बाढ़ से मिलेगी राहत किसानों को मिलेगा पानी

सरयू नहर परियोजना के निर्माण से कई लाभ होंगे एक तरफ जहां किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी की सुविधा मिलेगी वहीं दूसरी तरफ बाढ़ की त्रासदी भी कम हो सकेगी। नदियों के पानी का डायवर्जन नहरों में होने से बाढ़ का प्रभाव भी कम होगा। पशु-पक्षी भी अपनी प्यास बुझा सकेंगे और जंगलों में सहजता के साथ वास कर सकेंगे। 9,802 करोड़ रुपए की लागत 30,00,000 किसानों को इसका लाभ मिलेगा। 9 जिलों को सरयू नहर परियोजना से लाभ मिल रहा है। 318 किलोमीटर नहर की होगी लंबाई 14 दशमलव 500000 हेक्टेयर .भूमि की सिंचाई हो सकेगी। सिंचाई पांच नदियों को जोड़ती है या परियोजना कूड़ा-करकट से ऊर्जा योजना से बढ़ेगी बिजली और घटेगा कचरा शहरी कचरे से ऊर्जा तैयार करने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया गया है सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों को कूड़ा मुक्त बनाने के लिए आगामी वित्तीय वर्ष 23-24 के आम बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके पहले चरण में 10 लाख की आबादी वाले 25 शहरों को चिन्हित किया गया है, जिनमें कूड़ा से बिजली और बायो-सीएनजी के प्लांट स्थापित किए जाएंगे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने ऐसे शहरी निकायों से हाथ मिला आगे बढ़ने के लिए समझौता करना शुरू कर दिया है। कचरा मुक्त शहर के विजन को लागू करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन दो के तहत स्थाई सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष जोर दिया गया है। इसी उद्देश्य से शहरी विकास मंत्रालय ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में वृहद स्तर पर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग की सुविधा स्थापित करने के लिए निर्णय लिया है। इस श्रेणी में कुल 59 शहरों में लखनऊ, नाशिक, बरेली, कानपुर, थाने, नागपुर, ग्वालियर, कोयम्बटूर, चेन्नई तथा मदुरई आदि प्रमुख शहरों के जैविक एवं गीले कूड़े की प्रोसेसिंग के लिए बायो-नेशन प्लांट स्थापित किए जाएंगे। लेकिन पहले चरण में फिलहाल 25 शहरों को ही चुना गया है। पिछले वर्ष इंदौर में एशिया के सबसे बड़े मिनिस्ट्रियल सॉलिड वेस्ट आधारित गोवर्धन प्लांट की स्थापना की गई थी। इसकी स्थापना के बाद वहां पर कूड़े से ऊर्जा प्राप्त करने के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं जिससे वहां पर बिजली की मात्रा भी बड़ी और शहर के अंदर जो कचरा था उसका प्रबंधन भी अच्छी तरह से हो सका है।