बंजर भूमि भी होगी उपजाऊ

भूमि सुधार के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना से किसान लाभान्वित होंगे। लगातार बढ़ रही जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए कृषि उत्पादन व उत्पादकता में बढ़ोतरी जरूरी है। यह तभी संभव है जब खेती के लिए पूरे प्रदेश में आज भी कई जगहों पर बंजर और बेकार भूमि बिना उपयोग के हुए पड़ी हुई है। ऐसे में इसको सुधार कर ऊपजाउ और खेती लायक बनाने के लिए योगी सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना पर मोहर लगा दी है। इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूमि सुधार के विविध कार्यक्रम चलाए जाएंगे इसका बड़ा लाभ किसानों और मजदूरों को मिलेगा। इससे किसान मजदूरों को आवंटित भूमि उपजाऊ होगी और उन्हें रोजगार भी मिलेगा, प्रदेश में खाद्यान्न की उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होगी। प्रदेश में बेकार, बंजर व जलभराव वाले क्षेत्रों के सुधार व उपचार के लिए 2022 और 23 से 2026-27 तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना लागू की गई है।

गौतम बुद्ध नगर को छोड़कर शेष 74 जिलों में योजना संचालित की जाएगी। योजना के तहत चयनित परियोजना क्षेत्र के सभी किसान व मजदूर इसमें लाभ लाभार्थी होंगे। भूमि सुधार की दिशा में योगी सरकार का यह बड़ा अभियान है। भूमि सुधार के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत परियोजना क्षेत्र के चयन में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां लघु व सीमांत किसान और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों व श्रमिकों की अधिकता है। सरकार ने कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही छोटे किसानों और मजदूरों के लिए आय के साधन का ध्यान इस योजना के अंतर्गत रखा है। इस योजना के जरिए खेती के लिए भूमि के साथ रोजगार का अवसर भी मिल सकेगा। परियोजना क्षेत्र में शत-प्रतिशत अनुदान पर बेकार बंजर भूमि सुधार व क्षेत्र सुधार का कार्य राज्य सरकार से और जलभराव वाले क्षेत्र का उपचार कार्य मनरेगा से कराया जाएगा। इस कार्य के लिए 5 साल में 60,268 करोड़ं रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें 501.59 करोड रुपए राज्य सरकार की ओर से और 51.25 करोड़ रुपए मनरेगा से और 49.84 करोड रुपए किसानों के अंश से खर्च किए जाएंगे। इस परियोजना में कृषि वानिकी, उद्यानकी करण के साथ होगा फसलों का उत्पादन परियोजना क्षेत्र में उपचारित भूमि पर जरूरत के हिसाब से कृषि वानिकी व उद्यानकी करण के साथ ही उपचारित क्षेत्र में 50 प्रतिशत अनुदान पर फसलों का उत्पादन होगा। 2,19,250 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि का सुधार व जलभराव वाली भूमि क्षेत्र का उपचार किया जाएगा। इससे कृषि उत्पादन किसानों की आय व भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी और 5 साल में दो करोड़ मानव दिवस सृजित होने का अनुमान है। हर साल 40 से 50,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में बदलाव किया जा सकेगा। प्रदेश में हर साल कृषि उत्पादक भूमि गैर-कृषि कार्यों में बदल रही है जो लगभग 40 से 50,000 हेक्टेयर के लगभग प्रत्येक वर्ष गैर-कृषि कार्यों में प्रयोग की जा रही है। इसलिए योजना 5 साल के लिए फिर से शुरू की गई है। वर्ष 2017-18 से 2021-22 वर्ष तक चली योजना में 1,57,190 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य हो चुकी है। इसमें 332 करोड रुपए खर्च हुए थे और फसलों के लिए 8.68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई और किसानों की आय में 48 प्रतिशत व भूजल स्तर में 1.42 मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है।