प्रोटीन सप्लीमेंट्स का प्रयोग कब और कैसे करें

                 प्रोटीन सप्लीमेंट्स का प्रयोग कब और कैसे करें

                                                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                                 

 

प्रोटीन सप्लीमेंट्स

सेहत भरे जीवन का सार प्रोटीन सप्लीमेंट प्रयोग में बरतें सावधानी

                                                                                  

संतुलित भोजन की पूर्ति करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिहाज से प्रोटीन सप्लीमेंट बेहद गुणकारी तो होते ही है, लेकिन यदि इसमें मिलावट हो तो यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम भी हो सकता है। ऐसे में डॉ0 दिव्यांशु सेंगर बता रहे हैं सप्लीमेंट के उपयोग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बाते-

वर्तमान समय में पेशेवर एथलीट से लेकर मजबूत शरीर बनाने की चाह रखने वालों युवाओं तक प्रोटीन पाउडर का चलन तेजी से बढ़ा है। व्यस्त जीवनशैली के चलते भी लोग प्रोटीन सप्लीमेंट के जरिये अपनी सेहत को सहारा दे रहे हैं। लेकिन, यदि यह प्रोटीन गुणवत्ता मानकों पर खरा न हो तो सेहत के लिए खतरा बन सकता है। आज कई तरह के प्रोटीन पाउडर बेचे और विज्ञापित किए जा रहे हैं। चिंताजनक है कि इनकी गुणवत्ता के बारे में कभी कुछ नहीं बताया जाता और ना ही ग्राहक इनमें मौजूद हानिकारक तत्वों के प्रति जागरूक होते हैं।

                                                                        

मेडिसिन जर्नल के अनुसार, भारत में 70 प्रतिशत प्रोटीन सप्लीमेंट के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी जाती है। प्राकृतिक और आयुर्वेदिक औषधियों के आवरण में बिकने वाले कुछ सप्लीमेंट में तो विषाक्त तत्व भी होने का दावा तक भी किया जा चुका है।

उत्तम स्वास्थ्य के लिए बेहतर खानपान और व्यायाम भी जरूरी

जल्दी शरीर बनाने की चाहत में कई बार लोग धोखा खा जाते है। यह बिल्कुल वैसा ही है जिस तरह छह महीने में पैसे डबल करने के चक्कर में लोग अक्सर धोखा खा जाते हैं। ठीक वैसे ही, मांसपेशियों को तीन महीने में दोगुना करना भी संभव नहीं होता है। इसके लिए निरंतर बेहतर खानपान और पर्याप्त व्यायाम पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिससे अच्छी बॉड़ी का गठन किया जा सकता है। जिम करने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट की उचित मात्रा का ध्यान नहीं रखते और ना ही किसी चिकित्सक से वे परामर्श लेते है और इससे उनकी समस्या भी बढ़ जाती है।

कैसे निर्धारित की जाती है प्रोटीन सप्लीमेंट्स की मात्रा

आमतौर पर डाक्टर किसी मरीज को प्रतिदिन 60 से 80 ग्राम प्रोटीन सप्लीमेंट के सेवन का परामर्श देते है। प्रयास होता है कि मरीज की 1800 कैलोरी की आवश्यकता पूरी हो। वहीं प्रोटीन को दूध में घोलकर पीने से उसकी कैलोरी वैल्यू और अधिक बढ़ जाती है। ऐसे मरीज जो कि बेहोशी की स्थिति में है या जिन मरीजों को नली के द्वारा भोजन दिया जाता है, उनके लिए प्रोटीन की मात्रा अलग से निर्धारित की जाती है।

क्यों जरूरी है प्रोटीन

                                                                       

