अल नीनो के असर से बाढ़ सूखे का खतरा देश में बढ़ा-

                                                              अल नीनो के असर से बाढ़ सूखे का खतरा देश में बढ़ा-

                                                                                                                                                                                                                                                                                                           डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                            

मौसम के बदलते मिजाज से जूझ रही दुनिया पर अलनीनो का असर अगले कुछ महीनों में दिख सकता है। अमेरिका के क्लाइमेट मेडिकल सेंटर पीसीसी का दावा है कि अलनीनो के प्रभाव के कारण एशियाई देशों में सूखा और अमेरिकी देशों में बाढ़ के हालात बन सकते हैं। एजेंसी का अनुमान है कि 90% प्रभाव उत्तरी गोलार्ध में देखने को मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई से इसका असर दिखाई दे सकता है नवंबर से जनवरी इसका असर चरम पर पहुंच सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह 80% सामान्य होगा वहीं दूसरी ओर संभावना है कि यह 55% तक शक्तिशाली होगा। जापान के मौसम विभाग ने शुक्रवार को अलनीनो पर चिंता जताते हुए कहा है कि इसके प्रभावी होने की उम्मीद 80% तक है।

सीपीसी के अनुसार पूर्वी और मध्य प्रशांत क्षेत्र में महासागरों के भीतर गर्मी बढ़ने से फसलों को नुकसान होगा। अमेरिका में बाढ़ और भारी वर्षा के कारण भारी क्षति होगी। गर्मी बढ़ने के कारण वनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ेगी जिससे दुनिया के कई देशों में विभिन्न क्षेत्रों को भी भारी नुकसान हो सकता है।

                                                                          भारत झेल चुका है सूखा

                                       

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार मानसून के दौरान अलनीनो के प्रभाव की संभावना 70% तक है और जून, जुलाई और अगस्त में इसका प्रभाव ज्यादा दिखाई दे सकता है। देश में 9 साल ऐसे रहे हैं जब अलनीनो का प्रभाव दिखाई दिया है।

इनमें से 4 साल 2003, 2005, 2009 और 2010 और 2015-16 में देश में सूखे का हालात बने थे और देश ने सूखा झेला था। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अलनीनो से मानसून में होने वाली बारिश में 15% की गिरावट हो सकती है।

सेहत भेदभाव से महिलाओं के दिमाग पर होता है असर

                        

बदलते परिवेश के कारण इंसान के जीवन में तनाव का स्तर बढ़ता जा रहा है। एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि लैंगिक भेदभाव महिलाओं के दिमाग पर असर डाल रहा है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया कि समाज में लैंगिक असमानता के कारण उत्पन्न तनाव घातक है।

लैंगिक असमानताओं का तनाव से जुड़ा यह पहला अध्ययन है। शोध में करीब 29 देशों के व्यक्तियों को शामिल किया गया था। अध्ययन के दौरान 70 से अधिक संस्थानों के वैज्ञानिकों ने सहयोग कियाए उन्होंने जांच में पाया कि बदतर लैंगिक असमानताओं वाले देश में महिलाओं के दिमाग के दाहिने हिस्से की बाहरी मोटाई पुरुषों की तुलना में पतली थी। वही अधिक लैंगिक समानता वाले देशों में कोई खास अंतर नहीं था।

एमआरआई स्कैन किया गया तो शोधकर्ताओं ने देखा कि 78,000 से अधिक लोगों की एमआरआई स्कैन की जांच की गईए इसमें पाया गया कि प्रभावित मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा तनाव और भावनाओं से जुड़ा हुआ है। इनमें से 20% ने माना कि समानता नहीं के बराबर होती है।

जनरल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में यह शोध प्रकाशित हुआ हैए इसमें कहा गया है कि 20% ने माना है कि मानता नहीं के बराबर असर डालती है।

                                                                                 वायु प्रदूषण से बढ़ सकता है अल्जाइमर का खतरा

                                                                       

वैसे तो वायु प्रदूषण कई बीमारियों का जनक हैए कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के ताजा अध्ययन में बताया गया है कि याददाश्त खोना या संज्ञानात्मक गिरावट का संबंध अल्जाइमर की शुरुआत से है। इसका कारण यातायात के दौरान होने वाला वायु प्रदूषण है जो मस्तिष्क के कार्य को कमजोर करता है।

शोध का नेतृत्व करने वाले व पर्यावरण और व्यवसायिक स्वास्थ्य के एसोसिएट प्रोफेसर मसाशी किताजावा ने कहा कि अल्जाइमर रोग वाहक और वायु प्रदूषण के बीच संबंध होना एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा है कि मस्तिष्क के कार्य पर सूक्ष्म कणों के प्रभाव हमारे अध्ययनों तक सीमित नहीं है।

