभ प्राप्त नही होता है।

2. महोदय, मै अपना करियर एक इकोनोमिक्स टीचर के रूप में बनाना चाहती हूँ। मै कॉमर्स स्ट्रीम से पोस्ट ग्रेजुएट हूँ और फिलहाल बीएड अन्तिम वर्ष की छात्रा हूँ। तो कृपया सलाह दें कि मैं बीएड के बाद एमएड करूँ या एमए इन एजुकेशन?

वंदना शर्मा, सदर मेरठ।

उत्तर- आपके द्वारा यह स्पष्ट नही किया गया है कि आप स्कूल टीचिंग में जाना चाहती हैं, या फिर कॉलेज टीचिंग में। अतः हम इन दोनों ही स्थितियों को स्पष्ट कर देेते हैं। स्कूल टीचिंग के लिए न्यूनतम तीन योग्यताओं की आवश्यकता होती है- ग्रेजुएशन, बीएड एवं टीईटी। टीईटी यानी टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट आपकी शिक्षक बनने की योग्यता को स्थापित करता है।

यदि आप किसी कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी में टीचिंग करना चाहती हैं तो आपको सम्बन्धित विषय में पोस्ट-ग्रेजुएशन के अतिरिक्त यूजीसी नेट या पीएचडी का होना आवश्यक है। कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी में टीचिंग करने के लिए बीएड करने की कोई आवश्यकता नही होती है।

वहीं मास्टर इन एजुकेशन (एमएड) नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के अधीन एक पाठ्यक्रम है और इसमें केवल बीएड उत्तीर्ण छात्रों को ही प्रवेश मिल पाता है।

जबकि एमए इन एजुकेशन ग्रेजुएट्स के लिए एक सामान्य पीजी कोर्स है। बीएड कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर प्रवेश हेतु एमएड को मान्यता प्राप्त है। अतः बीएड के बाद एनसीटीई मान्यता प्राप्त एमएड में प्रवेश लेना चाहिए।

लेखकः डा0 आर0 एस0 सेंगर, प्रौफेसर, विभागाध्यक्ष कृषि बायोटेक्नोलॉजी विभाग सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौ0 विश्वविद्यालय मोदीपुरम, मेरठ।