प्रोटीन पाउडर कई तरह के होते हैं। बेसिक प्रोटीन सप्लीमेंट जो मरीजों को दिया जाता है, उसे व्हे प्रोटीन कहते हैं। यह गेहूं से तैयार होता है जो मरीज सही ढंग से भोजन नहीं ले पाते हैं या जिन्हें ट्यूब से खाना दिया जाता है, उनके लिए इसका सहारा लिया जाता है। दूसरा, आज बहुत सारे लोग खासकर युवा बाडी बिल्डिंग के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेते हैं। लिवर को खतरा असुरक्षित प्रोटीन से लिवर डैमेज होने की आशंका रहती है। अगर किसी तरह की मिलावट होगी, तो वह और खतरनाक है।

आयुर्वेदिक दवाओं या भस्म आदि के नाम पर भी विषाक्त तत्वों का सेवन नुकसानदेह हो सकता है। इसमें लेड आर्सेनिक जैसे हानिकारक तत्व हो सकते हैं।

हर आयु वर्ग के लिए अलग-अलग मात्रा

  • वजन के हिसाब से प्रति किलोग्राम पर एक ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है यानी अगर कोई व्यक्ति 70 किलो का है तो 60-70 ग्राम तक प्रोटीन ले सकता है।
  • बच्चों को अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है। उन्हें मांसपेशियों, हड्डियों के विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

सप्लीमेंट हो सकता है हानिकारक बाडी बिल्डिंग के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट में कई बार समस्या आती है, क्योंकि इसमें स्टेरायड और अन्य चीजें मिला दी जाती है। लोगों को इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं होती। एक-दो महीने में शरीर, आकर्षक बनाने की जिद कई बार खतरनाक साबित होती है। हालांकि, इस तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट के प्रयोग से 90 प्रतिशत लोगों को कोई गंभीर प्रभाव नहीं होता, लेकिन 10 प्रतिशत में लिवर डैमेज होने की प्रबल आशंका रहती है। जैसे पेनिसिलीन की एलजी है और अगर 1000 मरीजों को यह दवा दी जाएगी, तो केवल एक ही मरीज को दिक्कत होगी।

                                                         

इसी तरह स्टेरायड मिश्रित होने से हर किसी को परेशानी नहीं होती लेकिन कुछ सी लोगों के लिवर के नुकसान की भरपूर आशंका रहती है। लिवर डैमेज होने पर पीलिया आदि बीमारियों का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। हालांकि, उसका भी उपचार हो जाता है, लेकिन मरीज को परेशानी तो होती ही है यानी बिना किसी बीमारी के एक स्वस्थ व्यक्ति भी मरीज बन जाता है।

प्रोटीन के प्राकृतिक स्रोत क्लास-1 प्रोटीन दूध, दही, पनीर, अंडा, मीट (मछली, चिकन आदि)

क्लास-2 प्रोटीन काले चने की दाल, सोयाबीन, राजमा और अन्य दलहन।

गर्भवती महिलाओं को जरूरत के हिसाब से डाक्टर सप्लीमेंट निर्धारित करते हैं।

बीमार होने पर शरीर को प्रोटीन की जरूरत बढ़ जाती है।

प्रोटीन के विविध स्रोत: संतुलित व पारंपरिक भोजन से प्रोटीन की जरूरत पूरी हो जाती है। वीरेंद्र सहवाग ने कहा था कि वह दूध-दही व शाकाहारी भोजन करते हैं और करियर में पूरी तरह फिट रहे। अगर आप अंडे का सेवन करते हैं तो बेहतर है। प्रोटीन के प्राकृतिक स्रोत का कोई मुकाबला ही नहीं है। सोयाबीन एक अच्छा स्रोत सोया पनीर उपयोगी है, पर भारत में उतना प्रचलित नहीं है

जापान, चीन और पूर्वी एशिया में सोया पनीर खाने का चलन है। शाकाहारी लोगों के लिए यह एक अच्छा विकल्प है। ध्यान रखें किसी सब्जी में प्रोटीन नहीं होता। प्रोटीन के लिए दाल, अंडे आदि का सेवन करना होगा।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं।