नये भारत में स्टार्टअप अवसर एवं चुनौतियां

                                       नये भारत में स्टार्टअप अवसर एवं चुनौतियां

                                                     डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा

मानव अपने जीवन में व्यवसाय और सपनों कि कहीं न कहीं से शुरुआत अवश्य करते हैं, यह अपनी कामनाओं की राह पर चल पडने किसी अनूठे विचार को सजाने और फिर उसे साकार करने की मार्ग में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और विश्वास के साथ चुने गए लक्ष्य को हासिल करने की यात्रा है। यह ऐसे नवीन समाधानों, उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने की भी यात्रा है जिन से अपने परिवेश, समाज को बेहतर बनाने की नई राहें, नए साधन मिले वही स्टार्टअप है।

                                       

भारत सरकार की स्टार्टअप इंडिया पहल के पीछे यही विचार है कि इसका उद्देश्य स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना तथा नवाचार और उद्यमिता के लिए एक मजबूत समावेशी परिवेश तैयार करना है। ऐसे परिवेश में सतत आर्थिक विकास को बल देने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करने की क्षमता भी उपलब्ध होती है। इस पहल के जरिए सरकार नवाचारों और नए स्वरूपों में स्टार्टअप्स को सशक्त बनाना चाहती है। वर्ष 2016 में शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत उद्यमों की मदद करने स्टार्टअप्स के लिए मजबूत परिवेश बनाने और भारत को रोजगार याचक देश के बजाय रोजगार सृजन करने वाला देश बनाने के लिए अनेक कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं।

                                

इस पहल के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने एक कार्य योजना बनाई है जिसमें स्टार्टअप परिवेश के सभी पक्षों पर ध्यान दिया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इस कार्य योजना के माध्यम से देश में स्टार्टअप आंदोलन तेज होगा और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, निर्माण और सामाजिक क्षेत्रों में भी इसका दायरा तेजी से बढ़ेगा और साथ ही इसका फैलाव वर्तमान महानगरों के साथ-साथ दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरोंए उपनगरीय तथा ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से बढ़ेगा। स्टार्टअप इंडिया पहल के अंतर्गत मुक्त नए उद्यमों और कारोबारियों के उन पक्षों में मदद की जाती है।

                     

    प्रक्रियाओं को सरल बनाना और उन्हें पूरा करने में मदद करना नियमों का पालन आसान बनाना स्टार्टअप के आगे न बढ़ पाने की स्थितियों में उन्हें छोड़ पाने की आसान प्रक्रियाएं कानूनी मदद पर आवेदनों का तेजी से निपटान और ज्यादा से ज्यादा जानकारियां वेबसाइट के जरिए उपलब्ध करानाए धन उपलब्ध कराना और अच्छे काम के लिए प्रोत्साहन देना। आयकर और कैपिटल गेन में छूट के प्रावधान स्टार्टअप को ज्यादा धन मुहैया करा पाने के लिए संबंधित फंडों को भी धन देने के लिए एक और फंडए फंड आफ फंड्स बनाना और रेड गारंटी योजना का प्रावधान नए स्टेटस को सहारा दिलाने के लिए इक्वेशन की व्यवस्था उद्योग और शिक्षा जगत के बीच भागीदारी।

नए इनक्यूबेटर और इन्नोवेशन लैब्स खोलना को सहन और जानकारी देने के लिए विभिन्न गतिविधियों और प्रतियोगिताओं का आयोजन और अनुदान उपलब्ध कराना आदि। यह सभी प्रयास बहुत तेजी से सरकार के द्वारा किए जा रहे हैं स्टार्टअप इकोसिस्टम से हमारे जीवन और आसपास नई दृष्टि और ऊर्जा के संचार होने की योजना को भी बना लिया गया है।

स्टार्टअप हमारी आम जिंदगी की अनेक समस्याओं के नवीन और टेक्नोलॉजी आधारित समाधान भी प्रस्तुत करते हैं। युवाओं में नए तरीके से सोचने और चली आ रही प्रणालियों तथा प्रक्रियाओं को चुनौती देने की क्षमता होती है। स्टार्टअप हमारी युवाओं की कल्पना और क्षमता को पंख लगा देते हैं ताकि वे नए भारत की विकास यात्रा में भागीदार बन सके। स्टार्टअप संस्थाओं की दास्तान का संबंध सिर्फ संख्याओं से नहीं है, यह नए भारत में न्यूनतम अवसरों का लाभ उठाने की क्षमता की कहानी है। इस नए भारत में नीतियों के केंद्र में एक सुविचारित अर्थ नीति है जिससे जरूरी बदलाव आ रहे हैं।

मौजूदा समय में विश्व मानव सभ्यता की जटिलता समस्याओं के समाधान मुहैया कराने में भारतीय युवाओं की क्षमता, ज्ञान और ताकत का लोहा मानता है। भारत सरकार देश में विश्व भर से पूंजी निवेश और श्रेष्ठ नवोन्मेष परीपाटिया लाने में सक्षम रही है।

आज G-20 से संबंधित कोई भी चुनौती जटिल है और इसके लिए सभी राष्ट्रों के नवाचार यह व्यवसायों का मिलकर कार्य करना आवश्यक है कहा जा सकता है कि यह G-20 का मंच जन्म से ही स्टेटस के लिए विश्व का सबसे बड़ा नीति मंच है। इस मंच में महत्वपूर्ण कार्य बलों की एक सूची भी रहेगी स्टार्टअप का उद्देश्य सभी स्टार्टअप्स के लिए एक ऐसा माहौल तैयार करना है जो भारत के वितरण के मूल विषय एक परिवार एक प्रति एक भविष्य के साथ ऐसे सभी स्टार्टअप्स को बढ़ावा दें।

किसानों के साथ धोखाधड़ी नहीं होगी

                     

भारत सरकार के द्वारा, बढ़ती आबादी के हिसाब से पैदावार को बढ़ाने का प्रयास भी तेजी से किया जा रहा है और इसी प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने साथी नाम से एक पोर्टल एवं मोबाइल एप्लीकेशन शुरू किया है, जिसकी सहायता से पता लगाया जा सकता है कि किसी बीज की गुणवत्ता कितनी है। इस सिस्टम में एक क्यूआर कोड होगा जिसके माध्यम से उसकी पहचान हो सकेगी, कृषि मंत्रालय ने इसे सभी राज्यों में अपनाने का आग्रह किया है।

मंत्रालय का दावा है कि पोर्टल की मदद से घटिया और नकली बीज की पहचान आसानी से हो सकेगी। बीज खरीदने में किसानों के साथ धोखाधड़ी नहीं होगी, उत्तम बीज समृद्ध किसान योजना के तहत इस पोर्टल एवं बीज उत्पादनए उसकी गुणवत्ता पहचान और प्रमाणन की चुनौतियों का पता लगाने के लिए विकसित किया गया है। साथी अंग्रेजी के 5 अक्षरों को मिलकर बना है इसका अर्थ है. शीड एबिलिटी 82 पिक्सन एवं हॉलिस्टिक इन्वेंटरी पोर्टल एवं मोबाइल एप्लीकेशन के सहारे मिनटों में खेती-किसानी से जुड़े कई तरह की सुविधाएं मिल जाएंगी। सरकार ने यह भी व्यवस्था बनाई है कि सिर्फ वैध लाइसेंस वाले विक्रेताओं ही पंजीकृत किसानों को प्रमाणित बीज सकते हैं किसानों के बैंक खाते में DBT के माध्यम से सब्सिडी की राशि सीधी भेजी जाएगी।

                        

आमतौर पर घटिया बीजों के चलते पैदावार पर भी बुरा असर पड़ता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि किसानों का नुकसान कम से कम हो और नुकसान से बच सकें, इसकी शुरुआत की गई है। किसानों को नुकसान होता है इसलिए ऐसी व्यवस्था बनाना जरूरी था जिससे खेतों तक घटिया बीज ना पहुंच सके। मंत्रालय का मानना है कि यदि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिलना सुनिश्चित हो जाए तो उपज में कम से कम 20% की वृद्धि आसानी से हो सकती है। इस प्रणाली में बीजों को 7 स्तर पर परीक्षण के दौर से गुजरना पड़ सकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर में प्रोफेसर और कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख हैं।

डिस्कलेमरः उपरोक्त लेख में उल्लेखित विचार लेखक के मौलिक विचार हैं।