गर्मी हो या सर्दी हो, चाय हमेशा आवश्यक

                   गर्मी हो या सर्दी हो, चाय हमेशा आवश्यक

                                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं सरिता सेंगर

                                                                                

अदरक वाली चाय, तुलसी वाली चाय, इलायची वाली चाय, मसाला चाय, काली चाय, दूध वाली चाय, मलाई मार कर स्पेशल चाय, कड़क चाय, कुल्हड़ वाली चाय, टपरी वाली चाय तथा रेलवे स्टेशन एवं बस स्टॉप वाली चाय, परन्तु देखने वाली बात यह है कि अलग अलग चाय की अलग अलग ही खासियत होती है।

उपरोक्त वर्णित इन सब चाय के बाद आती है जरकुश वाली चाय!

                                                                        

हमारी तरफ इसे जरकुश कहते हैं जबकि इसे लेमन ग्रास अथवा नींबू घास की चाय के नाम से भी जाना जाता है।

 कुश परिवार के इस पौधे को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है। इसकी पत्ती तोड़ कर इसे अपने हाथों पर मसल कर सूंघिये तो एक दम नींबू की सुगंध आती है।

 आपने तमाम प्रकार की चाय पी होगी तो फिर कभी जरकुश वाली चाय पीजिए। इसकी एकदम अलग सुगंध और एक बेहतरीन स्वाद होता है।

 जरकुश को आप बड़ी आसानी से अपने छत के ऊपर गमले में भी लगा सकते हैं। यह कम देखभाल में भी अच्छी तरह से पनप जाने वाला पौधा होता है।

उपरोक्त वर्णित उपयोगिताओं के अलावा जरकुश के मानव स्वास्थ्य के विषय में भी अनेक लाभ प्राप्त हाते हैं। अतः इसका सेवन कर हम मानव शरीर में उत्पन्न होने वाले अनेक प्रकार के रोगों का भी आसानी से शमन कर सकते हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।