हमारे आसपास की हवा में मौजूद विषाक्त पदार्थों का प्रसार ना केवल विश्व स्तर पर बढ़ रहा है बल्कि यह हमारे घर के करीब पहुंच गया है। मसाशी किताजावा और उनकी टीम ने 2 उम्र के चूहों के मॉडल की तुलना कर इस तथ्य को उजागर किया है।

शोध का निष्कर्ष टॉक्सिकोलॉजिकल साइंस के जनरल में प्रकाशित हुआ है। अल्जाइमर रोग बुजुर्गों में दुनिया का सबसे आम कारण है और यह एक बढ़ता हुआ तथा जन स्वास्थ्य संकट है, जिससे बचने की आवश्यकता है।

                                                            एंटीबायोटिक दवाओं व जंक फूड़ से बच्चों में आंतों की सूजन का बढ़ता है खतरा

                                                            

एक नए अध्ययन के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि एंटीबायोटिक दवाओं व जंक फूड के सेवन से बच्चों में आंत के सूजन रोग यानी इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज आईबीटी का जोखिम बढ़ सकता है। इस बीमारी में सामान्य तौर पर थकान के साथ ही पेट में दर्द और पाचन से जुड़ी परेशानियाँ हो सकती हैं।

लगभग 64,00,000 बच्चों का प्रतिनिधित्व करने वाले 36 सर्वेक्षण अध्ययनों के मैटर विश्लेषण के दौरान ज्ञात हुआ है कि 5 साल की उम्र से पहले एंटीबायोटिक दवाएं देने से आई बी डी का जोखिम 3 गुना अधिक हो सकता है।

ऑस्ट्रेलिया के न्यू कैसल विश्वविद्यालय में डाइटिशियन व अध्ययन का नेतृत्व करने वाली भारतीय मूल की वैज्ञानिक डॉ0 निशा ठाकुर ने कहा कि बच्चों में आईबीडी के मामले पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।

                                                              

आइबीडी से बच्चों के विकास और युवावस्था की प्रगति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अतः माता.पिता को इस स्थिति और इसे प्रभावित करने वाले प्रवर्तनीय कारकों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। डाइजेस्टिव डिजीज वीक 2030, में स्थित शोध से पता चला कि निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति बचपन के आई बी डी के 65% कम जोखिम से जुड़ी थी।

                                             मेरठ नगर निकाय चुनावों को शांतिपुर्ण ढ़ंग से कराने के लिए होमगार्ड के जिला कमांडेन्ट ने किया बूथों का निरीक्षण

मेरठ के नगर निकाय के चुनावों को शांतिपूर्ण ढ़ंग से सम्पन्न कराने हेतु प्रतिबद्व जिला प्रशासन टीम एवं पुलिस के साथ मुस्तैदी के साथ उसके सहयोगी संगठन होमगार्ड के जवानों के द्वारा भी नगर निकाय चुनाव वर्ष 2023 चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न करवाने में जिले के होमगार्ड के जवानों ने भी पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया।

यह तथ्य किसी से भी छिपा नही है कि सदैव पुलिस के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम करने वाले होमगार्ड के जवान अपनी ड्यूटी को ही सर्वोपरि मानतें हैं। गत गुरूवार को दूसरे चरण के अन्तर्गत होने वाले मतदान के दिन नगर निकाय चुनाव में ड्यूटी रत होमगार्ड्स की ड्यूटी का निरीक्षण करने के लिए जिला होमगार्ड कमांडेंट मतदान के दिन प्रातः काल से ही नगर एवं देहात सि पोलिंग बूथों का भ्रमण कर होमगार्ड के वानों को दिशा-निर्देश देते रहे।

सरधना एवं मवाना समेत सभी देहात के क्षेत्रों में तैनात होमगार्ड के जवानों का हौसला बढ़ाते हुए, उन्होनें होमगाार्ड के जवानों को उनकी ड्यूटी के प्रति कर्तव्य का पाठ भी पढ़ाया। जिला होमगार्ड कमांडेन्ट श्री राजेन्द्र सिंह ने शहर के विभिन्न पोलिंग बूथों का भ्रमण कर उनकी सुरक्षा व्यवस्था की जांच भी की।

श्री राजेन्द्र सिंह ने खैर नगर, ब्रह्मपुरी, साकेत, मवाना रोड़ स्थित गंगानगर, टीपी नगर, सूरज कुण्ड़ रोड, राजेन्द्र नगर, कैलाशपुरी, शास्त्री नगर, माधव पुरम, प्रहलाद नगर, आरजी कॉलेज एवं बेगम बाग आदि क्षेत्रों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण भी किया और वहाँ की सुरक्षा व्यवसा का जायजा भी लिया।  

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयए मेरठ के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष और डाईरेक्टर प्लेसमेंट हैं।